राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 1 फरवरी | पंजाब में कांग्रेस पार्टी के सांसद जसबीर सिंह गिल और गुरजीत सिंह ने बजट के दिन सोमवार को काले कपड़े पहन कर विवादास्पद कृषि कानूनों पर अपना विरोध जताया। उन्होंने हाथों में पोस्टर लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। उन पोस्टर्स पर लिखा था - मैं भी किसान हूं। कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन तकरार अभी भी बरकरार है।
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मसले के जल्द समाधान की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस बात की चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार ने इस समस्या का तत्काल समाधान नहीं किया तो यह आंदोलन और लंबा चल सकता है। कांग्रेस तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही है।
गौरतलब है कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में यह बात दोहराई कि सरकार ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर डेढ़ साल तक रोक लगाने का जो निर्णय किया है, वह अब भी बरकरार है।
मोदी ने जोर देकर कहा था कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि वह बातचीत के लिए सिर्फ एक फोन काल दूर हैं।
दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर हिंसा की घटना के बारे में मोदी ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 1 फरवरी | समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साल 2020-21 के लिए पेश हो रहे बजट के बीच नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसा और कहा कि किसान-मजदूर के सम्मान, महिला-युवा के मान और अभिव्यक्ति की आजादी की पुनस्र्थापना के लिए भी कुछ प्रावधान करें। अखिलेश यादव ने सोमवार को पेश हो रहे बजट के बीच ट्विटर पर कहा कि भाजपा सरकार से बस इतनी गुजारिश है कि वो इस बार बजट में देश की एकता, सामाजिक सौहार्द, किसान-मजदूर के सम्मान, महिला-युवा के मान और अभिव्यक्ति की आजादी की पुनस्र्थापना के लिए भी कुछ प्रावधान करें क्योंकि भाजपा की विघटनकारी नीतियों से ये सब बहुत खंडित हुआ है।
इससे पहले अखिलेश यादव ने लिखा कि भाजपा राज में आज आम आदमी ही नहीं पत्रकारों तक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटकर उन्हें गिरफ्तार भी किया जा रहा है, जो अति निंदनीय है। उप्र में भाजपा सरकार सच बोलने वाले पत्रकारों व राजनेताओं पर किए गए झूठे मुकदमे तुरंत वापस ले। (आईएएनएस)
इटावा (उत्तर प्रदेश), 1 फरवरी | इटावा से भारतीय जनता पार्टी की विधायक सरिता भदौरिया को व्हाट्सऐप पर पाकिस्तान के आईएसडी कोड के साथ एक नंबर से जान से मारने की धमकियां मिली हैं। विधायक ने पुलिस को सूचित किया कि उन्हें व्हाट्सऐप पर आठ संदेश मिले हैं।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लोगो वाले संदेशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा और आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं को जान से मारने की भी धमकी दी, जिससे पुलिस अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
विधायक के आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और साइबर जासूस घृणा संदेशों के सोर्स पर नजर रखे हुए हैं।
इटावा के सदर क्षेत्र की निवासी भाजपा विधायक सरिता भदौरिया ने कहा कि वह लगभग रात 11 बजे सोने की तैयारी कर रही थीं जब शनिवार को उन्हें आईएसडी कोड प्लस 92 के साथ मोबाइल फोन नंबर से पहला व्हाट्सऐप संदेश मिला।
विधायक ने कहा कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा और आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं के लिए भी धमकी भरे संदेश आए।
उन्होंने संवाददाताओं को बताया, "शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक, आईएसआई लोगो के साथ कुल आठ व्हाट्सऐप संदेश मुझे पाकिस्तान के पल्स 92 कोड के साथ एक नंबर से भेजे गए, जिसमें मुझे, प्रधानमंत्री और भाजपा और आरएसएस के नेताओं को जान से मारने की धमकी मिली। मैं उनकी धमकियों से डरने वाली नहीं हूं।"
विधायक ने कहा कि उन्होंने तुरंत इटावा की जिला मजिस्ट्रेट श्रुति सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आकाश तोमर को मौत की धमकी के संदेशों की जानकारी दी।
एसएसपी तोमर ने कहा, "हमें भाजपा विधायक सरिता भदौरिया को धमकी भरे व्हाट्सएप संदेश मिलने की सूचना मिली है। उन्होंने शिकायत दर्ज कराई है और हमने उनसे इसका ब्योरा लिया है और जांच और तकनीकी निगरानी शुरू की है।"
सरिता भदौरिया ने 2017 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के
कुलदीप गुप्ता को हराकर जीता था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फ़रवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि 75 साल से ऊपर वालों को ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) नहीं भरना पड़ेगा. सोमवार को आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि छोटे करदाताओं के विवादों के निपटारे के लिए कमेटी बनाई जा जाएगी .उन्होंने बताया कि इस साल 6.8 करोड़ लोगों ने ITR भरा छोटे करदाताओं के विवाद निपटारे के लिए कमेटी बनाई जाएगी. इसी क्रम में अप्रवासी भारतीय (NRI) के कर विवाद ऑनलाइन निपटाए जाएंगे.
नई दिल्ली, 1 फरवरी | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि किसानों को उनकी फसलों का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिल रहा है। लोकसभा में बजट भाषण के दौरान वित्तमंत्री ने ऐलान किया कि किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी। वित्तमंत्री ने धान और गेहूं की एमएसपी पर खरीद के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि इस साल धान की खरीद पर 1,72,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे। इसी प्रकार गेहूं की खरीद पर करीब 62,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों की दो प्रमुख मांगों में एमएसपी भी शामिल है। आंदोलनकारी किसान सभी अधिसूचित फसलों की खरीद एमएसपी पर करने की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार ने पहले भी कहा है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद पूर्ववत जारी रहेगी। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 1 फरवरी | भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने रविवार को हानाकोंडा में टीआरएस विधायक छैला धर्म रेड्डी के घर पर हमला बोल दिया। पुलिस ने बताया कि भाजपा के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायक पर पत्थरों और अंडों से हमला किया।
इस हमले में कथित तौर पर वारंगल शहरी और वारंगल ग्रामीण जिलों के भाजपा नेता और कार्यकर्ता शामिल थे। हमलावरों ने खिड़की के शीशे तोड़ दिए और फर्नीचर क्षतिग्रस्त कर दिया।
पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया। सहायक पुलिस आयुक्त जितेंद्र रेड्डी ने बताया कि स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लाया गया।
विधायक के घर के सामने भाजपा की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान परेशानी शुरू हो गई। प्रदर्शनकारियों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए पथराव शुरू कर दिया।
घटना की जानकारी होने पर पंचायत राज मंत्री ई.दयाशंकर राव ने धर्म रेड्डी के घर जाकर घटना के बारे में पूछताछ की।
भाजपा ने धर्म रेड्डी द्वारा की गई टिप्पणी को कड़ा विवाद उठाया था। तीन दिन पहले एक बैठक को संबोधित करते हुए परकल से विधायक ने सवाल किया था कि जब भद्राचलम में पहले से ही रामललाम था तो तेलंगाना के लोग अयोध्या में मंदिर के लिए दान क्यों करें।
उन्होंने कहा, भद्राचलम में हमारे पास भगवान राम हैं ही। हमें इस राम की क्या जरूरत है?"
