राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 24 अगस्त। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकर कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज़्यादा विश्वास रखते हैं।
सोमवार को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने लिखा कि आज के परेशानी भरे दौर में, भारत के लोगों को अगर किसी से उम्मीद बंधती है तो वो सर्वोच्च न्यायालय है ताकि देश में क़ानून व्यवस्था और संविधान को स्थापित रखा जा सके, नाकि किसी निरंकुश व्यवस्था को।
अपने जवाब में उन्होंने लिखा, यही वजह है कि जब चीज़ें भटकती हुई दिखें, तो हम बोलें। इस अदालत से मिला जि़म्मेदारी का एहसास ही हमें यह विशेष कर्तव्य देता है।
उन्होंने लिखा, मेरे बयान सद्भावनापूर्ण थे, मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी न्यायाधीश को निशाना बनाने के लिए टिप्पणी नहीं की थी। वह मेरी सकारात्मक आलोचना थी।
भारत के नामी वकीलों में से एक प्रशांत भूषण को सर्वोच्च न्यायालय ने कोर्ट की अवमानना का दोषी मानते हुए सोमवार, 24 अगस्त तक अपनी बगावती बयानबाज़ी पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफ़ी माँगने का समय दिया था।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आदेश दिया था कि वे बिना शर्त माफी माँगें। वरना भूषण को छह महीने की जेल या दो हज़ार रुपये का जुर्माना या फिर सज़ा के तौर पर ये दोनों भी झेलने पड़ सकते हैं।
हालांकि, सुनवाई के दौरान ही प्रशांत भूषण ने यह स्पष्ट किया था कि वे माफ़ी बिल्कुल नहीं मांगेंगे बल्कि कोर्ट जो सज़ा देगा, वे उसे भुगतने के लिए तैयार हैं।
प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
63 वर्षीय प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भूषण के ट्वीट्स से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है।
भूषण ने दो जून 2020 को अपने ट्वीट्स में मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी। साथ ही उन्होंने कुछ अन्य न्यायाधीशों की आलोचना की थी।
भूषण ने कोर्ट में भी कहा था कि उन्होंने अपने ट्वीट में जो कुछ लिखा उसे वो हकीकत मानते हैं और उसमें उनका विश्वास है जिसे ज़ाहिर करने का अधिकार उन्हें देश के संविधान और लोकतंत्र से मिलता है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भूषण अगर सोमवार को माफी माँग लेते हैं, तो कोर्ट इस मामले में मंगलवार को फिर सुनवाई करेगा।
पर यह अभी स्पष्ट नहीं कि प्रशांत भूषण के माफ़ी ना माँगने पर कोर्ट आगे किस तरह कार्यवाही करने वाला है।
बहरहाल, केस का नतीजा जो भी हो, प्रशांत भूषण के मामले से भारत में सर्वोच्च न्यायालय को भी परखा जा रहा है कि आखिर भारत के शीर्ष न्यायाधीश आलोचनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कितने सहनशील हैं?
हालांकि, भूषण के केस पर अब तक राय बँटी हुई रही है। कई बड़े वकील, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस और संपादकीय लिखने वाले नामी पत्रकार यह मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जरूरत से ज़्यादा कठोर रहा है।
2400 से ज़्यादा भारतीय वकीलों ने प्रशांत भूषण के पक्ष में ऑनलाइन याचिका लिखी है जिसमें कहा गया है कि वकीलों के मुँह पर ताला डालने का मतलब है कोर्ट की स्वतंत्रता और शक्ति को कम कर देना।
एक वर्ग प्रशांत भूषण के खिलाफ भी है जिसकी राय है कि कोई भी वकील कानून से ऊपर नहीं है और भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सही कार्रवाई की है। (bbc.com/hindi)
लखनऊ, 24 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हसनगंज इलाके के डालीगंज स्थित कबीर मठ के प्रशासनिक अधिकारी धीरेंद्र दास को बदमाशों ने आज गोली मार दी।
पुलिस ने यहां कहा कि बदमाश बारात घर बुकिंग कराने के बहाने आए थे। घायल धीरेंद्र दास को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर राजेश श्रीवास्तव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे । धीरेंद्र दास पर 2015 में भी जानलेवा हमला हुआ था । उस समय भी बदमाश बारात घर की बुकिंग के लिए आए थे। श्री राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि कबीर मठ की संपत्तियों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
संपत्ति विवाद को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है। मठ के पास सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। जिसकी फुटेज के आधार पर हमलावरों की तलाश की जा रही है। हमलावर गोली मारने के बाद फरार हो गये ।
लखनऊ 24 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर भारतीय पुलिस सेवा के दो अधिकारी पुलिस उपमहानिरीक्षक रूल्स एवं मैनुअल्स दिनेश चन्द्र दुबे तथा उपमहानिरीक्षक पीएसी आगरा अरविन्द सेन को निलम्बित कर दिया गया है।
गृह विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिनेश चन्द्र दुबे के सम्बन्ध में यूपीसिडको नोडल एजेन्सी के तहत कस्तूरबा हॉस्टल, शिवगढ़, बछरावां, रायबरेली एवं सादाबाद में बनवाने का ठेका तथा बरेली एवं कौशाम्बी में बस अड्डा एवं लखनऊ में दिव्यांगो की बिल्ंिडग बनवाने के ठेके दिलाने एवं उससे होने वाले लाभ सम्बन्धी शिकायत प्राप्त हुई थी।
सूत्रों के अनुसार अरविन्द सेन के सम्बन्ध में पशुपालन विभाग में कूट रचित कर ठगी किये जाने की शिकायत मिली थी।
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 61408 नए केस सामने आए हैं. वहीं 836 लोगों की मौत भी हुई है. इसी के साथ में देश में कोरोना के केस 31,06,349 हो गए हैं, जिसमें 23,38,036 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं.
भारत में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 3 मिलियन यानी तीस लाख से ज्यादा हो गई है. अब हमसे ज्यादा मामले सिर्फ ब्राजील और अमेरिका में हैं. हालांकि जिस हिसाब से अभी देश में कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं, उससे आशंका है कि हम जल्द ही नंबर दो पर पहुंच जाएंगे. हाल के महीनों में जिस तरह से देश में कोरोना के मामले बढ़े हैं उसे आप ‘कोरोना विस्फोट’ कह सकते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, मृत्यु दर 1.86 फीसदी तक आ गई है, जबकि रिकवरी दर 74.90 तक पहुंच गया है. बीते 24 घंटे में देश में 57,989 मरीज ठीक हो चुके हैं और 912 मरीज वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं.
6,71,942 मामलों और 21,995 मौतों के साथ महाराष्ट्र अब भी महामारी से प्रभावित राज्यों की सूची में पहले नंबर पर है जिसके बाद तमिलनाड़ु दूसरे स्थान पर है, जहां 3,73,410 मामले और 6,420 मौतें दर्ज हुई हैं. इसके बाद सूची में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य हैं.(thequint)
कोरोना काल में बेरोजगारी
कोरोना महामारी (Corona Outbreak) में नौकरी ढूंढना कितना मुश्किल है और काम-धंधों का कैसा बुरा हाल (Unemployment in Corona) है इसको लेकर हैरान कर देनेवाले आंकड़े सामने आए हैं. केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को एक जॉब पोर्टल की शुरुआत की थी. इसपर 40 ही दिनों में 69 लाख लोगों ने नौकरी के लिए अप्लाइ किया लेकिन नौकरी पानेवालों की संख्या बहुत ही कम है.
एक हफ्ते में 7 लाख रजिस्ट्रेशन, नौकरी सिर्फ 691 को
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, 14 अगस्त से 21 अगस्त के बीच 7 लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्टर किया. वहीं इस हफ्ते में सिर्फ 691 को नौकरी मिली.
मोदी सरकार की तरफ से आत्मनिर्भर स्किल्ड इंप्लॉय इंप्लॉयर मैपिंग (ASEEM) पोर्टल लॉन्च किया गया था. इसपर काम ढूंढनेवाले और काम देनेवाले दोनों थे. खबर के मुताबिक, नौकरी ढूंढ रहे सिर्फ 2 प्रतिशत लोगों को काम मिल पाया. वहीं 69 लाख प्रवासी मजदूरों में से 1.49 लाख लोगों को काम की पेशकश हुई लेकिन कोरोना काल में सिर्फ 7,700 ही जॉइन कर पाए.
बताया गया है कि अब इतने महीने खाली रहने के बाद लोग फिर काम पर लौटना चाहते हैं, इस वजह से इस हफ्ते नौकरी खोजनेवाले बहुत तेजी से बढ़े हैं. सिर्फ एक हफ्ते में नौकरी की खोज वाले 80 फीसदी तक बढ़ गए. लेकिन नौकरी पाने वाले इस दौरान सिर्फ 9.87 फीसदी ही बढ़ पाए हैं जो चिंता की बात है.
डेटा के मुताबिक, इस पोर्टल पर 514 कंपनियां रजिस्टर हैं. इनमें से 443 ने 2.92 लाख जॉब्स पोस्ट कीं. इसमें से 1.49 लाख को नौकरी की पेशकेश की गई. इस जॉब पोर्टल पर 77 फीसदी नौकरियां 5 राज्यों के लिए हैं. इसमें कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं.(tv9bharat)
कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व गांधी परिवार का कोई सदस्य करे या फिर परिवार के बाहर का कोई नेता, सोमवार को होने वाली कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक से ठीक पहले सोशल मीडिया पर ये चर्चा तूल पकड़ रही है.
