राष्ट्रीय
अगले महीने न्यू यॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में 150 से ज्यादा देशों के नेता हिस्सा लेंगे. अमेरिका ने अधिकतर देशों से कहा है कि वो बैठक में ऑनलाइन ही शामिल होने के बारे में विचार करें.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के मिशन ने 192 दूसरे सदस्य देशों को भेजे गए एक नोट में यह भी कहा है कि महासभा के अलावा बाकी बैठकों और मुलाकातों को भी वर्चुअल तौर पर किया जाए. मिशन का कहना है कि इन मुलाकातों की वजह से भी लोग न्यू यॉर्क आना पसंद करेंगे और वो "हमारे समुदाय, न्यू यॉर्क के लोगों और दूसरे यात्रियों को अनावश्यक रूप से जोखिम में डालेंगे."
नोट में यह भी लिखा है कि बाइडेन प्रशासन विशेष रूप से उन उच्च-स्तरीय आयोजनों को लेकर चिंतित है जिनकी मेजबानी संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश और महासभा के अगले अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद करेंगे. ये आयोजन जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन, नस्लवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक सम्मलेन की 20वी वर्षगांठ, खाद्य प्रणालियां और ऊर्जा जैसे विषयों पर होने हैं.
शामिल हो सकते हैं 127 नेता
महासभा में भाषण देने वालों की एक तात्कालिक सूची में अलग अलग देशों के 127 राष्ट्रपतियों और प्रधान मंत्रियों के नाम हैं जो व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. इनमें खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई और बड़े नेता शामिल हैं.
ईरान, मिस्र और इंडोनेशिया समेत 38 नेता पहले से रिकॉर्ड किए संदेश भेजने की तैयारी कर रहे हैं. नोट में लिखा है, "अगर प्रतिनिधि मंडल न्यू यॉर्क आना चाह रहे हैं तो अमेरिका उनसे गुजारिश करता है कि वो कम से कम सदस्यों को साथ लाएं." संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय आने वाले लोगों के लिए कई दिशा निर्देश लागू किए जाएंगे.
चिंताजनक हालात
उन्हें हमेशा मास्क पहने रहना होगा, छह फीट की दूरी बनाए रखनी होगी, तय सीटों पर ही बैठना होगा, बिल्डिंग के अंदर घुसने के लिए कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट आवश्यक होगी और "संभव हो तो टीका भी ले लेना" बेहतर रहेगा. बैठकों के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जाएगी.
अमेरिका में करीब 50 प्रतिशत आबादी को टीका लग चुका है, लेकिन इसके बावजूद संक्रमण के नए मामले और संक्रमण से होने वाली मौतें चिंताजनक स्तर पर हैं. अभी भी दुनिया में सबसे ज्यादा नए मामले अमेरिका में ही सामने आ रहे हैं. रोजाना करीब 500 अमेरिकी मारे भी जा रहे हैं. देश में जहां जुलाई में 10,000 से भी कम मामले सामने आए थे, वहीं अगस्त में 1,50,000 से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं. (dw.com)
सीके/एए (एएफपी)
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला की तालिबान के नेताओं के साथ मुलाकात हुई है. इसे देश में तालिबान द्वारा एक नई सरकार बनाने की प्रक्रिया के शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है.
दोनों अफगान नेताओं की मुलाकात तालिबान नेता अनस हक्कानी से हुई. अनस हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई हैं. वो आतंकवाद के आरोप में जेल की सजा भी काट चुके हैं. उनके हक्कानी नेटवर्क को अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है.
मुलाकातों के बाद करजई के एक प्रवक्ता ने कहा कि ये शुरूआती मुलाकातें हैं और इनके बाद तालिबान के उच्च नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से बातचीत होगी. तालिबान सरकार बनाने के अपने इरादे की पहले ही घोषणा कर चुका है. संगठन ने एक बयान में कहा है कि उसकी सरकार एक "समावेशी, इस्लामिक सरकार" होगी.
नहीं गए थे देश छोड़ कर
15 अगस्त के दिन जब तालिबान द्वारा काबुल कब्जा लेने के ठीक पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर चले गए थे, तब करजई ने ट्वीट करके कहा था कि वो देश के अंदर ही हैं और अब्दुल्ला अब्दुल्ला और वो पूर्व मुजाहिद्दीन नेता गुलबुद्दीन हेकमतियार के साथ मिल कर सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए काम करेंगे.
हेकमतियार 1980 के दशक में सोवियत-अफगान युद्ध में सक्रिय था. माना जाता है कि सोवियत सेना को अफगानिस्तान से निकालने के उद्देश्य से सीआईए ने जिन मुजाहिद्दीन लड़ाकों को पैसे दिए उनमें सबसे ज्यादा पैसे और मदद पाने वाल संगठन हेकमतियार का ही था.
राष्ट्रपति होने का दावा
2001 में उसने करजई की सरकार के खिलाफ भी एक सशस्त्र अभियान चलाया लेकिन वो नाकाम रहा. देखना होगा कि करजई, अब्दुल्ला और हेकमतियार तालिबान की सरकार में शामिल होते हैं या नहीं. हालांकि सरकार को लेकर अभी और मोर्चों पर भी संघर्ष होने की संभावना है. अशरफ गनी सरकार में उप-राष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सलेह ने दावा किया है कि वो भी अभी अफगानिस्तान के अंदर ही हैं और देश के संविधान के अनुसार इस समय देश के कार्यकारी राष्ट्रपति हैं.
हालांकि सलेह का ठिकाना अभी अज्ञात है. गनी खुद इस वक्त कहां हैं इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है. इस बीच दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देशों में इस बात को लेकर उधेड़बुन चल रही है कि तालिबान अगर अपनी सरकार की घोषणा करेंगे तो उस सरकार को मान्यता देनी चाहिए या नहीं.
मान्यता देने का सवाल
यूरोपीय संघ की विदेश नीति और सुरक्षा नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि तालिबान से बात करना जरूरी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि तालिबान को मान्यता दे दी जाए. बोरेल ने कहा कि बातचीत नाटो सैनिकों के साथ काम कर चुके अफगान लोगों और विदेशी नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित रूप से निकाल लेने के लिए जरूरी है.
उन्होंने यह भी कहा, "अफगानिस्तान में जो हुआ है वो पूरी पश्चिमी दुनिया की हार है और हमें यह स्वीकार करने की हिम्मत रखनी चाहिए." इस बीच चीन ने कहा है कि वो पहले अफगानिस्तान में एक "खुली, समावेशी और व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व वाली" सरकार के बनने का इंतजार करेगा और उसके बाद उसे मान्यता देने पर विचार करेगा.
सीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
लखनऊ, 19 अगस्त| उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश करने वाली दुष्कर्म पीड़िता के मामले की जांच के लिए बुधवार को एक दो सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता एक डीजी-रैंक के पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता में की गई है। पैनल महिला और उसके साथी से संबंधित प्राथमिकी के सभी पहलुओं की जांच करेगी। महिला ने सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर, इस सप्ताह की शुरूआत में खुद को आग लगाने की कोशिश की थी।
दोनों ने पुलिस अधिकारियों और एक जज पर जेल में बंद बसपा सांसद अतुल राय के इशारे पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने संवाददाताओं को बताया कि समिति में डीजी, पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड (यूपीपीआरपीबी), आर के विश्वकर्मा और एडीजी, महिला पावर लाइन (1090), नीरा रावत शामिल होंगे।
समिति दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी।
गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समिति पूरे मामले की जांच करेगी।
पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र और बलात्कार पीड़िता और उसके सहयोगी के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट की भी जांच की जाएगी।
इस बीच, राज्य सरकार ने मामले में जांच अधिकारी रहे पुलिस निरीक्षक राकेश सिंह और उप निरीक्षक गिरिजा शंकर यादव को निलंबित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह का प्रयास करने से पहले महिला और उसके सहयोगी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश लाइवस्ट्रीम कर बसपा सांसद अतुल राय, तत्कालीन वाराणसी एसएसपी अमित पाठक, पूर्व आईजी अमिताभ ठाकुर और अन्य पुलिस और न्यायिक अधिकारियों पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। (आईएएनएस)
सीबीआई को स्वतंत्र और बेहतर संस्था बनाने के लिए मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को 12 आदेश दिए हैं. इन आदेशों के पालन के लिए अदालत ने समय सीमा भी तय की है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
सीबीआई को पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनाने पर बहस दशकों से चल रही है. अब इसी बहस को आगे ले जाते हुए मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई पीठ ने केंद्र सरकार को कुछ निर्देश दिए हैं. पीठ ने कहा है कि इस आदेश का उद्देश्य "पिंजरे में बंद तोते को आजाद करना" है.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को एक "पिंजरे में बंद तोता" बताया था और मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हीं शब्दों को दोहराया है. मदुरई पीठ ने कहा कि सीबीआई देश की प्रमुख जांच संस्था है और जनता को उस पर बहुत भरोसा है.
मिले वैधानिक दर्जा
पीठ ने 12 निर्देश दिए, जिनमें से प्रमुख हैं - सीबाई को वैधानिक दर्जा देने के लिए जल्द एक नया कानून लाया जाए, उसे चुनाव आयोग और सीएजी की तरह स्वतंत्र बनाया जाए, उसके लिए बजट में अलग से आवंटन हो.
इसके अलावा उसके निदेशक को केंद्र सरकार के सचिव जैसी शक्तियां दी जाएं, वो डीओपीटी की जगह सीधा प्रधानमंत्री या किसी मंत्री को सीधा रिपोर्ट करे और सीबीआई के पुनर्गठन और मूल सुविधाएं बढ़ाने के मामलों में डीओपीटी छह सप्ताह के अंदर फैसला ले.