यह बताते हुए कि वह मंदिर निर्माण के खिलाफ नहीं हैं, टीआरएस विधायकों ने कहा, भगवान सभी के लिए हैं, सिर्फ आपके लिए नहीं।" उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं।
रविवार को पत्रकारों से बातचीत में धर्मा रेड्डी ने अपनी टिप्पणी दोहराई। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि राम मंदिर के लिए मिलने वाले दान के बारे में कोई हिसाब क्यों नहीं रखा जा रहा है।
टीआरएस और भाजपा पिछले कुछ दिनों से राम मंदिर को लेकर स्लगफेस्ट में लगे हुए हैं।
टीआरएस के एक अन्य विधायक के विद्या सागर राव ने मंदिर के लिए चंदा अभियान के लिए भाजपा नेताओं की खिंचाई की थी। उन्होंने कहा था, "हमारे हर गांव में राम मंदिर हैं।"
"वे एक नया ड्रामा कर रहे हैं। हर कोई भगवान राम का भक्त है। हमें अयोध्या में राम मंदिर की जरूरत क्यों हैं।" (आईएएनएस)
भोपाल, 1 फरवरी | देशभर के चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए आयोजित नीट परीक्षा के नतीजे आए हुए भले ही कई माह गुजर गए हों, मगर निजी आयुर्वेद महाविद्यालयों के संदर्भ में अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश सहित देशभर के निजी आयुर्वेद महाविद्यालयों में दाखिले पर संशय बना हुआ है। राज्य के सरकारी आयुर्वेद महाविद्यालयों में प्रवेश देने की दूसरे दो चरण की प्रक्रिया पूरी होने को है, मगर राज्य के 12 निजी महाविद्यालयों में से सिर्फ एक महाविद्यालयों को ही छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति मिली है, इसके चलते अन्य आयुर्वेद महाविद्यालयों में प्रवेश को लेकर संशय बना हुआ है।
बताया गया है कि सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने 2020-21 के सत्र में मान्यता के लिए शिक्षकों को लेकर मापदंड कड़े कर दिए हैं। कॉलेज संचालक शिक्षकों के संबंध में मांगे गए पूरे दस्तावेज नहीं दे पाए, इस वजह से मान्यता अटक गई है।
नीट में 50 प्रतिशत परसेंटाइल कटऑफ तय किया गया था, मगर आयुष विभाग ने कटऑफ को 50 से कम कर 40 परसेंटाइल कर दिया है। ऐसा होने पर 50 से 40 परसेंटाइल के मध्य अंक हासिल करने वाले छात्रों में आयुर्वेद महाविद्यालयों में प्रवेश की उम्मीद जागी, मगर निजी महाविद्यालयों को अनुमति न मिलने से प्रवेश को लेकर संशय बना हुआ है।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडे ने आईएएनएस को बताया है कि देशभर के निजी आयुर्वेद महाविद्यालयों की मान्यता का मामला है, छात्र प्रवेश की उम्मीद लगाए बैठे हैं, इसलिए सरकार को जल्दी फैसला लेना चाहिए। सीसीआईएम के नियम इस बार सख्त है और यही कारण है कि मान्यता नहीं मिल पाई है।
बताया गया है कि राज्य में कुल 12 निजी आयुर्वेद महाविद्यालय है, इनमें से इंदौर के सिर्फ एक महाविद्यालय को छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति मिली है। निजी महाविद्यालयों में कुल 960 सीटें है। वहीं राज्य में सात सरकारी महाविद्यालय है।
राज्य के आयुष विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, देशभर के आयुष महाविद्यालयों में दाखिले की तारीख 28 फरवरी तक बढ़ा दी गई है, इस स्थिति में निजी महाविद्यालयों केा अनुमति मिल जाती है तो प्रवेश देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी| अधिकांश भारतीयों को अपने खर्चो का प्रबंधन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। सर्वेक्षण में लगभग 65.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वर्तमान खर्चो को प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खर्च तो बढ़ गए हैं, लेकिन वे प्रबंधन योग्य हैं।
उत्तरदाताओं में से 2.1 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक साल में उनके खर्च में कमी आई है और अन्य 2.1 प्रतिशत मामले पर प्रतिक्रिया नहीं दे सके।
सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि व्यवसायों और लोगों की कमाई पर महामारी के व्यापक प्रभाव के साथ, पिछले एक साल में अधिकांश भारतीयों की क्रय शक्ति कमजोर हो गई।
आम आदमी की कमाई पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ-साथ लोगों पर भी इसका असर पड़ा है।
2020 में अधिकतर समय, खाद्य सामग्री और ईंधन की कीमतों में वृद्धि की वजह से मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रही।
मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के वजह से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान तेज कटौती के बाद उधार दरों को बरकरार रखा।
सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने वस्तुओं के बढ़े हुए मूल्य के प्रतिकूल प्रभाव को महसूस किया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी | दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर क्षेत्र में किसानों के विरोध प्रदर्शन को फिर से गति मिल गई है, क्योंकि भीड़ और पुलिस की तैनाती दोनों में तेजी आ गई है। गणतंत्र दिवस पर हिंसा से पहले जो विरोध शुरू हुआ था, उसे फिर से शुरू करने के लिए भीड़ एक उत्प्रेरक के रूप में काम कर रही है।
भारत किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश सदस्य पवन खटाना ने कहा, 28 जनवरी की रात से पहले लगभग 2,000-3,000 लोग थे, जो अब बढ़कर 10,000 से अधिक हो गए हैं।
खटाना ने आगे जोर देकर कहा कि अधिक से अधिक लोग अब महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों से विरोध स्थल की ओर जा रहे हैं।
इंटरनेट को निलंबित करने, कर्मियों की तैनाती बढ़ाने और कड़ी सतर्कता सहित साइट पर पुलिस और प्रशासन द्वारा विभिन्न निवारक उपाय किए गए हैं।
प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड्स की मल्टीट्यूड भी जोड़ी है। बीकेयू के एक अन्य नेता विनोद मानोटा ने कहा, उन्होंने हमें रोकने के लिए कई स्थानों पर 10 से अधिक बैरिकेड्स स्थापित किए हैं।
उन्होंने कहा, पहले आंदोलन में आसानी थी। यहां तक क पुलिस भी हमारे पक्ष में आती थी। 28 तारीख के बाद, विरोध स्थल पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।
दूसरे सबसे बड़े विरोध स्थल पर यह आंदोलन 67वें दिन में प्रवेश कर गया है। हजारों किसानों को राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए और 'जय किसान, जय जवान' के नारे लगाते देखे जा सकते थे।