ऐसा दिख रहा है कि पार्टी एक बार फिर सोनिया गांधी या राहुल गांधी के नाम पर आकर ठहर सकती है.
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के कार्यकाल का एक साल पूरा हो चुका है और पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष की माँग तेज़ हो गई है.
ऐसे में हाल में पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के भीतर शीर्ष से लेकर नीचे तक बड़े बदलाव की बात कही थी.
इन हालातों के बीच सोमवार को होने वाली बैठक से पहले रविवार को मीडिया में ये ख़बरें आने लगीं कि सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा दे सकती हैं. हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने देर शाम इस ख़बर का खंडन करते हुए कहा कि सोनिया गांधी के इस्तीफ़े की ख़बर झूठी है.
रविवार को सोशल मीडिया पर कांग्रेस के जहां कई नेताओं ने सोनिया गांधी से गुहार लगाई कि वो पार्टी अध्यक्ष के पद पर बनी रहें, वहीं कइयों ने कहा कि इस पद के लिए अगर राहुल गांधी का नाम पेश किया जाए तो वो उनके नाम का भी समर्थन करते हैं.
सोनिया गांधी के नाम का समर्थन
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव कमलनाथ ने ट्वीट किया, "सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई भी सुझाव या आक्षेप बेतुका है. मैं श्रीमती सोनिया गांधी से अपील करता हूं कि वे अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी को मज़बूती प्रदान करें और कांग्रेस का नेतृत्व करती रहें."
राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने ट्वीट किया कि "अगर पार्टी के 23 नेताओं के कार्यकारी अध्यक्ष को पत्र लिखने वाली बात सही है तो ये अविश्वसनीय है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए मीडिया के पास जाने की कोई ज़रूरत नही थी."
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, "एक ऐसे वक्त जब हमारा गणतंत्र मुश्किल वक्त से गुज़र रहा है सोनिया गांधी को पार्टी की कमान संभाले रखनी चाहिए. लेकिन अगर वो किसी कारणवश पार्टी का नेतृत्व करना नहीं चाहतीं तो ऐसे में कमान राहुल गांधी को सौंपी जानी चाहिए."
पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद बी मणिकराम टैगोर ने पत्र लिखकर सोनिया गांधी से कहा है कि, "उनके नेतृत्व पर पार्टी को पूरा भरोसा है और उनके व राहुल गांधी ने हाथों में पार्टी सुरक्षित रहेगी."
वहीं कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा है "कर्नाटक कांग्रेस गांधी परिवार और सोनिया गांधी के नेतृत्व के साथ है."
उन्होंने कहा, "सोनिया गांधी ने मुश्किल दौर में पार्टी का नेतृत्व किया है और पार्टी को बचाया है."
गांधी परिवार पर भरोसा जताते नेता
वहीं, यूथ कांग्रेस, सचिन पायलट, असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोराट और पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी को नेतृत्व की कमान सौंपने का समर्थन किया है.
यूथ कांग्रेस ने मांग की है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष पद से सोनिया गांधी हटती हैं तो उस सूरत में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए.
कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट किया है, "श्रीमती गांधी और राहुल जी ने दिखाया है कि पार्टी और लोगों की भलाई के लिए बलिदान करने का क्या अर्थ होता है. यह समय आम सहमति और मज़बूती बनाने का है. हमारा भविष्य तभी मज़बूत होगा जब हम एकजुट रहेंगे. अधिकतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग है कि राहुल जी पार्टी का नेतृत्व करें."
असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने एक पत्र जारी कर लिखा, "पार्टी की कमान राहुल गांधी को सौंपी जाए जो न केवल पार्टी का नेतृत्व करें बल्कि बीजेपी और आरएसएस के ख़िलाफ़ भी आगे बढ़ कर लड़ाई करें."
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने लिखा, "अब वक्त आ गया है जब राहुल गांधी पार्टी की कमान अपने हाथों में लें. हम कहना चाहते हैं कि राहुल जी आप वापस आइए और पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कम करें. सोनिया जी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का मार्गदर्शन करें."
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जब तक सोनिया गांधी चाहें पार्टी की कमान संभालें, उनके बाद ये ज़िम्मेदारी राहुल गांधी को दी जाए जो इस ज़िम्मेदारी को निभाने में पूरी तरह सक्षम हैं.
पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष के पद पर रहें या ना रहें, पार्टी का पूरा समर्थन उन्हें है.
पिछले दो लोकसभा चुनावों में पार्टी की बड़ी हार हुई है और पहली बार 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उसे सौ से कम सीटें आईं.
2019 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके बाद सोनिया गांधी को एक साल के लिए पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था.
इस बीच, पार्टी में नए पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग होने लगी. लेकिन पार्टी को एक बार फिर गांधी परिवार से ही अध्यक्ष मिलेगा या फिर किसी और के नाम पर मुहर लगेगी ये सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होने वाली कार्यसमिति की बैठक के बाद ही पता चलेगा.(bbc)
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली में ताजिया रखने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है, पर 700 वर्ष में ऐसा पहली बार होगा कि मोहर्रम पर ताजिये तो रखे जाएंगे, लेकिन इनके साथ निकलने वाला जुलूस नहीं निकल सकेगा। यह बात हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कही।
निजामी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी 1947 में भी दरगाह से ताजियों के साथ निकालने वाले जुलूस पर पाबंदी नहीं लगी थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली और केंद्र सरकार से धार्मिक सामूहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है। इसलिए मोहर्रम पर ताजिये के साथ जुलूस निकलने की अनुमति भी नहीं मिली है।"
उन्होंने बताया, "700 वर्षो से अधिक समय से दरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित इमामबाड़ा में सबसे बड़ा फूलों का ताजिया रखा जाता है। यहां और चार ताजिये रखे जाते हैं। 10वीं मोहर्रम पर दरगाह से ताजियों के साथ छुरी और कमां का मातमी जुलूस निकलता है। नौजवान हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करके अपने बदन से लहू बहाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इन सब पर पाबंदी लगी है। इसलिए इस बार कर्बला में सिर्फ ताजिये का फूल भेजा जाएगा।"
दिल्ली के अलीगंज जोरबाग में शा-ए-मरदान दरगाह व अंजुमन कर्बला कमेटी के सदस्य गौहर असगर कासमी ने बताया, "हर साल मोहर्रम की पहली तारीख से ही मजलिसें शुरू हो जाती हैं। ज्यादा जगहों पर ताजिया भी रख दिए जाते हैं। दस तारीख को लगभग यहां 70 बड़ी ताजियों के साथ जुलूस पहुंचता है। यहां पर ताजियों को दफन किया जाता है। 12 तारीख को तीज पर मातम का जुलूस निकलता है। लेकिन इसबार प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है। सिर्फ इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजन हो रहा है। कोरोना वायरस के चलते हो रही मजलिस का सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजन में भाग लेने की अनुमति दी जा रही है।"
उन्होंने बताया, "जोरबाग की कर्बला सबसे पुरानी कर्बला है। यहां तैमूर लंग के शासनकाल से ताजिये रखने का सिलसिला चला आ रहा है। कर्बला में दिल्ली के आखिरी सुल्तान बहादुर शाह जफर की दादी कुदशिया बेगम की भी कब्र है।"
मोहर्रम पर प्रतिवर्ष हिंदू-मुस्लिम एकता भी देखने को मिलती है। हजारों की संख्या में लोग मोहर्रम के मातमी जुलूस में शामिल होने के लिए पहुंचते थे।
हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह से जुड़े मोहम्मद जुहैब निजामी ने बताया, "आसपास के कई हिंदू परिवार भी आस्था के कारण कई वर्षो से ताजिये रखते चले आ रहे हैं। वहीं महरौली का एक हिंदू परिवार तो कई दशकों से ऐसा कर रहा है।"
कोरोना वायरस ने ताजिये के कारोबार से जुड़े लोगो की जिंदगी पर भी असर डाला है। पूरी दिल्ली में हजारों की संख्या में तीजिये बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते लोग अकीदत के लिए ताजिये खरीद नहीं रहे हैं।
मोहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हुसैन की शहादत में गमजदा होकर उन्हें याद करते हैं। शोक के प्रतीक के रूप में इस दिन ताजिये के साथ जूलूस निकालने की परंपरा है। ताजिये का जुलूस इमाम बारगाह से निकलता है और कर्बला में जाकर खत्म होता है।
ताजिये का भारत में इतिहास के बारे में बताया गया है कि इसकी शुरुआत तैमूर लंग के दौर में हुई। ईरान, अफगानिस्तान, इराक और रूस को हराकर भारत पहुंचे तैमूर लंग ने यहां पर मुहम्मद बिन तुगलक को हराकर खुद को शहंशाह बनाया। साल में एक बार मुहर्रम मनाने वह इराक जरूर जाता था। लेकिन एक साल बीमार रहने पर वह मुहर्रम मनाने इराक नहीं जा पाया, दिल्ली में ही मनाया।
तैमूर के इराक नहीं जाने परे उसके दरबारियों ने अपने शहंशाह को खुश करने की योजना बनाई। दरबारियों ने देशभर के बेहतरीन शिल्पकारों को बुलवाया और उन्हें कर्बला में स्थित इमाम हुसैन की कब्र के जैसे ढांचे बनाने का आदेश दिया। बांस और कपड़े की मदद से फूलों से सजाकर कब्र जैसे ढांचे तैयार किए गए और इन्हें ताजिया नाम दिया गया और इन्हें तैमूर के सामने पेश किया गया।
उसके बाद शहंशाह तैमूर को खुश करने के लिए देशभर में ताजिये बनने लगे। ताजिये की यह परंपरा भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में भी चली आ रही है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में बगावत झेल चुकी 'दिशाविहीन' कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से नेतृत्व का मुद्दा चर्चाओं में है। पिछले चुनाव के बाद से पार्टी ऑटो पायलट मोड पर चल रही है। पार्टी के कई नेता ये सवाल पूछ रहे हैं कि पार्टी का बॉस कौन है - सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा? कोई स्पष्टता नहीं होने से कांग्रेस नेता अब खुल कर नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले साल नेतृत्व के मुद्दे पर टकराव के बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया ताकि पार्टी में यथास्थिति बनी रहे। उसके बाद से नए नेतृत्व का चुनाव अब तक नहीं हो पाया है। वहीं, सं भावित उम्मीदवार को लेकर अनौपचारिक रूप स पार्टी के अंदर बातचीत होती रही, लेकिन हुआ कुछ नहीं। क्या इस बार भी ऐसा ही होगा? क्या फिर पार्टी में यथास्थिति बनी रहेगी?