पीठ ने सीबीआई से कहा कि वो छह सप्ताह के अंदर उसके विभागों और अधिकारियों की संख्या को बढ़ाने के लिए भी सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव दे. केंद्र ने अभी तक इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है. 2019 में केंद्र सरकार ने संसद में दिए एक बयान में कहा था कि सीबीआई में आमूलचूल परिवर्तन लाने की उसकी अभी कोई योजना नहीं है.
राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्ति
सीबीआई का गठन अप्रैल 1963 में एक प्रस्ताव के पारित होने के साथ हुआ था. संस्था को उसकी शक्तियां 1946 के दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम से मिलती हैं. 1998 में विनीत नारायण बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संस्था के निदेशक की नियुक्ति को लेकर नई व्यवस्था बनाई थी.
लेकिन 2017 में निदेशक पद को लेकर संस्था के दो उच्च अधिकारियों के बीच हुई सार्वजनिक लड़ाई के बाद स्पष्ट हो गया कि अभी भी निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है.
सीबीआई पर अक्सर केंद्र में सत्ता में बैठी पार्टी के इशारों पर काम करने के आरोप लगते हैं. राजनीतिक हस्तक्षेप से प्रभावित होने के आरोप से खुद को मुक्त करना संस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. देखना होगा कि इस दिशा में मद्रास हाई कोर्ट के निर्देशों का क्या असर होता है.(dw.com)
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है. पुष्कर की मौत 2014 में हुई थी.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
बुधवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने थरूर को राहत देते हुए पुष्कर की मौत से जुड़े सभी आरोपों से बरी कर दिया. 51 साल की पुष्कर की लाश दिल्ली के एक होटल में 17 जनवरी 2014 को मिली थी. दिल्ली पुलिस ने थरूर के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) और 498 ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा अत्याचार) के तहत मामला दर्ज किया था.
थरूर की तरफ से पेश वकील विकास पाहवा ने बताया कि विशेष जांच दल द्वारा की गई जांच में उनके खिलाफ लगाए आरोपों पर सबूत नहीं मिले और उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है.
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा, "आरोपी को बरी कर दिया गया है." यह आदेश थरूर, थरूर की ओर से मौजूद वकील विकास पाहवा और सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव की मौजूदगी में सुनाया गया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाहवा ने यह भी तर्क दिया था कि पुलिस जांच पर सालों बिताने के बाद भी सुनंदा पुष्कर की मौत के कारण का पता नहीं लगा सकी.
वर्चुअल कोर्ट की कार्यवाही में भाग लेने वाले थरूर ने अदालत को सभी अपराधों से मुक्त करने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, "साढ़े सात साल हो गए थे और यह एक यातना थी. मैं बहुत आभारी हूं."
सालों तक चली न्यायिक प्रक्रिया
इससे पहले 29 अप्रैल, 19 मई और 16 जून को महामारी के कारण न्यायिक कार्य प्रभावित होने के कारण आदेश को टाल दिया गया था. कोर्ट को अभियोजन पक्ष की ओर से लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देने का आवेदन मिलने के बाद दो जुलाई को आदेश की घोषणा फिर से स्थगित कर दी गई थी.
शुरू में दिल्ली पुलिस ने पुष्कर की मौत की एक हत्या के रूप में जांच की. सरकारी वकील श्रीवास्तव ने तर्क दिया था कि उनकी मृत्यु से पहले, पुष्कर के शरीर पर चोटें आई थीं और वे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दिखी थीं.
थरूर की प्रतिक्रिया
पुष्कर की मौत के मामले में पुलिस ने थरूर को मुख्य आरोपी बनाया था और वे अभी तक जमानत पर थे. कोर्ट के फैसले के बाद थरूर ने कहा है कि उनके साथ न्याय हुआ है, हालांकि उन्हें निराधार आरोपों का सामना करना पड़ा है. थरूर ने अपने बयान में कहा, "यह उस लंबे दुःस्वप्न के लिए एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष लाता है जिसने मेरी पत्नी सुनंदा के दुखद निधन के बाद मुझे घेर लिया था. मैंने दर्जनों निराधार आरोपों और मीडिया की ओर से बदनामी का धैर्यपूर्वक सहन किया है. मैंने न्यायपालिका में अपना विश्वास बनाए रखा है, जो आज सही साबित हुई है." (dw.com)
थरूर ने बयान में आगे कहा, "हमारी न्यायिक प्रणाली में प्रक्रिया ही अक्सर सजा बन जाती है. तथ्य यह है कि इंसाफ हुआ है और हमारा पूरा परिवार सुनंदा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेगा."
शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर की शादी साल 2010 में हुई थी. चार साल बाद पुष्कर की मौत ने राजनीतिक हलकों में अटकलों को जन्म दिया, खासकर जब उनके कुछ अंतिम ट्वीट्स में दोनों के बीच दरार के संकेत थे. थरूर पर पुष्कर ने पाकिस्तानी पत्रकार के साथ संबंध का आरोप लगाया था.
मोदी सरकार ने तेल की कीमतें कम ना कर पाने के लिए यूपीए सरकार द्वारा जारी ऑयल बॉन्ड को जिम्मेदार बताया है. जानिए क्या होते हैं ऑयल बॉन्ड और आपकी जेब से इनका क्या संबंध है?
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि उनकी सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों पर इसलिए काबू नहीं कर पा रही है क्योंकि उसके ऊपर यूपीए सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों की देनदारी है. सीतारमण बात कर रही थीं 2012 में यूपीए सरकार द्वारा जारी किए गए 1.44 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड की.
क्या होते हैं आयल बॉन्ड
ऑयल बॉन्ड एक तरह का वित्तीय साधन होता जिसके तहत सरकारें तेल वितरण कंपनियों को नकद सब्सिडी देती हैं. यह एक सरकारी प्रतिज्ञापत्र होता है, जिसका इस्तेमाल करके तेल कंपनियां बाजार से पैसे उठा सकती हैं और तेल के दाम घटा सकती हैं. इन प्रतिज्ञापत्रों की जारीकर्ता सरकार होती है जिसकी वजह से इन पर बनने वाला ब्याज भुगतान और इनकी समाप्ति की तारीख के बाद पूरा भुगतान सरकार करती है.
इनका इस्तेमाल क्यों किया जाता है
मूल रूप से ऑयल बॉन्ड का इस्तेमाल सरकारें बजट में सीधे सब्सिडी देने से बचने के लिए करती हैं. इनका इस्तेमाल कर सरकारों को पेट्रोल, डीजल इत्यादि के दाम कम करने में सहायता मिलती है और वो तात्कालिक रूप से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने से भी बचा लेती हैं. खर्च का बोझ असल में कम नहीं होता, बस आगे टल जाता है.
कितना बोझ है ऑयल बॉन्ड का
2012 में यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपयों के ऑयल बॉन्ड जारी किए थे. इनमें से कुल 3500 करोड़ रुपयों के मूल्य के दो बॉन्ड की समाप्ति की तारीख 2015 में आई, और उस साल एनडीए सरकार को इस राशि का भुगतान करना पड़ा. इसी क्रम में सरकार को 2021-22 वित्त वर्ष में 10,000 करोड़, 2023-24 में 31,150 करोड़, 2024-25 में 52,860 करोड़ और 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपयों का भुगतान करना है. इसके अलावा सरकार पिछले सात सालों से हर साल 10,000 करोड़ रुपए का ब्याज भुगतान भी कर रही है.
ऑयल बॉन्ड बनाम टैक्स से कमाई
ऑयल बॉन्ड का भुगतान तो सरकार को जरूर करना पड़ रहा है, लेकिन पेट्रोल, डीजल जैसे तेल उत्पादों पर लगे उत्पाद शुल्क से सरकार की जो कमाई हुई है वो इससे कहीं ज्यादा है. सरकार के अपने आंकड़े कहते हैं कि सिर्फ 2021-22 वित्त वर्ष में ही सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगे उत्पाद शुल्क से 3.45 लाख करोड़ रुपए कमाए. यानी सरकार पर ऑयल बॉन्ड और उन पर ब्याज के भुगतान का जिनका बोझ है, उससे कहीं ज्यादा राशि सरकार उत्पाद शुल्क से कमा रही है.