आईएएनएस से बात करते हुए, बीकेयू के प्रमुख नेता राकेश टिकैत ने कहा, हम दबाव में समझौता नहीं करेंगे। एक बार हमारे किसान भाइयों को रिहा कर दिया जाएगा और चीजों को सुव्यवस्थित किया जाएगा, हम सरकार से बात करेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 फरवरी | साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वर्ष 2020 में आर्थिक मोर्चे पर सबसे खराब रेटिंग मिली है। आईएएनएस-सीवोटर बजट ट्रैकर के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। 46.4 फीसदी लोगों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के तहत केंद्र सरकार का अब तक का आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन उम्मीद से खराब रहा है। वहीं करीब 31.7 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है।
यह 2010 के बाद से किसी भी सरकार के लिए सबसे खराब स्कोर है। हालांकि इस मामले में 2013 का वर्ष अपवाद है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और पी. चिदंबरम वित्तमंत्री थे। 2013 में, 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा था कि आर्थिक मोर्चे पर काम उम्मीद से ज्यादा खराब है।
मोदी सरकार की सर्वश्रेष्ठ आर्थिक अप्रूवल रेटिंग 2017 में तब आई थी, जब अरुण जेटली वित्तमंत्री थे। उस साल, 52.6 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि आर्थिक मामले में प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है।
आर्थिक मोर्चे पर घटती अप्रूवल रेटिंग चिंता का विषय है, क्योंकि अर्थव्यवस्था कोविड के प्रभाव के बाद फिर से अपने पुराने रूप में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी| 2020 तक बड़े पैमाने पर महामारी से लोगों की आय पर असर पड़ा था और आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण से पता चलता है कि 37.4 फीसदी लोगों का मानना है कि अगले एक साल में आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। 21.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि एक आम भारतीय के जीवन की गुणवत्ता वही रहेगी, जबकि 25.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि जीवन की गुणवत्ता आने वाले दिनों में और खराब हो जाएगी।
लगभग 15 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते।
कोरोनावायरस महामारी ने असंगठित क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर कई लोगों के जीवन में अस्थिरता ला दी। हालांकि, इसने संगठित क्षेत्र को भी नुकसान पहुंचाया है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी गई और व्यवसाय बंद हो गए।
हालांकि सरकार ने पिछले एक साल में उपायों की घोषणा की है, लेकिन अर्थशास्त्रियों और उद्योग निकायों ने लोगों के हाथों में अधिक पैसा देने की पैरवी की है। साथ ही अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए और उपाय करने की मांग की है। (आईएएनएस)
गुवाहटी, 31 जनवरी | उत्तरी सिक्किम में हुए बर्फबारी में फंसे तीन ट्रक चालकों और उनके सह यात्रियों सहित पांच लोगों को बचाया गया, इसकी जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पी खोंगसाई ने कहा कि सैनिकों ने शुक्रवार रात 9 बजे से 11 बजे के बीच उत्तरी सिक्किम के समदोंग और लाचेन के बीच एक दूरदराज के इलाके में भारी बर्फ में फंसे पांच व्यक्तियों को बचाया।
सेना के अधिकारी के मुताबिक, ये लोग समंद (सिक्किम) से सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) लौट रहे थे, लेकिन दो फीट से अधिक बर्फ के कारण फंस गए, जिससे ड्राइविंग बेहद खतरनाक हो गई।
सभी को सेना तके पोस्ट पर ले जाया गया, जहां उन्हें शिविर में रात के ठहरने के लिए दवा, भोजन और गर्म कपड़े उपलब्ध कराए गए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | लगभग तीन-चौथाई लोगों को लगता है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, महंगाई अनियंत्रित हो गई है और कीमतें बढ़ गई हैं। ये खुलासा हुआ है आईएएनएस-सीवोटर के बजट पर एक सर्वे में। यह 72.1 प्रतिशत 2015 के 17.1 प्रतिशत की तुलना में पीएम मोदी के कार्यकाल में काफी ज्यादा है।
2020 में, केवल 10.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि कीमतों में गिरावट आई है जबकि 12.8 प्रतिशत ने कहा कि कुछ भी नहीं बदला है।
2014 के बाद से आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार का ये सबसे खराब प्रदर्शन है।
46.4 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यकाल में आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार का अब तक का प्रदर्शन उम्मीद से ज्यादा खराब रहा है। सिर्फ 31.7 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते 2010 के बाद से यह किसी भी सरकार का सबसे खराब प्रदर्शन है।
पिछले एक साल में महंगाई के प्रतिकूल प्रभाव को लेकर 38.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है, जबकि 34.3 प्रतिशत ने कहा कि थोड़ा बहुत प्रभाव पड़ा है।
लगभग आधे उत्तरदाताओं ने कहा कि पिछले एक साल में जीवन स्तर पहले से खराब हो गया है। 48.4 फीसदी लोगों ने कहा कि आम आदमी का जीवन स्तर पिछले एक साल में खराब हुआ है, जबकि 28.8 फीसदी लोगों ने कहा कि इसमें सुधार हुआ है और 21.3 फीसदी ने कहा कि यह पहले जैसा ही है।
हालांकि, आने वाले समय में लोग आशावादी मालूम पड़ते हैं। सर्वे में शमिल 37.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अगले एक साल में आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार होगा। हालांकि, 25.8 प्रतिशत लोगों को अभी भी लगता है कि जीवन का स्तर पहले से खराब हो जाएगा, जबकि 21.7 प्रतिशत लोगों का कहना है कि यह जैसा है वैसा ही रहेगा।
आधे से अधिक लोगों ने कहा कि सामान्य जीवन स्तर के लिए चार लोगों के परिवार को कम से कम 20,000 रुपये प्रति महीने की जरूरत है, जबकि 23.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह आंकड़ा 30,000 रुपये प्रति माह होना चाहिए। बहुत ही कम लोगों ने कहा कि ये आंकड़ा 1 लाख रुपये से अधिक होना चाहिए।
इस सवाल पर कि क्या इस आय को कर मुक्त होना चाहिए, तो 81.4 प्रतिशत ने हां में जवाब दिया।
घरेलू मोर्चे पर सरकार के सामने चुनौतियां साफ हैं क्योंकि ज्यादातर लोग शिकायत कर रहे हैं कि उनकी आय या तो स्थिर हो गई है या खर्च काफी बढ़ गया है। इस कठिनाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 43.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हालांकि आय स्थिर बनी हुई है, लेकिन खर्च में वृद्धि हुई है, जबकि अन्य 28.7 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक वर्ष में आय कम हुई है लेकिन खर्च बढ़ गया है।