पिछली बार चर्चा थी कि पार्टी में एक कार्यकारी अध्यक्ष होगा और क्षेत्रीय स्तर पर उपाध्यक्ष होंगे जो पार्टी में जान फूंकने का काम करेंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ, क्योंकि पार्टी 'फैमिली फस्ट' सोच का शिकार हो गई।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चल रहे हैं, उनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी नाम शामिल है जो सचिन पायलट की बगावत झेल चुके हैं। गहलोत के पास संगठन का अनुभव भी है। इसके अलावा कमल नाथ हैं, जनकी अग्निपरीक्षा मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में होगी। रेस में पिछली लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, हरियाणा के भूपिंदर हुड्डा और मनीष तिवारी भी हैं।
जानकारों का मानना है कि पार्टी में अब गैर गांधी परिवार के नेता के अध्यक्ष पद बनने का वक्त आ गया है। ये बात इससे भी साफ हो जाती है कि राहुल गांधी ने ही 2019 चुनाव में हार के बाद इसके लिए मांग की थी।
पार्टी के संगठन को मजबूत करना और चुनाव के जरिए पार्टी के पदों पर नियुक्ति एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए गहलोत की क्षमता को नकारा नहीं जा सकता। गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने तक पार्टी के महासचिव (संगठन) थे।
अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो सचिन पायलट के लिए राजस्थान में रास्ता साफ हो सकता है। गहलोत को अहमद पटेल और राहुल गांधी दोनों नेताओं का समर्थन प्राप्त है और वो एक सबकी सहमति से बनने वाले अध्यक्ष हो सकते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ और यथा स्थिति बनी रही तो 'फैमिली फस्ट' वाली सोच फिर से हावी हो सकती है।
आने वाले समय में बिहार में चुनाव हैं उसके बाद पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में मतदान। देश की सबसे पुरानी पार्टी दिशाहीन फिलहाल बनी हुई है और के रल, पंजाब और असम को छोड़ कर देश के अन्य भागों में इसकी उपस्थिति न के बराबर है।
लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष का होना भी उतना ही जरूरी है। लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष पद बनने से इनकार करने के बाद कांग्रेस पार्टी 'सस्पेंडेंड एनीमेशन' में है। अब वक्त आ गया है कि पार्टी खुद अपने अंदर लोकतंत्र को जीवित करे और 'फैमिली फस्ट' की मानसिकता से बाहर निकले। अगर इस साल भी ऐसा ही हुआ, जैसा पिछले साल हुआ था तो पार्टी और कमजोर हो सकती है।
बेंगलुरू, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भगोड़े स्वंयभू बाबा नित्यानंद का उद्देश्य 'रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा' के बाद अब छह माह में एक हिंदू संसद के निर्माण का है। उन्होंने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से कहा, "गणपति के आशीर्वाद से, हम हिंदू धर्म आधारित संगठनों के प्रशासन के लिए एक मॉडल सरकार स्थापित करने के लिए एक हिंदू संसद स्थापित करना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा, "संसद को स्थापित करने में छह माह का वक्त लग सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि जनवरी तक यह कार्य पूरा हो जाएगा।"
हिंदू संसद में पांच संस्थाओं का गठन होगा, जिनमें चित सभा, राजा सभा, देव सभा, कांगा सभा और नित्यानंद सभा रहेंगी।
ये सभी पांच संस्थाएं उस तरह से होंगे, जिसके बारे में 'परमशिव' ने वेदों और 'आगमशास्त्रों' में कहा है।
चित सभा चेतना आधारित आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान पेश करेगी, जो सभी हिंदू प्रतिनिधियों, प्रबुद्ध स्वामी, गुरु और अन्य लोगों का स्वागत करती है, जो स्वेच्छा से संसद के विनम्र अनुरोध और निमंत्रण को स्वीकार करती है।
यह साथ ही हिंदू आशीर्वाद प्रणाली पेश करेगी।
राजा सभा एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक सेटअप होगी, जो देशों के हिंदू नेताओं, सहानुभूति रखने वाले और हिंदू सिद्धांतों की सराहना करने वाले राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित करेगी।
उन्होंने कहा, "जो इन सिद्धांतों को कई देशों में राजनीतिक स्तर पर कार्यात्मक बना सकती है।"
जबकि हिंदू देव सभा व्यक्तियों के लिए एक थिंक टैंक है, जो वेदों, इतिहास, पुराणों और आगामों में निहित उच्चतम हिंदू प्रशासनिक सिद्धांतों पर रहने के लिए दूसरों को प्रेरित करती है।
कांगा सभा हिंदू अस्तित्व के विकास से संबंधित संघटित सिद्धांतों के समूह के साथ एक इकाई है।
उन्होंने कहा, "इसमें इंसान की समृद्धि से संबंधित व्यक्तियों और महत्वपूर्ण नेताओं को शामिल किया जाएगा, जिसमें जीवनशैली, धनराशि, अनाज, ईंधन, बिजली जैसे विभिन्न आवश्यक संसाधन शामिल हैं।"
कांगा सभा का उद्देश्य इन सूचनाओं को एकत्रित करना और इसे बाहर की दुनिया में शेयर करना है।
उन्होंने कहा, "नित्यानंद सभा, एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक सभा है जिसमें उन व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा, जो महाकालीसा के प्रशासन को सुव्यवस्थित करेंगे, जो स्वयं विज्ञान के साथ दुनिया की समृद्धि को अनुभव करते हैं।"
इन पांच सभाओं के संगम को नित्यानंद हिंदू संसद बता रहे हैं।
प्रत्येक सभा में 1,008 सदस्यों की क्षमता होगी।
दुष्कर्म के आरोपी बाबा ने कहा, "छह माह के अंदर, हम सदस्यों के नाम, संरचना, इसके सिद्धांत व नीतियों के नाम जारी कर देंगे।"
रविवार को रात 7.30 बजे, वह संसद की योजना के बारे में नित्यानंदा डॉट टीवी पर बताएंगे।
इसबीच, उन्होंने कैलासा के लिए मुफ्त में ई-सिटीजनशिप लांच किया है। साथ ही उन्होंने मुफ्त में ई-पासपोर्ट की भी पेशकश की है।
शनिवार को स्वयंभू बाबा ने रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा की करेंसी पेश की थी, जिसमें भगवान गणेश के पांव की तस्वीर है।
माना जाता है कि दुष्कर्म का आरोपी आधात्मिक गुरु अक्टूबर 2019 में भारत से भाग गया था।
दिसंबर 2019 में, नित्यानंद ने घोषणा की थी कि उसने अपने हिंदू देश कैलासा की नींव रख दी है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस कार्य समिति (सी डब्ल्यू सी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले पार्टी के कई नेताओं का लिखा हुआ एक पत्र सामने आया है जिसमें पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन और सुधार करने की मांग की गई है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के पार्टी का नेतृत्व संभालने को लेकर कोई चुनौती नहीं है, लेकिन अगर कोई दूसरा नेता अध्यक्ष पद की दावेदारी पेश करता है तो पार्टी में जबरदस्त घमासाम मच सकता है। बता दें कि राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल का नाम आगे कर सकते हैं। इसलिए हर नेता अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। लेकिन अगर कार्य समिति चुनाव कराने पर फैसला लेती है तो बात वहीं खत्म हो सकती है। इस बीच पता चला है कि कांग्रेस के बड़े नेता असंतुष्टों से बात करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
राज्य सभा सांसद पी.एल. पुनिया ने कहा, हम राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग करते हैं। पार्टी के दूसरे गुट की भी यही राय है।
कांग्रेस पार्टी से निलंबित प्रवक्ता संजय झा ने कहा, करीब 300 कांग्रेसी नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। ये नेता देश के हर कोने से हैं। लेकिन सिर्फ 23 नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
कांग्रेस ने पहले किसी भी पत्र से इनकार किया था लेकिन अब 20 नेताओं के हस्ताक्षर का पत्र सामने आ रहा है।
पत्र में भाजपा के उत्थान पर चिंता जताई गई है और पार्टी के लिए एक फुल-टाइम अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की गई है। पिछले साल के अगस्त महीने से ही सोनिया गांधी पार्टीी की अंतरिम अध्यक्ष पद पर हैं।
पत्र में ये भी कहा गया है कि देश आर्थिक संकट, कोरोना महामारी और चीन से सीमा विवाद के संकट से जूझ रहा है। इन नेताओं का कहना है कि कार्य समिति से लेकर पार्टी के दसूरे सभी पदों के लिए चुनाव होने चाहिए। इसके साथ ही पार्लियामेंट्री बोर्ड को भी फिर से जीवित किया जाना चाहिए।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख हैं -- गुलाम नबी आजाद, आनन्द शर्मा, भूपिन्दर सिंह हूडा, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चौहान आदि।
पत्र में कहा गया है कि हार पर पश्चाताप करने के बजाय पार्टी आगे का एजेंडा सेट करे और भाजपा को घेरने के लिए एक नई रणनीति बनाए। इसके अलावा राज्यों में नेतृत्व को और ज्यादा स्वतंत्रता देने की मांग की गई है।
सूत्रों के मुताबिक पत्र में सोनिया गांधी के कामकाज की भी तारीफ की गई है।
पत्र में कहा गया है कि पार्टी लगातार नीचे की ओर जा रही है और भाजपा से लड़ने में विफल साबित हो रही है।
सोमवार को होने वाली कार्य समिति की बैठक में पार्टी सभी मुद्दों पर खुल कर चर्चा करना चाहती है।
गुवाहाटी, 23 अगस्त। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.
असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तरुण गोगोई ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया, ‘मेरे सूत्रों से पता चला है कि रंजन गोगोई का नाम राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की सूची में है. मुझे लगता है कि उन्हें असम के अगले संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा सकता है.’
उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई राज्यसभा सांसद बन सकते हैं, तो वह असम में भाजपा के अगले संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर भी सहमत हो सकते हैं.
गोगोई ने कहा, ‘यह सब राजनीति है. भाजपा अयोध्या राममंदिर मामले में फैसले को लेकर रंजन गोगोई से खुश थी. उसके बाद उन्होंने राज्यसभा नामांकन स्वीकार कर धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से क्यों इनकार नहीं किया? वह आसानी से मानवाधिकार आयोग या किसी अन्य अधिकार संगठन के अध्यक्ष बन सकते थे. उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं थी इसलिए उन्होंने राज्यसभा का नामांकन स्वीकार किया.’
असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह असम में कांग्रेस के अगले संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं बनने जा रहे.
वह भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), लेफ्ट और क्षेत्रीय पार्टियों के महागठबंधन की वकालत कर रहे हैं.
तरुण गोगोई ने कहा, ‘मैं राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनने जा रहा. मैं मार्गदर्शक या सलाहकार के तौर पर काम करना चाहूंगा. कांग्रेस में कई योग्य उम्मीदवार हैं, जो प्रभार संभाल सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि संभावित गठबंधन के एक साझा उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदावर के तौर पर पेश करना चाहिए.
हालांकि, कांग्रेस के कई नेता एआईयूडीएफ के साथ पार्टी के गठबंधन के विचार का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष अपना नाराजगी व्यक्त भी की है.
इन नेताओं का मानना है कि एआईयूडीएफ के साथ हाथ मिलाने से असम के ऊपरी इलाकों में कांग्रेस के मतदान प्रतिशत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. ऐसे इलाकों में जहां चाय बागान समुदाय या जनजातीय लोगों के वोट अधिक हैं.
जोरहाट के पूर्व विधायक राणा गोस्वामी का कहना है, ‘मैंने तरुण गोगोई से बात की और उनसे कहा कि हो सकता है कि एआईयूडीएफ के साथ हाथ मिलाना उचित नहीं हो. हालांकि, अगर महागठबंधन होगा तो स्थिति में बदलाव आएगा.’ (thewire)
नयी दिल्ली, 23 अगस्त। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ प्लानिंग मैनेजमेंट (आईआईपीएम) के निदेशक अरिंदम चौधरी और उनकी कंपनी के एक अन्य निदेशक को सर्विस टैक्स चोरी मामले में गिरफ्तार किया गया है.
चौधरी को लगभग 23 करोड़ रुपये के क्रेडिट सेवा कर के केंद्रीय मूल्य वर्धित कर (सीईएनवीएटी) के कथित दावे का भुगतान न करने की वजह से गिरफ्तार किया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजीएसटी दक्षिण दिल्ली आयुक्तालय ने चौधरी और उनके सहयोगी गुरुदास मलिक ठाकुर को शुक्रवार शाम चार बजे गिरफ्तार किया.
उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट की ड्यूटी मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी के समक्ष पेश किया गया. जिसके बाद अदालत ने उन्हें 14 दिनों की हिरासत में भेज दिया है. इन पर 22.5 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी का आरोप है और बैलेंस शीट में हेरा-फेरी का आरोप है.
चौधरी और उनके सहयोगी की दिल्ली, देश के अन्य शहरों और विदेशों में संपत्ति की जांच की जा रही है.
सूत्रों का कहना है कि जिस कंपनी में हेराफेरी की बात कही जा रही है, उस कंपनी में अरिंदम की 90 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि बाकी की हिस्सेदारी उनकी पत्नी के पास है.
बता दें कि इससे पहले अरिंदम चौधरी को 14 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें कथित रूप से फर्जी चिकित्सा प्रमाण-पत्र पेश करने की वजह से गिरफ्तार किया गया था. (thewire)
नयी दिल्ली, 23 अगस्त। सोमवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होने वाली है। कांग्रेस के लिए ये बैठक बहुत अहम मानी जा रही है। सूत्रों ने बताया है कि सोनिया गांधी ने पार्टी के अन्य नेताओं से नया अध्यक्ष ढूंढने को कहा है। पार्टी के 20 से ज्यादा नेताओं ने चिट्ठी लिखकर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है। चिट्ठी लिखने वालों में आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, विवेक तनखा, पृथ्वीराज च्वहाण, वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं।
राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग
कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के कई सदस्य सोमवार को होने वाली बैठक में राहुल गांधी को एक बार फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग रखने की तैयारी में हैं। साथ ही, कुछ नेताओं को यह उम्मीद है कि पार्टी की कमान संभालने के लिए राहुल गांधी के तैयार नहीं होने की स्थिति में भी नेतृत्व एवं संगठन को लेकर आगे की दिशा तय करने के लिए सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के बीच किसी न किसी रोडमैप पर सहमति बन जाएगी।
हावी रह सकता है ये मुद्दा
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोमवार सुबह वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से होने जा रही सीडब्ल्यूसी की बैठक में वरिष्ठ नेताओं के पत्र एवं इसमें दिए गए सुझावों का मुद्दा हावी रहने की प्रबल संभावना है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और सीडब्ल्यूसी के सदस्य ने से कहा, ‘यह लगभग तय है कि कल की बैठक नेतृत्व और संगठन पर ही मुख्य रूप से केंद्रित रहने वाली है। मैं अपनी ओर से राहुल गांधी का नाम अध्यक्ष के लिए रखूंगा क्योंकि यही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना है।’
क्या दो धड़ों में बंटी कांग्रेस
पार्टी के दो धड़ों में बंटे होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं है। सभी चाहते हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनें। लेकिन कुछ लोग ऐसे जरूर हो सकते हैं जिनका मानना है कि अगर राहुल जी तैयार नहीं हैं तो फिर पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए किसी और के नाम पर या चुनाव कराने पर विचार किया जाए।’
ज्यादातर लोग राहुल गांधी के पक्ष में
यह पूछे जाने पर कि अगर राहुल गांधी तैयार नहीं होते हैं तो क्या किसी और का नाम भी अध्यक्ष के लिए आ सकता है तो कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘यह सीडब्ल्यूसी और नेहरू-गांधी परिवार को तय करना है। इतना जरूर कह सकता हूं कि सोमवार की बैठक में आगे के लिए रोडमैप पर सहमति बनने की मुझे पूरी उम्मीद है।’ पार्टी के एक युवा नेता और सीडब्ल्यूसी सदस्य ने भी कहा कि बैठक में मौका मिलने पर वह कांग्रेस अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित करेंगे।
सभी चाहते हैं कि राहुल कमान संभालें
उन्होंने कहा, ‘पार्टी के सभी कार्यकर्ता और खासकर युवा यह चाहते हैं कि राहुल गांधी फिर से कांग्रेस की कमान संभालें। यह काम जल्द होना चाहिए।’ पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था। समय-समय पर कांग्रेस के कई नेता राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की ओर से सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने की बात सीडब्ल्यूसी की बैठक से एक दिन पहले सामने आई है।
कांग्रेस में लेटर बम
सूत्रों के अनुसार, इस पत्र में कांग्रेस संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और ऐसे पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया है जो सक्रिय एवं प्रभावी हों। जिन नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद और संदीप दीक्षित भी शामिल हैं। इस पत्र में पार्टी की इकाइयों के पूर्व प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह और कुलदीप शर्मा के भी दस्तखत हैं। सोनिया को पत्र लिखने वाले कई नेताओं ने संपर्क किए जाने पर इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। एक नेता ने यह जरूर कहा, ‘सोमवार की बैठक में कुछ फैसले की उम्मीद है।’
सलमान खुर्शीद का बयान
अध्यक्ष पद के लिये चुनाव कराने को लेकर कांग्रेस के अंदर से उठती आवाजों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा कि पार्टी को चुनावों की जगह सर्वसम्मति को एक मौका देना चाहिए। खुर्शीद ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का “पूर्ण समर्थन” और 'भरोसा' हासिल है और इससे फर्क नहीं पड़ता कि उनपर अध्यक्ष का ठप्पा है या नहीं।
गांधी कांग्रेस के नेता हैं
उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि गांधी कांग्रेस के नेता हैं। कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता, यहां तक कि विपक्ष भी इससे इनकार नहीं कर सकता। मैं एक नेता के होने से बहुत खुश हूं, मैं इस बात की चिंता नहीं करता कि हमारे पास अध्यक्ष है या नहीं, हमारे पास एक नेता (राहुल गांधी के रूप में) हैं और यह बात मुझे सुकून देती है।' (nbt)
नई दिल्ली, 23 अगस्त।एक और जहां देश में कोरोना वायरस के डरावने आंकड़े हर रोज आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्र में बैठी मोदी सरकार बेफिक्र नजर आ रही है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस भयानक महामारी के बीच मोदी सरकार छात्रों की जान की बाजी लगाते हुए जेईई (मेन) 2020 और नीट यूजी परीक्षाएं करा रही है। आपको बता दें, हाल ही में इस परीक्ष को स्थगित करने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया है।
सरकार को लाखों छात्रों की बात सुननी चाहिए: राहुल गांधी
इसके बाद राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी एनटीए ने विभिन्न परीक्षाओं के लिए तिथियां जारी कर दी हैं। अब इसे लेकर विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। साथ ही छात्रों के हित में परीक्षा को स्थगित करने की अपील भी की है। सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार से छात्रों के मन की बात सुनने का आग्रह किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि आज हमारे लाखों छात्र सरकार से कुछ कह रहे हैं। NEET, JEE परीक्षा के बारे में उनकी बात सुनी जानी चाहिए और सरकार को एक सार्थक हल निकालना चाहिए।
फैसले पर दोबारा विचार करे सरकार: प्रियंका गांधी
राहुल गांधी के बाद पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार और परीक्षा कराने वाली एजेंसी से इस फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा- कोरोना को लेकर देश में परिस्थितियां अभी सामान्य नहीं हुईं हैं। ऐसे में अगर NEET और JEE परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों ने कुछ चिंताएं जाहिर की हैं तो भारत सरकार व टेस्ट कराने वाली संस्थाओं को उस पर सही से सोच विचार करना चाहिए
अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
राहुल और प्रियंका गांधी की इस अपील के बाद लोकसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने जेईई और नीट की परीक्षा टालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि जब तक कोविड-19 की स्थिति स्थिर नहीं हो जाती तब तक परीक्षा को टाल दिया जाए। नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा, 'छात्र इस बात को लेकर बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में हैं कि परीक्षा में शामिल होने पर वे संक्रमण से किस तरह से बच पाएंगे।'
तय समय पर होगी जेईई (मेन) 2020 और नीट यूजी परीक्षाएं
आपको बता दें, छात्रों की अपील और विपक्ष की ओर से लगातार दबाव बनाने के बाद इस परीक्षा को पहले दो बार स्थगित किया जा चुका है। सबसे पहले यह परीक्षा 03 मई 2020 को आयोजित की जानी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से किए गए लॉक डाउन के कारण इस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद इस परीक्षा के लिए 25 जुलाई 2020 की तारीख तय की गई थी लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण, अभ्यर्थियों, अभिभावकों और विपक्ष की ओर से किए गए विरोध के चलते इस परीक्षा को दोबारा स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद इस परीक्षा के लिए 13 सितम्बर 2020 की तारीख तय की गई थी। आपको ये भी बता दें, इस बार एनईईटी (यूजी) 2020 की परीक्षा के लिए कुल 15 लाख 97 हजार 433 अभ्यर्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। वहीं JEE Main (अप्रैल) की परीक्षा भी 01 सितम्बर 2020 से 06 सितम्बर 2020 तक आयोजित होने जा रही है। (navjivan)
मुंबई, 23 अगस्त (वार्ता)। स्वर्ण भंडार में दो अरब डॉलर से अधिक की गिरावट से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 2.94 अरब डॉलर घटकर 535.25 अरब डॉलर रह गया।
लगातार सात सप्ताह बढऩे के बाद विदेशी मुद्रा भंडार घटा है। इससे पहले 07 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह 538.19 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर रहा था।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आँकड़ों के अनुसार, 14 अगस्त को सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार 2.19 अरब डॉलर कम होकर 37.60 अरब डॉलर का रह गया। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पीली धातु के दाम में भारी गिरावट के कारण देश के सोने के भंडार के मूल्य में यह कमी आई है।
आलोच्य सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 74.3 करोड़ डॉलर घटकर 491.55 अरब डॉलर पर आ गई। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 40 लाख डॉलर की गिरावट के साथ 4.63 अरब डॉलर और विशेष आहरण अधिकार 20 लाख डॉलर कम होकर 1.48 अरब डॉलर पर रहा।
मुंबई, 23 अगस्त (वार्ता)। वैश्विक स्तर पर कीमती धातुओं पर बने दबाव का असर पिछले सप्ताह घरेलू वायदा बाजार पर हुआ जिससे दोनों कीमती धातुओं में गिरावट दर्ज की गयी।
इससे पिछले सप्ताह में भी कीमती धातुओं मे गिरावट रही थी। बीते सप्ताह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोना और चाँदी में एक फीसदी से अधिक की गिरावट रही।
एमसीएक्स में सोना सप्ताहांत पर पिछले सप्ताह की तुलना में 570 रुपये टूटकर 51841 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया। इसी तरह से सोना मिनी भी 636 रुपये उतरकर 52010 रुपये प्रति दस ग्राम पर रहा।
समीक्षाधीन अवधि में चाँदी 695 रुपये फिसलकर 67700 रुपये प्रति किलोग्राम बोली गयी। चाँदी मिनी 759 रुपये लुढक़कर 67741 रुपये प्रति किलोग्राम बोली गयी।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व बदले जाने की चर्चाओं के बीच पार्टी की नीति बनाने की सर्वोच्च संस्था कांग्रेस कार्य समिति (सी डब्ल्यू सी) की सोमवार को एक अहम बैठक होने वाली है। बता दें कि कई कांग्रेसी नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था जिसमें नेतृत्व परिवर्तन की मांग की गई थी, हालांकि पार्टी ने इस तरह के किसी भी पत्र से इनकार किया है। पार्टी ने कहा है कि कार्य समिति की बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालातों पर चर्चा होगी। इसके बावजूद नेतृत्व परिवर्तन पर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि 24 अगस्त को सी डब्ल्यू सी की बैठक सुबह 11 बजे बुलाई गई है जो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी।
पिछली बैठक में जिस तरह से 2019 के आम चुनाव में पार्टी की हार को लेकर कुछ सांसदों ने मुद्दा उठाया था और तीखी बहस हुई थी, उससे सोमवार को कार्य समिति की बैठक काफी महत्वपूर्ण हो गई है। इसके बाद कुछ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व परिवर्तन और कार्य समिति के लिए चुनाव कराने की मांग कर डाली थी।
पार्टी से निलंबित प्रवक्ता संजय झा ने कहा था कि सांसदों समेत कांग्रेस के 100 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष की जगह फुल टाइम अध्यक्ष बनाने की मांग की थी जो कि पार्टी को फिर से जीवित करे।
कांग्रेस के कई नेता इस बात से खफा है कि पार्टी दिशाहीन हो गई है।
कुछ नेता राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की भी मांग कर रहे हैं लेकिन दूसरे नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी और उनकी टीम के लोग राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं जो चुनाव में जीत नहीं दिला सकते।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा)। कांग्रेस कार्य समिति की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले एक बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की है। खबर है कि इन नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में कांग्रेस के 20 ज्यादा शीर्ष नेताओं ने पार्टी आंतरिक संकट का जिक्र करते हुए नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया गांधी के साथ चर्चा की मांग की है। ऐसा बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते हुए सामूहिक नेतृत्व की मांग की है।
इस चिट्ठी में कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव को लेकर हो रही देरी पर भी सवाल उठाए गए हैं। चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने इस बारे में बात करने के लिए सोनिया गांधी से वक्त भी मांगा है। चिट्ठी लिखने वालों में आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, विवेक तनखा, पृथ्वीराज च्वहाण, वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं।
कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे पर चल रही चर्चा के बीच पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक आगामी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होगी। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की बैठक सोमवार को सुबह 11 बजे आरंभ होगी।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक मुद्दों, अर्थव्यवस्था की स्थिति और कोरोना वायरस संकट समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। वैसे, सीडब्ल्यूसी की बैठक उस वक्त हो रही है जब अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी एक साल की अवधि पूरा कर चुकी हैं। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद उन्हें अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कांग्रेस के कई नेता खुलकर यह मांग कर चुके हैं कि एक बार फिर राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी जाए। हाल ही में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि कांग्रेस के 100 फीसदी कार्यकर्ताओं की यह भावना है कि राहुल गांधी फिर से पार्टी का नेतृत्व करें।
हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का कहना है कि कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बनना चाहिए। फिलहाल कांग्रेस में इस समय काफी उहापोह की स्थिति है क्योंकि सिर्फ रणदीप सुरजेवाला ही नहीं, शशि थरूर सहित कई नेता इस मुद्दे पर मीडिया में बयान में दे चुके हैं।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारत के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम का एक नया डोजियर (फाइल) तैयार किया है, जो कि मोस्ट वांटेड अपराधी के ग्लोबल ऑपरेशन में महत्वपूर्ण व गहरी जानकारी मुहैया कराता है। यह न सिर्फ मोस्ट वांटेड के कार्यों के विस्तृत परतों और उसकी कंपनियों के नामों का खुलासा करता है, बल्कि यकीनन यह उसके ड्रग्स व्यापर में शामिल कर्मियों से लेकर जुआ/सट्टेबाजी और आतंकवाद से जुड़े नेटवर्क का भी पदार्फाश करता है।
दाऊद की कंपनियों की सूची का भी इस डोजियर में उल्लेख है। हालांकि वो रहता तो पाकिस्तान में है, लेकिन उसकी सभी जानी मानी कंपनियों का पता दुबई के हैं। उसकी कंपनियों के नाम ओएसिस ऑइल एंड लुब एलसीसी, दुबई, अल-नूर डायमंड्स, दुबई, ओएसिस पावर एलसीसी, दुबई, डोल्फिन कंस्ट्रक्शन, ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस (फिलहाल बंद है), किंग वीडियो, दुबई, मोइन गारमेंट्स, दुबई है।
यह सूची, ड्रग्स से लेकर आतंकी अपराध तक सभी जानकारी अलग-अलग नामों और संबंधित व्यक्तियों की जिम्मेदारियों का विवरण भी देता है। डी-कंपनी को चलाने वाले उसके परिवार के सदस्य और गुर्गों के नाम भी इसमें दिए गए हैं।
यहां फिर से आश्चर्यचकित करने वाला नाम डॉक्टर या यू कहें कि जावेद चुटानी का सामने आ रहा है। वह आपराधिक कांडों में बराबर का भागीदार माना गया है। इसके बाद दाऊद का भाई अनीस और छोटा शकील का स्थान है, जो कि अंडरवल्र्ड डॉन के सबसे भरोसेमंद सहायकों में से हैं।
जावेद चुटानी उर्फ डॉक्टर-
यह पाकिस्तान का निवासी है, जो लगातार दाऊद के संपर्क में है। वहीं दुबई में भी उसका निवास-स्थान है। विवरण के अनुसार, जावेद चुटानी पेशे से सट्टेबाज भी हैं, साथ ही रियल एस्टेट में भी उसकी दिलचस्पी है। वह दाऊद का बहुत करीब है और उसके साथ पारिवारिक संबंध भी हैं। संभावना है कि वह कराची के उसी इलाके में रह रहा है, जहां दाऊद रहता है।
जावेद चुटानी की बेटी संभवत: ब्रिटेन में रह रही है, क्योंकि उसे ब्रिटेन के फोन नंबर का प्रयोग करते हुए पाया गया था। उसके वर्तमान जुए का खाता 'कामरान' के नाम से चलता है। वह दिलीप दुबई (दुबई में बसा एक भारतीय) और शोएब (दुबई में बसा एक भारतीय) के संपर्क में है। चुटानी तारिक (दुबई निवासी) और दाऊद के बीच संदेशवाहक का काम भी करता है।
अनीस इब्राहिम-
यह दुबई के नंबर का इस्तेमाल करता है। छोटा शकील की बेटी की शादी के लिए उसे एक अज्ञात व्यक्ति को होटलों की बुकिंग के बारे में सूचित करते हुए पाया गया है। हालांकि बुकिंग करने में मुश्किल (शायद आमंत्रितों की अधिक संख्या होने से) होने के कारण उसने होटल की बुकिंग की सुविधा के लिए मुंबई के एक चौधरी से बात की थी।
हालांकि दोनों की बातचीत कोडवर्ड में हुई थी, क्योंकि अनीस को 'समझ गया ना' कहता हुआ पाया गया था। इससे पहले अनीस ने दाऊद की बहन हसीना पारकर की मौत के 40वें दिन किसी कलीम के जरिए अली शाह को पैसे भेजे थे।
छोटा शकील-
दाऊद का करीबी सहयोगी और प्रमुख गुर्गा छोटा शकील वर्तमान में पाकिस्तान में रह रहा है। हाल ही में उसने एक अज्ञात व्यक्ति (दुबई का निवासी) से संपर्क किया और उसे दाऊद के जन्मदिन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था (स्थान का खुलासा नहीं किया गया)। वह डोजियर में उल्लेख डी-कंपनी के सभी सदस्यों के संपर्क में है।
जावेद भाई-
यह मोस्ट वांटेड का एक करीबी सहयोगी है, जिसे ज्यादातर मौकों पर दाऊद के साथ देखा जाता है। वह दाऊद के निजी नंबरों पर फोन कॉल भी लेते हुए पाया गया है। उसे जवार भाई और मोती भाई भी कह के बुलाया जाता है।
उसे दाऊद की जगह बैंकिंग और भुगतान से जुड़े निर्देश देते देखा गया है। वहीं इसे मुंबई के एक नंबर पर संपर्क करते हुए पाया गया है। यह जावेद भाई जाहिर तौर पर दुबई में दाऊद द्वारा बनाए गए सोसायटीज/अपार्टमेंट की देखरेख करता है।
हाल ही में किसी अमर जेबी (एक भारतीय; तब दुबई में था) ने फोन पर जावेद को सूचित किया था कि उसने सोसायटी/अपार्टमेंट में एक फ्लैट/विला खरीदने के लिए तारिक से बात की थी, लेकिन तारिक ने उसे बताया था कि इसके लिए उसे जावेद भाई की अनुमति की आवश्यकता है। इससे स्पष्ट होता है कि जावेद भाई डी-कंपनी के व्यावसायिक मामलों की देखरेख करता है।
तारिक-
यह दाऊद का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, जो दुबई में रहता है। वह छोटा शकील और गिरोह के अन्य सदस्यों के संपर्क में है। वह दुबई में दाऊद के संपत्ति और कारोबार को संभालता है। 6 सितंबर, 2014 को एक सूचना के अनुसार, तारिक ने पाकिस्तान में किसी से संपर्क किया था और दाऊद के भाई अनीस भाई के बारे में बात की थी। इस बातचीत के अनुसार अनीस शारजाह (दुबई) में रहता है।
उसने किसी सिराज से भी संपर्क किया था और छोटा शकील की बेटी की शादी के लिए किए जा रहे प्रबंधों के बारे में बातचीत की थी। उसकी एक गर्लफ्रेंड भी है, जो वर्तमान में नेपाल में रह रही है। यह नेपाली महिला पहले मुंबई की रहने वाली थी और एक ब्यूटी पार्लर में काम करती थी।
तारिक वही व्यक्ति है जिसने दाऊद को ब्रिटेन के उसके दोस्त (संभवत: नदीम-श्रवण के संगीतकार जोड़ी का नदीम) की गिरफ्तारी के बारे में सूचित किया था। वह वही व्यक्ति है, जिसने दाऊद के लिए 2009/10 मॉडल टोयोटा लैंडक्रूजर्स खरीदा था और उसे पाकिस्तान भेजा था। ये वाहन बुलेट प्रूफ है। वह दाऊद गिरोह के अधिकांश सदस्यों के संपर्क में रहता है। वहीं तारिक के सहयोगी का नाम अल्ताफ है।
इकबाल-
यह दाऊद का एक और सहयोगी है। इकबाल कांगो देश के नंबर का उपयोग कर रहा है और दुबई और पाकिस्तान में कंस्ट्रक्शन का कारोबार कर रहा है। एक सूचना के अनुसार, इकबाल दाऊद के घर का नवीनीकरण करा रहा है और इसके के लिए कश्मीर से श्रमिकों को लाया गया है।
इकबाल ने दाऊद के घर का दौरा किया है और संभवत: कराची में उसका घर है। वह कांगो सहित अफ्रीकी देशों में डी-कंपनी के कामों को संभाल रहा है। एक कॉल के अनुसार, इकबाल तंजानिया में रहता है, जबकि उसका परिवार पाकिस्तान में रहता है। उसके बड़े बेटे का नाम यासिर उर्फ आसिफ है। दूसरे बेटे का नाम मुस्तफा है। उसकी बेटी का नाम सना है। वहीं मोहसिन पाकिस्तान में इकबाल का ड्राइवर और सुपरवाइजर है। वह दुबई के तारिक के संपर्क में भी रहता है।
अहमद जमाल
यह कराची में रहने वाला दाऊद का करीबी सहयोगी है। उसकी बेटी की शादी 2014 में हुई थी। दाऊद ने इकबाल को 9 और 13 अगस्त 2014 को शादी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। इस शादी के लिए, अहमद जमाल ने सऊदी अरब के किसी माजिद बाबा को भी आमंत्रित किया था। यह माजिद बाबा पहले छोटा शकील के संपर्क में था और उसकी भाषा से लगता है कि माजिद एक भारतीय है।
फिरोज
यह मोस्ट वांटेड के व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। यह छोटा शकील के संपर्क में है और दुबई में रहता है। फिरोज दाऊद गिरोह के कवर बिजनेल को संभाल रहा है। संभवत: फिरोज ही दाऊद की कंपनी ओएसिस ऑइल एंड लुब एलसीसी को संभालता है, वहीं उसे फिरोज ओएसिस कह कर संबोधित किया जाता है।
ऐसी संभावना है कि वह एक दक्षिण भारतीय है और बहुत शिक्षित है। वह तमिल, अरबी, अंग्रेजी और हिंदी बोल सकता हैं। फिरोज के दक्षिण भारत और मुंबई में संपर्क हैं। जानकारी के अनुसार, फिरोज ही अल नूर डायमंड्स की देखरेख कर रहा है। वह अफ्रीका से हीरे की तस्करी भी करता है।
वहीं एक रहमत नामक व्यक्ति अफ्रीकी सेल नंबर का उपयोग करता है और दुबई में सेफ डिलिवरी के लिए एमिरेट्स एयरलाइंस का उपयोग करके अफ्रीका से हीरों का परिवहन करने में अफ्रीकी नागरिकों को शामिल करता है। प्रत्येक ट्रिप में करीब 4/5 लाख डॉलर के हीरे दुबई में तस्करी किए जाते हैं और कूरियर शुल्क के रूप में अफ्रीकी कूरियर को 10,000 डॉलर का भुगतान किया जाता है। उसकी दो पत्नियां हैं, एक भारतीय और एक पाकिस्तानी। उसकी मुंबई में भी संपत्ति है।
सिराज
