राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| देश में सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर मार्च में हुए लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को सवाल उठाया तो केंद्र सरकार ने लिखित में जवाब दिया। कहा कि दुनिया के कई देशों के अनुभवों को देखने के साथ विशेषज्ञों की सिफारिश पर यह कदम उठाया गया। लोगों की आवाजाही से देश भर में कोरोना फैलने का खतरा था।
सरकार ने यह भी बताया कि अगर लॉकडाउन न होता तो फिर 14 से 29 लाख ज्यादा संक्रमण के मामले आते, वहीं 37-78 हजार ज्यादा मौतें होतीं।
दरअसल, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पूछा था, "वे कारण क्या हैं, जिनकी वजह से 23 मार्च को मात्र चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लगाया गया। ऐसी क्या जल्दी थी कि देश में इतनी कम अवधि में लॉकडाउन लगाया गया। क्या लॉकडाउन कोविड 19 रोकने में सफल रहा है?"
जिस पर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सरकार की तरफ से लिखित जवाब में कहा कि 7 जनवरी को कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद सरकार ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कई उपाय किए थे, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर रोक, जनता को एडवाइजरी, क्वारंटीन सुविधाएं आदि शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च 2020 को कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था।
कुछ देशों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई, वहीं कुछ देशों में कोरोना संक्रमण को रोका गया। दोनों तरह के देशों के बीच तुलना के बाद वैश्विक अनुभव हासिल हुए। इन सबको ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों ने सामाजिक दूरी जैसे उपायों की सिफारिश की। 16 से 23 मार्च के बीच, अधिकांश राज्य सरकारों ने स्थिति के आकलन के आधार पर आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन का सहारा लिया।
लोगों की किसी भी बड़ी आवाजाही ने देश के सभी हिस्सों के लोगों में बीमारी को बहुत तेजी से फैला दिया होता। लिहाजा वैश्विक अनुभव और देशभर में विभिन्न रोकथाम उपायों को देखते हुए दोश में कोरोना रोकने के लिए 24 मार्च को एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।
क्या लॉकडाउन सफल रहा?
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देश व्यापी लॉकडाउन लगाकर, भारत ने कोविड के आक्रामक प्रसार को सफलतापूर्वक विफल कर दिया। लॉकडाउन ने आवश्यक अतिरिक्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को विकसित करने में देश की मदद की। मार्च 2020 की उपलब्धता की तुलना में आईसोलेशन बेडों में 22 गुना और आईसीयू बेडो में 14 गुना की बढ़ोतरी हुई। वहीं प्रयोगशालाओं की क्षमता भी दस गुना बढ़ाई गई।
अनुमान है कि लॉकडाउन के निर्णय ने महामारी के फैलने की गति को धीमा करके 14-29 लाख मामलों और 37-78 हजार मौतों को रोका है।
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुदर्शन टीवी के संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में कथित तौर पर मुस्लिमों की घुसपैठ की साजिश पर केंद्रित कार्यक्रम पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को कलंकित करने का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत विविधता भरी संस्कृतियों वाला देश है। मीडिया में स्व-नियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि टीवी पर बहस (डिबेट) के दौरान पत्रकारों को निष्पक्ष होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम 'यूपीएससी जिहाद' के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सवाल उठाते हुए यह सख्त टिप्पणी की। इस टीवी कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि सरकारी सेवा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की घुसपैठ की साजिश का पदार्फाश किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा, "हम केबल टीवी एक्ट के तहत गठित प्रोग्राम कोड के पालन को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं। एक स्थिर लोकतांत्रिक समाज की इमारत और अधिकारों और कर्तव्यों का सशर्त पालन समुदायों के सह-अस्तित्व पर आधारित है। किसी समुदाय को कलंकित करने के किसी भी प्रयास से निपटा जाना चाहिए।"
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के.एम. जोसेफ की एक पीठ ने याद दिलाया कि पत्रकार की स्वतंत्रता कोई परम सिद्धांत नहीं है। पीठ ने साथ ही यह भी कहा कि एक पत्रकार को किसी भी अन्य नागरिक की तरह ही स्वतंत्रता है और उन्हें अमेरिका की तरह कोई अलग से स्वतंत्रता नहीं है।
टीवी चैनल को फटकार लगाते हुए पीठ ने उसके वकील से कहा, "आपका मुवक्किल यह स्वीकार नहीं कर रहा है कि भारत विविध संस्कृतियों वाला देश है। आपके मुवक्किल को सावधानी के साथ अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने की जरूरत है।"
सुदर्शन टीवी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि चैनल का कहना है कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक खोजी कहानी है।
पीठ ने कहा, "हमें उन पत्रकारों की जरूरत है, जो अपनी बहस में निष्पक्ष हैं।"
पीठ ने कहा, "कैसा उन्माद पैदा करने वाला यह कार्यक्रम है कि एक समुदाय प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश कर रहा है।" पीठ ने कहा कि इस तरह के शो लोगों को अपने टीवी से दूर कर देते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर मीडिया को इस बात का अहसास नहीं हुआ, तो वे बिजनेस से बाहर हो जाएंगे। अदालत ने कहा, "अंत में आखिर गुणवत्ता ही मायने रखती है।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता सर्वोच्च है और किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रेस को नियंत्रित करना विनाशकारी होगा।
मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने टीवी शो पर पूर्व-प्रसारण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि कार्यक्रम की सामग्री सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाली है।
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)| लोकसभा ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जिसमें दो साल के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) निधियों को निलंबित करने का प्रावधान है। इसके साथ ही सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिए 30 प्रतिशत कटौती करने को भी लोकसभा की मंजूरी मिल गई है। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिए किया जाएगा।
संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2020 मानसून सत्र के दूसरे दिन पारित किया गया।
अप्रैल में केंद्रीय मंत्रिपरिषद की ओर से वर्ष 2020-21 और 2021-22 में संसद के सभी सदस्यों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती और एमपीलैड के निलंबन को मंजूरी दी गई थी। यह विधेयक इससे संबंधित संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 की जगह लाया गया है। इसके माध्यम से संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन किया गया है।
प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद सहित सांसदों का वित्तवर्ष 2020-2021 में 30 प्रतिशत वेतन काटा जाएगा। कई सांसदों ने पहले ही कोरोनावायरस महामारी से निपटने के प्रयासों के तहत अपने एमपीलैड फंड पांच करोड़ रुपये का उपयोग करने का वादा किया था।
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि एमपीलैड फंड का निलंबन अस्थायी है और दो साल के लिए है। जोशी ने कहा, "मुझे खुशी है कि चैरिटी लोकसभा और राज्यसभा से शुरू हुई। यह चैरिटी इसलिए है, क्योंकि अर्थव्यवस्था राष्ट्रव्यापी बंद और अन्य चीजों के कारण प्रभावित हुई है। जब ऐसी चीजें होती हैं तो हमें कुछ असाधारण फैसले लेने की जरूरत होती है।"
मंत्री ने कहा कि सरकार ने दूसरों के लिए रोल मॉडल बनने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "हमने कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए बहुत सारे उपाय और अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझसे कहा कि सभी सांसदों को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह केंद्र या राज्य से संबंधित नहीं है।"
जोशी ने उल्लेख किया कि किस तरह सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज और 1.76 लाख करोड़ रुपये की गरीब कल्याण योजना बनाई है, जिसके माध्यम से इस साल नवंबर तक सभी गरीब लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बजट भी दिया।
विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए, कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि एमपीलैड पर बिना किसी परामर्श और पूर्व सूचना फैसला लिया गया। सांसद ने कहा कि वह इस कदम का समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार द्वारा अपनाए गए तरीके का विरोध करते हैं।
द्रमुक के चेन्नई (उत्तर) सांसद वीरस्वामी कलानिधि ने कहा कि देश के लिए धन जुटाने के अन्य तरीके भी हैं। उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह वर्तमान स्थिति के अनुसार नहीं किया जाना चाहिए, हमें धन जुटाने के अन्य तरीकों की तलाश भी करनी होगी।"
उन्होंने कहा कि सरकार अगले तीन-पांच वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये की नई संसद बनाने के प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ी है, जबकि देश एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। कलानिधि ने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल महामारी और आर्थिक संकट से निपटने के लिए किया जा सकता है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पत्रकार की स्वतंत्रता सर्वोच्च है और किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रेस को नियंत्रित करना घातक होगा। मेहता ने सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम 'यूपीएससी जिहाद' के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
इस टीवी कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि सरकारी सेवा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की घुसपैठ की साजिश का पर्दाफाश किया जा रहा है।
न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के. एम. जोसेफ की पीठ ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया में स्व नियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मेहता से कहा कि क्या यह (टीवी शो का हवाला देते हुए) एक मुक्त समाज में सहन किया जा सकता है और स्व-नियंत्रण को आगे रखा जा सकता है या नहीं?