लगभग दो तिहाई या 65.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पिछले साल की तुलना में खर्च काफी बढ़ गया है, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खर्च तो बढ़ा है लेकिन लेकिन अभी भी बेकाबू नहीं हुआ है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | 51.5 प्रतिशत लोग या यूं कहे तो बहुमत के हिसाब से, जीवन की औसत गुणवत्ता के लिए चार लोगों का परिवार प्रति माह 20,000 रुपये तक की आय की जरूरत महूसस करता है। आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण में यह पता चला। कुल 23.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि औसत गुणवत्ता वाले जीवन के लिए प्रति माह 20,000-30,000 रुपये की आय की आवश्यकता होती है, जबकि अन्य 10 प्रतिशत को लगता है कि इसके लिए 30,000-40,000 रुपये की आवश्यकता है।
अन्य 8.6 प्रतिशत लोगों को चार लोगों के परिवार के लिए प्रति माह 50,000-1,00,000 रुपये तक की आवश्यकता महसूस हुई।
सर्वेक्षण के अनुसार, 81.4 प्रतिशत को लगता है कि जीवन की औसत गुणवत्ता जीने के लिए आवश्यक आय को कर मुक्त रखा जाना चाहिए, जबकि 12.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि इस पर कर लगाया जाना चाहिए।
सोमवार को संसद में पेश होने वाले बजट से आयकर स्लैब और छूट के संदर्भ में आम आदमी की कई उम्मीदें हैं।
महामारी ने अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और अर्थशास्त्री ने सिफारिश की है कि सरकार को मांग को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए लोगों के हाथों में अधिक पैसा लगाने के उपायों के साथ आना चाहिए।
शुक्रवार को संसद में पेश किए गए 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की विस्तारवादी नीतियों का भी पूरा समर्थन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि भविष्य में भी मांग को पूरा करने की जरूरत है।
पोल का सैंपल साइज 4,000 से अधिक है और सर्वेक्षण के लिए फील्डवर्क जनवरी 2021 के तीसरे-चौथे सप्ताह में किया गया था। सर्वेक्षण का विषय 'केंद्रीय बजट से उम्मीदें' है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | व्यवसायों और लोगों की कमाई पर कोरोनोवायरस महामारी के व्यापक प्रभाव के साथ, पिछले एक साल में अधिकांश भारतीयों की क्रय शक्ति कमजोर हो गई। आईएएनएस-सी वोटर के प्री-बजट सर्वेक्षण से पता चला है कि 43.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी आय उसी तरह बनी रही, जबकि खर्च बढ़ गया, जबकि 28.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं की आय गिर गई, लेकिन उनका खर्च बढ़ गया।
लगभग 11.5 प्रतिशत ने कहा कि पिछले साल उनकी आय और व्यय दोनों में वृद्धि हुई है।
महामारी की वजह से वेतनभोगी और गैर-वेतनभोगी श्रेणी के आम आदमी की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस दौरान आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई और व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा।
क्षेत्रों में कई कंपनियों और प्रतिष्ठानों ने महामारी और अंतत: लॉकडाउन के कारण वेतन में कटौती और छंटनी का सहारा लिया।
आम आदमी के लिए महंगाई पिछले साल एक प्रमुख चिंता का विषय रही, क्योंकि पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने उच्च कमोडिटी की बढ़ी हुई कीमतों के प्रभाव को महसूस किया।
पोल का सर्वे साइज 4,000 से अधिक है और सर्वेक्षण के लिए फील्डवर्क जनवरी 2021 के तीसरे-चौथे सप्ताह में किया गया था। सर्वेक्षण का विषय 'केंद्रीय बजट से उम्मीदें' है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी| संसद के बजट सत्र के सुचारु रूप से संचालन के लिए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी राजनीतिक दलों से चर्चा की। सरकार के आधे दर्जन मंत्रियों और विभिन्न दलों के दो दर्जन नेताओं की मौजूदगी में हुई बैठक में राज्यसभा की कार्यवाही 15 फरवरी के बजाय 13 फरवरी को ही स्थगित करने का निर्णय लिया गया। सभापति वेंकैया नायडू ने राज्यसभा का कामकाज व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए राजनीतिक दलों से सहयोग मांगा। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने नए कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के मुद्दे को जोरशोर से उठाने की बात कही।
सभापति वेंकैया नायडू ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को भरोसा दिलाया कि सदन में सभी विषयों पर चर्चा होगी। उन्हें मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय भी मिलेगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बहस और जवाब देने के लिए तैयार है।
सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सर्वसम्मति से तय किया कि बजट सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक संचालित होगा, ताकि विभागों से संबद्ध संसदीय समितियां विभिन्न विभागों और मंत्रालयों की अनुदान मांगों की जांच कर सकें। पहले, बजट सत्र के पहले भाग का संचालन 15 फरवरी तक होना था।
बैठक के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और आम बजट पर चर्चा के लिए अधिक समय मांगा तो सभापति वेंकैया नायडू ने संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को सदन का शेड्यूल तय करने को कहा। सभापति ने जोर दिया कि सांसदों को सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिले। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 31 जनवरी| जानेमाने कृषि पत्रकार पी. साईंनाथ ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन और कॉर्पोरेट कंपनियों के खिलाफ किसानों की सीधी लड़ाई बताते हुए कहा कि्र 'सरकार समाज के सभी वर्गो से किसानों को मिल रहे व्यापक समर्थन को देखकर डर गई है।' वर्ष 2007 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता साईंनाथ ने कृषि संकट और किसानों के कल्याण के लिए विशेष संसद सत्र बुलाने और मांग पूरी करने के लिए जिला समितियों का गठन करने की अपील की।
'एवरीबडी लव्स ए गुड ड्राई' पुस्तक के लेखक व प्रख्यात पत्रकार ने लोगों से किसानों के मुद्दे पर उनके साथ खड़े रहने का आह्वान किया और कहा कि किसान अंतत: जनता के लिए ही लड़ रहे हैं।
साईंनाथ शनिवार को अहमदाबाद में गुजरात खेड़त समाज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह आयोजन नए कृषि कानूनों के संदर्भ में आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा, "मैं पूछता हूं कि अगर इस समय महात्मा गांधी होते तो किस तरफ खड़े होते? हमें किस तरफ खड़े होना चाहिए? क्या सरकार की तरफ, जो कॉरपोरेट्स का पक्ष ले रही है या उस तरफ, जहां 200 के करीब किसान एक कारण से शहीद हो रहे हैं?"