यह पाकिस्तान में रहता है और दाऊद, छोटा शकील और तारिक का सहयोगी है। उसने तारिक से संपर्क कर 600-650 मुद्रा (शायद दाऊद के 60वें जन्मदिन के उत्सव से जुड़ा) के लिए नाश्ते की पार्टी की व्यवस्था के बारे में बात की थी।
अहमद
यह छोटा शकील के लिए काम कर रहा है। इसका प्रमुख काम विभिन्न व्यवसायियों से पैसों का कलेक्शन करना है। हाल ही में छोटा शकील ने अहमद से काम के बारे में बातचीत की थी, जिस पर अहमद ने बताया था कि एक कंपनी (शायद डीडी ग्रुप) के मालिक विनोद, जॉन और राजीव, (शायद इस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी) वर्तमान में मुंबई में नहीं हैं। इसके बाद अहमद ने इस कंपनी के कुछ अन्य कर्मचारियों जैसे संतोष और सुरेश से बात की थी और छोटा शकील को सूचित किया कि उनका 50 प्रतिशत काम 'हो गया है'। इसके बाद छोटा शकील ने उससे कहा था कि उन्हें पूरा पैसा देने के लिए कहो (शायद प्रोटेक्शन मनी)।
फहीम
इसका पूरा नाम संभवत: फहीम मचमच है। वह छोटा शकील के साथ कराची में रह रहा है। वह एक जवाहर और रमेश के बीच पैसे के विवाद को सुलझाने के बारे में श्याम केशवानी के संपर्क में पाया गया है।
प्रयागराज, 23 अगस्त (आईएएनएस)| दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपने के बाद अब संतों ने भी पालघर भीड़ हिंसा के मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग उठाई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मुंबई पुलिस को अक्षम साबित कर दिया है।
एबीएपी ने मांग की है कि 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं के साथ हुई भीड़ हिंसा की जांच भी सीबीआई से कराई जाए।
परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा, "एबीएपी 26 अगस्त को हरिद्वार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने जा रहा है जिसमें अगले साल कुंभ की तैयारियों पर चर्चा करने के अलावा पालघर में हुई हत्याओं की सीबीआई जांच के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा और अगर जरूरत पड़ी तो अखाड़ा परिषद द्वारा कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।"
16 अप्रैल की रात को देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दो साधू एक कार में सवार होकर ड्राइवर संग मुंबई के कांदिवली से गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा रहे थे। इस बीच गडचिनचाइल गांव में एक भीड़ ने पुलिस टीम की मौजूदगी में उन पर हमला किया और बेहद ही बर्बरता के साथ उनकी हत्या कर दी गई।
कल्पवृक्ष गिरि महाराज और सुशील गिरि महाराज संग उनके ड्राइवर को नीलेश यालगडे को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और पुलिस कथित तौर पर मूक दर्शक बनी रही।
नरेंद्र गिरि ने कहा, "प्रस्ताव पारित करने के बाद अखाड़ा परिषद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हत्याओं की सीबीआई जांच की मांग करेगा।"
लखनऊ, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भाजपा ने अपने नेता संजीव गुप्ता को निलंबित कर दिया है, जिनका बेटा सचिन गुप्ता 35 करोड़ रुपये की एनसीईआरटी की किताबों की डुप्लीकेट प्रिटिंग कराने के मामले में आरोपी के रूप में नामजद होने के बाद से फरार है। वहीं, इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गुप्ता फररा बना हुआ है। सचिन गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
स्पेशल टास्क फोर्स के उप-निरीक्षक संजय सोलंकी ने भी सचिन गुप्ता और पांच अन्य के खिलाफ परतापुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है।
इस घोटाले का भंडाफोड़ मेरठ जिले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा किया गया था।
एसटीएफ के डीएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि सचिन गुप्ता परतापुर के अछोंडा में एक गोदाम का और मोहकमपुर में एक प्रिंटिंग प्रेस का मालिक है।
उन्होंने कहा, "वह फिलहाल फरार है और उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। छापे के तुरंत बाद, पुलिस अधिकारियों ने सचिन से फोन पर बात की और उसने कहा कि वह किताबों के कागजात लेकर आ रहा है, लेकिन बाद में नहीं आया और मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ कर दिया।"
अब तक की जांच में पता चला है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली सहित सात राज्यों में डुप्लीकेट किताबें छापी और आपूर्ति की गई थीं।
फर्जी एनसीईआरटी की किताबें लगभग 364 प्रकार की थीं, जिनमें कक्षा 9 से 12 तक की भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की किताबें शामिल थीं।
इससे पहले भी, सचिन गुप्ता त्तर प्रदेश बोर्ड की नकली किताबें छापने में शामिल रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या पिछले मामले में कोई कार्रवाई की गई थी।
एनसीईआरटी की वास्तविक पुस्तकें केवल दिल्ली में छपी हैं, और खुदरा विक्रेताओं को 15 प्रतिशत के कमीशन पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, वास्तविक पुस्तकों की खरीद के लिए, खुदरा विक्रेताओं को अग्रिम में पूरी राशि का भुगतान करना होगा।
दूसरी ओर, नकली पुस्तकें 30 प्रतिशत कमीशन पर उपलब्ध हैं और इन्हें खरीदने के लिए किसी अग्रिम भुगतान की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बीच, ट्विटर पर भाजपा से अपने नेताओं को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए कहा है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कोरोनावायरस महामारी के कारण कई महीनों से बंद पड़ी फिल्म और टीवी प्रोडक्शन इंडस्ट्री को फिर से खोलने की घोषणा की है। मंत्री ने हालांकि कहा है कि संचालन के दौरान कोविड-19 से जुड़े निर्देशों का पालन अनिवार्य होगा। जावड़ेकर ने कहा, "नया एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) मीडिया प्रोडक्शन इंडस्ट्री के लिए एक 'संजीवनी' की तरह होगा। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क इसके अभिन्न अंग होंगे। इस मानक संचालन प्रक्रिया के पीछे सामान्य सिद्धांत यही है कि यह कलाकारों और क्रू दोनों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने में मदद करे।"
एसओपी शूटिंग स्थलों और अन्य कार्यस्थलों पर पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करता है। साथ ही इसमें उचित स्वच्छता, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षात्मक उपकरणों के प्रावधान जैसे उपाय भी शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि इस एसओपी का मूल सिद्धांत 'संपर्क को कम से कम' करना है। एसओपी का सुझाव है कि कॉस्ट्यूम, सेट की सामग्री, विग, मेकअप जैसी चीजों को कम से कम साझा किया जाए और ऐसा करने वाले लोग ग्लब्स पहने रहें।
रिकॉडिर्ंग स्टूडियो और एडिटिंग रूम आदि में छह फीट की दूरी का पालन किया जाएगा। एसओपी यह भी कहता है कि शूटिंग के दौरान कम से कम कलाकार और क्रू मौजूद रहें।
इसके अलावा नई एसओपी में शूटिंग स्थलों पर दर्शकों और आगंतुकों के प्रवेश को भी प्रतिबंधित किया गया है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| एक दिन में कोरोनावायरस के 69,000 से अधिक मामलों के साथ भारत में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा रविवार को तीस लाख के पार पहुंच गया है जबकि कोविड-19 से अब तक देश में 56,706 मौतें हुई हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। कुल 30,44,941 मामलों में से 7,07,668 सक्रिय मामले हैं। अधिकतम 22,80,566 मरीज ठीक हो चुके हैं जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
आंकड़ों के मुताबिक, मृत्यु दर 1.86 फीसदी तक आ गई है जबकि रिकवरी दर 74.90 तक पहुंच गया है। बीते 24 घंटे में देश में 57,989 मरीज ठीक हो चुके हैं और 912 मरीज वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
6,71,942 मामलों और 21,995 मौतों के साथ महाराष्ट्र अब भी महामारी से प्रभावित राज्यों की सूची में पहले नंबर पर है जिसके बाद तमिलनाड़ु दूसरे स्थान पर है जहां 3,73,410 मामले और 6,420 मौतें दर्ज हुई हैं। इसके बाद सूची में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य हैं।
दिल्ली में कोरोनावायरस महामारी के मामलों की संख्या 1,60,016 है जिनमें 4,284 मौतें शामिल हैं। बीते 24 घंटे में यहां 168 नए मामले सामने आए हैं जबकि 14 मरीजों की जानें गई हैं और इस दौरान 1,230 लोग संक्रमण से स्वस्थ हुए हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार को 8,01,147 नमूनों की जांच की गईं जिसे मिलाकर देश में अब तक 3,52,92,220 नमूनों की जांच की जा चुकी है।
देश में 1,515 प्रयोगशालाओं में कोरोना की जांच की जा रही है जिनमें से 983 सरकारी और 532 निजी हैं। आंकड़ों के हिसाब से 780 प्रयोगशालाओं में रियल-टाइम आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं, 617 प्रयोगशालाओं में ट्रू नेट टेस्ट किए जा रहे हैं और 118 प्रयोगशालाओं में सीबीएनएएटी टेस्ट हो रहे हैं।
नई दिल्लीः वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार की आलोचना तब तक राजद्रोह नहीं है, जब तक वह हिंसा को भड़काने वाली नहीं हो.