मेहता ने जवाब दिया कि प्रेस को नियंत्रित करना किसी भी लोकतंत्र के लिए घातक होगा। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या यह वास्तव में अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अंतर्गत आता है।
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जोसेफ ने कहा कि कोई भी स्वतंत्रता परम सिद्धांत नहीं है, पत्रकारिता की स्वतंत्रता भी नहीं है। मेहता ने मीडिया प्लेटफॉर्म के स्वामित्व पर जवाब दिया, जो अक्सर पोर्टल्स पर व्यक्त विचारों को दर्शाता है। लंच के बाद की सुनवाई में मेहता ने दलील दी कि ब्लॉग सहित विभिन्न मंच हैं, जो सभी प्रकार के विचारों पर मंथन करते हैं।
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया घरानों को अलग-अलग ब्लॉग से अलग किया जाना चाहिए। मेहता ने दलील दी कि कुछ चैनल कुछ समय पहले 'हिंदू आतंकवाद' की भावना को बढ़ा रहे थे। उन्होंने कहा, "प्रश्न यह है कि सामग्री को किस सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है?" न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अधिनियम कहता है कि सांप्रदायिक रिपोर्टिग नहीं की जा सकती।
सुनवाई के अंत में मेहता ने यह भी दलील दी कि उल्लंघन से निपटने के लिए वैधानिक प्राधिकरण भी हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मेहता ने प्रस्तुत किया है कि व्यापक मुद्दों को केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्वाइंट से नहीं, बल्कि अन्य मीडिया से भी संबोधित किया जाना चाहिए, जिसमें आपत्तिजनक सामग्री साझा की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुस्लिम समुदाय के लोगों के सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने से जुड़े कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह एक उन्माद पैदा करने वाला कार्यक्रम है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हम एक पांच सदस्य कमिटी के गठन करने के पक्ष में है, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कुछ निश्चित मानक तय कर सके।
पीठ ने कहा, "हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक रूप से विभाजनकारी हो।"
इससे पहले शीर्ष अदालत ने शो पर पूर्व-प्रसारण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था कि कार्यक्रम की सामग्री सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर | सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने सोमवार को एक वेबिनार में कहा कि देश में सरकार बोलने की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए राजद्रोह कानून का उपयोग कर रही है। पूर्व न्यायाधीश लोकुर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब रविवार रात जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों में यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले शनिवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव, अपूर्वानंद, जयति घोष, राहुल रॉय, उमर खालिद समेत ऐसे कई लोगों के नाम दिल्ली पुलिस द्वारा दंगों की चार्जशीट में डालने की खबर आई, जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध-प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और उसके बाद उसके आयोजकों की गिरफ्तारी के खिलाफ मुखर विरोध दर्ज करा रहे थे।
सेवानिवृत्त जस्टिस लोकुर ने यह बात ‘बोलने की आजादी और न्यायपालिका’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार में अपने संबोधन के दौरान कही। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “बोलने की आजादी को कुचलने के लिए सरकार लोगों पर फर्जी खबरें फैलाने के आरोप लगाने का हथकंडा भी अपना रही है। कोरोना संक्रमण के मामलों और वेंटिलेटर की कमी जैसे मुद्दों की रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों पर फर्जी खबर के कानूनों के तहत आरोप लगाए गए और केस दर्ज किए जा रहे हैं।”
जस्टिस लोकुर ने कहा, “देश में अचानक ही ऐसे मामलों की संख्या बढ़ गई है, जिसमें लोगों पर राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। इसी साल अब तक राजद्रोह के 70 मामले देखे जा चुके हैं। हालत ये है कि कुछ भी बोलने वाले एक आम नागरिक पर राजद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है।” उन्होंने डॉ कफील खान पर एनएसए लगाने के मामले का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोप लगाते समय उनके भाषण और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उनके बयानों को गलत पढ़ा गया।” उन्होंने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ न्यायालय की अवमानना के मामले का भी जिक्र किया।
कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफार्म्स और स्वराज अभियान द्वारा आयोजित इस वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने कहा, “प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में दी गई सजा बेतुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्षो का कोई ठोस आधार नहीं है।” उन्होंने कहा कि उनके मन में न्यायपालिका के लिए बहुत सम्मान है, क्योंकि यह न्यायपालिका ही है जिसने संविधान में प्रेस की आजादी को स्थापित किया। वेबिनार में सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने कहा कि प्रशांत भूषण की प्रसिद्धी काफी व्यापक होने के कारण इस मामले ने काफी लोगों को सशक्त किया है।(navjivan)
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह मुल्तानी के 1991 के अपहरण-हत्या मामले में सेवानिवृत्त पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी को मंगलवार को तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है। न्यायाधीश अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की पीठ ने पंजाब सरकार से सैनी की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। वहीं इसके साथ ही अदालत ने सैनी को जांच में सहयोग करने को कहा है। पीठ ने सैनी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिस पर तीन सप्ताह में जवाब आ सकता है।
अदालत में सैनी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने किया। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने सैनी की जमानत याचिका का विरोध किया। लूथरा ने दलील देते हुए कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उल्लेख किया था कि पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैनी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था।
इस पर पीठ ने पूछा कि 1991 के एक मामले में लगभग 30 साल बाद सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी क्या लगी हुई है।
लूथरा ने जोर देकर कहा कि अदालत ने नोट किया कि एक व्यक्ति (मुल्तानी) ने सैनी द्वारा अमानवीय व्यवहार के बाद चोटों के कारण दम तोड़ दिया था। इसके साथ ही लूथरा ने कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी आरोपी अधिकारी के पास खुद के नियंत्रण में कुछ आधिकारिक फाइलें थीं।
वहीं मुल्तानी के भाई का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन ने दलील दी कि सैनी एक 'कुख्यात पुलिस अधिकारी' थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल का भाई याचिकाकर्ता के हाथों मारा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में पंजाब सरकार का जवाब सुने जाने से पहले कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
मालूम हो कि पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हालांकि, पंजाब सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैवियट याचिका दाखिल कर रखी है। पंजाब सरकार ने कोर्ट में अर्जी दखिल कर कहा है कि अदालत राज्य सरकार के पक्ष को सुने बिना कोई आदेश जारी न करे।
