राष्ट्रीय
श्रीनगर, 31 जनवरी | श्रीनगर में तीस सालों के बाद सबसे अधिक सर्द रात का रिकॉर्ड दर्ज हुआ। रविवार को यहां का न्यूनतम तापमान शून्य से 8.8 डिग्री सेल्सियस नीचे है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर के न्यूनतम तापमान में गिरावट देखने को मिली है। यह घटकर शून्य से 8.8 डिग्री नीचे चला गया है।
अधिकारी ने बताया, "आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही जगहों में रात के तापमान में सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है।" साथ में उन्होंने यह भी कहा कि शनिवार को श्रीनगर में अधिकतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और यह भी इस मौसम में दर्ज किया गया सबसे कम तापमान है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए मौसम विभाग के निदेशक सोनम लोटस ने आईएएनएस को बताया कि श्रीनगर में तीस सालों के बाद शून्य से 8.8 डिग्री नीचे सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया है।
लोटस ने कहा, "साल 1991 में श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।"
यहां 'चिलाई कलां' 31 जनवरी को खत्म होगी। यह हाड़ कंपाने वाली ठंड की एक स्थिति है, जिसकी अवधि 40 दिनों तक की होती है। यहां के स्थानीय लोग इसे इसी नाम से पुकारते हैं।
पहलगाम और गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान क्रमश: शून्य से 12.0 और 8.0 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है।
लद्दाख के लेह शहर में रात के वक्त का न्यूनतम तापमान इस वक्त शून्य से 16.6 डिग्री सेल्सियस नीचे, कारगिल में शून्य से 17.4 डिग्री सेल्सियस नीचे और द्रास में शून्य से 26.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है।
इनके अलावा, जम्मू व कटरा में तापमान क्रमश: 5.8 और 5.4 डिग्री सेल्सियस है। बटोत में यह 1.1 डिग्री सेल्सियस है। बनिहाल में 0.6 और भदेरवाह में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 31 जनवरी | पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन नए कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग पर अड़े किसानों और केंद्र सरकार के बीच जारी तकरार के मद्देनजर 2 फरवरी को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक का मकसद केंद्र और किसानों के बीच रार समाप्त करना एवं आम सहमति बनाना है। आधिकारिक प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया कि यह बैठक पंजाब भवन में सुबह 11 बजे आयोजित होगी। गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की हिंसक ट्रैक्टर रैली और सिंघु बॉर्डर पर किसानों पर हुए हमले के बाद उत्पन्न स्थिति पर भी इस बैठक में चर्चा होगी।
मुख्यमंत्री ने पंजाब के हित में और किसानों के समर्थन में एकजुटता दिखाने के लिए सभी पार्टियों से इस बैठक में शामिल होने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के कारण जो संकट उभरा है, वह न केवल पंजाब के लिए बल्कि यहां की जनता के लिए भी चिंता का सबब है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की जनता और प्रदेश की सभी पार्टियों के समेकित प्रयासों से ही इस संकट से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है और किसानों के हितों की रक्षा की जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत दो महीने से दिल्ली बॉर्डर पर हमारे किसान मर रहे हैं। पुलिस व गुंडे उनकी पिटाई कर रहे हैं। बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित करके उन्हें परेशान कियाा जा रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में पंजाब के किसान हलकान हो रहे हैं। इसलिए अब यह जरूरी है कि इस मुद्दे पर एक प्रभावी रणनीति बनाने के लिए सभी पार्टियां साथ आएं।
मुख्यमंत्री ने इस बात की उम्मीद जताई कि प्रदेश के राजनीतिक दल इस मुद्दे के समाधान के लिए अपने मतभेदों को दरकिनार करेंगे। उन्होंने कहा कि यह समय अहम पालने का नहीं, अपने प्रदेश और जनता के हितों की रक्षा के लिए साथ खड़े होने का है। (आईएएनएस)
बालाघाट (मप्र), 31 जनवरी | मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलियों ने सड़क निर्माण कार्य में लगे तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस वारदात में 10 से 12 नक्सलियों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, लांजी थाना क्षेत्र में देबरवेली-मलकुआं के बीच सड़क निर्माण कार्य चल रहा है और यह निर्माण कार्य रायपुर के ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है। रविवार की सुबह नक्सलियों ने एक ट्रक और दो ट्रैक्टरों में आग लगा दी। नक्सलियों ने ठेका कंपनी के कर्मचारी को धमकाया भी।
बालाघाट के पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि इस वारदात में नक्सलियों के शामिल होने का शक है, उनकी तलाश के लिए पुलिस सचिर्ंग में लगी हुई है।
बताया गया है कि इस घटना को अंजाम देने वाले नक्सलियों की संख्या 10 से 12 थी, जो हथियारों से लैस थे। बालाघाट के अन्य थानों और चौकियांे को अलर्ट कर दिया गया है। (आईएएनएस)
आगरा, 31 जनवरी | मथुरा के नौहझील क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार की सुबह एक स्कार्पियो ने नियंत्रण खो दिया और डिवाइडर से जा टकराया। इस दुर्घटना में सेना के दो जवानों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान ग्वालियर के लांस नायक प्रदीप सिंह सरदार (35 वर्ष) और तरनतारन के गुरू बख्शीश सिंह (42 वर्ष) के रूप में की गई है।
बताया गया है कि हादसा घने कोहरे के कारण हुआ।
पुलिस ने कहा कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | कोरोना महामारी के संकट काल में जब विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र के विकास पर ब्रेक लग गया था तब भारत में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की गाड़ी रफ्तार भर रही थी। देश ने किसान और कृषि क्षेत्र की ताकत देखी। सरकार ने भी खेती-किसानी से जुड़ी देश की एक बड़ी आबादी की सुध ली और कृषि क्षेत्र में सुधार की बयार तेज करने के मकसद से नये कानून बनाए। कृषि सुधार पर तकरार और कोरोना की मार से उबरने की उम्मीदों के बीच सोमवार को संसद में आम बजट 2021-22 पेश होने जा रहा है। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि गांव, गरीब और किसान की उन्नति को प्राथमिकता देने का दावा करने वाली मोदी सरकार आगामी बजट में भी कृषि और ग्रामीण विकास को तरजीह देगी। आर्थिक समीक्षा 2020-21 के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जहां उद्योग और सेवा क्षेत्रों में जहां क्रमश: 9.6 फीसदी और 8.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान है वहां कृषि व संबद्ध क्षेत्र की संवृद्धि दर 3.4 फीसदी पर बरकरार रह सकती है। कृषि व संबद्ध क्षेत्र में वित्त वर्ष 2020-21 (पहला अग्रिम अनुमान) के दौरान स्थिर मूल्यों पर 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई है।
किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने और देश के हर गरीब को पक्का मकान समेत गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है। लिहाजा, इन लक्ष्यों को हासिल करने की ²ष्टि से आगामी बजट में कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र की प्रमुख योजनाओं के बजटीय आवंटन में इजाफा होने की उम्मीद की जा सकती है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) समेत कृषि क्षेत्र की तमाम योजनाओं के प्रति किसानों की जागरूकता लगातार बढ़ती जा रही है और इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। पीएम-किसान का सालाना बजट 75,000 करोड़ रुपये है। कोरोना महामारी के संकट के चलते सरकार की राजस्व प्राप्तियों में कमी आई है, ऐसे में पीएम-किसान सम्मान निधि व अन्य योजनाओं के बजट में क्या कटौती की जा सकती है? इस पर अधिकारी ने कहा कि पीएम-किसान केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है और इसके लाभार्थियों की संख्या बढ़ी है, लिहाजा कटौती का सवाल ही नहीं पैदा होता है।