क्या सिर्फ यूपीए ने ऑयल बॉन्ड जारी किए थे
ऑयल बॉन्ड सबसे पहले 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जारी किए गए थे. अप्रैल 2002 में वाजपेयी सरकार ने पहली बार 9,000 करोड़ रुपयों के ऑयल बॉन्ड जारी किए थे. मौजूदा एनडीए सरकार में भी बैंकिंग क्षेत्र के लिए इस तरह के बॉन्ड जारी किए गए हैं. बैंकों में पैसा डालने के लिए सरकार ने 3.1 लाख करोड़ के रीकैपिटलाइजेशन बॉन्ड जारी किए हैं जिनका भुगतान 2028 से 2035 के बीच में अगली सरकारों को करना होगा. (dw.com)
नई दिल्ली, 18 अगस्त| प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना ने बुधवार को कहा कि वह शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक पर मीडिया में आई खबरों से बेहद परेशान हैं। सीजेआई रमना ने बुधवार को सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा को विदाई देने के लिए आयोजित औपचारिक समारोह में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ऐसी गैर-जिम्मेदार रिपोटिर्ंग और अटकलों के कारण उज्जवल प्रतिभाओं के योग्य लोगों के कैरियर को आघात पहुंचने के कई उदाहरण हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इससे बेहद परेशान हूं।
उन्होंने आगे कहा कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पवित्र है और इससे कुछ गरिमा जुड़ी हुई है। मीडिया को इस प्रक्रिया की पवित्रता को समझना और पहचानना चाहिए। एक संस्था के रूप में हम मीडिया की स्वतंत्रता और व्यक्तियों के अधिकारों को उच्च सम्मान में रखते हैं।
उन्होंने आगे कहा, मैं मीडिया में कुछ अटकलों और रिपोटरें के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं। आप सभी जानते हैं कि हमें इस अदालत में न्यायाधीशों को नियुक्त करने की आवश्यकता है। प्रक्रिया जारी है। बैठकें होंगी और निर्णय लिए जाएंगे।
उन्होंने इस तरह के गंभीर मामले पर अटकलें न लगाकर अधिकांश वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया घरानों द्वारा प्रदर्शित परिपक्वता और जिम्मेदारी की भी सराहना की। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ऐसे पेशेवर पत्रकार और नैतिक मीडिया विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय और सामान्य रूप से लोकतंत्र की वास्तविक ताकत हैं। आप हमारी प्रणाली का हिस्सा हैं। मैं सभी हितधारकों से इस संस्थान की अखंडता और गरिमा को बनाए रखने की उम्मीद करता हूं।
भारत के प्रधान न्यायाधीश उन मीडिया रिपोटरें का जिक्र कर रहे थे, जिनमें कहा गया था कि शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए नौ नामों की सिफारिश की है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 अगस्त| कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को डॉ. अजय कुमार को सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा का प्रभारी नियुक्त किया। एक बयान में कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने कहा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डॉ. अजय कुमार को तत्काल प्रभाव से सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा का एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया है।
एक पूर्व आईपीएस अधिकारी और झारखंड के जमशेदपुर से लोकसभा के पूर्व सांसद अजय कुमार कांग्रेस की झारखंड इकाई के प्रमुख भी रह चुके हैं। वह दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले 2019 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे, लेकिन एक साल बाद 2020 में कांग्रेस में लौट आए। (आईएएनएस)
पटना, 18 अगस्त| भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बुधवार को संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए बिहार भाजपा के महासचिव का प्रभार भीखूभाई दलसानिया को सौंप दिया। दलसानिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सहयोगियों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने पार्टी के महासचिव के रूप में गुजरात में लगभग दो दशक तक सेवा की थी। फेरबदल के बाद, नागेंद्र जी, जो भाजपा बिहार इकाई के महासचिव थे, उनको बिहार और झारखंड के क्षेत्रीय महासचिव का प्रभार दिया गया है।
दलसानिया आमतौर पर लाइमलाइट में आने से बचते हैं। वह पार्टी के सबसे पुराने आरएसएस सदस्य हैं और एक अच्छे नीति निर्माता माने जाते हैं। वह 2001 में गुजरात के महासचिव थे जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।
दलसानिया ने ट्वीट कर कहा, "मैं 1997 से भाजपा में काम कर रहा हूं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के आशीर्वाद से यह संभव हुआ है। अब मैं बिहार में गंगा नदी के किनारे रहूंगा।"
सूत्रों ने कहा कि भाजपा बिहार में पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना चाहती है। पार्टी नेतृत्व जानता है कि गुजरात से ज्यादा बिहार में चुनौतियां हैं। इनके नेताओं का मानना है कि गुजरात में एक मजबूत कैडर है और अगले संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए बिहार में भी इसी तरह के कैडर की आवश्यकता है। (आईएएनएस)
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि पति पत्नी को तो तलाक दे सकता है लेकिन बच्चों को नहीं. पति को बच्चों की देखभाल करनी होगी.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक व्यक्ति से कहा कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है लेकिन अपने बच्चों को तलाक नहीं दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मांगने पहुंचे व्यक्ति को छह सप्ताह के भीतर बच्चों की देखभाल के लिए चार करोड़ देने को कहा है.
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल किया और दंपति को आपसी रजामंदी के आधार पर तलाक का आदेश पारित किया. पति-पत्नी 2019 से अलग रह रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि समझौते के तहत जो शर्तें तय हुई हैं, वही लागू होंगी. पति की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को कहा कि कोरोना के कारण बिजनेस को नुकसान हुआ है और बच्चों की परवरिश की रकम तुरंत नहीं दी जा सकती. वकील ने कोर्ट से कुछ और समय मांगा.
इस पर कोर्ट ने कहा कि पति ने खुद कहा था जिस दिन तलाक को मंजूरी मिलेगी उस दिन वह चार करोड़ रुपये का भुगतान बच्चों की देखभाल के लिए जमा करेंगे. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में आर्थिक स्थिति का हवाला देकर अब दलील नहीं टिकती.
बेंच ने अपने आदेश में कहा, "आप अपनी पत्नी को तलाक दे सकते हैं लेकिन बच्चों को तलाक नहीं दे सकते क्योंकि आपने उन्हें जन्म दिया है. आपको उनकी देखभाल करनी होगी. आपको तलाक ले चुकी पत्नी की देखभाल और नाबालिग बच्चों की परवरिश के लिए राशि का भुगतान करना होगा."
कोर्ट ने अपने आदेश में पति को एक सितंबर 2021 तक एक करोड़ रुपये देने और उसके बाद बाकी के तीन करोड़ रुपये 30 सितंबर 2021 के पहले भुगतान करना का आदेश दिया.
कोर्ट ने दंपति की तरफ से शुरू की गईं सभी कानूनी प्रक्रियाओं को भी निरस्त कर दिया है. बेंच ने कहा कि दंपति के बीच हुए समझौते की अन्य सभी शर्तें उनके बीच हुए अनुबंध के तहत ही पूरी की जाएंगी.
अलग होने वाले पति-पत्नी के दो बच्चे हैं. बच्चों की कस्टडी को लेकर पहले ही समझौता हो चुका है. (dw.com)
मुंबई, 17 अगस्त | उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक पर्वतारोही और साइकिल चालक उमा सिंह ने तंजानिया में अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी, माउंट किलिमंजारो की चोटी पर चढ़ाई की है, और अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनू सूद को अपनी उपलब्धि समर्पित की है। 25 वर्षीय सिंह ने किलिमंजारो के पहले बेस पॉइंट तक साइकिल चलाई और फिर शीर्ष पर चले गए। चोटी पर पहुंचने के बाद, उन्होंने सोनू सूद का एक पोस्टर खोला, जिसमें लिखा था, भारत का असली हीरो।
अभिनेता को अपनी उपलब्धि समर्पित करते हुए, सिंह ने कहा कि अपने जीवन में पहली बार मैं एक वास्तविक जीवन के नायक से मिला हूं और मैं उसके लिए कुछ करना चाहता था। वह कठिन परिस्थितियों में हमारे देश के लिए खड़ा हुआ, अपने जीवन की परवाह किए बिना। आप हमारे देश के असली हीरो, सोनू सूद सर, और भारत में सभी के बड़े भाई हैं।
नौजवान के हावभाव पर प्रतिक्रिया देते हुए, सूद ने कहा कि मुझे उमा पर बहुत गर्व है कि वह इतना कठिन कुछ हासिल करने के लिए आगे बढ़ा। यह उसकी कड़ी मेहनत और ²ढ़ संकल्प है जिसने उसे यह उपलब्धि हासिल करने में मदद की। मैं उसके हावभाव और उसके शब्दों से बहुत प्रभावित हूं। वह हमारे युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।
युवक की तारीफ हो रही है। उन्होंने कहा कि इतनी कम उम्र में इस तरह के ²ढ़ संकल्प से पता चलता है कि अगर भारतीय युवा कुछ करने के लिए अपना दिल लगाते हैं, तो वे इसे हर संभव तरीके से अपना लक्ष्य हासिल करेंगे। बधाई, उमा, और आपके के शब्दों के लिए धन्यवाद।
अभिनेता अगली बार हिंदी ऐतिहासिक नाटक 'पृथ्वीराज' और तेलुगु एक्शन ड्रामा 'आचार्य' में दिखाई देंगे। (आईएएनएस)
नए डिजिटल मीडिया नियमों के दो प्रावधानों पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. यह इन नियमों को अदालत में चुनौती देने वाले मीडिया संस्थानों के लिए आंशिक राहत है क्यों अन्य प्रावधानों के खिलाफ सुनवाई अभी भी चल ही रही है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 के नियम 9(1) और 9(3) पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि दोनों नियम अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं और ये सरकार की कानून बनाने की शक्ति के परे हैं.
दोनों नियमों के तहत इंटरनेट पर समाचार प्रकाशित करने वालों को सरकार द्वारा तय की गई एक नीति-सहिंता या कोड ऑफ एथिक्स का पालन करना अनिवार्य था. इसके अलावा इनके तहत एक तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली बनाने की भी आदेश दिया गया था जिसकी अध्यक्षता सरकार के ही हाथ में होगी.
किसने दी थी चुनौती
पत्रकारों और मीडिया संस्थानों ने इन नियमों की कड़ी आलोचना की थी और कइयों ने नए नियमों के खिलाफ अलग अलग अदालतों में मामला दर्ज कर दिया था. बॉम्बे हाई कोर्ट में मामला दर्ज कराया था 'द लीफलेट' वेबसाइट चलाने वाली कंपनी और वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने.
इनका कहना था कि ये नियम 'ड्रैकोनियन' हैं, मनमाने हैं, कानून बनाने की सरकार के शक्ति के परे हैं और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. इन अपीलों पर सुनवाई करने के बाद अदालत ने इन दलीलों को सही मना और इन दोनों नियमों पर रोक लगा दी.
जानकारों का कहना है कि चूंकि ये नियम केंद्र सरकार ने लागू किए थे, ये फैसला सिर्फ बॉम्बे हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं पूरे देश में लागू होगा. नीति-संहिता अब देश में कहीं पर भी लागू नहीं की जा सकती है.
