राष्ट्रीय
पटना, 11 अगस्त। बिहार में भले ही अभी कुछ नदियों के जलस्तर में पहले के मुकाबले कमी आई है, लेकिन अभी भी राज्य के 16 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राज्य में अभी भी कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं।
वहीं, राज्य के 16 जिलों के 126 प्रखंडों में अभी भी बाढ़ का पानी फैला हुआ है, बाढ़ की वजह से अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने राहत और बचाव कार्य जारी रहने का दावा किया है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया है। सीएम नीतीश कुमार सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बाढ़ प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में अपने राज्य की समस्याएं रख चुके हैं।
बिहार जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि कोसी के जलस्तर में कमी आ रही है। वीरपुर बैराज के पास सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1़82 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे घटकर 1़75 लाख क्यूसेक हो गया।
इधर, गंडक नदी का जलस्तर में भी कमी हुई है। गंडक का जलस्तर बाल्मीकिनगर बैराज पर सुबह छह बजे 1़80 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे घटकर 1़77 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।
इस बीच राज्य की कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला, बलान और गंगा कई इलाकों में खतरे के निशान से उपर बह रही हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार के 16 जिलों के कुल 126 प्रखंडों की 1,240 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 74 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इन इलाकों में 7 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां करीब 12 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 1,239 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब 9़39 लाख लोग भोजन कर रहे हैं।
रामचन्द्र डू के मुताबिक, बाढ़ के दौरान इलाकों में 24 लोगों की मौत हुई है, इसमें सबसे ज्यादा 10 लोगों की मौत दरभंगा जिले में हुई है। साथ ही बढ़ा की वजह से 66 पालतू पशुओं की भी मौत हुई है।
बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 33 टीमें राहत एवं बचाव का काम कर रही हैं। अब तक पांच लाख से ज्यादा लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है।
अपर सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को 6,000 रुपये की राशि दी जा रही है। अभी तक 6,31,295 परिवारों के बैंक खाते में कुल 37,8़77 करोड़ रूपये जीआर की राशि भेजी जा चुकी है। ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह उस याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानें, जिसके अंतर्गत एक कंपनी पर उत्पाद बेचकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है और कंपनी ने दावा किया है कि यह भोजन और पीपीई किट को किटाणुरहित बनाता है। न्यायमूर्ति डी.एन. पाटिल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने ग्रीन ड्रिम फाउंडेशन की एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा, "याचिका को प्रतिनिधि के तौर पर मानें और कानून, नियम और दिशानिर्देश के अनुसार निर्णय करें।"
याचिकाकर्ता के वकील नीलेश बिलानी ने जनहित याचिका में अदालत से नोवल कोरोनावायरस को मारने और उत्पादों को किटाणुरहित बनाने का दावा करने वाले उत्पादों के टेस्टिंग, लांचिंग और प्रमाणित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का आग्रह किया।
सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता समीर नंदवानी ने अदालत के समक्ष कहा कि 'लोग 9 मेटेरियल प्राइवेट लिमिटेड' ने दावा किया है कि इसके उत्पाद 'कोरोना ओवन' भोजन को किटाणुरहित बना सकता है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने यह भी दावा किया है कि यह पीपीई किट को भी किटाणुरहित बना सकता है, जिससे स्वास्थ्यकर्मी कोरोना रोगियों के इलाज के लिए फिर से प्रयोग मे ला सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए कहा, "उत्पाद को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद बेचा जा रहा है, जिसके पास ऐसे किसी भी उत्पाद के लिए सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार नहीं है।"