हालांकि इसके बजट में इजाफा होने के संबंध में उन्होंने कुछ नहीं बताया, लेकिन उनका कहना है कि कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। पीएम-किसान योजना से देशभर में 11.52 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं। इसलिए, इसके बजटीय आवंटन में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी किसान परिवार को आर्थिक सहायता के तौर पर तीन समान किस्तों में सालाना 6,000 रुपये मिलता है।
इसी प्रकार, किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर अल्पकालीन कृषि ऋण मुहैया करवाने की स्कीम पर भी सरकार का फोकस होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कृषि क्षेत्र की अन्य योजनाओं को इस बजट में भी सरकार तवज्जो दे सकती है। कृषि अर्थशास्त्री बताते हैं कि कृषि के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की योजनाओं को भी आगामी बजट में सरकार प्रमुखता देगी जोकि किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
कोरोना काल में शहरों से पलायन करने वाले श्रमिकों को भी रोजगार के अवसर मुहैया करवाने में गांवों के विकास की प्रमुख योजनाएं काफी सहायक साबित हुईं। खासतौर से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) गांवों में दिहाड़ी मजदूरों को कोरोना काल में रोजगार मुहैया करवाने के साथ-साथ गांवों में बुनियादी संरचनाओं के विकास में अहम साबित हुई, जिसे आपदा में अवसर कहा गया और आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इसके बजट में भी इजाफा किया गया। जानकार बताते हैं कि आगामी बजट में भी मनरेगा समेत ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं के बजट में इजाफा हो सकता है। मनरेगा का बजटीय आवंटन 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये था, लेकिन कोरोना काल में आत्मनिर्भर पैकेज के तहत इस योजना के लिए 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन का प्रावधान किया गया।
नये कृषि कानून को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि किसानों के आंदोलन में एमएसपी एक बड़ा मुद्दा है, लिहाजा आगामी बजट में एमएसपी को लेकर भी कुछ घोषणा होने की उम्मीद की जा सकती है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट संसद में पेश करेंगी। (आईएएनएस)
संभल (उत्तर प्रदेश), 31 जनवरी | उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मानवता को शर्मसार करने की घटना सामने आई है। घरवालों से किसी बात पर झगड़ा होने के बाद गुस्साए पिता ने 6 साल की अपनी मासूम बेटी को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया। बुरी तरह झुलसी बालिका का मुरादाबाद के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। आरोपी की पहचान जोगेंद्र उर्फ बबलू के रूप में की गई है। वह राजाभूड़ गांव का रहने वाला है। बताया जाता है कि वह हर वक्त नशे में धुत रहता है। शराब पीने के बाद अक्सर घर वालों से उसकी लड़ाई होती रहती है।
ऐसी ही किसी बात पर शनिवार को उसका घरवालों से झगड़ा हो गया। फिर क्या था। वह आव देखा न ताव। पेट्रोल उड़ेलकर उसने अपनी मासूम बेटी को आग के हवाले कर दिया। वह 20 प्रतिशत तक झुलस गई है। गला, चेहरा और हाथ बुरी तरह झुलस गए हैं।
स्थानीय लोगों की मदद से तत्काल उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। इसकी सूचना पुलिस को दी गई और बबलू के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
बालिका की मां ने पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में कहा है कि झगड़े के बाद पहले उसका पति उसे ही जिंदा जलाना चाहता था। लेकिन, जब वह ऐसा नहीं कर पाया तो उसने बेटी को आग के हवाले कर दिया। बहरहाल, बालिका की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसे बेहतर इलाज के लिए मुरादाबाद के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया है। (आईएएनएस)
मेरठ (उत्तर प्रदेश), 31 जनवरी | उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पारिवारिक रिश्तों को शर्मसार करने की एक घटना सामने आई है। शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने पर एक युवक ने अपनी चाची की गला रेतकर हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक, घटना दो दिन पहले की है। महिला की लाश उसके घर में बरामद हुई। उसका गला रेता हुआ था और उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी जख्म के निशान थे।
थाना प्रभारी ऋषिपाल सिंह ने कहा कि पुलिस ने महिला के भतीजे को गिरफ्तार कर लिया है। वह अभी बी.कॉम फाइनल ईयर का स्टूडेंट है।
पुलिस ने कहा कि महिला के भतीजे ने कथित तौर पर उससे शारीरिक सम्बंध बनाने को कहा। इस पर महिला ने उसे थप्पड़ जड़ दिया और उसका पोल खोलने की धमकी दी। इसके बाद उस युवक ने चाकू से उसका गला रेत दिया।
पुलिस ने बताया कि परिवार के लोगों ने उस आरोपी युवक को पहचान लिया। पूछताछ के लिए पुलिस के समक्ष हाजिर होने पर वह बहुत नर्वस था। उसके भी हाथों और छाती पर जख्मों के निशान थे। यह चोट कैसे लगी - यह पूछे जाने पर वह निरुत्तर हो गया।
बहरहाल, पूछताछ के दौरान उसने यह स्वीकार किया कि यह हत्या उसी ने ही की है। इसके पीछे की मंशा को भी उसने बताया। उसके अपराध की पुष्टि उस समय हो गई जब पुलिस उसके घर पहुंची और खून से लथपथ कपड़े बरामद किए। (आईएएनएस)
पीलीभीत (उत्तर प्रदेश), 31 जनवरी | उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न व पिटाई मामले में पिता-पुत्र व तीन अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश पर यह मामला दर्ज किया गया है। बताय जा रहा है कि लड़की की मां अपनी बेटी के साथ हुई इस बदसलूकी के बाद संबंधित थाने में शिकायत दर्ज करवाने के लिए गई, लेकिन थाना प्रभारी ने कथित तौर पर शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अपनी शिकायत में पीड़िता की मां ने कहा है कि 11 अक्टूबर को श्याम लाल (58) नामक एक व्यक्ति उसके घर के सामने बने स्पीड-ब्रेकर को तोड़ रहा था। जब उसने इस पर आपत्ति जताई तो श्याम लाल ने अपने 35-वर्षीय बेटे को भी वहां बुला लिया।
उसका बेटा अपने तीन दोस्तों के साथ तुरंत ही वहां पहुंच गया और महिला को गाली देने लगा। महिला ने आरोप लगाया है कि वे लोग मेरे घर में जबरन घुस आए और तोड़फोड़ करने लगे। ''श्याम लाल के बेटे ने मेरी बेटी के कपड़े फाड़ दिए और उसका यौन शोषण करने का प्रयास किया। उन्होंने बुरी तरह से उसकी पिटाई की।
मां-बेटी की चीख-पुकार सुनकर जब पड़ोसी उनकी मदद के लिए दौड़कर आए तो वे सब फरार हो गए।
पीलीभीत कोतवाली के एसएचओ अतर सिंह ने कहा कि पांचों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 452, 323, 504, 354, 427, 506 और पॉक्सो एक्ट की कतिपय धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 जनवरी। भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 13,052 नए मामले सामने आए, जिसके बाद कुल मामलों की संख्या 1,07,46,183 हो गई। इसी दौरान कोविड-19 से 127 लोगों की मौत हुई, जिसके बाद मौतों का आंकड़ा बढ़ कर 1,68,784 हो गया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने रविवार को ये जानकारी दी। देश में पिछले 24 दिनों से कोरोनावायरस के मामले लगातार घट रहे हैं। दैनिक मामलों की संख्या 20 हजार से कम रिकॉर्ड की जा रही है। साथ ही मरने वालों की संख्या भी पिछले 34 दिनों में 300 से कम है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, अब तक देश में 1,04,23,125 मरीज इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। फिलहाल 1,68,784 मरीज सक्रिय रूप से संक्रमित हैं। रिकवरी रेट 96.99 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है।
कुल दैनिक मामलों के 82 प्रतिशत अब केवल 6 राज्यों से सामने आ रहे हैं जिनमें केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक , छत्तीसगढ़ और गुजरात शामिल हैं। (आईएएनएस)