इससे पहले सात सितंबर को अग्रिम जमानत और जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करवाने की मांग को लेकर दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सैनी को बड़ा झटका दिया था। न्यायाधीश फतेहदीप सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था और फिर अपना फैसला सुनाते हुए सैनी की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
बता दें कि 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी आरोपी हैं। पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की थी। सैनी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ मोहाली पुलिस ने मटौर थाने में छह मई को एफआईआर दर्ज की है। यह पूरी तरह से राजनीतिक रंजिश के तहत दायर की गई है। इस एफआईआर पर पंजाब पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है, लिहाजा इस मामले की सीबीआई या राज्य के बाहर की किसी जांच एजेंसी से जांच करवाई जाए।
सैनी ने दूसरी याचिका मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा एक सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की थी। सैनी ने न्यायालय से अग्रिम जमानत की अपील की थी।
लखनऊ, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के चलते स्कूल वगैरह बंद हैं, ऐसे में पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लासेज और बाहर ज्यादा न निकलने की अवस्था में गेमिंग में बच्चे अपना अधिक समय बिता रहे हैं और इन सारी चीजों का प्रभाव उनकी आंखों पर पड़ रहा है। मोटे तौर पर, हाल के सप्ताहों में करीब 40 प्रतिशत बच्चों में आंखों व देखने की तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ अनिल रस्तोगी के मुताबिक, इनमें से अधिकतर बच्चों में अभिसरण अपर्याप्तता की समस्या देखी गई - यह एक ऐसी अवस्था है, जहां निकट स्थित किसी चीज को देखने के दौरान आंखें एक साथ काम करने में असक्षम रहती हैं। इस स्थिति के चलते एक आंख के अंदर रहने के दौरान दूसरी बाहर की ओर निकल आती है, जिससे चीजें या तो दो या धुंधली लगती हैं।
उन्होंने आगे कहा, बच्चे कंप्यूटर के आगे लंबे समय तक बैठे रहते हैं, स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं जिससे आंखों में खुजली और जलन की समस्या पैदा हो जाती है, ध्यान लगाने में परेशानी होती है, सिर दुखता है, आंखों में दर्द होता है।
नेत्र विशेषज्ञ शिखा गुप्ता भी यही कहती हैं कि लॉकडाउन के चलते बच्चे आठ से दस घंटे तक का समय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में बिताते हैं। "वे या तो ऑनलाइन क्लासेज कर रहे हैं या कार्टून देख रहे हैं या वीडियो गेम्स खेल रहे हैं। माता-पिता को लगता है कि यह उन्हें व्यस्त रखने का सबसे बेहतर तरीका है, लेकिन इतना ज्यादा वक्त इलेक्ट्रॉनिकडिवाइस में बिताने से आंखों को नुकसान पहुंचता है।"
इनसे बचने के लिए डॉक्टर्स का सुझाव है कि आंखों की एक्सरसाइज पर ध्यान दें, टीवी/कंप्यूटर/मोबाइल फोन के स्क्रीन से कुछ-कुछ देर का ब्रेक लेते रहें, ताकि आंखों की अच्छी सेहत बरकरार रखी जा सकें।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति के समक्ष फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन पेश नहीं हुए। उन्हें समिति ने 15 सितंबर को पेश होने के लिए समन किया था। घृणा फैलाने वाले नियमों को लागू करने में जानबूझ कर निष्क्रियता के आरोपों में फेसबुक प्रबंध निदेशक को समन किया गया था। दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा, "प्रमुख गवाहों के बयानों के साथ-साथ उनकी तरफ प्रस्तुत की गई सामग्री व रिकॉर्ड में दोषी ठहराए जाने के आधार पर फेसबुक को समन जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने उल्टा कमेटी को ही हिदायत दी है कि हम नोटिस को वापस ले लें। फेसबुक का कहना है कि यह मामला संसद की एक कमेटी के समक्ष विचाराधीन है। वैसे भी दिल्ली में कानून व्यवस्था केंद्र का विषय है, इसलिए हमें इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।"
विधायक राघव चड्ढा की अध्यक्षता वाली समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को 15 सितंबर को समिति के सामने उपस्थित होने के लिए नोटिस दिया था। समिति के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि फेसबुक पर लगे आरोपों की जांच की जा सके।
राघव चड्ढा ने कहा, "गवाहों की तरफ से प्रस्तुत किए गए मजबूत साक्ष्य के संबंध में समिति का मानना है कि फेसबुक को दिल्ली दंगों की जांच में सह-अभियुक्त के रूप में आरोपित किया जाना चाहिए।"
राघव चड्ढा ने कहा, "दुख के साथ बताना चाहूंगा कि फेसबुक के अधिकारियों ने एक पत्र के जरिए अपना जवाब भेजा है। फेसबुक में नोटिस दिए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है और कहा है कि दिल्ली विधानसभा की कमेटी अपना नोटिस वापस ले ले।"
समिति ने अपने अध्यक्ष राघव चड्ढा के माध्यम से अब तक चार अत्यंत महत्वपूर्ण गवाहों की जांच की है। जिनमें प्रख्यात लेखक परांजॉय गुहा व डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निखिल पाहवा शामिल हैं।
समिति के मुताबिक परांजॉय गुहा ने स्पष्ट रूप से बयान दिया कि फेसबुक प्लेटफॉर्म उतना नास्तिक और कंटेंट न्यूट्रल नहीं है, जितना कि वह होने का दावा करता है। साथ ही फेसबुक पर एक अपवित्र सांठगांठ का आरोप लगाया गया है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर | सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुसलमानों के सिविल सेवा में चुने जाने को लेकर दिखाए जा रहे कार्यक्रम पर सख़्त एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है. क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है. ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है."
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो यूपीएससी के लिए आवेदन करता है वो समान चयन प्रक्रिया से गुज़रकर आता है और ये इशारा करना कि एक समुदाय सिविल सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है, ये देश को बड़ा नुक़सान पहुँचाता है.
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले की फिर से सुनवाई करेगा.
हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक, सूचना मंत्रालय ने दी थी इजाज़त
सुदर्शन न्यूज़ के जिस कार्यक्रम को लेकर विवाद था उसमें 'नौकरशाही में एक ख़ास समुदाय की बढ़ती घुसपैठ के पीछे कोई षडयंत्र होने' का दावा किया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर 28 अगस्त को रोक लगा दी थी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश नवीन चावला ने इस कार्यक्रम के प्रसारण के ख़िलाफ़ स्टे ऑर्डर जारी किया था.
मगर 10 सितंबर को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को ये कार्यक्रम प्रसारित करने की इजाज़त दे दी.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि उन्हें सुदर्शन न्यूज़ के इस प्रोग्राम के ख़िलाफ़ कई शिकायतें मिली हैं और मंत्रालय ने न्यूज़ चैनल को नोटिस जारी कर इस पर जवाब माँगा है.
10 सितंबर को मंत्रालय ने अपने आदेश में लिखा कि सुदर्शन चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने 31 अगस्त को आधिकारिक रूप से अपना जवाब दे दिया था जिसके बाद मंत्रालय ने निर्णय लिया कि अगर कार्यक्रम के कंटेंट से किसी तरह नियम-क़ानून का उल्लंघन होता है तो चैनल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जायेगी.