असहमति का महत्व
फैसला देते समय अदालत ने यह भी कहा कि पत्रकारों के लिए आचरण के मानक भारतीय प्रेस परिषद् ने पहले से तय किए हुए हैं, लेकिन ये मानक नैतिक हैं, वैधानिक नहीं. अदालत ने यह भी कहा कि केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत प्रोग्राम कोड सिर्फ केबल सेवाओं के विनियमन के लिए है, इंटरनेट पर लेखकों/संपादकों/प्रकाशकों के लिए नहीं.
फैसला देते समय अदालत ने लोकतंत्र में असहमति की जरूरत पर टिप्पणी भी की. अदालत ने कहा,"देश के सही प्रशासन के लिए जन सेवकों के लिए आलोचना का सामना करना स्वास्थ्यप्रद है, लेकिन 2021 के नियमों की वजह से किसी को भी इनकी आलोचना करने के बारे में दो बार सोचना पड़ेगा."
अदालत ने नीति-संहिता को डैमोकलीस की तलवार बताते हुए यह भी कहा कि उसकी वजह से इंटरनेट पर सामग्री का ऐसा विनियमन होगा जिससे लोगों की सोचने की आजादी छिन जाएगी और उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करने में भी घुटन महसूस होगी.
हालांकि यह फैसला नए डिजिटल मीडिया नियमों को चुनौती देने वालों के लिए आंशिक जीत है. इन दो नियमों के अलावा अदालत ने नियम 14 और 16 का भी निरीक्षण किया और अभी के लिए इन पर रोक नहीं लगाई. याचिका पर अंतिम सुनवाई 27 सितंबर को होगी. (dw.com)
भारत में कोरोना के खिलाफ टीका लगवाकर प्रवासी श्रमिक काम की तलाश में अपने राज्यों से निकल रहे हैं. महामारी के दौरान कई लाख लोग बेरोजगार हो गए थे.
जैसे ही स्वास्थ्य कर्मचारी ने कार्तिक बिस्वास की बांह पर कोरोना का टीका लगाया, कार्तिक ने राहत की लंबी सांस ली. कार्तिक केरल के उन लोगों में शामिल हैं जो समाज के सबसे हाशिए पर हैं-प्रवासी मजदूर.
राज्य की सरकारें भारत के एक बड़े तबके को वैक्सीन देने की कोशिश में जुटी हुईं हैं, जिसे प्रवासी श्रमिक के तौर पर भी जाना जाता है.
हाल के हफ्तों में दक्षिणी तटीय राज्य के अधिकारी कार्यस्थलों पर कोरोना का टीका उपलब्ध करा रहे हैं. अधिकारी कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग टीका लें. इसके लिए टीकाकरण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, शिविर लगाए जा रहे हैं और स्थानीय भाषाओं में जन स्वास्थ्य के पोस्टर लगाए जा रहे हैं. इन सब के जरिए प्रवासी श्रमिकों को वायरस से बचने करने का आग्रह किया जा रहा है.
रोजगार मिलना आसान
44 साल के बिस्वास कहते हैं, "मैं लॉकडाउन के दौरान एक साल के लिए घर पर था और मुझे बहुत मुश्किल के बाद नौकरी मिली है. अगर मेरी तबीयत खराब होती तो मेरे परिवार का कौन ख्याल रखेगा. मैं टीका लगवाने के लिए दृढ़ था."
बार-बार तालाबंदी ने उद्योग-धंधे को बंद ठप्प कर दिया, जिससे लाखों लोगों की नौकरी चली गई, जबकि मई में कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को प्रभावित किया.
काम की तलाश में लौटते प्रवासी
प्रवासी श्रमिक महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. महामारी के दौरान लाखों प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों की ओर लौट गए. वे शहरों में रहकर बिना कमाए किराए देने और खाना खरीदने में असमर्थ थे.
हालांकि राज्यों द्वारा पाबंदियों में ढील के कारण अधिकांश आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं. स्वतंत्र थिंक-टैंक के आंकड़े बताते हैं कि इसी के साथ बेरोजगारी दर धीरे-धीरे गिर रही है.
आंध्र प्रदेश में एक मल्टीप्लेक्स में काम कर चुके ताहिर हुसैन तालुकदार की नौकरी लॉकडाउन के दौरान चली गई. असम के एक गांव के रहने वाले 25 साल के तालुकदार बताते हैं कि उनके गांव में काम नहीं है और जब वे ठेकेदार को काम के लिए फोन करते हैं तो उन्हें वैक्सीन लेकर आने को कहा जाता है. तालुकदार के मुताबिक, "मुझे काम के लिए वैक्सीन चाहिए. नहीं तो मुझे कोई काम नहीं देगा."(dw.com)
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
चेतन शर्मा
नई दिल्ली, 17 अगस्त | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को अगले महीने 19 सितंबर से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में होने वाले आईपीएल के दूसरे चरण में दर्शकों को शामिल करने पर कोई दिक्कत नहीं है।
इससे पहले अमीरात क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के महासचिव मुबाशिर उस्मानी ने कहा था कि बोर्ड बीसीसीआई और यूएई सरकार के साथ स्टेडियम में दर्शकों को शामिल करने को लेकर चर्चा करेगा।
बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरूण धूमल ने कहा है कि बोर्ड दर्शकों को देखना पसंद करेगा लेकिन तब जब इससे खिलाड़ियों और लोगों की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं पहुंचेगा।
धूमल ने आईएएनएस से कहा, "हम इस बारे में काम कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि यूएई सरकार दर्शकों को शामिल होने की मंजूरी देगी क्योंकि यहां वैक्सिनेशन हो चुका है। देखते हैं क्या होता है। उम्मीद करते हैं कि दर्शकों को शामिल होने की मंजूरी मिलेगी। शेष यूएई सरकार पर निर्भर करता है।"
रिपोर्ट के अनुसार, यूएई सरकार ने आईपीएल के शेष मुकाबलों के दौरान 60 फीसदी दर्शकों को शामिल करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
धूमल ने कहा कि आईपीएल 2022 में दो नई टीमें शामिल होंगी। उन्होंने कहा, "सभी अब आईपीएल को देखते हैं। हमें भरोसा है कि यह यूएई में भी उत्साहित टूर्नामेंट है। यह आखिरी सीजन है जहां आईपीएल में आठ टीमें होंगी। संभव है कि अगली बार से इसमें 10 टीमें होंगी। हम इस बारे में काम कर रहे हैं।"
नई टीमों के बारे में विस्तार से पूछे जाने को लेकर बीसीसीआई कोषाध्यक्ष ने टिप्पणी करने से मना कर दिया। धूमल ने भारत को लॉर्ड्स मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ मिली जीत पर संतोष व्यक्त किया।
धूमल ने कहा, "हमारे पहले के रिकॉर्ड को देखते हुए यह बेहतरीन जीत थी। पहले हॉफ में कुछ चुनौतियां थी लेकिन बाद में जिस तरह से मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह ने बल्ले और गेंद से योगदान दिया वो सराहनीय है।"(आईएएनएस)
चेन्नई, 17 अगस्त | तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी.टी.आर. पलानीवेल थियागा राजन ने मंगलवार को कहा कि तत्काल आर्थिक प्रभाव लाने के लिए राज्य के बजट में पेट्रोल की कीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई है। अन्नाद्रमुक सदस्य राजन चेलप्पा के एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने डीजल उपयोगकर्ताओं को भी राहत देने के लिए अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान किया है।
राजन ने कहा कि पेट्रोल पर 3 रुपये प्रति लीटर की कमी से 2 करोड़ दोपहिया उपयोगकर्ताओं को लाभ होता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पेट्रोल और डीजल उपयोगकर्ताओं की संख्या पर अपना शोध करना पड़ा क्योंकि तेल कंपनियां डीजल उपयोगकर्ता के आंकड़ें के साथ साझेदारी नहीं कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य में 30 दिनों तक डीजल और पेट्रोल की बिक्री की निगरानी के बाद सरकार आगे कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने ना केवल राहत देने का बल्कि मांग और खर्च करने की शक्ति को भी बढ़ाने का फैसला किया था।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस बात की आशंका है कि जहां तक डीजल का संबंध है, इनपुट लागत में कमी अंतिम मील तक पहुंच जाएगी। हालांकि बहुत सारे ट्रक और लॉरी डीजल का उपयोग करते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि पेट्रोल के संबंध में, यह स्पष्ट था कि इसमें कमी से आम आदमी- दोपहिया सवारों को फायदा होगा।
वित्त मंत्री ने दिवंगत मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन, जिन्होंने गरीब बच्चों को खिलाने के लिए बिक्री कर में एक प्रतिशत की वृद्धि की थी।
उन्होंने कहा, "एक अच्छी सरकार को सामाजिक और आर्थिक न्याय के लाभ के लिए उचित समय पर उपयुक्त वर्ग पर कर लगाना चाहिए। पिछली अन्नाद्रमुक सरकार ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों पर दो बार कर कैसे बढ़ाया था।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अगस्त | भारत के एक प्रमुख मोबाइल फोन ब्रांड आईटेल ने मंगलवार को अपने ऑल-राउंडर फोन ए48 को रीलोडेड अवतार में लॉन्च करने की घोषणा की। एक्सक्लूसिव और वैल्यू-सेंट्रिक जियो बेनिफिट के साथ रीलोडेड अवतार में ए48 की कीमत 6,399 रुपये निर्धारित की गई है।