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें ऐसे किसी भी संगठन या संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, जो उत्पाद की बिना समुचित जांच के सर्टिफिकेट जारी करते हैं और बाद में इन रिपोर्टों का उपयोग हुआ या नहीं, यह पता नहीं लगाते।(ians)
हाजीपुर, 11 अगस्त। बिहार के वैशाली जिले के चांदपुरा सहायक थाना क्षेत्र में मंगलवार को एक महिला ने अपने दो पुत्रों की कथित रूप से गला दबाकर हत्या करने के बाद खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के पीछे घरेलू विवाद बताया जा रहा है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भिखनपुरा वार्ड संख्या 1 के रहने वाले सुनील राय के पत्नी रेखा देवी का सोमवार की रात किसी बात को लेकर परिवार से विवाद हुआ था, जिससे नाराज रेखा ने मंगलवार को सुबह अपने ही कमरे में दो मासूम बच्चों की गला घोंटकर हत्या कर दी और खुद के शरीर में आग लगा ली।
घटनास्थल पर ही दोनो बच्चों -- आदित्य (4) और आरुष (3) की मौत हो गई जबकि आग से पूरी तरह जली रेखा को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
महनार के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का लग रहा है। उन्होंने बताया कि तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल, हाजीपुर भेज दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद घटना की सही जानकारी मिल पाएगी।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी की चपेट में आए 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों व प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की और सलाह दी कि देश में संक्रमण के प्रभावी प्रबंधन के लिए कंटेनमेंट, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और सर्विलांस सबसे प्रभावी हथियार हैं। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जिन राज्यों में टेस्टिंग कम और पॉजिटिव केस ज्यादा हैं, वहां टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत की बात सामने आई है। बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना में टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत में 80 प्रतिशत कोविड-19 मामले इन 10 राज्यों में दर्ज किए गए हैं।
यह बैठक भारत में वर्तमान कोरोनावायरस की स्थिति पर चर्चा करने और महामारी से निपटने के लिए आगे की योजना बनाने के लिए आयोजित की गई थी।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिल्ली और आस-पास के राज्यों के सहयोग से कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए एक रोडमैप तैयार किए जाने का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कोरोना से निपटने की रणनीति में मुख्य तौर पर कंटेनमेंट जोन का पृथक्करण और स्क्रीनिंग पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
मोदी ने कहा कि देश में दैनिक तौर पर किए जा रहे परीक्षण लगभग सात लाख तक पहुंच गए हैं और लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे कोरोना संक्रमणों और उनके नियंत्रण की जल्द पहचान में मदद मिली है।
देश में औसत मृत्युदर दुनिया में सबसे कम है और लगातार नीचे जा रही है।
मोदी ने कहा, "सक्रिय (एक्टिव) मामलों का प्रतिशत कम हो रहा है, जबकि ठीक होने की दर बढ़ रही है।"
उन्होंने कहा, "हमारे प्रयासों ने बेहतर परिणाम दिए हैं, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा है और भय कम हुआ है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि घातक दर को एक फीसदी से नीचे लाने का लक्ष्य जल्द ही हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "आरोग्य सेतु एप के साथ, हम अपना काम बेहतर तरीके से कर सकते हैं। इस वजह से होम क्वारंटीन सुविधा को बेहतर तरीके से लागू किया जा रहा है।"
देश में अब तक कुल 22,68,675 कोरोनावायरस मामले सामने आए हैं, जिनमें 15,83,489 मरीज ठीक हो चुके हैं। देश में अभी तक 2,52,81,848 नमूनों का परीक्षण किया गया है।
बैठक में भाग लेने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल थे।