मंत्रालय ने ये भी कहा है कि कार्यक्रम प्रसारित होने से पहले कार्यक्रम की स्क्रिप्ट नहीं माँगी जा सकती और ना ही उसके प्रसारण पर रोक लगायी जा सकती है.
इस आदेश के अनुसार, सुदर्शन चैनल ने दावा किया कि उन्होंने अपने कार्यक्रम में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और कहा है कि 'इस तरह की रोक टीवी प्रोग्रामों पर प्रसारण से पहले ही सेंसरशिप लागू करने जैसी है.'
मंत्रालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार टीवी कार्यक्रमों की प्री-सेंसरशिप नहीं की जाती. प्री-सेंसरशिप की ज़रूरत फ़िल्म, फ़िल्मी गाने, फ़िल्मों के प्रोमो, ट्रेलर आदि के लिए होती है जिन्हें सीबीएफ़सी से सर्टिफ़िकेट लेना होता है.
मंत्रालय ने सुदर्शन चैनल को यह हिदायत दी थी कि वो इस बात का ध्यान रखे कि किसी तरह से प्रोग्राम कोड का उल्लंघन ना हो, अन्यथा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है.
क्या है पूरा मामला?
सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने 25 अगस्त को एक टीज़र जारी किया था जिसमें चैनल के संपादक ने यह दावा किया था कि 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले उनके कार्यक्रम 'बिंदास बोल' में 'कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश' किया जाएगा.
टीज़र सामने आते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर आलोचना शुरू हो गई थी.
इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के संगठन ने इसकी निंदा करते हुए इसे 'ग़ैर-ज़िम्मेदाराना पत्रकारिता' क़रार दिया.
पुलिस सुधार को लेकर काम करने वाले एक स्वतंत्र थिंक टैंक इंडियन पुलिस फ़ाउंडेशन ने भी इसे 'अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के आईएएस और आईपीएस बनने के बारे में एक हेट स्टोरी' क़रार देते हुए उम्मीद जताई थी कि ब्रॉडस्काटिंग स्टैंडर्ड ऑथोरिटी, यूपी पुलिस और संबंद्ध सरकारी संस्थाएँ इसके विरूद्ध सख़्त कार्रवाई करेंगे.
हालाँकि, सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हानके ने आईपीएस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया पर अफ़सोस जताते हुए कहा था कि 'उन्होंने बिना मुद्दे को समझे इसे कुछ और रूप दे दिया है.' उन्होंने संगठन को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया था.
राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने इस कार्यक्रम के बारे में दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी.
पूनावाला ने साथ ही इस बारे में न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा को एक पत्र लिख उनसे इस कार्यक्रम का प्रसारण रुकवाने और सुदर्शन न्यूज़ तथा इसके संपादक के विरूद्ध क़ानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.
दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के संगठन ने भी एक बयान जारी कर यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस बारे में अवमानना का मामला दायर करवाने का अनुरोध किया था.
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने की आलोचना
छत्तीसगढ़ के आईपीएस अधिकारी आरके विज ने इस कार्यक्रम के टीज़र पर प्रतिक्रिया करते हुए इसे 'घृणित' और 'निंदनीय' बताया था और कहा था कि वो इस बारे में 'क़ानूनी विकल्पों पर ग़ौर कर रहे हैं'.
छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने भी इस शो पर प्रतिक्रिया करते हुए लिखा था कि 'इसे बनाने वाले से इस कथित पर्दाफ़ाश के स्रोत और उसकी विश्वसनीयता के बारे में पूछा जाना चाहिए'.
पुड्डुचेरी में तैनान आईपीएस अधिकारी निहारिका भट्ट ने लिखा था कि "धर्म के आधार पर अफ़सरों की निष्ठा पर सवाल उठाना ना केवल हास्यापस्द है बल्कि इसपर सख़्त क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. हम सब पहले भारतीय हैं."
हरियाणा के आईएएस अधिकारी प्रभजोत सिंह ने लिखा था कि "पुलिस इस शख़्स को गिरफ़्तार क्यों नहीं करती और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट या अल्पसंख्यक आयोग या यूपीएससी इस पर स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लेते? ट्विटर इंडिया कृपया कार्रवाई करे और इस एकाउंट को सस्पेंड करे. ये हेट स्पीच है."
बिहार में पूर्णिया के ज़िलाधिकारी राहुल कुमार ने लिखा था कि "ये बोलने की आज़ादी नहीं है. ये ज़हर है और संवैधानिक संस्थाओं की आत्मा के विरूद्ध है. मैं ट्विटर इंडिया से इस एकाउंट के विरूद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूँ."
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी एनआईए में कार्यरत आईपीएस अधिकारी राकेश बलवल ने लिखा था, "हम सिविल सेवा अधिकारियों के लिए एकमात्र पहचान जो कोई अर्थ रखती है, वो है भारत का राष्ट्र ध्वज." (bbc)
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में कहा कि चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनिधिकृत कब्जा कर रखा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) स्पष्ट रूप से चित्रित नहीं है और चीन भारत की सीमा से लगे लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन को भी अपनी बताता है। रक्षा मंत्री सिंह ने चीन की एक-एक नापाक करतूतों की जानकारी सदन को दी। उन्होंने कहा कि चीन ने मई और जून में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की, मगर भारतीय सेना ने उसके प्रयासों को विफल कर दिया। राजनाथ ने कहा, "हमने चीन से कहा है कि ऐसी घटनाएं हमें स्वीकार्य नहीं होंगी।"
मंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किमी के अवैध कब्जे में है। इसके अलावा, 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान 'सीमा समझौते' के तहत पाकिस्तान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी। उन्होंने कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र का दावा किया है।
सिंह ने कहा, "हम मानते हैं कि यह संधि अच्छी तरह से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है।"
दोनों देशों ने 1950 और 60 के दशक के दौरान विचार-विमर्श किया था, लेकिन इन प्रयासों से पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान नहीं निकल सका।
भारत और चीन दोनों औपचारिक रूप से सहमत हो गए हैं कि सीमा प्रश्न एक जटिल मुद्दा है, जिसके लिए धैर्य की जरूरत है और बातचीत व शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की मांग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव पर राजनाथ सिंह ने लोकसभा में विस्तृत बयान दिया।
दरअसल, विपक्ष चीन के साथ चल रहे तनाव पर लगातार सरकार से बयान की मांग कर रहा था। इसके बाद राजनाथ ने मंगलवार को जवाब देते हुए कहा कि सीमा पर भारतीय जवान पूरी सर्तकता के साथ तैयार हैं। राजनाथ ने चीन को बातचीत का प्रस्ताव देते हुए कहा कि अगर ड्रैगन सीमा पर कोई हरकत करेगा तो हमारे जवान उसे माकूल जवाब भी देंगे।
राजनाथ ने कहा कि सेना के लिए विशेष अस्त्र-शस्त्र और गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उनके रहने के तमाम बेहतर सुविधाएं दी गई हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं। यह समय है कि यह सदन अपने जवानों को वीरता का एहसास दिलाते हुए उन्हें संदेश भेजे कि पूरा सदन उनके साथ खड़ा है।
राजनाथ ने तनाव खत्म करने के लिए समाधान निकाले जाने पर भी जोर दिया। राजनाथ ने कहा, "हम सीमाई इलाकों में मुद्दों का हल शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हमने चीनी रक्षा मंत्री से रूस में मुलाकात की। हमने कहा कि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहते हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 10 सितंबर को एस. जयशंकर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि अगर चीन पूरी तरह से समझौते को माने तो विवादित इलाके से सेना को हटाया जा सकता है।"