नई और आकर्षक पेशकश ग्राहकों को जियोएक्सक्लूसिव ऑफर के लिए नामांकन करने का विकल्प देती है। विशेष पेशकश के तहत, जो ग्राहक आईटेल ए48 खरीदते हैं और जियो एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए नामांकन करते हैं, वे 512 रुपये के तत्काल मूल्य समर्थन और 4,000 रुपये के अतिरिक्त लाभ के हकदार होंगे, इस प्रकार यह वैल्यू चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिए सबसे अच्छा उत्सव खरीद में से एक डिवाइस बन जाएगा।
ट्रांशन इंडिया के सीईओ अरिजीत तालपात्रा ने एक बयान में कहा, "आईटेल के ब्रांड आइडिया 'आईटेल है। लाइफ सही है' के साथ संरेखित करते हुए, हमने भारत का असली ऑल-राउंडर स्मार्टफोन, आईटेल ए48 लॉन्च किया है, जिसमें जियो की नेटवर्क श्रेष्ठता और विशेष उपभोक्ता लाभ हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय जनता अल्ट्रा-किफायती कीमत बिंदु पर प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सके।"
तालपात्रा ने कहा, "यह रणनीतिक पहल जनता को डिजिटल स्वतंत्रता प्रदान करने के आईटेल के ²ष्टिकोण (विजन) के अनुरूप है।"
नया आईटेल ए48 स्मार्टफोन मंगलवार से पूरे भारत में बिक्री के लिए उपलब्ध हो गया है।
जियोएक्सक्लूसिव ऑफर के तहत, ग्राहक जियो नेटवर्क पर हाई-स्पीड डेटा कनेक्टिविटी का आनंद ले सकते हैं और साथ ही कॉलिंग तथा एसएमएस किसी भी ऑपरेटर के सिम से हो सकता है। पावर पैक्ड मैजिकल डिवाइस एक आकर्षक मूल्य बिंदु पर आता है, जो भारतीय उपभोक्ताओं को निर्बाध डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ सशक्त बनाता है।
स्मार्टफोन भारत का सबसे किफायती 2 जीबी वॉटरड्रॉप डिस्पले फोन है।
यह एक ऑल-राउंडर स्मार्टफोन है, क्योंकि यह एक प्रौद्योगिकी उत्साही की सभी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है, जिसमें एक बड़ी वॉटरड्रॉप एचडी प्लस डिस्पले के साथ मनोरंजन, 3000 एमएएच शक्तिशाली बैटरी के साथ निर्बाध पावर बैकअप, स्मार्ट फिंगरप्रिंट और फेस अनलॉक और एआई ड्युअल कैमरा के साथ फोटोग्राफी के लिए क्षमता स्टोरेज पावर के साथ उन्नत सुरक्षा की सुविधा दी गई है।
इसके अलावा, नया आईटेल ए48 एंड्रॉएड 10 गो एडिशन से लैस है। इसके अतिरिक्त, यह एक बार के लिए स्क्रीन रिप्लेसमेंट ऑफर के साथ बाजार में उतारा गया है, जहां उपभोक्ता खरीद के 100 दिनों के भीतर टूटी हुई स्क्रीन को एक बार मुफ्त में बदलने का लाभ उठा सकते हैं।
तालपात्रा ने आगे कहा, "आज, नई विश्व व्यवस्था में, आर्थिक और सामाजिक दोनों जरूरतों के लिए जुड़े रहने के लिए प्रवेश स्तर के स्मार्टफोन की मांग काफी बढ़ गई है। स्मार्टफोन 2-5 टियर शहरों में रहने वाले भारतीय परिवारों का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं, क्योंकि वे ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच, वित्तीय लेनदेन, घर से व्यवसाय चलाना, इंफोटेनमेंट/मनोरंजन और यहां तक कि घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) करने में सक्षम हो रहे हैं।"
यह ऑफर नए के साथ-साथ मौजूदा जियो सब्सक्राइबर्स के लिए भी लागू है। इस पहल का लक्ष्य प्रवेश स्तर के स्मार्टफोन यूजर्स को किफायती उत्पाद प्रस्ताव और निर्बाध नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करके डिजिटल विभाजन को पाटना है।
उन्होंने कहा, "हम अत्यधिक आशावादी हैं कि हमारा नवीनतम एडिशन स्मार्टफोन चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिए है, जो उनकी डिजिटल आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्नत और आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।"
टियर 3 और उससे नीचे के बाजारों के मिलेनियल्स की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए, आईटेल ए48 सुपर ट्रेंडी सुविधाओं से भरा हुआ है, जो उपभोक्ताओं को एक किफायती मूल्य पर एक संपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा।
थिएटर जैसा अनुभव देने के लिए स्मार्टफोन में 6.1 इंच की एचडी प्लस आईपीएस वाटरड्रॉप फुल-स्क्रीन डिस्पले है और यह 2.5डी टीपी लेंस बेहतर स्क्रीन डिजाइन प्रदान करती है। यह 19:5:9 आस्पेक्ट रेशियो और 1560 गुणा 720 पिक्सल रेजॉल्यूशन के साथ इमर्सिव और ब्राइट वीडियो का भी शानदार अनुभव प्रदान करता है।
एक प्रीमियम और स्लीक डिजाइन में पैक किया गया, आईटेल ए48 नवीनतम एंड्रॉएड 10.0 (गो एडिशन) पर चलता है और निर्बाध मल्टीटास्किंग कार्यक्षमता के लिए 1.4 गीगाहर्ट्ज क्वाड-कोर प्रोसेसर के साथ संचालित होता है। मेमोरी के संदर्भ में बात करें तो इस स्मार्टफोन में 2 जीबी रैम और 32 जीबी इंटरनल स्टोरेज मिलती है। इसके अलावा इसके मेमोरी को 128 जीबी तक एक्सपेंडेबल (बढ़ाना) की सुविधा भी मिलती है।
बैटरी के मोर्चे पर, ए48 एक 3000 एमएएच की बैटरी और बिना रुके उपयोग के लिए स्मार्ट पावर-सेविंग मोड द्वारा संचालित है। फोन फास्ट फेस अनलॉक और मल्टी-फीचर फिंगरप्रिंट सेंसर जैसी दोहरी सुरक्षा सुविधाओं के साथ बाजार में उतारा गया है।
स्मार्टफोन एलईडी फ्लैश के साथ ड्युअल 5 मेगापिक्सल एएफ रियर कैमरा और 5 मेगापिक्सल सेल्फी कैमरा से लैस है और इसे अद्वितीय कैमरा सेटअप के साथ पैक किया गया है, जो फोन के प्रीमियम लुक और फील को जोड़ता है।
एआई ब्यूटी मोड के साथ फ्रंट 5 मेगापिक्सल सेल्फी कैमरा कम रोशनी वाले क्षेत्रों में भी एक उज्जवल और स्पष्ट सेल्फी सुनिश्चित करता है। यह स्मार्ट रिकग्निशन, पोट्र्रेट मोड, ब्यूटी मोड आदि जैसे कई कैमरा प्रभावों से लैस है जो पेशेवर तस्वीरों को अधिक डिटेल के साथ कैप्चर करने में मदद करता है। स्मार्टफोन एक समर्पित मेमोरी कार्ड के साथ ड्युअल सिम स्लॉट प्रदान करता है। यह ड्युअल 4जी वीओएलटीई/वीआईएलटीई फंक्शनलिटी को भी सपोर्ट करता है।
नए आईटेल ए48 स्मार्टफोन में ग्रेडिएंट ग्लॉसी फिनिश है और यह तीन कलर ऑप्शन - ग्रेडिएंट ग्रीन, ग्रेजुएशन पर्पल और ग्रेजुएशन ब्लैक में उपलब्ध है।
यह स्मार्टफोन एक एडेप्टर, यूएसबी केबल, बैटरी, बैक कवर, यूजर मैनुअल और वारंटी कार्ड के साथ आता है।(आईएएनएस)
चेन्नई, 17 अगस्त | गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) अरप्पोर इयक्कम ने पूर्व अन्नाद्रमुक सरकार में मंत्री रहे केसी वीरामणि के खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई है। एनजीओ ने कहा कि वह शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में काम कर रहा है।
वेंकटेशन ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि पूर्व अन्नाद्रमुक सरकार में मंत्री रहे वीरामणि ने 2011-21 के बीच अपनी आय के स्रोतों से लगभग 76.65 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत अपराध है।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान वीरामणि द्वारा अधिग्रहित विभिन्न अचल संपत्तियों को सूचीबद्ध करते हुए वेंकटेशन ने कहा कि एनजीओ ने संपत्ति के मूल्य को उनके पंजीकृत मूल्य के आधार पर, ना कि दिशानिर्देश मूल्य के आधार पर निकाला था।
उन्होंने कहा कि वीरामणि ने अपने नाम और अपनी मां, दो पत्नियों, बेटे, बेटी और ससुर के नाम पर संपत्ति अर्जित की थी और इस प्रक्रिया में सरकार के राजस्व कर की कीमत पर खुद को और अपने परिवार को समृद्ध करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया था।
वेंकटेशन ने कहा कि अरप्पोर इयक्कम ने अपनी शिकायतों के समर्थन में दस्तावेजी सबूत जमा किए हैं और डीवीएसी को वीरामणि और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए और जांच शुरू करनी चाहिए।
एनजीओ ने पहले अन्नाद्रमुक के एक अन्य मंत्री एस.पी. वेलुमणि के खिलाफ शिकायत की थी। हाल ही में डीवीएसी ने वेलुमणि, उनके सहयोगियों और अन्य के आवासों पर छापेमारी की थी।
वेंकटेशन ने कहा, "हम अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्रियों को निशाना बनाने के मिशन पर नहीं हैं।"
उन्होंने कहा कि अरप्पोर अयक्कम अन्नाद्रमुक सरकार में दो/तीन और पूर्व मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज करेंगे, हालांकि उन्होंने उनका नाम लेने से इनकार कर दिया।
वेंकटेशन ने कहा, "2011 के अपने चुनावी हलफनामे में, वीरामणि ने कुल चल और अचल संपत्ति (उनके और उनके आश्रितों) को लगभग 9.07 करोड़ रुपये और लगभग 1.59 करोड़ रुपये की देनदारी घोषित की थी। घोषित कुल संपत्ति लगभग 7.48 करोड़ रुपये थी।"
वेंकटेशन के अनुसार, वीरामणि और उनके आश्रितों की चल और अचल संपत्ति का मूल्य उनकी घोषित आय में वृद्धि के बिना कई गुना बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि वीरामणि ने 2011 के चुनावी हलफनामे में 56.17 लाख रुपये की चल संपत्ति घोषित की थी, जबकि 2021 के चुनावी हलफनामे के अनुसार यह बढ़कर 43 करोड़ रुपये हो गई है।
वीरामणि और उनके परिवार के सदस्यों की अचल संपत्ति के मामले में, मूल्य 2011 के चुनावी हलफनामे के अनुसार लगभग 2.96 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021 में लगभग 83.65 करोड़ रुपये हो गयी।