मुख्यमंत्रियों ने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सीरो-निगरानी के संचालन के लिए और मार्गदर्शन देने का अनुरोध किया, साथ ही देश में एक एकीकृत चिकित्सा अवसंरचना स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने अपने-अपने राज्यों में जमीनी स्थिति पर प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने महामारी के सफल प्रबंधन में मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की और उनके निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
उन्होंने कोरोना परीक्षणों के बारे में, परीक्षण को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम, टेलीमेडिसिन के उपयोग और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में बदलाव के प्रयासों के बारे में प्रधानमंत्री को सूचित किया।
बैठक में मौजूद लोगों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन शामिल थे।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और घटिया आयातित माल पर नकेल कसने के मद्देनजर केंद्र सरकार के सख्त कदमों से चीन से इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक के सामान समेत सजावटी चीजों के आयात पर लगाम कस गई है। कारोबारी बताते हैं कि चीन से इन उत्पादों का आयात 50 से 60 फीसदी तक घट गया है और आने वाले दिनों में और लगाम लग सकती है क्योंकि हर कोई चाहता है कि घरेलू उत्पाद फले-फूले।
चीनी कस्टम विभाग के हालिया आंकड़े भी बताते हैं कि बीते सात महीने में चीन से भारत का आयात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 24.7 फीसदी घटकर 32.2 अरब डॉलर रह गया है। खासतौर से लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में आयात में भारी कमी आई। आंकड़ों पर गौर करें तो जून और बीते महीनों के मुकाबले जुलाई में चीनी आयात बढ़ा है लेकिन पिछले साल के मुकाबले कम है।
आयातक बताते हैं कि दिवाली के तीन महीने पहले ही सजावटी सामानों के ऑर्डर बुक हो जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक व प्लास्टिक के सामान के ऑर्डर बहुत कम मिल रहे हैं।
ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चीन से कंप्यूटर और इसके पार्ट्स का आयात 50 से 60 फीसदी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस के मानक अनिवार्य करने की शर्तों को लागू करने जा रही है, जिसके बाद मानकों पर खरा उतरने वाली वस्तुओं के आयात की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी वजह है जिससे चीन से आयात मांग कम है। अग्रवाल ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद आयातकों में सरकार की नीतियों में बदलाव होने और आयात शुल्क बढ़ने की भी आशंका बनी हुई है।
इसी प्रकार, प्लास्टिक के सामान के आयातक दिनेश गुप्ता ने कहा कि चीन से अभी आयात बंद नहीं हुआ है, लेकिन इसमें 50 फीसदी तक कमी जरूर आ गई है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के पायदान समेत घरों में इस्तेमाल होने वाले चीनी सामान काफी सस्ते होते हैं, लेकिन उनका आयात इस बार बहुत कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय उत्पाद की तुलना में उनकी क्वालिटी अच्छी नहीं होती है, लेकिन सस्ता होता है।
चीन से प्लास्टिक के सामान का आयात घटने की वजह पूछने पर गुप्ता ने कहा कि पहली वहज आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और दूसरी घटिया व सस्ते चीनी सामान का बहिष्कार है। उन्होंने कहा कि सीमा पर चीन और भारत की सेना के बीच झपड़ की घटना के बाद राष्ट्रीय भावना से चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति लोगों की दिलचस्पी कम हुई है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है।
कारोबारी बताते हैं कि चीन से भारत 4,000 से ज्यादा तरह के उत्पादों का आयात करता है, जिनमें ज्यादातर उत्पादों का आयात दूसरे देशों से महंगा होता है, इसलिए इनके लिए चीन पर निर्भरता बनी हुई है। मगर, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर आत्मनिर्भरता लाई जा सकती है। हालांकि हाल के दिनों में बैटरी, मोबाइल फोन, स्पीकर, इलेक्ट्रिक के सामान आदि की आयात मांग काफी कम हो गई है।