रक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतीपूर्ण दौर में सैन्य बल और आईटीबीपी की तुरंत तैनाती की गई है। सरकार ने सीमा के विकास को प्राथमिकता दी है। हमारी सरकार ने सीमा के विकास के लिए काफी बजट बढ़ाया है। सीमाई इलाके में काफी रोड और ब्रिज बने हैं और सैन्य बलों को बेहतर समर्थन भी मिला है।
राजनाथ ने सदन को बताया कि "अभी की स्थिति के अनुसार, चीन ने एलएसी के अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक और गोला बारूद जमा कर रखे हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने पूरी काउंटर तैनाती कर रखी है। सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करेगी।"
उन्होंने कहा, "पूर्वी लद्दाख और गोगरा, कोंगका ला और पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर तनाव वाले कई इलाके हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त काउंटर तैनाती की है, ताकि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह सुरक्षित रहें। अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें संवेदनशील ऑपरेशन मुद्दे शामिल हैं। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहूंगा।"
रक्षा मंत्री ने कहा, "अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके हथियारों में इजाफा देखा गया। मई महीने के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारे सैनिकों के परंपरागत पैट्रोलिंग पैटर्न में रुकावट डाली, जिससे आमने-सामने की स्थिति पैदा हुई। हमने चीन को राजनयिक तथा मिल्रिटी चैनल्स के माध्यम से यह अवगत करा दिया कि इस प्रकार की गतिविधियां यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि यह प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।"
रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी तक भारत और चीन के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में आमतौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा का परिसीमन नहीं हुआ है और पूरी एलएसी की कोई आम धारणा नहीं है। इसलिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों ने कई समझौतों और प्रोटोकॉल का सहारा लिया है।
उन्होंने कहा कि इन समझौतों के तहत दोनों पक्ष एलएसी के पास वाले क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि 1993 और 1996 दोनों समझौतों का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ क्षेत्रों में अपने सैन्य बलों को न्यूनतम स्तर पर रखेंगे।
कोलकाता, 15 सितंबर (आईएएनएस)| तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती पर कथित रूप से अभद्र टिप्पणी और आपत्तिजनक इशारे करने पर एक टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया है। अभिनेत्री से राजनेता बनीं मिमी चक्रवर्ती अपनी कार में सोमवार की रात घर वापस आ रही थीं, जब यह घटना गरियाहाट-बल्लीगंज फेरी इलाके के पास हुई। अभिनेत्री मिमी जिम से अपने दक्षिणी कोलकाता स्थित निवास की ओर जा रही थीं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक टैक्सी ने जादवपुर के सांसद की कार को ओवरटेक किया और अभिनेत्री पर कुछ भद्दी टिप्पणियां कीं। उसने तुरंत कैबी को बीच रास्ते में रोक दिया और पुलिस को सूचित किया।
मिमी चक्रवर्ती ने ड्राइवर के खिलाफ गरियाहाट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। ड्राइवर की पहचान लक्षमण यादव के रूप में की गई है, जिसको गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुंबई, 15 सितंबर (आईएएनएस)| एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मुंबई पुलिस ने मंगलवार को छह शिव सैनिकों को फिर से गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने कथित रूप से एक सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा पर हमला किया था। नौसेना अधिकारी पर हमले के बाद लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला था।
आरोपियों को बोरीवली की एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
गिरफ्तार किए गए लोगों में शाखा प्रधान कमलेश कदम और संजय मंजरे शामिल हैं। इसके अलावा कार्यकर्ता प्रताप वेरा, सुनील देसाई, राकेश मुलिक और राकेश बेलनेकर को गिरफ्तार किया गया है।
समता नगर पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी इनके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में मारपीट, चोट पहुंचाने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 452 के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद हुई है।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शिवसैनिकों द्वारा पूर्व नौसेना अधिकारी की पिटाई किए जाने की घटना की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कड़ी निंदा की थी। सिंह ने कहा कि देश के पूर्व सैनिक पर इस तरह का हमला बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कामना करता हूं कि पूर्व सैन्य अधिकारी जल्द ठीक हो जाएं।
इस घटनाक्रम के बाद से सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है।
राजनाथ ने शुक्रवार के हमले के मद्देनजर 65 वर्षीय सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा को फोन किया। इस मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों को शनिवार को जमानत दे दी गई थी।
सिंह ने ट्वीट किया, "पूर्व सैनिकों पर इस तरह का हमला पूरी तरह से अस्वीकार्य और अपमानजनक है।"
शर्मा की शिकायत के बाद, समता नगर पुलिस ने शुक्रवार देर शाम चार आरोपियों - शिवसेना प्रमुख प्रधान कमलेश कदम और उनके साथी संजय मंजरे, राकेश बेलवेकर और प्रताप को गिरफ्तार किया था।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (उत्तर) दिलीप सावंत ने कहा कि उनके खिलाफ गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने और हिंसा सहित कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कार्टून सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड करने को लेकर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी के साथ लोखंडवाला परिसर में उनके निवास के बाहर मारपीट की गई थी।
दरअसल इस कार्टून में शिवसेना की हिंदुत्व की छवि को लेकर उद्धव ठाकरे पर तंज कसा गया है। कार्टून में भगवा रंग के कपड़े में उद्धव ठाकरे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार सफेद रंग का कपड़ा पहनाते दिखाई दे रहे हैं। इसी कार्टून को लेकर सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा के साथ शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मारपीट की।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक अतुल भातलकर द्वारा पोस्ट किए गए एक सीसीटीवी क्लिप में हमलावरों को शर्मा का पीछा करते हुए देखा जा सकता है। जब आरोपी उनके कॉलर को खींच रहे थे, तो सोसायटी के सुरक्षा कर्मियों ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
शर्मा को इस हमले में गंभीर चोट तो नहीं आई, मगर उनकी आंख के पास चोट आई है, जो कि सूज गई है। बाद में उन्होंने एक पुलिस शिकायत दर्ज की। कई भाजपा नेताओं ने महा विकास अघाड़ी सरकार पर निशाना साधा।