वेंकटेशन के अनुसार, पूर्व मंत्री ने अपने 2021 के चुनावी हलफनामे में कुछ संपत्ति घोषित की थी और कुछ अन्य की घोषणा नहीं की थी।
वेंकटेशन ने कहा कि वीरामणि की आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति 76.65 करोड़ रुपये थी, जो 2011-21 के बीच संपत्ति में लगभग 83.65 करोड़ रुपये और आय लगभग 7 करोड़ रुपये थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अगस्त | केंद्र सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य सरकारें और पुलिस बल न्यायाधीशों और अदालत परिसरों की सुरक्षा के लिए बेहतर स्थिति में होंगे, क्योंकि खतरा किसी राज्य विशेष को रहता है। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा किया कि केंद्र सरकार ने 2007 में न्यायाधीशों और अदालत परिसरों की सुरक्षा के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए थे।
इस बात पर जोर देते हुए कि एक विशेष पुलिस बल बनाने के बजाय, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि अदालतों की सुरक्षा राज्यों के लिए बेहतर है, क्योंकि इसके लिए खास दिन की जरूरत होती है।
मेहता का यह जवाब शीर्ष अदालत द्वारा यह पूछे जाने के बाद आया कि क्या आरपीएफ, सीआईएसएफ आदि की तर्ज पर न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए एक विशेष राष्ट्रीय बल होना संभव है।
यह देखते हुए कि केंद्र ने दिशानिर्देश जारी किए हैं, जस्टिस सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने भी कहा कि सवाल यह है कि इन दिशानिर्देशों का पालन न्यायाधीशों, अदालतों आदि की सुरक्षा के लिए किया जाता है या नहीं।
पीठ ने कहा, "आप केंद्र सरकार हैं। आप डीजीपी को बुला सकते हैं। आप इसे करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं। राज्य कह रहे हैं कि उनके पास सीसीटीवी आदि के लिए धन नहीं है .. इन मुद्दों को आपको अपने और राज्यों के बीच हल करना होगा।
मेहता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को जिन सुरक्षा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वे झारखंड की तुलना में भिन्न हो सकती हैं, और इसलिए बल को राज्य-विशिष्ट होना चाहिए, न कि केंद्र-विशिष्ट।
उन्होंने तर्क दिया कि न्यायाधीशों के लिए राष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा बल का होना उचित नहीं होगा, क्योंकि राज्य स्तर के कैडर इन विशेष बलों में आएंगे। उन्होंने कहा कि पुलिसिंग राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र के पास एक अंतर्निहित मॉडल है, जिसका राज्यों को पालन करना होगा।
जिन राज्यों ने मामले में जवाब दाखिल किया है, उनका हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। "सीसीटीवी क्या करेगा? वे अपराध या आतंकवाद या न्यायपालिका के खतरों को नहीं रोक सकते। यह केवल अपराध रिकॉर्ड कर सकता है।"
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने न्यायाधीशों की सुरक्षा के संबंध में हलफनामा दाखिल करने के लिए राज्यों को अंतिम अवसर दिया था, फिर भी कई ने जवाब नहीं दिया। इसने राज्यों को उस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया। अदलत ने धनबाद के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की हत्या के मामले पर स्वत:संज्ञान लिया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अगस्त | एलन मस्क और भारत सरकार के बीच आयात शुल्क युद्ध के बीच टेस्ला कारों का इंतजार लंबा होने के साथ, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर दो मॉडल 3 इलेक्ट्रिक वाहन देखे गए हैं, जो इसके आने की उम्मीद को बढ़ा रहे हैं। इस बीच, देश त्योहारी सीजन के करीब पहुंच गया है। अनौपचारिक टेस्ला क्लब इंडिया हैंडल ने मंगलवार को दो गोपनीय मॉडल 3 परीक्षण वाहनों की तस्वीरें ट्वीट कीं।
एक ट्वीट में कहा गया, "दो गोपनीय मॉडल 3 परीक्षण इकाइयां। एक परीक्षण उपकरण के साथ जैसा कि पहले भी देखा गया था। 337 नया लगता है। क्या इसमें ग्राउंड क्लीयरेंस उठाया गया है या सिर्फ छवि की बात है?"
यह दावा किया गया कि "यह स्थान मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर स्टारबक्स के पास संभावित सुपरचार्जर पाग स्थल है।"
ब्लू टेस्ला मॉडल 3 को पहले पुणे की सड़कों पर देखा गया था (शंघाई, चीन में इसकी गीगा फैक्ट्री से लाया गया)।
जैसा कि टेस्ला ने इस साल भारत में अपनी पहली ऑल-इलेक्ट्रिक कार शुरू करने की योजना बनाई है, एलन मस्क द्वारा संचालित कंपनी ने देश में शीर्ष अधिकारियों को काम पर रखा है, जिन्होंने देश में इसके कुछ संचालन का कार्यभार संभाला है।
हालांकि, आयात शुल्क को लेकर विवाद सबसे प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक कार को देश में प्रवेश करने में देरी कर सकता है।
39,990 डॉलर (लगभग 30 लाख रुपये) मूल्य टैग के साथ, टेस्ला मॉडल 3 अमेरिका में एक किफायती मॉडल के रूप में रह सकता है, लेकिन आयात शुल्क के साथ, यह लगभग 60 लाख रुपये के अनुमानित मूल्य टैग के साथ भारतीय बाजार में अनुपलब्ध हो जाएगा।
सरकार टेस्ला को अन्य रियायतों की पेशकश के साथ-साथ आयात शुल्क कम करने पर विचार कर सकती है, लेकिन इसके लिए ईवी प्रमुख को देश में एक विनिर्माण सुविधा स्थापित करने में निवेश करना होगा।
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में पूरी तरह से आयातित कारों पर आयात शुल्क मस्क के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।
वर्तमान में, भारत 40,000 डॉलर (30 लाख रुपये) से अधिक कीमत की आयातित कारों पर बीमा और शिपिंग खर्च सहित 100 प्रतिशत कर लगाता है, और 40,000 डॉलर से कम की कारों पर 60 प्रतिशत आयात कर लगता है। (आईएएनएस)
अमरावती, 17 अगस्त | तेलुगू देशम पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री देवीनेनी उमा महेश्वर राव ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश सरकार के उस कदम गलत बताया, जिसमें सभी के लिए सुलभ वेबसाइट पर अपने आदेश (जीओ) पोस्ट नहीं किए गए थे। राव ने आरोप लगाया कि क्या आप अपनी गलतियों को छिपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। यह लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर केवल सरकार की पसंद की चीजों को पोस्ट करने के लिए नहीं है।
उन्होंने इस कदम को शासन के मुद्दों के बारे में कथित रूप से अंधेरे में रखकर लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया।
टीडीपी नेता ने आरोप लगाया कि 'झूठे शासनादेशों और मनमाने भुगतान' से राज्य सरकार की बदनामी हो रही है।
रिपोटरें के अनुसार, एपी सरकार ने सोमवार को एचटीटीपी कोलन डबल स्लैस जीओआईआर डॉट एपी डॉट जीओवी डॉट इन वेबसाइट पर जीओएस प्रकाशित करने की प्रथा को रोकने का फैसला किया।
इस वेबसाइट का उपयोग करके, कोई भी पहले के सभी सरकारी आदेशों और जीओ नंबरों तक पहुंच सकता था, जो कि अब नहीं हो सकता है। (आईएएनएस)
संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 17 अगस्त | उज्बेक वायु सेना ने पिछले दो दिनों में 46 अफगान विमानों को लैंड के लिए मजबूर किया है। उज्बेक अभियोजक जनरलों के कार्यालय की प्रेस सेवा ने यह जानकारी दी।
टीएएसएस न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजक जनरल के कार्यालय के प्रवक्ता खयेत शमसुतदीनोव ने कहा, "विमानों को टर्मेज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के लिए मजबूर किया गया। विमानों में 585 सशस्त्र सैनिक थे, जो अवैध रूप से उज्बेकिस्तान के हवाई क्षेत्र को पार करने की कोशिश कर रहे थे।"
प्रवक्ता के अनुसार, हवाई क्षेत्र के उल्लंघनकर्ताओं को लैंड कराने के लिए मजबूर करने के प्रयास में, उज्बेक वायु सेना का एक मिग -29 लड़ाकू जेट अफगानिस्तान से उड़ान भरने वाले एम्ब्रेयर -314 विमान से टकरा गया।
विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए, लेकिन उनके पायलट सुरक्षित रूप से अपने विमान से बाहर निकल गए।
इसके अलावा, 158 अफगान नागरिकों को उज्बेक सीमा प्रहरियों ने दो दिनों में टर्मेज जिले में हिरासत में लिया है।
तालिबान का दावा है कि युद्ध खत्म हो गया है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान से शरणार्थियों का प्रवाह लंबे समय तक जारी रहेगा।
टोलो न्यूज ने सोमवार को बताया कि रविवार शाम को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से पड़ोसी ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के लिए 40 से अधिक यात्री उड़ानें भरी गईं।
टीवी चैनल ने कहा कि ज्यादातर यात्री अफगान नागरिक, हवाई अड्डे और विमानन क्षेत्र के कर्मचारी हैं।
ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत ने काबुल से आने वाले विमानों का स्वागत किया।