भोपाल, 31 जनवरी | मध्य प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित की जाने वाली बोर्ड परीक्षाओं का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। हाईस्कूल परीक्षा 30 अप्रैल व हायर सैकंेडरी परीक्षा एक मई से शुरु होगी। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने वर्ष 2021 की आयोजित होने वाले परीक्षा के लिए कार्यक्रम जारी किया है, इसके अनुसार दसवीं की परीक्षा 30 अप्रैल से 15 मई तक और बारहवीं की परीक्षा एक मई से 18 मई तक आयोजित की जाएगी। इसी तरह शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण पत्रोपाधि परीक्षा (द्विवर्षीय पाठ्यक्रम) और डी.पी.एस.ई. परीक्षा (द्विवर्षीय पाठ्यक्रम) 30 अप्रैल से 11 मई तक आयोजित की जाएगी। ये सभी परीक्षाएं प्रात: आठ बजे से 11 बजे के बीच सम्पन्न होंगी।
नियमित, स्वाध्यायी, ²ष्टिहीन, मूक-बधिर दिव्यांग परीक्षार्थियों की परीक्षाएं सामान्य रूप से एक ही दिन एवं समय में संपन्न होंगी। परीक्षा काल में शासन द्वारा यदि कोई सार्वजनिक या स्थानीय अवकाश घोषित किया जाता है तो भी परीक्षाएं यथावत कार्यक्रम अनुसार ही संपन्न होंगी। (आईएएनएस)
आनंद सिंह
नई दिल्ली, 31 जनवरी | राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली को बहुत जल्द तीन प्रस्तावित बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत दो स्टेशनों की सौगात मिल सकती है। दिल्ली से अमृतसर, अहमदाबाद और वाराणसी के लिए द्रुत गति वाले तीन रेल कॉरिडोर जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। इसके तहत दिल्ली के विभिन्न इलाकों में दो हाई स्पीड रेल स्टेशन बनेंगे।
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) की प्रवक्ता सुषमा गौड़ ने आईएएनएस को बताया कि दिल्ली में दो हाई स्पीड रेल स्टेशन बनाने के लिए एनएचएसआरसीएल सभी संभावनाओं पर विचार कर रहा है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए एक स्टेशन सराय काले खां और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के समीप होगा। यहां से आउटर रिंग रोड के माध्यम से रोड कनेक्टिविटी, पिंक लाइन मेट्रो के माध्यम से मेट्रो कनेक्टिविटी, सराय काले खां आईएसबीटी के माध्यम से इंटर-स्टेट बस कनेक्टिविटी और आरआरटीएस सिस्टम के माध्यम से क्षेत्रीय रेल कनेक्टिविटी की सुविधा सहज ही सुलभ हो पाएगी।
गौरतलब है कि एनएचएसआरसीएल ने 800 किमी लंबी दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए हवाई सर्वे का काम शुरू कर दिया है। सुषमा गौड़ ने बताया कि दिल्ली-वाराणसी मार्ग के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के पहले प्रारूप को तैयार कर लिया गया है। डीपीआर तैयार करने के लिए जरूरी डेटा कलेक्शन और एरियल सर्वे सहित सभी कार्यो के लिए निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
एनएचएसआरसीएल ने इस वर्ष 10 जनवरी को दिल्ली-वाराणसी मार्ग के लिए ग्रेटर नोएडा से एरियल सर्वे का काम शुरू कर दिया था। इस काम के लिए प्रस्तावित मार्ग पर सर्वे से सम्बंधित आधुनिक तकनीकों से लैस हेलिकॉप्टर की मदद ली गई।
इस परियोजना से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि एक हाई-स्पीड रेल स्टेशन प्रस्तावित जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नजदीक, जबकि दूसरा नोएडा के 148 सेक्टर में बनेगा।
बहरहाल, दिल्ली में दूसरे हाई स्पीड रेल के बारे में गौड़ ने बताया कि दिल्ली-अहमदाबाद और दिल्ली-अमृतसर हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए स्टेशन बनाने हेतु द्वारका मेट्रो स्टेशन सेक्टर-21 और बिजवासन रेलवे स्टेशन के समीप विभिन्न स्थलों की तलाश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यहां स्टेशन बनने से एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के माध्यम से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आईजीआई एयरपोर्ट) व सेंट्रल दिल्ली, ब्लू लाइन मेट्रो लाइन के माध्यम से वेस्ट दिल्ली, सेंट्रल दिल्ली, ईस्ट दिल्ली, नोएडा एवं सेक्टर 25 स्थित इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर और गुरुग्राम की कनेक्टिविटी सुगम हो जाएगी।
दिल्ली-अमृतसर-चंडीगढ़ मार्ग 459 किमी लंबा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर है, जबकि दिल्ली-अहमदाबाद 886 किमी लंबा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर है। (आईएएनएस)
-दिलीप कुमार शर्मा
"कुछ लोग हम जैसे बच्चों की उपेक्षा करते हैं. मेरे बारे में कुछ लोग कहते थे कि सुबह-सुबह अंगहीन को देखना नहीं चाहिए. जीवन में ऐसी बहुत सारी तकलीफे़ं देखी हैं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. भगवान मेरे दोनों हाथ बनाना भूल गए लेकिन मैं कभी निराश नहीं हुई. मैंने अपने पैरों से सारे काम करना सीख लिया है."
21 साल की प्रिंसी गोगोई जब ये बातें कहती हैं तो उनकी आँखें अटूट विश्वास से और चमकने लगती हैं.
असम के एक छोटे से शहर सोनारी में 12 जुलाई 1999 में पैदा हुई प्रिंसी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं. सामान्य बच्चों से अलग प्रिंसी कई मुश्किलों से गुज़री हैं, लेकिन आगे बढ़ने की राह में शारीरिक अक्षमता को बाधा नहीं बनने दिया.
फ़िलहाल बिना हाथ वाली यह लड़की गुवाहाटी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में फ्रंट डेस्क एग्जीक्यूटिव की नौकरी कर अपने घर का ख़र्च उठा रही हैं.
प्रिंसी की चार बहनें और एक छोटा भाई है. उनसे बड़ी उनकी दो बहने हैं. सिवाए उनके, परिवार में आजतक कोई भी बच्चा विकलांग पैदा नहीं हुआ है.
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कुछ लोगों की मानसिकता आज भी नहीं बदली
प्रिंसी को दुख है कि विकलांग बच्चों के प्रति कुछ लोगों की मानसिकता आज भी नहीं बदली है.
वह कहती हैं, "जब मेरा जन्म हुआ था तो अस्पताल में ही लोग बातें बनाने लग गए थे. मां ने मुझे सबकुछ बताया है. वे लोग ऐसे बच्चे को अशुभ मानते हैं. मेरी मां को बहुत सहना पड़ा है. आस-पास के लोग बात तक नहीं करते थे. वह किसी शादी या बैठक में नहीं जाती थीं. लोग कहते थे कि ऐसी लड़की को क्यों जन्म दिया है."
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वह कहती हैं, "मुझे अपने गांव के एक सरकारी स्कूल में कक्षा पांच में दाख़िला केवल इसलिए नहीं दिया गया, क्योंकि मेरे दोनों हाथ नहीं हैं. स्कूल के एक शिक्षक ने मुझे मानसिक तौर पर विक्षिप्त कहकर अपने स्कूल में भर्ती करने से मना कर दिया. लेकिन कहते हैं कि एक दरवाज़ा बंद होता है, तो ईश्वर दूसरा खोल देता है. बाद में हमारे गांव के ही एक व्यक्ति की मदद से मेरा दाख़िला एक प्राइवेट स्कूल में हो गया और वहीं से मैंने 10वीं पास की. दुनिया में सारे लोग एक जैसे नहीं होते. जीवन में कुछ ऐसे लोग भी मिले जिनकी मदद से आज बहुत कुछ बदला है."
प्रिंसी बताती हैं, "मैं डॉक्टर हितेश बरुआ सर की बहुत आभारी हूं जिन्होंने मुझे अपने अस्पताल में नौकरी दी. यहां काम करने वाले सभी साथी मुझे प्यार करते हैं. मेरी मदद करते हैं. मैं भले ही दूसरों से अलग हूं लेकिन कमज़ोर नहीं हूं. मैं अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले सभी लोगों की मदद करने का प्रयास करती हूं. मुझे बहुत खुशी होती है कि अस्पताल के लोग मुझे विकलांग लड़की के तौर पर नहीं देखते और मुझे सामान्य समझते हैं."
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मेडिकल साइंस में बिना हाथ-पैर के पैदा होने वाले बच्चों को टेट्रो अमेलिया सिंड्रोम कहते है जो एक जेनेटिक बीमारी मानी जाती है. ऐसे बच्चों के माता-पिता या फिर उनकी किसी पीढ़ी में इस बीमारी के जीन्स होते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि कई पीढ़ियों बाद ये किसी बच्चे में उभरकर सामने आ जाते हैं. हालांकि ऐसे मामले लाखों में एक होते हैं. प्रिंसी की मां रंजू गोगोई अपनी इस बेटी को सबसे विशेष बच्ची मानती हैं.