सैनिक महासंघ के अध्यक्ष ब्रिगेडियर सुधीर सावंत (रिटार्यड) ने इस घटना को निंदनीय करार दिया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, "बेहद दुखद और चौकाने वाली घटना। रिटायर्ड नौसेना अधिकारी को गुंडों ने इसलिए मारा कि उन्होंने केवल एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड किया था। इसे रोकिए आदरणीय उद्धव ठाकरे जी। हम इन गुंडों पर कठोर कार्रवाई और सजा की मांग करते हैं।"
कानपुर, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| गैंग्सटर विकास दुबे मर चुका है, लेकिन उसका नाम आज भी आतंक पैदा करता है। उत्तरप्रदेश में कई छोटे-मोटे अपराधी, यहां तक की अपराध जगत में कदम रखने वाले नए लोग अब 'कानपुरवाला' के कद को भुना रहे हैं। कानपुर में चौबेपुर और बिल्हौर पुलिस स्टेशन में पुलिस को दुबे के गुर्गो द्वारा उगाही और भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर फोन आ रहे हैं।
बिकरू गांव के एक निवासी ने पुलिस को पत्र लिखकर दुबे के सहयोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है, जिसने गांव में जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है।
शिकायकर्ता ने कहा, "वह गांववालों को डरा रहा है और जमीन पर कब्जा कर रहा है।"
शिकायतकर्ता ने कथित बदमाश के पते के बारे में भी जानकारी दी थी। पुलिस बदमाश का पता लगाने गांव गई, जहां पता चला कि यह फर्जी टेलीफोन नंबर के साथ गलत एड्रेस है।
बाद में जांच में पता चला कि यह शिकायत व्यक्तिगत विवाद निपटाने लिए की गई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "बिल्हौर में आईजी रेंज, डीआईजी और सर्किल ऑफिसर के कार्यालय में ऐसी 100 से ज्यादा शिकायत दर्ज की गई हैं। इनमें से आधे फर्जी निकले। लोग निजी दुश्मनी के मामलों में विकास दुबे के नाम का प्रयोग कर रहे हैं।"
विकास दुबे कथित रूप से अपने पीछे 60 करोड़ की संपत्ति छोड़ गया है और स्थानीय बदमाश कानपुर में अपना वर्चस्व जमाने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हाल ही में, नागालैंड में पोस्टेड सेना के एक जवान को खुद को विकास दुबे का सहयोगी बताने वाले एक व्यक्ति ने धमकाने के लिए फोन किया और जवान को उसकी अलग रह रही पत्नी को घर वापस ले जाने या फिर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी।
इससे पहले, एक कंम्युटर इंस्टिट्यूट के मालिक को उगाही के लिए 'कानपुरवाला' के नाम पर फोन आया।
पुलिस अब शिकायतों की एक सूची बना रही है और इनके बैकग्राउंड को खंगाला जाएगा।
आईजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने कहा, "इस पहल से पुलिस स्टेशनों में अनावश्यक केसों से निपटने में मदद मिलेगी और इससे समय और ऊर्जा दोनों की बचत होगी।"
उन्होंने कहा, "उगाही के लिए फोन करने वालों के खिलाफ हमने पहले से ही कार्रवाई शुरू कर दी है और एक आरोपी को हाल ही में बार्रा दक्षिण से गिरफ्तार किया गया है। उसने स्वीकार किया कि उसके पास पैसे खत्म हो गए थे और उसने उस संस्थान से पैसे ऐंठने का निर्णय किया, जहां से उसने डिप्लोमा कोर्स किया था।"
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि कोरोनावायरस से लड़ाई अभी काफी आगे जाएगी, क्योंकि देश में इस समय कोरोना मामलों की संख्या लगभग 50 लाख के आस-पास पहुंच गई है। हर्षवर्धन ने राज्यसभा में कहा, "मैं सभी संसद सदस्यों को बताना चाहता हूं कि कोरोनोवायरस से लड़ाई को खत्म होने में अभी वक्त लगेगा। हम भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अनलॉक चरण में हैं, जहां हम संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखना चाहते हैं। हमें कोरोनावायरस की चेन को तोड़ने के लिए सामुदायिक समर्थन की जरूरत है।"
देश में मंगलवार को पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में 83,000 नए लोगों को पॉजिटिव पाया गया है, जिससे यहां मामलों की संख्या बढ़कर 49,30,237 हो गई है, वहीं देश में सक्रिय मामलों की संख्या 9,90,061 पहुंच गई है।
मंत्री ने कहा, " देश में कोरोनावायरस से मृत्युदर 1.67 प्रतिशत है, वहीं इस वायरस से मुक्त होने की दर 77.65 प्रतिशत है।
कोरोनावायरस से सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, असम, केरल और गुजरात राज्य में हुई हैं।
उन्होंने आगे कहा, "सभी पॉजिटिव मामलों के व्यापक संपर्क का पता लगाया जा रहा है, ताकि हम कोरोनावायरस प्रसार के चेन को तोड़ सकें।"
अमरावती, 15 सितंबर (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने मंगलवार को राज्य के पूर्व महाधिवक्ता डी. श्रीनिवास के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया। श्रीनिवास पर पैसे के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप है। एसीबी के एक अधिकारी ने कहा, "आंध्र प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता दम्मलापति श्रीनिवास के खिलाफ पैसे की खातिर पद के दुरुपयोग का मामला है।"
गुंटूर के एसीबी ने श्रीनिवास के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और आईपीसी की धारा 420, 409 और 120बी के तहत केस दर्ज किया है।
एसीबी के मुताबिक, श्रीनिवास ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने ससुर, बहनोई और अन्य लोगों के लिए जून 2014 से लेकर दिसंबर 2014 तक जमीन ली थी। "बाद में वर्ष 2015 और 2016 में इनमें से कुछ संपत्तियों की खरीदकर अपने और अपनी पत्नी के नाम कर लाभ प्राप्त किए।"
एसीबी ने इन सारी संपत्तियों की पहचान कर ली है जो कि कैपिटल रीजन डेवलपमेंट क्षेत्र में आती हैं।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| वित्त संबंधी स्थायी समिति (2019-20) ने केंद्र से सिफारिश की है कि स्टार्टअप में निवेश के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) पर लगने वाले टैक्स को वापस ले लिया जाए, जो कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट व्हीकल्स (सीआईवी) जैसे कि एंजेल फंड, वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) और इन्वेस्टमेंट एलएलपी के माध्यम से लागू होते हैं। समिति ने 'फाइनेंसिंग द स्टार्टअप इकोसिस्टम' पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि महामारी के बीच निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कर को कम से कम अगले दो वर्षो के लिए हटा दिया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गयहा है, "समिति दृढ़ता से अनुशंसा करना चाहेगी कि स्टार्टअप कंपनियों (डीपीआईआईटी द्वारा निर्दिष्ट) में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर कर को समाप्त कर दिया जाए, जो कि कलेक्टिव इनवेस्टमेंट व्हीकल्स (सीआईवी) के माध्यम से किए जाते हैं जैसे कि एंजेल फंड, एआईएफ और इनवेस्टमेंट एलएलपी।"
इसने सुझाव दिया कि इस दो वर्ष की अवधि के बाद, प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट व्हीकल्स (सीआईवी) पर लागू किया जा सकता है, ताकि राजस्व तटस्थता बनी रहे।
स्थायी समिति ने कहा कि सीआईवी की ओर से निवेश पारदर्शी तरीके से किया जाता है और इसे उचित बाजार मूल्य पर ही किया जाना चाहिए। समिति ने कहा कि इन निवेशों से जुड़े एसटीटी की गणना करना आसान है।
पैनल के अनुसार, इस तरह के कदम से विदेशी प्रतिभूतियों की तुलना में घरेलू निवेश के लिए बेहतर माहौल बनेगा।
समिति ने सिफारिश की कि गैर-सूचीबद्ध ऋण और इक्विटी प्रतिभूतियों में घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, एक बार महामारी की रियायतें हटा दिए जाने के बाद, सीआईवी कैपिटल गेन्स पर टैक्स हमेशा सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के बराबर दर से लिया जाना चाहिए।
-विवेक त्रिपाठी
वाराणसी, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के श्वेतांक को सीप की मोती ने नई पहचान दिलाई है। छोटे से गांव नारायणपुर के एक पोखर में सीपियों को डालकर मोती निकालने की कला के माहिर श्वेतांक के हौसले की तारीफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है।