इंडियन इंपोर्ट्स चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के डायरेक्टर टी. के. पांडेय ने कहा कि इस समय गैर-जरूरी वस्तुओं का आयात चीन से नि:संदेह घट गया है, लेकिन जो जरूरी चीजें हैं उनका आयात हो रहा है। पांडेय ने कहा कि चीन से आने वाले कच्चे माल को नहीं रोका जा सकता है क्योंकि उससे घरेलू विनिर्माण की लागत बढ़ जाएगी और चीजें महंगी हो जाएंगी।
वाणिज्य मंत्रालय ने 371 आयातित मदों को चिन्हित किया है, जिनके लिए बीआईएस द्वारा मानक तय किए जाएंगे। इनमें बिजली के सामान, फार्मास्युटिकल्स, केमिकल्स व स्टील के सामान और खिलौने समेत कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।
भारत सबसे ज्यादा खिलौने चीन से ही आयात करता है, लेकिन भारत सरकार द्वारा फरवरी में जारी खिलौना, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश एक सितंबर से प्रभावी होने वाला है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग जारी इस आदेश के अनुसार, खिलौने पर भारतीय मानक चिन्ह यानी आईएस मार्क का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। इससे चीन से सस्ते खिलौने के आयात पर रोक लगेगी।(ians)
नई दिल्ली, 11 अगस्त। राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बचाने और बागी नेता सचिन पायलट और उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी सुनिश्चित कर दिग्गज कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पार्टी नेतृत्व को संकट से निकालने का उनका कौशल क्यों जबरदस्त और जरूरी है। जब भी कांग्रेस के लिए समस्या पैदा होती है सभी की निगाहें पटेल पर टिक जाती हैं। साल 2004 और 2014 के बीच कई दलों के साथ गठबंधन में दो बार यूपीए सरकार के सुचारु रूप संचालन में उनकी अहम भूमिका रही।
वह अभी भी कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण वातार्कार हैं, जो उन्होंने मध्य प्रदेश में पार्टी के बुरे अनुभव के बाद राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने के भाजपा के प्रयासों को विफल करके साबित किया।
कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता खोने के छह महीने के भीतर दूसरा राज्य नहीं खोना चाहती थी और इसलिए अपने दिग्गज नेता की बातचीत के कौशल पर भरोसा जताया।
सचिन पायलट के मामले में, यह कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे, जिन्होंने तत्कालीन राजस्थान के उपमुख्यमंत्री द्वारा बगावत के पहले दिन चार विधायकों की वापसी कराने में कामयाबी हासिल की थी।
राज्यसभा सदस्य पटेल ने पार्टी के बागियों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया और राज्य सरकार को बचाने के लिए अशोक गहलोत का समर्थन किया। यह लड़ाई कई मोर्चो पर लड़ी गई।
कांग्रेस की कानूनी टीम ने इसे अदालतों में लड़ा, गहलोत ने अपने विधायकों पर पकड़ बनाए रखी, और साथ ही कुछ भाजपा विधायकों पर जीत हासिल करने का प्रयास किया।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि पटेल की कार्यशैली ने लड़ाई में जुटे गुटों के बीच सेतु बनाने में मदद की। वह पार्टी में अलग-अलग आवाजें उठा सकते हैं और फिर भी बड़े राजनीतिक ऑपरेशन करते हुए पर्दे के पीछे रह सकते हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पायलट खेमे में 'ट्रोजन हॉर्स' भी मौजूद थे जो कांग्रेस नेतृत्व के साथ नियमित संपर्क में थे। एक बार जब पायलट खेमे ने बातचीत शुरू की, तो कांग्रेस द्वारा पहला कदम राजस्थान पुलिस एसओजी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोपों को हटाने के लिए उठाया गया था।(ians)
यवतमाल (महाराष्ट्र), 11 अगस्त। शिवसेना नेता किशोर तिवारी द्वारा अनावश्यक कोविड प्रतिबंधों का विरोध करने के लिए सड़क पर लेटकर एक अनोखा आंदोलन शुरू करने के घंटों बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने मामले में हस्तक्षेप कर उसे मंगलवार की सुबह सुलझाया। तिवारी ने आईएएनएस से कहा, "कल शाम मुझे संबंधित अधिकारियों का फोन आया था, जो पांधारकावाड़ा शहर के लोगों की समस्याओं के बारे में पूछताछ कर रहे थे। मैंने उन्हें विस्तृत जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने इस मामले पर कार्रवाई की। इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई के लिए हम उनके बहुत आभारी हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय अधिकारियों और पुलिस के साथ विचार-विमर्श के बाद सभी अनावश्यक बैरिकेड्स हटा दिए गए थे और कंटेनमेंट जॉन के साथ ही अन्य क्षेत्र, जिन्हें सील किया गया था, वहां से सील हटा दिया गया।