वो कहती हैं, "प्रिंसी का जन्म एक सरकारी अस्पताल में हुआ था और डॉक्टर ने जब उसे पहली बार देखा तो वे घबरा गए थे. लेकिन मेरे लिए प्रिंसी बहुत स्पेशल है. उसमें अनोखी प्रतिभाएं हैं. आर्थिक तौर पर बेहद कमज़ोर होने के बाद भी आज प्रिंसी की हिम्मत की बदौलत हम गुवाहाटी जैसे शहर में रह रहे हैं."
रंजू गोगोई कहती हैं कि उन्हें याद नहीं कि उनकी किसी पीढ़ी में ऐसे किसी बच्चे का जन्म हुआ था, जिसके हाथ या फिर पैर न हों.
अपनी आर्थिक परेशानियों का ज़िक्र करते हुए प्रिंसी की मां कहती हैं, "प्रिंसी के पिता दिहाड़ी मज़दूरी कर घर का ख़र्च निकाल रहे थे. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन प्रिंसी घर का ख़र्च उठाएगी. 12वीं की बोर्ड परीक्षा में प्रशासन की एक ग़लती के कारण प्रिंसी को तीन पेपरों में अनुपस्थित बताया गया था, जबकि उसने सारे पेपर दिए थे. उसी सिलसिले में प्रिंसी गांव से गुवाहाटी आई थी. इसके बाद उसने कॉलेज की पढ़ाई गुवाहाटी में करने का निर्णय लिया. इस बीच गुवाहाटी में नेमकेयर अस्पताल के प्रबंधक निदेशक डॉ. हितेश बरुआ ने प्रिंसी को देखा और उसे अपने अस्पताल में नौकरी दे दी. फिलहाल प्रिंसी ही अपने छोटे भाई-बहन की पढ़ाई का ख़र्च उठा रही हैं."
सरकारी मदद के बारे में वह कहती हैं, "असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व सरमा की तत्परता से चार साल पहले प्रिंसी को कृत्रिम हाथ लगाने के लिए तीन लाख रुपए की मदद मिली थी. कृत्रिम हाथ लगवाने कोलकाता भी गए थे, लेकिन कृत्रिम हाथ प्रिंसी के काम नहीं आए. शरीर में जिस हिस्से से हाथ निकलते हैं, उस जगह प्रिंसी के शरीर में माँस ही नहीं है. चार किलो वज़न वाले हाथ प्रिंसी के शरीर में फिट नहीं हुए. हम चाहते हैं कि राज्य सरकार प्रिंसी को एक सरकारी नौकरी दे ताकि उसका बाकी जीवन आसानी से कट सके."
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आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
प्रिंसी ने पैरों से लिखकर कला स्ट्रीम में 12वीं पास की है और वह आगे स्नातक की पढ़ाई गुवाहाटी स्थित कृष्णा कांता हैंडिक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी से कर रही हैं. अपने छुट्टी वाले दिन रविवार को प्रिंसी गुवाहाटी के एसबी देवरा कॉलेज में आयोजित होने वाले साप्ताहिक व्याख्यानों में भाग लेती हैं.
खुद को रिलैक्स करने के लिए प्रिंसी म्यूज़िक सुनती हैं और पेंटिंग, गाने के साथ स्पोर्ट्स का भी शौक है. अपने पैरों की उंगलियों से ब्रश को पकड़कर प्रिंसी ने कई शानदार पोर्ट्रेट पेंट किए हैं.
हाल ही में उन्होंने भगवान गणेश की एक तस्वीर बनाई है जिसे सोशल मीडिया पर बड़ी तारीफ़ मिली है. प्रिंसी ने अपनी इस प्रतिभा के दम पर राज्य स्तरीय कला और ड्राइंग प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते हैं. वह मोबाइल फोन, कम्प्यूटर चलाने से लेकर चाय का कप उठाने तक सारे काम अपने पैरों से ही करती हैं.
DILIP SHARMA
अपनी इस प्रतिभा पर वो कहती है, "पेंटिंग मेरा शौक है. मैंने 8 साल की उम्र से इसे औपचारिक रूप से सीखना शुरू कर दिया था. पहले शिवसागर में और अब गुवाहाटी में मेरे गुरू हैं जो मुझे पेंटिंग सिखा रहे हैं. मेरा मानना है कि दुनिया मे कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं होता. केवल अपने अंदर के विश्वास को मज़बूत करने की ज़रूरत होती है. मुझे पेंटिंग करने से ख़ुशी मिलती है और जब भी समय मिलता है, मैं घर पर अभ्यास करती हूं."
एक सवाल का जवाब देते हुए प्रिंसी कहती हैं, "लोग अक्सर अपनी ज़िंदगी में छोटी-बड़ी परेशानियों से निराश हो जाते हैं. लेकिन ज़रा सोचिए केवल एक दिन आपको बिना हाथ के जीना पड़े तो अचानक जीवन कितना मुश्किल में पड़ जाएगा. इसलिए मेरी सभी से गुज़ारिश है कि शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों से प्यार करें और उनको आगे बढ़ने में मदद करें."
असम सरकार ने प्रिंसी की प्रेरणा भरी कहानी को सातवीं कक्षा की असमिया किताब में शामिल किया है. गुवाहाटी में आयोजित होने वाले कई कार्यक्रमों में प्रिंसी को लोग अब अतिथि के तौर पर बुलाते हैं.
शारीरिक तौर पर अक्षम बच्चों के लिए एक आर्ट स्कूल खोलने का सपना पाल रहीं प्रिंसी केवल इतना चाहती हैं कि लोग किसी की विकलांगता को उसकी कमज़ोरी न समझें, क्योंकि हर इंसान के अंदर एक ख़ूबसूरत दिल धड़कता है. (bbc.com)
पुणे, 30 जनवरी| सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने इस वर्ष जून तक अपनी नई वैक्सीन, कोवोवैक्स लॉन्च करने की घोषणा की है। एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने शनिवार को कहा कि नोवावैक्स के साथ कोविड-19 वैक्सीन के लिए हमारी साझेदारी ने उत्कृष्ट प्रभावी नतीजे दिए हैं।
पूनावाला ने एक ट्वीट में कहा, "हमने भारत में ट्रायल शुरू करने के लिए आवेदन किया है। जून 2021 तक कोवोवैक्स लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।"
नया टीका कोवोवैक्स के ब्रांड नाम के तहत लॉन्च किया जाएगा, जिसे एसआईआई नोवावैक्स के साथ साझेदारी में बना रही है। पुणे स्थित वैश्विक वैक्सीन दिग्गज ने डीसीजीआई से नए उत्पाद के घरेलू परीक्षण शुरू करने की अनुमति मांगी है।
इसे ब्रिटेन में चल रहे एक शोध के शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ 89 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है।
पिछले साल नोवावैक्स ने कोविड-19 वैक्सीन की दो अरब खुराक का उत्पादन करने के लिए एसआईआई के साथ अपने गठजोड़ की घोषणा की थी।
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इससे पहले ही कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है, जिसे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनका कंपनी ने विकसित किया है।
देशभर में कोविड-19 के खिलाफ 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था। करीब तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वालों को शुरुआती टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाएगी। (आईएएनएस)
हाजीपुर, 30 जनवरी| कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में शनिवार को महागठबंधन ने पूरे राज्य में मानव श्रृंखला बनाई। इस मानव श्रृंखला में महागठबंधन के घटक दलों के करीब सभी बड़े नेता सड़कों पर उतरे और मानव श्रृंखला में शामिल हुए। इस दौरान वैशाली में अजीबोगरीब नाजारा देखना को मिला, जहां महुआ में बैलगाड़ी पर सवार होकर पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम और महुआ के विधायक डॉ़ मुकेश रौशन मानव श्रृंखला में हिस्सा लेने पहुंचे। इस क्रम में शिवचंद्र राम ने रोटियों की माला पहनकर मानव श्रृंखला में भाग लिया।
किसानों के चल रहे आंदोलन के समर्थन में राजद के आह्वान पर वैशाली जिले के कई स्थानों में महागठबंधन के घटक दलों के नेताओं द्वारा मानव श्रृंखला बनाई गई। इस दौरान मानव श्रृंखला में शामिल लोगों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
महुआ में पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम ने कहा कि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसलिए पूरे देश के किसान सड़क पर हैं।
इधर, विधायक डॉ़ मुकेश रौशन ने कहा कि केंद्र सरकार अगर किसान बिल वापस नहीं लेती है, तो अब गांव में भी लोग सड़क पर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि राजद ही नहीं महागठबंधन का एक-एक कार्यकर्ता किसानों के साथ है। केंद्र सरकार को तत्काल तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। (आईएएनएस)