साईंनाथ ने कहा, "लोगों को अभी तय करना चाहिए, क्या हम कॉर्पोरेट द्वारा संचालित कृषि चाहते हैं या किसानों द्वारा संचालित कृषि? यह अभी हमारे लिए एक अपरिहार्य प्रश्न है।"
कृषि पत्रकार ने कहा, "समाज के सभी वर्गो के लोग दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को अपना समर्थन दे रहे हैं और यही कारण है कि सरकार डर गई है।"
उन्होंने कहा, "मेरे पूरे पत्रकारिता जीवन में, मैंने कभी इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन और दिल्ली की सीमाओं पर इतनी बड़ी संख्या में किसानों का जुटान नहीं देखा। वहां शांतिपूर्ण आंदोलन किया जा रहा है।"
यह पूछे जाने पर कि नए कृषि कानून लागू होने पर क्या फर्क पड़ेगा, साईंनाथ ने कहा, "यह 3 से 4 वर्षो के भीतर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को नष्ट कर देगा। पहले 2 से 3 साल यह सब अच्छा लगेगा, लेकिन इसके बाद फैसले कॉर्पोरेट लेने लगेंगे और सरकार कॉर्पोरेट्स से अनाज खरीदने के लिए मजबूर कर देगी।"(आईएएनएस)
हैदराबाद, 31 जनवरी| तेलंगाना में एक स्वास्थ्यकर्मी की वैक्सीन लेने के 11 दिन बाद मौत हो गई। यह राज्य में इस तरह का तीसरा मामला है। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मौत वैक्सीन लेने की वजह से नहीं हुई है। अधिकारियों ने रविवार को कहा कि मनचेरियल जिले की 55 वर्षीय महिला को 19 जनवरी को कासिपेट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीन की खुराक दी गई थी, हालांकि उसने 29 जनवरी को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की।
सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ. जी. श्रीनिवास राव के अनुसार, उन्हें मनचेरियल में मेडिलिफ अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 30 जनवरी को उन्हें निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएम) हैदराबाद में बेहतर इलाज के लिए भेजा गया। अस्पताल में राज 11 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।
रॉव ने कहा, "मौत का कारण स्पष्ट रूप से पहले से मौजूद बीमारी का संकेत है और कोविड टीकाकरण के कारण मौत नहीं हुई है।"
चूंकि टीकाकरण 16 जनवरी को शुरू हुआ था, इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ऐसी तीन मौतें टीके से संबंधित नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि तीनों ने एक ही दिन लेकिन राज्य के विभिन्न स्थानों पर वैक्सीन लगवाई थी।
तेलंगाना ने अब तक 1,68,589 स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण किया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, लक्षित लाभार्थियों में से 57 प्रतिशत को टीका लगाया गया है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 31 जनवरी | केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में जिस तरह एक के बाद एक तृणमूल कांग्रेस के नेता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में ममता बनर्जी के अलावा कोई भी नहीं बचेगा। रविवार को हावड़ा के डुमुरजला स्टेडियम में भाजपा की विशाल जनसभा को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि बंगाल में विधानसभा चुनाव होने तक तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के अलावा कोई भी नहीं बचेगा।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के पूर्व वन मंत्री राजीव बनर्जी, बाली विधानसभा क्षेत्र की विधायक वैशाली डालमिया, उत्तरपाड़ा के विधायक प्रबीर घोषाल, हावड़ा के पूर्व मेयर रथीन चक्रवर्ती और बांग्ला फिल्मों के अभिनेता रुद्रनील घोष शनिवार को भाजपा में शामिल हुए हैं।
वे सभी रविवार की रैली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ मंच पर मौजूद थे।
शाह ने कहा, "मैंने राजीव बनर्जी से कहा है कि बंगाल में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनेगी। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के पास उनके भतीजे को अगला मुख्यमंत्री बनाने के सिवाय कोई एजेंडा नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि ममता बनर्जी को इस बात पर आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है कि आखिर उनकी पार्टी के नेता तृणमूल क्यों छोड़ रहे हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में शाह ने कहा कि "मां-माटी-मानुष का नारा अब फीका पड़ गया है। ममता दीदी, बंगाल आपको माफ नहीं करेगा।"
इस अवसर पर स्मृति ईरानी ने कहा कि कोई भी ऐसी पार्टी में नहीं रह सकता जो 'जय श्री राम' नारा का अपमान करती हो। दीदी ने भले ही 'जय श्री राम' नारे से किनारा कर लिया हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है और रामराज्य बंगाल की दहलीज पर दस्तक देने जा रहा है।
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हुए इसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि 28 फरवरी तक तृणमूल कांग्रेस पाइवेट लिमिटेड कंपनी में कोई भी नहीं बचेगा।
तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले राजीव बनर्जी ने कहा कि बंगाल के विकास के लिए हम डबल इंजन वाली सरकार चाहते हैं। अपने प्रदेश को फिर से सोनार बांग्ला बनाने के लिए हमें केंद्र एवं राज्य में भाजपा सरकार की जरूरत है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी । शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा के पास गाजीपुर पहुंचकर किसानों को अपना समर्थन दिया। अकाली दल ने विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए से नाता तोड़ लिया है। बादल के आगमन से पहले, भारत किसान संघ के नेता राकेश टिकैत ने घोषणा की कि किसी भी राजनेताओं को मुख्य मंच पर बोलने के लिए माइक्रोफोन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक नेताओं को मंच का इस्तेमाल करने और प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने की अनुमति देने पर नोटिस प्राप्त हुआ है।