प्रधानमंत्री ने इस युवा प्रयास की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जिसके बाद मोती की खेती करने वाले के यहां आज(मंगलवार को) योगी सरकार के मंत्री अनिल राजभर भी पहुंचे और उनका का हौसला भी बढ़ाया।
वाराणसी से करीब 25 किमी दूर नारायणपुर गांव के श्वेतांक पाठक ने एमए, बीएड डिग्री हासिल की है। श्वेतांक ने इन्टरनेट के जरिए खेतियों की नई-नई तकनीक के बारे में जाना। ऐसे में उन्हें मोती की खेती के बारे में पता चला और वह इसी काम में जुट गए।
श्वेतांक ने आईएएनएस से बातचीत में बताया, "मैं सीप और मोती की खेती करीब डेढ़ साल से कर रहा हूं। यूट्यूब के सहारे मैंने इसकी शुरूआत की। पहले बहुत नुकसान भी हुआ। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। लगातार लगा रहा। एक दिन अचानक प्रधानमंत्री मोदी ने भी मेरी सोशल मीडिया के माध्यम से तारीफ की। इसके बाद मेरी काम करने की रफ्तार बढ़ गयी है।"
उन्होंने बताया, "मोतियां तीन तरह की होती है। डिजानइर मोती जिसे तैयार होने में 13 माह का समय लगता है। हॉफ क्राउन मोती को बनने में 18-20 माह लगते है। यह अंगूठी में इस्तेमाल होती है। गोल मोती को बनने में करीब ढाई से तीन साल का समय लगता है। यह कच्चे गड्ढे में तैयार होती है। इसके लिए ऑक्सीजन पम्प और तिरपाल की जरूरत होती है। अभी मैंने 2000 सीप से इसकी शुरुआत की है। जिसमें 60 हजार का खर्च आया है।
श्वेतांक ने कहा, "सीपों का भोजन काई होता है। इसे पेस्ट में मिलाकर तलाब में डालते है। इनको नदियों-तलाबों से लाने के बाद कम से कम 10 से 12 दिन तक एक तलाब में रखते है। इसके बाद इनमें डिजाइनर न्यूक्लिीयस डालते हैं। फिर 3 दिनों के लिए एंटीबायोटिक में रखते है। जिससे यह अपना अकार ढंग से ले लें। फिर एक जाली के बैग में 10-12 सीपों को पानी में डालते है। पानी का पीएच नियमित देखते हैं।"
उन्होंने कहा, "बीच-बीच में इनकी मौतें भी होती है। इसलिए इसकी जांच करनी पड़ती है। इसमें जितना काम करेंगे उतना मुनाफा होगा। इसमें मृत्युदर रोकने के लिए देखभाल करनी पड़ती है। बहुत ज्यादा धूप से इन्हें बचाना होता है। पानी भी बदलना पड़ता है।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी को हमारी खेती का मीडिया के माध्यम से पता चला तो उन्होंने हम लोगों को सराहा है। इसके बाद हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। इसे देखने के लिए काफी लोग आने लगे है। आज योगी सरकार के पिछड़ा दिव्यांग कल्याण मंत्री अनिल राजभर भी आए थे। हमारी जिम्मेदारी बढ़ गयी है। उदय देव समिति कृषि उद्यम संस्था ने मेरा बहुत ज्यादा हौसला बढ़ाया है। हर प्रकार से मुझे यहां से सहायता मिली है। मेरे हर मुकाम तक पहुंचने में इनका बहुत बड़ा योगदान है।"
उन्होंने बताया, "मेरा ट्रेनिंग के लिए सेन्ट्रल इंस्ट्टियूट आफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर (सिफा) में चयन भी हो गया है। ट्रेनिंग 17 से 19 नवंबर तक चलेगा।"
पटना, 15 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार में लगातार कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है। लिहाजा सरकार मास्क नहीं लगाने वालों को कोई भी रियायत देने के मूड में नहीं हैं। मास्क नहीं लगाने वालों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है और उन पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है। इस महीने अब तक 76 हजार लोगों से जुर्माना वसूला गया। बिहार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने मंगलवार को बताया कि सरकार ने एक सितंबर से लागू अनलॉक-4 के तहत जारी गाइडलाइन्स का अनुपालन कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सोमवार को 386 वाहन जब्त किए गए हैं और 12 लाख 81 हजार 700 रुपये की राशि जुर्माने के रुप में वसूल की गई। उन्होंने कहा कि एक सितंबर से सोमवार तक कुल 6,630 वाहन जब्त किए गए हैं और करीब 2 करोड़ 16 लाख 68 हजार 300 रुपए की राशि जुर्माने के रूप में वसूल की गई है।
उन्होंने बताया, "सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनने वालों पर भी लगातार कार्रवाई की जा रही है। सोमवार को मास्क नहीं पहनने वाले 4,526 व्यक्तियों से 2 लाख 26 हजार 350 रूपये की राशि जुर्माने के रूप में वसूल की गई है। इस प्रकार एक सितंबर से अब तक मास्क नहीं पहनने वाले 76,907 व्यक्तियों से 38 लाख 45 हजार 350 रूपये की जुर्माना राशि वसूल की गई है।"
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिये उठाये जा रहे कदमों और नए दिशा-निर्देशों का पालन करने में अवरोध पैदा करने वालों के खिलाफ सख्ती से कदम उठाये जा रहे हैं।
भोपाल, 15 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, विधायक भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। वर्तमान में राज्य में 40 विधायक कोरोना से संक्रमित हैं, जिनमें से एक का निधन भी हो गया है। इसके चलते विधानसभा का आगामी सत्र अब सिर्फ एक दिन का हेागा। यह फैसला सर्वदलीय समिति की बैठक में लिया गया। विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने मंगलवार को बताया कि विधानसभा के 40 से अधिक सदस्य कोरोना से संक्रमित हैं, वहीं एक विधायक गोवर्धन सिंह दांगी का दिल्ली में उपचार के दौरान निधन हो गया। सर्वदलीय समिति की बैठक में आगामी सत्र को लेकर चर्चा हुई। तय हुआ है कि सदन तो आहूत करेंगे, लेकिन वह सीमित दायरे में होगा। जो सदस्य जुड़ना चाहेंगे, उन्हें वर्चुअल तरीके से जोड़ा जाएगा। प्रश्नकाल नहीं होगा, मगर सदन के पटल पर जो बात आ जाएगी, उसके जवाब दिए जाएंगे।
इस सर्वदलीय समिति की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ के अलावा अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। आगामी सत्र तीन दिन का था मगर अब एक दिवसीय होगा। सदन में सीमित संख्या में ही सदस्य हिस्सा ले सकेंगे। प्रश्नकाल व ध्यानाकर्षण नहीं होगा। बजट को पारित किया जाएगा। 21 सितंबर को एक दिन का सत्र अब होगा।
चंडीगढ़, 15 सितंबर (आईएएनएस)| पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर राज्य में एक बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने से रोका है। पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जो कि 5 अपराधियों के साथ मिलकर यह काम कर रहे थे, जिसमें अमृतसर जेल में बंद एक खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) का संचालक भी शामिल है। पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने कहा कि हमें इनपुट मिला था कि कुछ पाकिस्तान समर्थित प्रो-खालिस्तान तत्व राज्य में आतंकवादी हमले कर यहां की शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की योजना बना रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि इनपुट्स के बाद, पंजाब पुलिस ने देश के विभिन्न हिस्सों से राज्य में प्रवेश करने वाले सभी लोगों की सख्ती से चेकिंग करने का अभियान शुरू किया था। इससे तरनतारन जिले के मियांपुर गांव के दो निवासी हरजीत सिंह और शमशेर सिंह की गिरफ्तारी हुई।
दोनों के पास से 6 अत्याधुनिक हथियार (एक 9 एमएम पिस्टल, चार .32 कैलिबर पिस्टल और एक .32 रिवाल्वर), गोला-बारूद के 8 राउंड, कई मोबाइल फोन और एक इंटरनेट डोंगल जब्त किया गया। पुलिस पार्टी ने एएसआई गुरदर्शन सिंह, हेड कांस्टेबल जोरा सिंह और होमगार्ड प्रितपाल सिंह के साथ राजपुरा-सरहिंद रोड पर होटल जशन के पास चेकपोस्ट पर उन्हें पकड़ा था। वे दोनों हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के मामले में पहले ही वान्टेड हैं।