अगरतला, 30 जनवरी| एक चौंकाने वाली घटना में, त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता, कृपा रंजन चकमा की शनिवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने कहा कि हमलावरों को पकड़ने के लिए एक तलाशी अभियान शुरू किया गया है। पुलिस ने कहा कि हथियारों के साथ दो से तीन हमलावरों ने शनिवार तड़के धलाई जिले के मानिकपुर में 35 वर्षीय भाजपा नेता के घर पर हमला किया और उन्हें गोली मार दी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा बलों की एक बड़ी टुकड़ी ने हमलावरों को पकड़ने के लिए जनजातीय बहुल क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया। घटना के सिलसिले में एक स्थानीय संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है।
भाजपा ने इस घटना को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय 'त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल' के चुनाव से पहले एक 'राजनीतिक साजिश' करार दिया है।
भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्जी ने कहा, "यह बहुत ही चौंकाने वाला है कि कृपा रंजन चकमा की हत्या कर दी गई है। वह एक बहुत ही सक्रिय और समर्पित व्यक्ति थे, जिन्होंने जनजातीय लोगों के कल्याण और विकास के लिए काम किया।"
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से चकमा राजनीतिक रूप से सक्रिय थे। (आईएएनएस)
कोलकाता, 30 जनवरी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और वर्तमान भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली के सेहत की शनिवार को जांच की गई। अपोलो अस्पताल, जहां उनका इलाज चल रहा है, ने कहा है कि गांगुली की हालत स्थिर है। अपोलो ग्लेनेगल्स अस्पताल के एक बयान में कहा गया है कि 28 जनवरी गांगुली की एंजियोप्लास्टी की गई थी और इसके बाद उनकी शनिवार को जांच की गई। वह स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और उनके सभी महत्वपूर्ण पैरामीटर स्थिर हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो गांगुली को 31 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।
गांगुली की गुरुवार को अस्पताल में दूसरी एंजियोप्लास्टी की गई थी।
डॉक्टरों के अनुसार, गांगुली के शरीर में दो और स्टेंट लगाए गए थे ताकि उनकी धमनियों में रक्त के प्रवाह को ठीक किया जा सके।
अपोलो अस्पताल के अधिकारियों द्वारा गुरुवार को जारी एक पूर्व बयान में कहा गया था कि आफताब खान और अश्विन मेहता, देवी शेट्टी, अजीत देसाई, सरोज मंडल और सप्तर्षि बसु की एक टीम ने गांगुली का एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक किया और दो स्टेंट लगाए।
भारत के पूर्व कप्तान को इस महीने की शुरूआत में अपने निजी जिम में वर्कआउट करने के दौरान ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा था और दो जनवरी को कोलकाता के वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
गांगुली को 7 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी लेकिन उससे पहले उनके एंजियोप्लास्टी और अन्य संबंधित परीक्षण किए गए थे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को संसद के बजट सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अभी भी प्रदर्शनकारी किसानों को कृषि कानून को 18 महीने के लिए स्थगित करने के दिए प्रस्ताव पर बरकरार है। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, "सरकार का रुख वैसा ही है जैसा कि 22 जनवरी को हुई बैठक के दौरान था- केंद्रीय कृषि मंत्री ने जो प्रस्ताव रखा था, वह बरकरार है।"
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि वह बातचीत के लिए सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं।
मोदी ने 26 जनवरी को हुई हिंसा का जिक्र किया और कहा कि कानून अपना काम करेगा।
उन्होंने संसद में सुचारू कामकाज के महत्व और सदन के पटल पर व्यापक बहस की जरूरत को रेखांकित किया, उन्होंने कहा कि बार-बार होने वाले व्यवधानों से छोटी पार्टियों पर असर पड़ेगा, क्योंकि वे खुद को पर्याप्त रूप से व्यक्त नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह बड़े दलों का काम है कि वह संसद के कार्यो को सुचारू रूप से चलाए। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 30 जनवरी | ओडिशा के कंधमाल जिले में नक्सलियों के एक समूह ने दो ग्रामीणों की कथित तौर पर हत्या कर दी। इन्हें उन पर पुलिस के मुखबिर होने का संदेश था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह घटना जिले के बेलगहारा पुलिस सीमा के तहत शुक्रवार रात हुई।
उनके शव शनिवार सुबह दो अलग-अलग जगहों पर पाए गए।
बंसधारा-घूमसर-नागबलि डिवीजन से संबंधित नक्सलियों ने एक हस्तलिखित नोट छोड़ दिया, जिसमें दोनों पर अपने पांच सहयोगियों के बारे में पुलिस को जानकारी देने का आरोप लगाया गया था, जो पिछले साल सितंबर में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।
पोस्टर के मुताबिक, नक्सलियों ने अन्य मुखबिरों को जन अदालत में 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी, जब तक कि उन्हें मौत की सजा नहीं दी जाएगी।
ओडिया भाषा में लिखे पोस्टर में लिखा गया, "हमें उन सभी लोगों की पूरी जानकारी है, जो पुलिस को इनपुट मुहैया करा रहे हैं। सभी मुखबिरों को 15 दिनों के भीतर जन अदालत के सामने आत्मसमर्पण करना चाहिए, वरना उन्हें भी उसी तकलीफ का सामना करना पड़ेगा।"
इसने नवीन पटनायक सरकार, ओडिशा के पुलिस महानिदेशक अभय और आईजी (इंटेलिजेंस) आर.के. जानमाल के नुकसान के लिए शर्मा को जिम्मेदार माना जाएगा। (आईएएनएस)
मुंबई, 30 जनवरी | भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के एक युवा वैज्ञानिक ने यहां अनुशक्ति नगर स्थित सरकारी आवास में अपनी पत्नी के साथ झगड़े के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सिद्धेश्वर गोव ने कहा कि यह घटना गुरुवार को हुई और मृत वैज्ञानिक की पहचान कानपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले अनुज त्रिपाठी के रूप में हुई है। वह बीएआरसी बायोटेक विभाग में वर्ष 2011 से कार्यरत था।
28 जनवरी की सुबह, अनुज और पत्नी सरोज के बीच कथित तौर पर उनके 5 व 3 वर्ष के बच्चों को खिलाने को लेकर तीखी बहस हो गई, जिसके बाद उन्होंने बेडरूम में जाकर छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली।
गोव ने कहा, सरोज और पड़ोसी घटना की भनक लगते ही उसके रूम की तरफ गए और तत्काल अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
त्रिपाठी के घर से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है और ट्रॉम्बे पुलिस ने दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया है। हालांकि वैज्ञानिक द्वारा इस घातक कदम को उठाने के वजहों की जांच की जा रही है। (आईएएनएस)
-निखिल इनामदार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक ऐसे वक़्त में बजट पेश करने जा रही हैं जब जीडीपी ऐतिहासिक संकुचन के दौर में है.
इस साल अर्थव्यवस्था में क़रीब आठ फ़ीसद की गिरावट होने की उम्मीद है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसमें 11 फ़ीसद की तेज़ी की संभावना है.
वित्त मंत्री ने कहा है कि महामारी से बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च विकास दर की पटरी पर लाने के लिए इस बार का बजट ऐसा होगा जैसा पिछले 100 सालों में नहीं रहा है. उनके इस बयान से कई तरह की अटकलबाज़ियाँ शुरू हो गई हैं.
लेकिन भारत की नाज़ुक वित्तीय स्थिति को देखते हुए वित्त मंत्री को उन क्षेत्रों पर सावधानी से ध्यान देना होगा जिन क्षेत्रों में ख़र्चे बढ़े हैं.
किन क्षेत्रों पर हो सकता है फ़ोकस
वित्त वर्ष में बजट का अंतर अनुमानित 3.4 फ़ीसद से बढ़कर सात फ़ीसद से अधिक होगा.
हालाँकि ख़राब निजी निवेश की स्थिति को देखते हुए क्या स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और अनौपचारिक सार्वजनिक क्षेत्रों में उदारता के साथ ख़र्च करने की उम्मीद की जा सकती है ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिले? ऐसा हो भी सकता है.
बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए कितना ख़र्च किया जाएगा, इस पर भी फ़ोकस हो सकता है. बैंकों की ख़राब स्थिति को देखते हुए उन्हें फ़ंड की ज़रूरत होगी ताकि वो बाज़ार में नए क़र्ज़ देने की स्थिति में हो.
नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) के 14 फ़ीसद तक बढ़ने की वजह से एक बैड बैंक के निर्माण की भी चर्चा है.
बैड बैंक एक आर्थिक अवधारणा है जिसमें घाटे में चल रहे बैंक अपने देयताओं को नए बैंक को स्थानांतरित कर देते हैं. यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि क्या राजकोषीय घाटे और महामारी के दौर में बढ़े हुए ख़र्च को देखते हुए अमीरों पर नए टैक्स लगाए जाएंगे.
एयर इंडिया जैसी कंपनियां चाहकर भी क्यों नहीं बेच पा रही सरकार?
मनरेगा की तर्ज़ पर शहरी क्षेत्रों में भी रोज़गार गारंटी योजना प्रोग्राम की घोषणा पर सबकी नज़रें रहेंगी.
इसके अलावा क्या देश भर में वैक्सीन प्रोग्राम को लेकर भी किसी फ़ंड की घोषणा हो सकती है? हालांकि इसकी संभावना कम लगती है. (bbc.com)
अर्चना शर्मा
जयपुर, 30 जनवरी | राजस्थान में वर्ष 2000 से 2019 के बीच कुल 27 उप-चुनाव हो चुके हैं। चार विधायकों की मौत हो जाने के कारण खाली पड़ी सीटों के लिए इस वर्ष मार्च में उप चुनाव होने वाले हैं। इसके परिणामस्वरूप विगत दो दशकों में राजस्थान में होने वाले कुल उप-चुनावों की संख्या 31 हो गई है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक ज्ञानचंद आहूजा ने कहा है कि 2001 में राजस्थान विधानसभा को नए भवन में स्थानांतरित किए जाने के बाद से ही इसमें सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। उन्होंने राज्य में उप-चुनावों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के उद्देश्य से विधानसभा परिसर में हवन, कीर्तन और पूजन कराने का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया है।
आहूजा रामगढ़ से भाजपा के विधायक रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन 20 वर्षो में कम से कम 200 विधायक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इनमें से कुछ की मौत हो गई तो कुछ को जेल हो गई। कुछ जो भाग्यशाली रहे, वे सांसद बन गए और इस कारण उनकी सीटें खाली हो गईं।
विगत चार महीनों में राजस्थान में चार विधायकों की मौत हो गई। पिछले साल अक्टूबर में कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी गुजर गए। नवंबर में भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी भी चल बसीं। दिसंबर में कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल का स्वर्गवास हो गया, जबकि इस साल जनवरी में गजेन्द्र सिंह का देहांत हो गया।
आहूजा ने कहा कि जब से असेंबली को नई इमारत में शिफ्ट किया गया है तब से 200 विधायक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह कोई सामान्य बात नहीं है। विधानसभा के शुद्धिकरण के लिए पूजा-कीर्तन महत्वपूर्ण है। विधानसभा के समीप ही एक श्मशान है और इसके कारण यहां वास्तु-दोष है।
आहूजा ने कहा कि वर्ष 2001 से पहले विधानसभा जयपुर में ही था और सभी 200 विधायकों ने पूरी तरह स्वस्थ रहते हुए अपना कार्यकाल भी पूरा किया। उन्होंने गहलोत से आग्रह किया कि एसी (एयर कंडीशनर) से निकलने वाली गैस का रुख श्मशान की ओर नहीं होना चाहिए। जब भाजपा सत्ता में थी तो यहां कलश रखी गई थी जिसे कांग्रेस के शासन में हटा दिया गया और फिर मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। (आईएएनएस)
30 जनवरी | गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर 2 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी गई हैं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 जनवरी | विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े कई नेताओं ने भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शनिवार को गाजीपुर सीमा का दौरा किया। गाजीपुर प्रदर्शन स्थल किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। राकेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं, जिन्होंने 30 साल पहले दिल्ली के बोट क्लब में एक विशाल किसान रैली की थी। गुरुवार को उनकी भावुक अपील ने किसान आंदोलन के रूख को मोड़ दिया, जिसे किसान आंदोलन के एक महत्वपूर्ण मोड़ के रुप में देखा जा रहा है।
टिकैत के भाषण से पहले अधिकांश किसान पहले से ही बड़े पैमाने पर पुलिस की उपस्थिति से भयभीत थे और साइट छोड़ना शुरू कर दिया था, लेकिन टिकैत के भाषण ने उन्हें आंदोलन में फिर से शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
गाजीपुर की सीमा तक पहुंचने वाले सबसे पहले नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी थे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह ने कहा है कि 'यह किसानों के लिए करो या मरो की स्थिति है और हमें इसके लिए एकजुट होना होगा।'
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, दिल्ली कांग्रेस की नेता अलका लांबा और हरियाणा के कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी टिकैत को समर्थन देने के लिए गाजीपुर की सीमा पर गए।
शनिवार को दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अनिल कुमार चौधरी ने भी विरोध स्थल का दौरा किया और कहा कि 'कांग्रेस किसानों के समर्थन में है।'
कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने शुक्रवार को फिर से कहा कि पार्टी किसानों के मुद्दे का जल्द समाधान चाहती है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी राकेश टिकैत से बात की और किसानों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 30 जनवरी | बीते गुरुवार शाम गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन पूरी तरह बदल गया, राकेश टिकैत के भावुक वीडियो ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसानों में आक्रोश पैदा कर दिया, रातों रात किसान अपना घर छोड़ बॉर्डर पहुंचने लगे है। अचानक हुए इस बदलाव में ऐसा लगने लगा है जैसे की अब ये लड़ाई कहीं न कहीं एक समुदाय और राज्य सरकार के बीच होने लगी है। हालांकि राकेश टिकैत ने इस बात को नकारा और कहा कि ये लड़ाई किसानों की ही है।
दरअसल 28 जनवरी की सुबह गाजीपुर बॉर्डर पर ऐसा लगने लगा था, जैसे मानों की अब ये आंदोलन ज्यादा नहीं टिकेगा। लेकिन टिकैत की एक भावुक अपील ने पूरी बाजी पलट कर रख दी।
अब तक आंदोलन का केंद्र सिंघु और टिकरी बॉर्डर माना जा रहा था, लेकिन अब गाजीपुर बॉर्डर किसानों के आंदोलन का एक नया केंद्र बनकर उभरा है।
मुज़फ्फरनगर में हुई पंचायत की तस्वीरें भी राकेश टिकैत और किसान आंदोलन के बढ़ते समर्थन की ओर इशारा करती हैं।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की किसान आंदोलन के मद्देनजर सक्रियता एक अलग संकेत दे रही है।
दरअसल राकेश टिकैत जाट किसान नेता माने जाते हैं और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में जाट किसानों की संख्या भी ज्यादा है। यानी किसी भी पार्टी की हार जीत तय करने में एक बड़ी भूमिका भी है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि, "क्या ये लड़ाई अब जाट बनाम राज्य सरकार हो गई है? इस सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा, "नहीं ऐसा नहीं है, आंदोलन में हर वर्ग का किसान है, मैंने इस आंदोलन में पहली बार ये जाट शब्द सुना है, मुझे इसपर ऐतराज है, ये लड़ाई किसान बनाम सरकार ही रहेगी।"
हालांकि इसके बाद टिकैत ने उनके आस पास खड़े लोगों को दिखा कर कहा, 'क्या ये जाट हैं.. ?' उसी दौरान टिकैत के बगल में बैठे एक किसान ने आईएएनएस से कहा कि, "मैं पंडित हूं और इस आंदोलन में हर वर्ग के लोग हैं।"
बॉर्डर पर मौजूदा स्थिति की बार करें तो हजारों की संख्या में पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान पहुंचे हुए हैं। अब ट्रैक्टर छोड़, दो पहिया और चार पहिया वाहन से किसानों ने आना शुरू कर दिया है।
दरअसल किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार नये कानूनों में संशोधन करने और एमएसपी पर खरीद जारी रखने का लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।
(आईएएनएस)
-रेहान फ़ज़ल
16 अप्रैल, 1999 को जब डेढ़ बजे ठंडा तरबूज़ का जूस पीते हुए ओमप्रकाश चौटाला ने घोषणा की कि वो राष्ट्र हित में वाजपेयी सरकार को दोबारा समर्थन दे रहे हैं तो सरकार के खेमें में खुशी की एक लहर सी दौड़ गई.