विनोद दुआ राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनके एक यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर हिमाचल प्रदेश में भाजपा के एक स्थानीय नेता ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कराया है.
स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, दुआ ने अदालत के समक्ष कहा कि अगर मैं प्रधानमंत्री की आलोचना करता हूं तो यह सरकार की आलोचना के दायरे में नहीं आता.
दरअसल जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ हिमाचल प्रदेश में भाजपा के एक नेता द्वारा दुआ पर दर्ज कराए गए एक मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
दुआ पर अपने एक यूट्यूब कार्यक्रम के जरिए फरवरी में दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर अफवाह फैलाने और गलत सूचना देने का आरोप है.
दुआ की ओर से उनके मामले की पैरवी कर रहे वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के 1962 के केदारनाथ मामले के फैसले का उल्लेख करते हुआ कहा कि एक नागरिक होने के नाते यह दुआ का अधिकार था कि वह सरकार के बारे में जो भी कहना चाहते हैं, उसे कह या लिख सकते हैं. सरकार की आलोचना या उस पर टिप्पणी कर सकते हैं.
सिंह ने कहा कि हालांकि सरकार की आलोचना या उस पर टिप्पणी ऐसी होनी चाहिए कि उससे लोग सरकार के खिलाफ किसी तरह की हिंसा के लिए न उकसे.
सिंह ने कहा, ‘अगर हमारे प्रेस को स्वतंत्र रूप से कामकाज करने की अनुमति नहीं दी गई तो सच्चे अर्थों में हमारा लोकतंत्र खतरे में है.’
उन्होंने कहा कि दुआ को भारतीय दंड संहिता की धारा 505(2) और 153ए के तहत लगाए गए आरोपों के लिए दुआ को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उन्होंने पत्रकार के रूप में किसी धर्म, नस्ल, भाषा, क्षेत्रीय समूह या समुदाय के खिलाफ कुछ नहीं किया है.
सिंह ने यूट्यूब कार्यक्रम के ट्रांसक्रिप्ट का उल्लेख करते हुए कहा, ‘कार्यक्रम में जो कहा गया था, एफआईआर में उसके विपरीत तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. दोनों मामलों में यह न तो राजद्रोह है और ना दुश्मनी, घृणा या बदनीयत को पैदा करने वाला या बढ़ावा देना वाला बयान है.’
दुआ ने अपनी याचिका में कहा था, ‘मीडिया के खिलाफ एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है, जहां राज्य सरकारें अपनी राजनीतिक विचारधाराओं से मेल नहीं खाने वाले विशेष रूप से प्रसारित कंटेट को लेकर मीडिया के लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराती हैं, जो विशेष रूप से उन्हें प्रताड़ित करने के लिए और उन्हें डराने के लिए होता है ताकि वे सरकार के समक्ष झुक जाएं या पुलिस की कार्रवाई का सामना करें.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुआ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ को बताया कि यूनाइटेड स्टेटस बिल ऑफ राइट्स में नागरिकों और प्रेस दोनों का उल्लेख है लेकिन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में प्रेस का कोई उल्लेख नहीं है.
सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 19 (1) के तहत प्रेस को भी वही अधिकार प्राप्त हैं, जो नागरिकों को हैं. हालांकि नागरिक दैनिक आधार पर रिपोर्ट नहीं करते लेकिन सोशल मीडिया के आने से आम नागरिक भी लगातार लिख रहे हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि स्वतंत्र प्रेस का नहीं होना लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दो सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
बता दें कि भाजपा के स्थानीय नेता अजय श्याम की शिकायत पर छह मई को शिमला के कुमारसेन थाने में विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने और सार्वजनिक क्षति करने जैसे आरोपों में आईपीसी के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
हिमाचल प्रदेश पुलिस 12 जून को दुआ के आवास पर पहुंची थी और उन्हें अगले दिन सुबह दस बजे दूरवर्ती कुमारसेन पुलिस थाने पहुंचने के आदेश दिए थे. इसके बाद दुआ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 14 जून को मामले की तत्काल वर्चुअल सुनवाई की थी और छह जुलाई तक उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा दी थी.
अगले दिन अदालत ने गिरफ्तारी से उनकी सुरक्षा की अवधि बढ़ाकर 15 जुलाई और फिर 20 जुलाई कर दी थी.(thewire)
नयी दिल्ली 23 अगस्त (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और शनिवार देर रात तक संक्रमण के 65 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से कुल संक्रमितों का आंकड़ा 30.38 लाख के पार हो गया तथा 881 कोरोना मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 57 हजार के निकट जा पहुंची।
वायरस के बढ़ते कहर के बीच राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर में लगातार सुधार हो रहा है और आज यह 75 फीसदी के करीब पहुंच गयी।
महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार आज देर रात तक 65,212 नये मामले सामने आने से संक्रमितों का कुल आंकड़ा 30,38,581 तथा मृतकों की संख्या 56,809 हो गयी है।
स्वस्थ होने वालों की अपेक्षा नये मामलों में निरंतर वृद्धि के कारण सक्रिय मामलों भी बढ़ते जा रहे हैं। आज 9,545 और मरीज बढ़ जाने से कुल सक्रिय मामले 7,06,875 हो गये।
इस दौरान 53,546 लोगों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त हाेने वालों का आंकड़ा 22,74,345 पर पहुंच गया जिससे स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर गत दिवस के 74.64 प्रतिशत से आज सुधरकर 74.84 फीसदी पर पहुंच पहुंच गयी। मृत्यु दर भी घटकर 1.88 फीसदी रह जाने से राहत मिली है।
राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे अधिक 14,492 मामले सामने आये। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 10276, कर्नाटक में 7330, तमिलनाडु में 5980, उत्तर प्रदेश में 5217, पश्चिम बंगाल में 3 232, ओडिशा में 2819, बिहार में 2238, केरल में 2172, दिल्ली में 1412, पंजाब में 1316, मध्य प्रदेश में 1226 और हरियाणा में 1161 नये मामले दर्ज किये गये।
कोरोना महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 14,492 मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या आज रात तक बढ़कर 6,61,942 हो गयी। चिंता की असली वजह यह है कि राज्य में आज सक्रिय मामलों में 4,954 की वृद्धि दर्ज की गयी जिससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या 1,69,516 हो गयी।
राज्य में इस दौरान 9,241 मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या भी 4,80,114 पहुंच गयी है। इस दौरान 297 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 21,995 हो गयी है। राज्य में अब तक स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 4,80,114 हो गयी है।
राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर आज आंशिक वृद्धि के साथ 72.53 फीसदी पहुंच गयी जो शुक्रवार को 71.62 प्रतिशत थी जबकि मरीजों की मृत्यु दर आंशिक गिरावट के साथ 3.32 प्रतिशत पर आ गई।