तालिबान के काबुल में प्रवेश करने के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं। (आईएएनएस)
प्रयागराज, 17 अगस्त | इलाहाबाद हाई ने ऑनलाइन जुआ साइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका के जवाब में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को अपने-अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने आगे ऐसी वेबसाइटों के अधिकारियों को नोटिस जारी किया, जो कथित तौर पर चीनी नागरिकों के स्वामित्व में हैं, ऑनलाइन जुए में शामिल हैं और निर्दोष जनता से पैसे ठगते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता शिमला श्री त्रिपाठी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 सितंबर तय की है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में ऐसी वेबसाइटें काम कर रही हैं और जुआ खेल जैसे रंग भविष्यवाणी खेल की पेशकश कर रही हैं जिसमें खिलाड़ी को एक निश्चित मात्रा में दांव लगाना होता है और वेबसाइट द्वारा परिणाम घोषित होने से पहले खेल के परिणाम का अनुमान लगाना होता है।
याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि ऐसी वेबसाइटें पहले खिलाड़ियों को आसानी से जीतने देती हैं, लेकिन जब बड़ी संख्या में खिलाड़ी बड़ी संख्या में दांव लगाने लगते हैं, तो वेबसाइट के मालिक परिणामों में हेरफेर करना शुरू कर देते हैं, जिससे अंतत: अधिकांश खिलाड़ी खेल में हार जाते हैं जबकि वेबसाइट मालिकों को अवैध रूप से लाभ होता है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश उनके वकील शशांक श्री त्रिपाठी ने तर्क दिया कि ये वेबसाइटें जुआ पर कर के नाम पर विजेताओं से भारी मात्रा में पैसे भी काटती हैं, यह दावा करते हुए कि सरकार को इसका भुगतान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि चीनी नागरिक ऐसी जुआ वेबसाइटों के मालिक हैं। इन वेबसाइटों को आमतौर पर चीनी सर्वरों द्वारा नियंत्रित किया जाता है और धोखाधड़ी की एक योजनाबद्ध योजना बनाई जाती है। (आईएएनएस)
भारत सरकार ने कहा है कि अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और सिखों की सुरक्षा की जाएगी और वहां देश के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
भारत ने कहा है कि यात्री विमानों की आवाजाही शुरू होने के बाद अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं और सिखों को प्राथमिकता दी जाएगी. तालिबान द्वारा काबुल को अपने नियंत्रण में लेने एक दिन बाद भारत ने सरकार ने यह बयान दिया.
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरपोर्ट पर लोगों के बीच किसी भी तरह विमानों पर चढ़ जाने की तस्वीरें आने के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान छोड़ भारत आना चाहते हैं, उनकी मदद की जाएगी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पत्रकारों से कहा, "सरकार अफगानिस्तान में भारतीयों की सुरक्षा और भारत के हितों की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाएगी.” काबुल में "लगातार खराब होते हालात” की ओर इशारा करते हुए बागची ने कहा, "हम अफगानिस्तान के सिख और हिंदू समुदायों के प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं. जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, हम उन्हें सुविधा मुहैया कराएंगे.”
बागची ने कहा कि भारत अपने अफगान सहयोगियों का भी साथ देगा. उन्होंने कहा, "बहुत से अफगान हैं जो हमारे साझा हितों, लोगों के बीच संबंधों और शिक्षा के विकास में हमारा सहयोग करते रहे हैं. हम उनका साथ देंगे.”
नई वीजा श्रेणी
भारत सरकार ने मंगलवार को तालिबान नियंत्रित देश छोड़ने की इच्छा रखने वाले अफगानों के आवेदनों को तेजी से निपटारे के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीजा की एक नई श्रेणी की घोषणा की. नई वीजा श्रेणी को "ई-आपातकालीन एक्स-विविध वीजा" नाम दिया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी. ट्वीट में कहा गया, "अफगानिस्तान में मौजूदा हालातों को देखते हुए वीजा प्रावधानों की समीक्षा की गई है. इलेक्ट्रानिक वीजा की नई श्रेणी बनाई गई है, जिसे ई-इमजेंसी एक्स-मिस्क वीजा नाम दिया गया है. यह भारत में प्रवेश के वीजा आवेदनों का तेजी से निपटारा करेगा."
विदेश मंत्रालय ने कहा कि काबुल में भारत के राजदूत और भारतीय कर्मचारी अफगानिस्तान में मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तुरंत भारत लाए जाएंगे. वर्तमान में काबुल दूतावास देश में एकमात्र कार्यरत मिशन है.
सैकड़ों भारतीय फंसे
एक अनुमान के मुताबिक अफगानिस्तान में अब भी कम से कम एक हजार भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एक ट्वीट कर कहा कि कम से कम 200 सिख एक गुरुद्वारे में फंसे हैं.
अरिंदम बागची ने कहा कि सरकार फंसे हुए लोगों के संपर्क में है. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि अब भी कुछ भारतीय नागरिक अफगानिस्तान में हैं जो लौटना चाहते हैं. हम उनके संपर्क में हैं.”
फिलहाल काबुल से यात्री विमानों की आवाजाही नहीं हो रही है. बागची ने कहा कि इसके दोबारा शुरू होने का इंतजार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, "इस कारण लोगों को वापस लाने की हमारी कोशिशें रुक गई हैं. हम उड़ानें दोबारा शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.”
एनडीटीवी ने अपने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि काबुल में 200 से ज्यादा भारतीय हैं जिनमें विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों के अलावा अर्धसैनिक बलों के जवान भी हैं जो कर्मचारियों की सुरक्षा में तैनात थे.
काबुल में कर्फ्यू
सोमवार को तालिबान द्वारा सत्ता पर नियंत्रण कर लिए जाने के बाद से काबुल में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इस वजह से विदेशी नागरिक भी वहीं फंसे हुए हैं. विभिन्न देश अपने-अपने नागरिकों को निकालने के लिए हालात पर नजर रखे हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने देश में नई सरकार के गठन के लिए बातचीत का आह्वान किया है. अल जजीरा टीवी के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री गुलबदीन हिकमतयार ने कहा है कि वह मंगलवार को तालिबान के प्रतिनिधियों से मिलने के लिए दोहा जा रहे हैं. उनके साथ पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजाई भी होंगे. (dw.com)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अंतरधार्मिक विवाह को रोकने के लिए मुसलमानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें दूसरे धर्म में शादी को अमान्य बताया गया है.
डॉयचे वैले पर फैसल फरीद की रिपोर्ट
एडवाइजरी कहती है कि लड़के-लड़कियों के मोबाइल पर नजर रखी जानी चाहिए, लड़कियों को सिर्फ महिला विद्यालय में पढ़ाना चाहिए और उनकी जल्दी शादी की जानी चाहिए. बहुत सी मुस्लिम महिलाओं ने इस तरह की एडवाइजरी को हास्यास्पद बताया है.
इसी महीने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह एडवाइजरी जारी की है. इसके पीछे गैर मजहब में शादी के बढ़ते मामलों को वजह बताया गया है. इस एडवाइजरी में अंतरधार्मिक विवाह को मुद्दा बनाया गया है लेकिन मुस्लिम लड़कियों के लिए कई बातें हैं जैसे उनके मोबाइल पर नजर रखे जाने की जरूरत, गर्ल्स कॉलेज में पढ़ना, लड़कियों की जल्दी शादी इत्यादि.
एडवाइजरी के अनुसार, इन मामलों में जहां मुस्लिम लड़कियों ने गैर मुस्लिम लड़के से शादी कर ली, उनकी बाद की जिंदगी बड़ी तकलीफ से गुजरी. इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने सात सूत्रीय एडवाइजरी जारी की है.
क्यों जारी हुई एडवाइजरी?
इस एडवाइजरी में मुख्यतः इस बात को समझाया गया है कि एक मुसलमान लड़की का निकाह मुसलमान लड़के के साथ ही हो सकता है. वैसे ही, लड़का भी गैर मुस्लिम लड़की से शादी नहीं कर सकता. अगर कर भी ले, तो इस प्रकार की शादी इस्लामिक शरिया द्वारा अमान्य होगी.
एडवाइजरी में मुस्लिम विद्वानों को ताकीद की गई है कि इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए युवाओं को ‘जागरूक' करें. मौलानाओं से कहा गया है कि वे जुमे में ऐसी बातों के दीनी नुकसान बताएं व लोगों में ये जागरूकता लाई जाए कि उन्हें अपने बच्चों की परवरिश किस तरह से करनी चाहिए.
एडवाइजरी में ये भी बताया गया है कि लड़के-लड़कियों के मोबाइल पर गहरी नजर रखी जाए. इसके अलावा जहां तक हो सके, लड़कियों को लड़कियों के स्कूल में पढ़ाने की कोशिश करे. इस बात का प्रबंध करें कि स्कूल के सिवा समय घर से बाहर न गुज़रे व उनको समझाएं कि एक मुसलमान के लिए मुसलमान ही जिंदगी का साथी हो सकता है.