प्रारंभिक जांच के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से 4 हथियार और 2 हथियार हरियाणा के सफीदों जींद जिले से मिले थे।
उन्होंने बताया कि 2 लोग पंजाब में एक बड़े आतंकवादी हमले की योजना बना रहे थे। जिसमें पांच अपराधी शुभदीप सिंह, अमृतपाल सिंह बाथ, रणदीप सिंह, हरियाणा के करनाल के गोल्डी और आशु शामिल हैं। ये सभी ड्रग्स, हत्या, अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर मामलों में दोषी हैं।
शुभदीप सिंह के बारे में विवरण साझा करते हुए डीजीपी ने कहा कि वह खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) का सक्रिय आतंकवादी था। उसे पंजाब पुलिस ने सितंबर 2019 में अमृतसर जिले से चीन निर्मित ड्रोन के साथ गिरफ्तार किया था।
पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 8 अन्य लोगों के साथ उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत-चीन सीमा विवाद पर मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा अभी तक अनसुलझा है और ये एक जटिल समस्या है। दोनों देशों का नजरिया सीमा को लेकर अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लद्दाख के पूर्वी सीमा पर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश में 90,000 वर्ग किलोमीटर पर भी अपना दावा ठोंक रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अप्रैल महीने से ही चीन ने सीमा पर गतिविध बढ़ा दी। लेकिन भारत चीन की एकतरफा गतिविधि के खिलाफ है। 1993, 1996 में हुए समझौतों के मुताबिक, दोनों देश सीमा पर कम से कम सैन्य गतिविधि करेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी सेना ने शौर्य का प्रदर्शन किया और चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की। राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने चीनी विदेशी मंत्री से मास्को में हाल ही में मुलाकात की और उनको बताया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के लिए कटिबद्ध है।
जून में हुए भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे 20 सैनिक मारे गए। लेकिन हमारे सैनिकों ने भी चीन को करारा जवाब दिया।
गुरुग्राम, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| हरियाणा पुलिस के एक हेड कांस्टेबल की 36 साल की पत्नी ने सोमवार रात कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। मृतका का नाम चंचल बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि चंचल ने पुलिस लाइंस की आवासीय कालोनी की इमारत की सातवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी।
पुलिस ने मंगलवार को बताया कि चंचल हिसार के हांसी की निवासी थीं।
पुलिस के मुताबिक हेड कांस्टेबल राजेश सैनी पुलिस लाइंस के टावर-सी में रहते थे। शुरुआती जांच से पता चला है कि चंचल की आत्महत्या की वजह पारिवारिक कलह है।
चंचल का शव सुरक्षित रखा गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय अल्पसंख्क मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में राज्यसभा को बताया कि 2014-15 से अब तक, अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई है। इसमें से 54 प्रतिशत छात्रवृत्ति छात्राओं को दी गई है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, पारसी और सिखों जैसे छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है।
2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को आवंटित कुल फंड 21,160.84 करोड़ रुपये था और वास्तविक व्यय 19,201.45 करोड़ रुपये था, जो आवंटित निधि का लगभग 90.75 प्रतिशत है।
2014-15 से अब तक, कुल 4,00,06,080 छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो से संबंधित विद्यार्थियों को दी गई है, कुल खर्च 11,690.81 करोड़ रुपये का है।
साल 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान मंत्रालय की विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत 3,06,19,546 लाभार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए 9,223.68 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है, जिसमें से लगभग 54 प्रतिशत छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक छात्राओं को दी गई है।
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 15 सितंबर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि जहां कुछ देश आतंकवाद का प्रसार करने और आक्रामक नीतियों को अपनाने के लिए वैश्विक महामारी कोविड-19 का लाभ उठा रहे हैं, वहीं नई दिल्ली द्वारा जरूरतमंद देशों को चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। वहां स्वास्थ्य क्षमता को मजबूत करने और कोरोना से पैदा हुई भयंकर स्थिति को संभालने करने का प्रयास किया जा रहा है।
भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष ने कोरोनावायरस महामारी के बीच नौ विकासशील देशों को आर्थिक रूप से मदद का हाथ बढ़ाया है, ताकि ये भी चिकित्सा से जुड़ी आवश्यक सामग्रियों व सुरक्षात्मक उपकरण की खरीदारी कर सकें और साथ ही साथ अपने यहां हुए सामाजिक व आर्थिक नुकसान का भी सामना कर सकें। इस साझेदारी कोष की तीसरी वर्षगांठ सोमवार को ही मनाई गई है।
वर्चुअल तरीके से इसका जश्न मनाए जाने के दौरान तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत ने अन्य देशों को सहायता मुहैया कराने और उनके मांग की आपूर्ति से संबंधित परियोजनाओं को प्राथमिकता दी और ऐसा करते हुए उसने विकासशील देशों के सामने कोई भी शर्त नहीं रखी और न ही उन्हें कर्ज में डुबोया।
उन्होंने आगे कहा कि अन्य देशों के विकास में मदद का हाथ बढ़ाने की भारत की यह सोच स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण से प्रेरित है।
कोविड-19 के मद्देनजर सहायता प्राप्त करने वाले देशों में एंटीगुआ और बार्बूडा, गुयाना, किरिबाती, नाउरू, पलाऊ, सेंट लूसिया, सोलोमन द्वीप, टोंगा और तुवालु शामिल हैं।
पटना, 15 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल कोई भी मुद्दा हाथ से जाने नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा अस्पताल से लिखे पत्र पर भी राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। इस पत्र को लेकर मंगलवार को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने पटना की सड़कों के किनारे कई पोस्टर लगाए हैं, जिसमें राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर कई आरोप लगाए गए हैं।
'हम' के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में राजग में शामिल दलों के नेताओं की तस्वीर भी लगाई गई है। पोस्टर में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान तथा 'हम' के प्रमुख जीतन राम मांझी की तस्वीर है।
पोस्टर में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को 'होटवार जेल सुप्रीमो' बताते हुए पूछा गया है, 'अपने बेटों को स्थापित करने के लिए वह कितनों की बलि लेंगे'।
उल्लेखनीय है कि राजद के नेताओं ने रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा दिल्ली एम्स से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र पर सवाल उठाए थे। इसके बाद राजग के घटक दल इस मुद्दे को लेकर मुखर हो गए हैं।
रघुवंश प्रसाद सिंह का रविवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया था। इससे पहले उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा था जिसमें वैशाली गढ़ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी को तिरंगा फ हराने की मांग सहित कई अन्य मांगें रखी थी।