बादल ने प्रदर्शन स्थल के पास दस मिनट के लिए टिकैत से मुलाकात की, और प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन का आश्वासन दिया।
बादल के अलावा, प्रमुख पंजाबी गायक हर्ष चीमा और करविंदर गढ़वाल भी उनके समर्थन में सामने आए।
दूसरे सबसे बड़े विरोध स्थल पर यह आंदोलन 67वें दिन में प्रवेश कर गया है। दिल्ली से जुड़े इस इलाके में किसान राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए 'जय किसान, जय जवान' के नारे लगाते देखे जा सकते हैं। साथ ही किसानों की भीड़ भी बढ़ गई है।
रविवार को ही, इससे पहले टिकैत ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "हम दबाव में समझौता नहीं करेंगे। गिरफ्तार किए गए हमारे किसान भाइयों को रिहा कर दिया जाए और चीजें सुव्यवस्थित हो जाएंगी, तब हम सरकार से बात करेंगे।" (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 31 जनवरी | पंजाब पुलिस की अपराध नियंत्रण इकाई ने रविवार को मोहाली जिले में एक जुआ रैकेट का भंडाफोड़ कर एक मैरिज पैलेस से 10 महिलाओं सहित 70 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने मौके से 8.42 लाख रुपये नकद, 47 वाहन, 40 शराब की बोतलें, ताश की गड्डी और लैपटॉप जब्त किए।
पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने कहा कि जुआ और अनैतिक तस्करी में शामिल सभी लोगों की पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जब्त किए गए लैपटॉप और मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच भी की जा रही है।
खुफिया जानकारी के आधार पर, क्राइम कंट्रोल यूनिट के प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह के निर्देश पर बनुर के बाहरी इलाके में स्थित जीरकपुर की ओर स्थित न्यू लाइफ मैरिज पैलेस में छापे की कार्रवाई की गई। (आईएएनएस)
कोलकाता, 31 जनवरी | तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने रविवार को कोलकाता के निकटवर्ती हावड़ा डुमुरजला स्टेडियम में एक रैली में 'राष्ट्रगान ठीक से नहीं गाए जाने' को लेकर भाजपा नेताओं पर कटाक्ष किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो क्लिप साझा करते हुए कहा, "देशभक्ति और राष्ट्रवाद का प्रचार करने वाले भी हमारे राष्ट्रगान को सही तरीके से नहीं गा सकते। यह वह पार्टी है जो देश का सम्मान और गर्व को बनाए रखने का दावा करती है।"
इसे 'राष्ट्र विरोधी' कृत्य करार देते हुए, पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा से 'माफी' की मांग की।
उन्होंने सवाल पूछा, "क्या मोदी, शाह और भाजपा इस राष्ट्र विरोधी कृत्य के लिए माफी मांगेंगे?"
पश्चिम बंगाल के पूर्व वन मंत्री राजीव बनर्जी, बेल्ली के विधायक वैशाली डालमिया, उत्तरपारा के विधायक प्रवीर घोषाल, हावड़ा के पूर्व मेयर रतिन चक्रवर्ती और बांग्ला अभिनेता रुद्रनील घोष शनिवार को भाजपा में शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, सुवेंदु अधकारी, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मंच पर मौजूद थे। इन सबकी उपस्थिति में राष्ट्रगान गाया गया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | किसान आंदोलन का रविवार को 67वां दिन है। आंदोलनरत किसानों की मांगों को लेकर सरकार और प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे यूनियनों के बीच एक बार फिर बातचीत शुरू होने का इंतजार हो रहा है। तीन कृषि कानूनों को लेकर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और आंदोलनरत किसान दोनों तैयार हैं। हालांकि, अगली बातचीत का एजेंडा क्या होगा, इस पर तस्वीर साफ नहीं है, क्योंकि सरकार ने नये कृषि कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। इसे किसान यूनियनों ने पहले ही खारिज कर दिया है और अब तक कोई नया प्रस्ताव नहीं आया है। सरकार ने बातचीत को आगे बढ़ाने की बात जरूर कही है।
संसद में एक फरवरी को आम बजट पेश होने से पहले शनिवार को सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया कि सरकार खुले दिमाग से कृषि कानूनों के मुद्दे पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख वैसा ही है, जैसा 22 जनवरी को था, और कृषि मंत्री द्वारा दिया गया प्रस्ताव अभी भी कायम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि मंत्री को सिर्फ एक फोन कॉल कर बातचीत को आगे बढ़ाया जा सकता है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हैं।
नये कानूनों के मसले पर सरकार के साथ किसान यूनियनों की 11 दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं और अब अगले दौर की वार्ता का इंतजार किया जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि किसान वार्ता के लिए तैयार है और सरकार की ओर से कोई नया प्रस्ताव आए तो उस पर विचार जरूर किया जाएगा। प्रधानमंत्री के आश्वासन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि किसानों का फैसला बहुमत से नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होता है और आज (रविवार) संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस पर चर्चा जरूर होगी। उन्होंने कहा, किसानों के मसले का समाधान बातचीत के जरिए ही होगा और हम हमेशा बातचीत के पक्ष में हैं। हम नये कानूनों के साथ-साथ एमएसपी के मसले पर भी सरकार से बातचीत करना चाहते हैं क्योंकि इस मसले पर कभी कोई ठोस वार्ता नहीं हुई है।