आम तौर पर जो युवा रजिस्ट्री ऑफिस में निकाह करते हैं, उनके नामों की लिस्ट पहले से जारी कर दी जाती है. एडवाइजरी कहती है कि धार्मिक संस्थाएं और जमातें, मदरसों के शिक्षक व समाज के महत्वपूर्ण व्यक्ति ऐसे युवाओं को उनके घर जाकर समझाएं कि इस नाममात्र निकाह की सूरत में उनकी पूरी जिंदगी हराम में गुजरेगी. लड़कों और विशेषकर लड़कियों के अभिभावकों को कहा गया गया है कि इस बात की फिक्र करें कि शादी में देरी न हो क्योंकि इसी कारण ऐसी घटनाएं हो सकती हैं.
क्या कहती हैं मुस्लिम महिलाएं?
चाहे दूसरे धर्म में शादी करना हो, मोबाइल पर नजर रखना या फिर जल्दी शादी करना, ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं ने पाबंदियों को गलत बताया है. नाहीद अकील एक समाजसेवी हैं और ‘प्रयत्न फाउंडेशन' नाम से एक संस्था चलाती हैं. सीधे-सीधे शब्दों में नाहीद कहती हैं कि बोर्ड कोई इस्लाम नहीं है, जैसे उनकी संस्था है वैसे ही एक संस्था मात्र है.
डीडब्ल्यू से उन्होंने कहा, "बोर्ड आए दिन ऐसा करता है. हर चीज में उनका अपना फायदा नुकसान रहता है. उनकी इस एडवाइजरी को मैं बिलकुल भी पास नहीं करती. हम लोग अपने अधिकारों के प्रति खुद जागरूक हैं और जानते हैं कि इस्लाम में हमें कितनी आजादी है. 21वीं सदी में बोर्ड की ऐसी बातें का कोई मतलब नहीं है.”
तसनीम फातिमा उत्तर प्रदेश के देवा शरीफ कस्बे में रहती हैं. देवा शरीफ में विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की मजार है, जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. तसनीम एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और महिलाओं के मुद्दों पर मुखर रहती हैं. उनके अनुसार इस प्रकार की एडवाइजरी का कोई औचित्य नहीं है.
तसनीम कहती हैं, "किसी से शादी करना हमारा अधिकार है जो संविधान में दिया हुआ है. अब उस पर भी बहस करना कि कौन, किससे शादी करेगा फिजूल की बात है. सीधी सी बात है कि लड़की की जल्दी शादी कर दी जाए जिससे वो घर के काम तक सीमित हो जाएगी. फिर उसकी पढ़ाई, करियर, भविष्य जैसे सवालों पर बात ही नहीं होगी. इसीलिए तो नजर रखना चाहते हैं.”
लखनऊ में अपना ब्यूटी पार्लर चलाने वालीं तहसीन शीरीं भी इस एडवाइजरी को फिजूल बताती हैं. लड़कियों के मोबाइल पर नजर रखने जैसी बातों पर शीरीं कहती हैं, "ये तो लड़कियों को दबाने वाली बात हो गई. लड़कियां भी इंसान हैं. उनको भी हक होना चाहिए, अपना साथी चुनने का. यह बात अलग है कि आप अपने पैरेंट्स से सलाह लीजिये लेकिन लड़कियों को अपना करियर चुनने, मर्जी से पढ़ने-लिखने का पूरा अधिकार होना चाहिए." (dw.com)
पूर्वोत्तर के सबसे शांत राज्य रहे मेघालय में एक पूर्व अलगाववादी नेता चेरिस्टरफील्ड थांगखिव की कथित हत्या के विरोध में हिंसा भड़क उठी. अब सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
मेघालय में हालात इतने बेकाबू हो गए कि गृह मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है. नाराज लोगों ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के घर पर भी पेट्रोल बम फेंके. राजधानी मेघालय में दो दिनों के लए कर्फ्यू लागू कर दिया गया है और चार दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. बावजूद इसके कई जगह से हिंसा और आगजनी की खबरें मिल रही हैं.
शिलांग में असम के एक वाहन पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया जिसमें ड्राइवर बुरी तरह घायल हो गया. शहर के कई हिस्सों में पथराव की घटनाएं भी सामने आईं. राज्य की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए असम सरकार ने राज्य के लोगों से मेघालय नहीं जाने को कहा है.
राज्य सरकार ने शिलांग और आसपास के इलाकों में अगले 48 घंटों के लिए कर्फ्यू बढ़ा दिया है और 54 वर्षीय थांगखिव की मौत की न्यायिक जांच कराने के आदेश दिए हैं. न्यायिक जांच कराने का फैसला मुख्य मंत्री कोनराड संगमा के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया. उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक शांति समिति भी बनाई गई है जो नागरिक संगठनों के साथ मिलकर इलाके में शांति स्थापित करने का प्रयास करेगी.
क्या है मामला?
हाइनीट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के पूर्व महासचिव चेरिस्टरफील्ड थांगखिव ने वर्ष 2018 में उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन त्यसोंग के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. लेकिन बीते 13 अगस्त को जब पुलिस ने बम धमाकों के सिलसिले में उनके घर छापेमारी की तो मुठभेड़ में उनकी मौत हो गई.
राज्य के लोग इसे हत्या करार दे रहे हैं. पुलिस की दलील है कि राज्य में हाल में हुए सिलसिलेवार धमाकों के संबंध में जब उनके घर पर छापेमारी की गई तब यह मुठभेड़ हुई. इसी दौरान मौत हो गई.
पुलिस महानिदेशक आर चंद्रनाथन के मुताबिक पुलिस की एक टीम ने राज्य में हाल में हुए आईईडी हमलों के सिलसिले में थांगखिव के आवास पर छापेमारी की. उनका कहना था, "थांगखिव खिलहेरियाट में आईईडी हमले में वांछित था. हमारे पास सबूत थे. पुलिस की एक टीम ने तड़के उसके घर पर छापेमारी की. पुलिस के घर में घुसते ही उसने एक चाकू लहराया और कॉन्स्टेबल पर हमला किया. पुलिस ने जवाबी फायरिंग की जिसमें उसकी मौत हो गई."
चंद्रनाथन ने बताया कि थांगखिव को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनके दो साथियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. साथ ही थांगखिव की बंदूक, उनके लैपटॉप में मौजूद दस्तावेज और मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं.
यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि बीते मंगलवार को शिलांग के एक भीड़-भाड़ वाले बाजार में आईईडी विस्फोट हुआ था जिसमें दो लोग घायल हुए थे. एचएनएलसी इस धमाके की जिम्मेदारी ले चुका है.
इससे पहले बीते दिनों एक पुलिस बैरक में भी आईईडी विस्फोट हुआ था. उसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं. पुलिस का कहना है कि उक्त धमाकों के सिलसिले में गिरफ्तार तीन में से दो लोगों ने इस मामले में थांगखिव के शामिल होने का सबूत दिया था.
कैसा है यह संगठन?
थांगखिव जिस संगठन एचएनएलसी से जुड़े थे उसकी इतनी अहमियत क्यों है? दरअसल, एचएनएलसी खासी जयंतिया आदिवासी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए देश के दूसरे राज्यों से आने वालों लोगों के खिलाफ लड़ने का दावा करती है.
चेरिस्टरफील्ड थांगखिव एचएनएलसी के संस्थापक सदस्यों में एक था. राज्य में बीते कुछ वर्षो में स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे पर कई बार हिंसा हो चुकी है. एचएनएलसी की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी.
थांगखिव (54) को चेयरमैन जूलियस डोरफैंग और कमांडर-इन-चीफ बॉबी मरवीन के साथ राज्य के सबसे खतरनाक उग्रवादियों में से एक माना जाता था. जूलियस डोरफैंग ने 24 जुलाई 2007 को आत्मसमर्पण कर दिया था. थांगखिव ने भी 18 अक्टूबर 2018 को मेघालय के उप-मुख्यमंत्री प्रेस्टोन त्यसोंग के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था.
संगठन के महासचिव साइनकूपर नोंगट्रा ने थांगखिव की मौत को हत्या करार देते हुए इसके लिए सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदेश बीजेपी ने भी थांगखिव की मौत पर दुख जताया है.
थांगखिव की मौत की खबर फैलते ही राजधानी समेत कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी. हालात इतने बेकाबू हो गए कि गृह मंत्री लहकमन रिम्बुई ने इस कथित मुठभेड़ के खिलाफ इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने मुख्यमंत्री के भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है, "थांगखिव के घर पुलिस ने छापा मारा और उसके बाद एनकाउंटर में उसे मार दिया. इस दौरान पुलिस ने तमाम सीमाएं लांघ दीं. इस घटना से मैं हैरत में हूं. इस मामले की स्वतंत्र और न्यायिक जांच की जानी चाहिए."
जांच के आदेश
इस मामले पर हिंसा और विरोध बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने इसकी मैजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दे दिए हैं. उनका कहना था, "हाल के बम विस्फोटों में थांगखिव के शामिल होने के कई ठोस सबूत जांच एजेंसियों को मिले थे. इसी के आधार पर छापा मारा गया."
उस घटना के बाद के बाद शिलांग में अशांति और विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है और राजधानी में दो दिन का कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसके साथ ही चार जिलों में इंटरनेट सेवाएं भी रोक दी गई हैं.
शिलांग में असम के एक वाहन पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया जिसमें ड्राइवर बुरी तरह घायल हो गया. शहर के कई हिस्सों में पथराव की घटनाएं भी सामने आईं. असम के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी जीपी सिंह ने राज्य के लोगों से कर्फ्यू लागू रहने तक शिलांग नहीं जाने की अपील की है. (dw.com)