धोखा देने के खेल में सरकार के चेहरे पर वक्त से पहले ही मुस्कान आ गई थी. लेकिन कुछ लोगों ने नोट किया कि किसी ने लोकसभा के सेक्रेट्री जनरल एस गोपालन की तरफ़ एक चिट बढ़ाई है. गोपालन ने उस पर कुछ लिखा और उसे टाइप कराने के लिए भेज दिया.
उस टाइप हुए कागज़ में लोकसभाध्यक्ष जीएमसी बालयोगी द्वारा दी गई रूलिंग थी जिसमें काँग्रेस साँसद गिरधर गोमाँग को अपने विवेक के आधार पर वोट देने की अनुमति प्रदान की गई थी.
दरअसल गोमाँग फ़रवरी में ही ओडिशा के मुख्यमंत्री बन गए थे लेकिन उन्होंने अपनी लोकसभा की सदस्यता से तब तक इस्तीफ़ा नहीं दिया था.
'लाल बटन दबाओ'
वरिष्ठ पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता ने इंडिया टुडे के 10 मई, 1999 के अंक में लिखा था, "उस रात कोई भी नहीं सोया. सरकार की तरफ़ से बीजेपी साँसद रंगराजन कुमारमंगलम ने मायावती को यहाँ तक आश्वासन दे दिया कि अगर उन्होंने पहले से तय स्क्रिप्ट पर काम किया तो वो शाम तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन सकती हैं. उनके खेमें में गतिविधि देख तब विपक्ष के नेता शरद पवार उनके पास पहुँचे. मायावती उनसे जानना चाहती थीं कि अगर उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ वोट दिया तो क्या सरकार गिर जाएगी? पवार का जवाब था 'हाँ.' जब वोट देने का समय आया तो मायावती अपने साँसदों की तरफ़ देख कर ज़ोर से चिल्लाईं 'लाल बटन दबाओ.''
इलेक्ट्रॉनिक स्कोरबोर्ड पर जब सबकी नज़र गई तो पूरा सदन अचंभित रह गया. वाजपेई सरकार के पक्ष में 269 और विपक्ष में 270 मत पड़े थे.
शक्ति सिन्हा की किताब
वाजपेयी को नहीं मिला हनीमून पीरियड
प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी सरकार की सबसे बड़ी ट्रेजेडी रही कि उनकी सरकार को कभी हनीमून पीरियड नहीं मिला.
वाजपेयी पर हाल ही में एक किताब 'वाजपेयी द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया' लिखने वाले शक्ति सिन्हा बताते हैं, "एक तो सरकार बनने में बहुत तकलीफ़ हुई. बन भी गई तो पहले दिन से ही मंत्रालयों को ले कर पार्टियों के बीच झंझट शुरू हो गया. हफ़्ते भर के अंदर दो मंत्रियों को इस्तीफ़ा देना पड़ा. इससे काफ़ी हार्टबर्निंग हुई."
"जयललिता ने पहले दिन से ही उनकी नाक में दम कर दिया. उन्होंने कहा कि दूसरे जिन मंत्रियों के ख़िलाफ़ भष्टाचार के आरोप हैं उनको भी हटाइए. फिर स्पीकर के चुनाव को ले कर झंझट हुआ. बहस में जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया, वो असंसदीय था."
"अमेरिका में भी जब नए राष्ट्रपति सत्ता सँभालते हैं तो उन्हें 100 दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाता है. महीना दो महीने उस सरकार के बारे में जोश रहता है और लोग उसकी आलोचना कम करते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी इससे वंचित रहे. उनको ये नहीं नसीब हुआ."
जयललिता की माँगें मानने को तैयार नहीं हुए वाजपेयी
जयललिता और वाजपेई
जयललिता चाहती थीं कि उनके ख़िलाफ़ सभी मुकदमे वापस लिए जाएं और तमिलनाडु की करुणानिधि सरकार को बर्ख़ास्त किया जाए. इसके अलावा वो सुब्रमण्यम स्वामी को वित्त मंत्री बनवाने पर भी ज़ोर दे रही थीं. वाजपेयी इसके लिए तैयार नहीं हुए.
शक्ति सिन्हा कहते हैं, जयललिता चाहती थीं कि उनके ख़िलाफ़ चल रहे इन्कम टैक्स केसों में उन्हें मदद मिले. सराकार ने भी क़ानूनन जितना संभव था उनकी मदद की. उनके ख़िलाफ़ आरोपों को विशेष कोर्ट से हटा कर सामान्य अदालत में ले जाया गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे ख़ारिज कर दिया. वो ये भी चाहती थीं कि वाजपेयी अगर स्वामी को वित्त मंत्रालय न दें तो कम से कम राजस्व राज्य मंत्री वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम न करें.'
उन्हीं दिनों आउटलुक के संपादक विनोद मेहता उनसे मिलने उनके निवास स्थान पर गए. मेहता अपनी आत्मकथा 'एडीटर अनप्लग्ड मीडिया, मेग्नेट्स, नेताज़ एंड मी' में लिखते हैं, "जब मैंने उनको देखा तो वो मुझे गहरी सोच में दिखाई दिए. वो बहुत चुप चुप से थे. जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने पूछ ही डाला, आपको क्या चिंता सता रही है ? हाज़िरजवाब वाजपेयी ने हँसी दबाते हुए जवाब दिया आपके बाद जयललिता से मिलने का नंबर है."
6 अप्रैल को जयललिता के सभी मंत्रियों ने वाजपेयी को अपने इस्तीफ़े भेज दिए. दो दिनों के बाद उन्होंने वो इस्तीफ़ा राष्ट्रपति को बढ़ा भी दिया. एक दिन बाद अन्नाडीएमके ने समन्वय समिति से अपने सदस्यों को बाहर बुला लिया.
कुछ दिनों बाद जयललिता दिल्ली आईं और दिल्ली के एक पाँच-सितारा होटल में ठहरीं. उनके साथ उनके 48 सूटकेसों का सामान भी आया. अगले कुछ दिनों तक दिल्ली में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गईं. 11 अप्रैल को 11 बजे राष्ट्रपति से मिलकर उन्होंने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापसी का पत्र दे दिया.
हाँलाकि अगले संसद के बजट सत्र की बैठक होनी थी लेकिन राष्ट्रपति नारायणन ने वाजपेयी से विश्वास मत लेने के लिए कहा. शक्ति सिन्हा कहते हैं कि मेरी नज़र में तब भी और अब भी ये ग़ैर-ज़रूरी फ़ैसला था.
'चूँकि संसद का सत्र चल रहा था, सही तरीक़ा ये होता कि वाजपेयी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता या फिर ये देखते हुए कि ये बजट सत्र है उसमें धन विधेयक को गिरा कर सरकार को हराया जा सकता था. वाजपेयी के विरोधियों ने 1990 और 1997 के उदाहरण ज़रूर पेश किए लेकिन दोनों समय संसद की अगली बैठक अगले दिन के लिए तय नहीं थी. ऐसा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि विपक्ष के पास वाजपेयी के किसी विकल्प के बारे में आम सहमति नहीं थी और इसके पीछे ये सोच भी थी कि अगर किन्हीं कारणों से अविश्वास प्रस्ताव गिर जाता है तो वो नियमानुसार अगले छह महीनों तक अविश्वास प्रस्ताव दोबारा नहीं ला सकते थे. '
स्पीकर ने गिरधर गोमाँग के वोट करने का फ़ैसला उनके विवेक पर छोड़ा
जहाँ तक गिरधर गोमाँग के मतदान करने की बात है लोकसभा के सेक्रेट्री जनरल एस गोपालन की सलाह पर लोकसभाध्यक्ष बालयोगी ने पूरा मामला गोमाँग के विवेक पर छोड़ दिया. उनके विवेक ने उन्हें बताया कि वो अपनी पार्टी के आदेश का पालन करें और विश्वास मत के ख़िलाफ़ वोट दें.