गणतंत्र परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन में शामिल किसान यूनियनों ने पहले ही इसकी कड़ी निंदा की है।
ऑल इंडिया किसान सभा के पंजाब में जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनेवाल ने भी कहा कि ट्रैक्टर रैली के दौरान जो हिंसा हुई उसमें शरारती तत्व शामिल थे, जिनका मकसद किसानों के आंदोलन को बदनाम करना था। मेजर सिंह ने भी कहा कि किसान सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार है।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थलों सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा फिर बढ़ गया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के प्रदर्शन के दौरान रो पड़ने के बाद आंदोलन को मजबूती मिली है। प्रदर्शनकारी किसान भी मानते हैं कि राकेश टिकैत के आंसू से उनके आंदोलन को संजीवनी मिल गई है। हरिंदर सिंह लाखोवाल ने बताया कि किसान राकेश टिकैत को सम्मानित करने की तैयारी में जुटे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | केंद्र सरकार मौजूदा बजट सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने और नई आधिकारिक डिजिटल करेंसी के नियमन के लिए प्रस्तावित विधेयक लाने पर विचार कर रही है। इसके मद्देनजर उद्योग जगत से जुड़े हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) ने उम्मीद जताई है कि इस बाबत कोई भी निर्णय करने से पहले सरकार उनकी बातों पर जरूर गौर करेगी। संसद के मौजूदा बजट सत्र में सरकार के एजेंडे पर 38 विधेयक हैं। इनमें क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने और नई आधिकारिक डिजिटल करेंसी के नियमन के लिए प्रस्तावित विधेयक भी शामिल हैं। इस सत्र में चार अध्यादेशों की जगह विधेयक लाए जाएंगे। इनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में व आसपास वायु गुणवत्ता तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 शामिल हैं।
साथ ही, डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन विधेयक, वरिष्ठ नागरिकों एवं अभिभावकों की देखभाल से जुड़ा विधेयक, बांध सुरक्षा विधेयक और गर्भपात से जुड़ा विधेयक भी इस सत्र में पेश किया जाएगा।
बहरहाल, इस बजट सत्र में 'क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' पेश किया जाएगा। इससे बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध लगाने और रिजर्व बैंक की ओर से आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
'क्रिप्टोकरेंसी ऐंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' में देश में सभी डिजिटल करेंसी को प्रतिबंधित करने और आधिकारिक डिजिटल करेंसी के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने की बात है।
कॉइनडीसीएक्स के सह-संस्थापक एवं चीफ एग्जिक्यूटिव सुमित गुप्ता ने कहा कि चूंकि सरकार संसद के इसी सत्र में यह बिल लाने पर विचार कर रही है, इसलिए हमें यह पूरा भरोसा है कि कोई भी फैसला लेने से पहले सरकार सभी हितधारकों की बातों को जरूर सुनेगी।
गौरतलब है कि 2019 में एक सरकारी पैनल ने सभी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने और इनमें लेनदेन करने वालों के लिए 10 साल की जेल व भारी जुर्माने की सिफारिश की थी। पैनल ने रिजर्व बैंक के नियंत्रण में आधिकारिक डिजिटल करेंसी लांच करने का सुझाव भी दिया था, ताकि अन्य बैंक इसे नोट की तरह इस्तेमाल कर सकें।
हालांकि अभी कई देश क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन पर विचार तो कर रहे हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
बहरहाल, गुप्ता ने अपने बयान में कहा कि इस सिलसिले में हम अन्य हितधारकों से भी बात कर रहे हैं। इस बाबत हम निश्चित रूप से सरकार से गहन वार्ता करेंगे और यह दिखाने की कोशिश करेंगे कि हम सब मिलकर कैसे एक स्वस्थ इकोसिस्टम तैयार कर सकते हैं। (आईएएनएस)
-बल्ला सतीश
वो 30 दिसंबर की रात थी. हैदराबाद के यूसुफगुड़ा के एक कंपाउंड में कुछ लोग ताड़ी पी रहे थे. हर कोई नशे में धुत्त था.इसी कंपाउंड में दो और लोग भी थे.
इनमें से एक 50 साल की महिला और एक करीब 45 साल का पुरुष था. ये आदमी धीरे से उस महिला के पास गया और बातचीत करने लगा. उसने उससे कुछ देर बात की और इसके बाद दोनों उस कंपाउंड से बाहर निकल गए. वे दोनों शहर के बाहरी इलाके में किसी सुनसान जगह की तलाश में चल पड़े.
यूसुफगुड़ा से ये दोनों घाटकेश्वर के पास अंकुशापुर पहुँचे. यह एक सुनसान जगह थी. दोनों ने यहाँ पहुँचकर थोड़ी और शराब पी. लेकिन, इसके बाद दोनों का आपस में झगड़ा होने लगा. झगड़ा इतना बढ़ गया कि आदमी ने एक पत्थर महिला को दे मारा और उसकी हत्या कर दी. इसके बाद वह वहाँ से भाग गया.
इस घटना से केवल 20 दिन पहले ही 10 दिसंबर को भी ऐसा ही कुछ बालानगर ताड़ी कंपाउंड में भी हुआ था. ये शख्स वहाँ भी पहुँचा था. वहाँ भी उसे एक अकेली महिला मिली. ये महिला 35 से 45 साल के बीच की उम्र की थी. दोनों ने वहाँ शराब पी. उसने उसे कई सारी चीजें बताईं और बहला-फुसलाकर बाहर ले गया.
दोनों शहर के एक सुनसान इलाके की ओर चल पड़े. वे सेंगारेड्डी ज़िले के मुलुगु इलाके में मौजूद सिंगायापल्ली गाँव जा पहुँचे. दोनों ने दोबारा शराब पी. इसके बाद उस शख्स ने महिला की साड़ी से ही उसका गला घोंटकर हत्या कर दी और वहाँ से भाग खड़ा हुआ.
इस शख्स की बातों पर भरोसा करके उसके साथ जाने वाली कोई भी महिला अब तक ज़िंदा वापस नहीं लौटी थी.
इस शख्स का नाम एम रामुलु है. यूसुफगुड़ा की महिला समेत इस शख्स ने 18 महिलाओं की हत्या की है. इनमें से सभी महिलाएं सिंगल थीं और इन सभी की हत्या एक ही तरीके से की गई थी. सभी हत्याएं हैदराबाद के बाहरी सुनसान इलाकों में हुई थीं.
नौ हत्याओं के दौरान ही पुलिस इसे पकड़ सकती थी. 2003 में तूरपान पुलिस स्टेशन के इलाके में, 2004 में रायादुर्गाम पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में, 2005 में संगारेड्डी पुलिस स्टेशन, 2007 में रायदुर्ग स्टेशन के डुंडीगल स्टेशन के इलाके में, 2008 में नरसापुर में और 2009 में कुकाटपल्ली में दो हत्याएं के सिलसिले में हत्यारे को पकड़ा जा सकता था.
लेकिन, पुलिस ने पहली बार नरसंगी और कोकटपल्ली इलाकों में हुई हत्याओं को गंभीरता से लिया. कड़ी जाँच के बाद इन मामलों को सुलझा लिया गया. पुलिस ने एक चार्जशीट दाखिल की.
रामुलु के ख़िलाफ़ दर्ज़ किए गए दूसरे मामले तब तक अंजाम पर नहीं पहुँच पाए थे, लेकिन 2009 के कुकाटपल्ली और नरसंगी के मामलों में 2011 के फ़रवरी में रंगारेड्डी कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास और 500 रुपये का जुर्माना भरने की सज़ा दी.
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रामुलु का 'फिल्मी प्लान'
लेकिन, रामुलु ने पूरी ज़िंदगी जेल में बिताने से बचने का एक प्लान बना रखा था.
उसने एक मानसिक रोगी की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया. लोगों को लगा कि वह वाकई में बीमार है. इसके बाद उसे एरागड्डा मेंटल हॉस्पिटल में 2011 को भर्ती कराया गया.
एक महीने तक वहाँ रहने के बाद वह 30 दिसंबर की रात भाग गया. अपने साथ वह पाँच अन्य कैदियों को भी भगा ले गया जो कि दिमागी बीमारी का इलाज करा रहे थे.
इस सिलसिले में एसआर नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज़ किया गया था.
HYDERABAD POLICE
जेल से भागने के बाद रामुलु महिलाओं की हत्या के अपने काम में फिर से लग गया. 2012 और 2013 में बोवेनपल्ली में दो हत्याएं, 2012 में चंदानगर में, साल 2012 में डुंडीगल में दो हत्याएं कीं और ये पाँचों हत्याएं महिलाओं की थीं.
पुलिस ने इन हत्याओं पर फिर से ध्यान देना शुरू किया. मई 2013 में बोवेनपल्ली पुलिस ने रामुलु को पकड़ लिया. इस बार उसे पाँच साल के लिए जेल में डाल दिया गया.
हमें नहीं पता कि रामुलु की क़ानून पर अच्छी पकड़ है या उसके पास एक अच्छा वकील है, लेकिन उसने 2018 में हाईकोर्ट में अपील की और अपनी सज़ा को कम करवाने में कामयाब रहा. 2018 के अक्तूबर में रामुलु के पक्ष में फ़ैसला आया. उसे रिहा कर दिया गया.
बाहर आते ही उसने फिर हत्याएं शुरू कर दीं. 2019 में उसने शमीरपेट में एक और पट्टन चेरुवु में एक और हत्या की. इसके साथ ही अब तक वह 16 महिलाओं को मार चुका था.
एक बार फिर उसे पकड़ा गया. उसे जेल में डाला गया और एक बार फिर जुलाई 2020 में वह जेल से रिहा होने में कामयाब रहा.
जुलाई 2020 में रिहा होने के बाद उसने फिर से दो हत्याएं कीं. 50 साल की महिला के पति ने उसके गायब होने के बाद पुलिस स्टेशन का दरवाज़ा खटखटाया. इसके बाद जुबिली हिल्स पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी का केस दर्ज़ किया गया.
चार दिनों बाद घाटकेश्वर पुलिस को एक अज्ञात महिला की लाश मिली. पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की.
अंत में हैदराबाद और राचनकोंडा की पुलिस ने आपस में बात की. सीसीटीवी कैमरों से पता चला कि महिला किसी शख्स से बात कर रही थी. फुटेज की पड़ताल से चीजें स्पष्ट हुईं. मामले की गहन पड़ताल की गई.
इसके बाद मामले की जाँच कर रही टीम ने 2009 के केस की पड़ताल की जिसमें रामुलु को दोषी ठहराया गया था. जब जाँच अधिकारी ने सीसीटीवी फुटेज में फ़ोटोज को देखा तो उन्हें संदेह हुआ.
जिस तरीके से मर्डर हुए उनका पैटर्न मिलता-जुलता था. ऐसे में उन्होंने पुराने केसों को खंगालना शुरू कर दिया. इसके बाद रामुलु के इन घटनाओं में शामिल होने की पुष्टि हो गई.
GOPAL SHOONYA/BBC
क्या है हत्या का तरीका
रामुलु का शिकार अकेली महिलाएं होती हैं. वह इन महिलाओं से दुकानों या ताड़ी पीने के अड्डों पर दोस्ती गांठता था. वह उन्हें कई तरह से लुभाता था और इस बहाने उन्हें सुनसान जगहों पर ले जाता था.
वहाँ वह अपनी यौन इच्छाएं पूरी करता था और इसके बाद उनकी हत्या कर देता था. ज़्यादातर मामलों में उसने साड़ियों से ही महिलाओं का गला घोंटकर उनकी हत्या की थी.
कुछ मामलों में उसने पत्थर मारकर हत्याएं की थीं. वह हत्या के बाद इन महिलाओं के गहने चुरा लेता था.
रामुलु की शिकार महिलाएं ग़रीब या निम्न मध्य वर्ग से होती थीं.
रामुलु संगारेड्डी ज़िले के कांडी मंडल गाँव से आता है. 21 साल की उम्र में उसकी शादी हो गई थी. कुछ वक्त बाद उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी. लोग कहते हैं कि इसके बाद उसने एक अन्य महिला से शादी कर ली. लेकिन, मौजूदा वक्त में कोई भी उसके साथ नहीं रहता है.
मौजूदा दो हत्याओं के अलावा भी रामुलु अन्य 21 मामलों में अभियुक्त है. इनमें 16 हत्याएं और 4 चोरी की घटनाएं शामिल हैं.
एक मामला पुलिस कस्टडी से भागने का है. इनमें से दो मामलों में वह आजीवन कैद की सज़ा पाया हुआ है.
कुल मिलाकर अब तक पुलिस की जानकारी में उसने 18 महिलाओं की हत्याएं की हैं.
मौजूदा वक्त में घाटकेश्वर पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. (bbc.com)