बाद में बहुत से साँसदों ने लोकसभाध्यक्ष के फ़ैसले की आलोचना की और कुछ ने तो गोपालन की सलाह को राजनीतिक तराज़ू के मापदंड पर यह कहते हुए तोला कि गोपालन की नियुक्ति पूर्व लोकसभाध्यक्ष पूर्नो संगमा ने की थी.
दिलचस्प बात ये है कि वाजपेयी सरकार गिराने वाले गिरधर गोमाँग ने बाद में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. सरकार की तरफ़ से फ़्लोर मैनेजमेंट में भी बड़ी चूक हुई. अरुणाचल प्रदेश के साँसद राज कुमार जनवरी में पार्टी में विभाजन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपाँग के खिलाफ़ हो गए थे. उनकी पार्टी में विभाजन हो गया.
लेकिन सरकार की तरफ से किसी ने उनसे अपने पक्ष में वोट करने की अपील नहीं की. नतीजा ये हुआ कि उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ वोट किया. शक्ति सिन्हा का मानना है कि उन्हें बहुत संदेह है कि राज कुमार के अस्तित्व के बारे में भी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को पता रहा होगा
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री फ़ारुख़ अब्दुल्लाह ने अपने बेटे ओमर अब्दुल्लाह को बढ़ावा देते हुए बारामूला से वरिष्ठ साँसद सैफ़ुद्दीन सोज़ की घोर अवहेलना की. हर वर्ष भारत सरकार सऊदी अरब के लिए एक हज प्रतिनिधिमंडल भेजती है. सोज़ ने इसके लिए कुछ लोगों की सिफ़ारिश की लेकिन जब फ़ारुख अब्दुल्लाह को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने उन लोगों के नाम कटवा दिए.
सोज़ ने इस सबका बदला वाजपेयी सरकार के ख़िलाफ़ वोट दे कर निकाला. पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल अकालियों के समर्थन से लोकसभा में पहुंचे थे लेकिन उन्होंने उसी सरकार के ख़िलाफ़ मतदान किया जिसका कि अकाली एक हिस्सा थे.
बहस के दूसरे दिन वाजपेयी ने खुद काँशी राम से फ़ोन पर बात की थी. उन्होंने उन्हें बताया था कि वो दिल्ली से बाहर जा रहे हैं. उनकी पार्टी उनका समर्थन तो नहीं कर सकती लेकिन उनके ख़िलाफ़ वोट नहीं करेगी.
इस प्रकरण का पूरा विवरण देते हुए स्वप्नदास गुप्ता और सुमित मित्रा ने इंडिया टुडे के 10 मई, 1999 में छपे अपने लेख 'द इनसाइड स्टोरी इज़ इंडिया हेडिंग फॉर अ टू पार्टी सिस्टम' में लिखा था, 'मतदान से एक दिन पहले काँशीराम पटना में थे. आधी रात से पहले अर्जुनसिंह ने काँशीराम को फ़ोन किया. उन्होंने काँशीराम को दिल्ली आने के लिए मना लिया.उनको लाने के लिए कमलनाथ का स्पैन रिसॉर्ट विमान तैयार रखा गया. लेकिन काँशीराम ने कहा कि वो अलायेंस एयरलाइंस की नियमित उड़ान से दिल्ली आएंगे जो दिल्ली 9 बज कर 40 मिनट पर पहुंचेगी. अर्जुन सिंह की चिंता ये थी कि अगर सरकार को इसकी भनक लग गई तो वो उड़ान में देरी करवा देगी. इसलिए स्टैंडबाई के तौर पर राबड़ी देवी सरकार का विमान भी तैयार रखा गया. देर रात बीएसपी के साँसद आरिफ़ मोहम्मद ख़ाँ और अकबर डंपी ने मायावती को फ़ोन कर कहा कि अगर उन्हें बीजेपी की सरकार को बचाते हुए देखा गया तो उनके मुस्लिम मतदाता इसे पसंद नहीं करेंगे. मायावती ने रात दो बजे डंपी और आरिफ़ को फ़ोन कर बताया कि वोट करते समय उनकी चिंता को ध्यान में रखा जाएगा. वो दोनों 9 बजे उनके घर पहुंच जाएं. इस बीच सोनिया गाँधी ने भी मायावती को खुद फ़ोन किया और वाजपेयी सरकार को गिराने का ख़ाका तैयार हो गया.'
शक्ति सिन्हा बताते हैं कि भावी प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी की बात बहुत दिनों से हो रही थी. इतनी मुश्किल से वो प्रधानमंत्री बने लेकिन तेरह महीने में गाड़ी कभी संभल कर नहीं चली. हमेशा डाँवाडोल ही रही. और उस पर उनका एक वोट से हारना. झटका ज़रूर लगा था वाजपेयी को. वोटिंग के बाद जब वाजपेयी अपने कमरे में लौटे हैं तो मैंने उन्हें बेहद निराश देखा. उनकी आँखों में आँसू थे. जो सदमा उन्हें लगा था वो उनके चेहरे पर दिखाई दे रहा था. लेकिन पाँच सात मिनटों के अंदर ही उन्होंने अपनेआप को नियंत्रित कर लिया था और वो अपना इस्तीफ़ा देने राष्ट्रपति भवन रवाना हो गए थे.
21 अप्रैल को सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति नारायणन से मिलकर दावा किया कि उन्हें 272 साँसदों का समर्थन प्राप्त है. लगभग उसी समय मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव आगे किया.
1996 के विपरीत इस बार सीपीएम इसके लिए तैयार भी दिखी लेकिन काँग्रेस इस बार किसी दूसरी पार्टी को नेतृत्व देने के लिए राज़ी नहीं हुई. बाद में मुलायम सिंह ने काँग्रेस का साथ देने से साफ़ इंकार कर दिया.
इस फैसले में बहुत बड़ी भूमिका रक्षा मंत्री जॉर्ज फ़र्नांडिस की रही.
लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी किताब 'माई कंट्री, माई लाइफ़' में इसका ब्योरा देते हुए लिखा है, '21 या 22 अप्रैल को देर रात मेरे पास जॉर्ज फ़र्नांडिस का फ़ोन आया. उन्होंने कहा लालजी मेरे पास आपके लिए अच्छी ख़बर है. सोनिया गाँधी अगली सरकार नहीं बना सकतीं. विपक्ष के एक बड़े नेता आपसे मिलना चाहते हैं. लेकिन ये बैठक न तो आपके घर पर हो सकती है और न ही मेरे घर पर."
आडवाणी ने लिखा, "तय हुआ कि ये मुलाकात जया जेटली के सुजान सिंह पार्क वाले घर में होगी. जब मैं जया जेटली के घर पहुंचा तो वहाँ मैंने मुलायम सिंह यादव और जॉर्ज फ़र्नांडिस को बैठे हुए पाया. फ़र्नांडिस ने मुझसे कहा कि मेरे दोस्त ने मुझे आश्वस्त किया है कि उनके 20 साँसद किसी भी हालत में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के प्रयास को समर्थन नहीं देंगे. मुलायम सिंह यादव ने भी ये बात मेरे सामने दोहराई. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि आडवाणी जी इसके लिए मेरी एक शर्त है. मेरी इस घोषणा के बाद कि हमारी पार्टी सोनिया गांधी को सरकार बनाने में मदद नहीं करेगी, आपको ये वादा करना होगा कि आप दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. मैं चाहता हूँ कि अब नए चुनाव करवाएं जाएं."
लोकसभा भंग
तब तक एनडीए के घटक दलों का भी मन बन चुका था कि फिर से सरकार बनाने के बजाए मध्यावधि चुनाव का सामना किया जाए. राष्ट्रपति नारायणन ने वाजपेयी को राष्ट्रपति भवन तलब किया और उनको सलाह दी कि वो लोकसभा भंग करने की सिफ़ारिश करें.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा भंग करने की सिफ़ारिश की लेकिन इस सिफ़ारिश में साफ़ लिखा गया कि वो ऐसा राष्ट्रपति नारायणन की सलाह पर कर रहे हैं. राष्ट्रपति भवन इससे खुश नहीं नज़र आया लेकिन तब तक वाजपेयी को इस बात की फ़िक्र नहीं रह गई थी कि राष्ट्रपति इस बारे में क्या सोच रहे हैं. (bbc.com)