सोमवार से लेकर मंगलवार तक करीब 18 घंटे तक लेटे रहे तिवारी ने आगे कहा, "मैंने तीन सप्ताह से अधिक समय तक इंतजार किया कि संबंधित टीमें काफी समय से बंद पड़े इलाकों को मुक्त कराएं। अंत में यह रात 2 बजे तक पूरा हो गया और मैंने अपना आंदोलन बंद कर दिया।"
आज सुबह से ही पांधारकावाड़ा शहर के लोगों ने सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे मास्क पहनना, सैनिटाइजर का प्रयोग और दूसरों से शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू किया।
वसंतराव नाइक शेट्टी स्वावलंबन मिशन (वीएनएसएसएम) के अध्यक्ष तिवारी को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है, उन्होंने अनावश्यक प्रतिबंधों को हटवाने के लिए सोमवार दोपहर को एक अनोखा आंदोलन शुरू किया।
तिवारी ने सड़क पर लेटकर विरोध जताने के लिए शहर के प्रमुख सड़का का चौराहा चुना। इस दौरान पुलिस भी मौजूद थी। इस मुद्दे को सर्वप्रथम आईएएनएस ने हाईलाइट किया।
तिवारी ने मीडिया से कहा, "पिछले पांच महीनों से अर्थव्यवस्था कांप रही है। लोगों के पास कोई नौकरी नहीं है, आय का कोई स्रोत नहीं है, दुकानें और व्यवसाय बंद हैं। केंद्र और राज्य सरकारें 'अनलॉक 3.0' शुरू कर चुकी हैं, लेकिन यह पांधारकावाड़ा में ऐसा कुछ नजर नहीं आया।"
उन्होंने कहा कि जब भी शहर में नए कोरोना मामलों का पता चलता है, स्थानीय अधिकारी और पुलिस तुरंत तीन सप्ताह के लिए बड़े क्षेत्रों को सील कर देते हैं और उसे आइसोलेशन या कंटेनमेंट जॉन घोषित कर देते हैं।
तिवारी ने कहा, "यह पूरी तरह अनुचित है। बैंक, खरीदारी क्षेत्र, आवासीय इलाके हैं जो स्थानीय और पुलिस के आदेशों के कारण बंद हैं। इस तरह के लंबे अवधि वाले प्रतिबंधों को मुंबई, पुणे या ठाणे, में भी नहीं देखा गया, जो कि सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।"(ians)
बुलंदशहर, 11 अगस्त। उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में छेडख़ानी से बचने के दौरान एक युवती की मौत हो गई। सोमवार को सुदीक्षा भाटी अपने भाई और चाचा के साथ स्कूटी पर जा रही थी। तभी बुलेट सवार दो मनचलों ने सुदीक्षा से चलती गाड़ी में छेड़छाड़ की। सुदीक्षा के घर वालों का आरोप है कि बुलेट सवार युवक बार-बार स्कूटी को ओवरटेक कर रहा था।
सुदीक्षा भाटी के चाचा सतेंद्र भाटी ने मीडिया को बताया है कि कुछ मनचले बाइक पर उनकी बाइक का पीछा कर रहे थे और बार-बार उनकी गाड़ी के आगे और पीछे आ रहे थे। इसके अलावा भद्दे शब्दों का भी इस्तेमाल कर रहे थे और सुदीक्षा पर फब्तियां कस रहे थे। उनकी बाइक का बार-बार पीछा करने के दौरान उनकी बाइक के आगे गाड़ी आ गई थी और वे इससे टकरा गए। उनकी बाइक से सुदीक्षा सडक़ पर गिरी। सिर में चोट आने पर उसकी मृत्यु हो गई है। उसके चाचा और भाई घायल हैं।
गरीब परिवार की होनहार बेटी सुदीक्षा भाटी की मौत से पूरे इलाके में मातम पसर गया है। सुदीक्षा का परिवार गरीब है लेकिन उनकी बेटी इतनी होनहार थी कि उसने 2018 में 12वीं की क्लास में जिले में टॉप किया था। जिसके बाद अमेरिका में पढ़ाई के लिए उसे चार करोड़ की स्कॉलरशिप मिली थी। अमेरिका में छुट्टियों की वजह से वह जून में भारत आई थी और 20 अगस्त को उसे वापस अमेरिका लौटना था। सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी चाय की दुकान चलाते हैं। उन्होंने कहा कि आज फिर एक तारा टूट गया। मुझे पुलिस से कोई इंसाफ नहीं चाहिए। इंसाफ मेरी बेटी को चाहिए। उसका कोई दोष नहीं था।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि बुलंदशहर की घटना यूपी में कानून के डर के खात्मे और महिलाओं के लिए फैले असुरक्षा के माहौल को दिखाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन छेडख़ानी की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेता। इसके लिए व्यापक फेरबदल की जरूरत है। महिलाओं पर होने वाले हर तरह के अपराध पर जीरो टॉलरेंस होना चाहिए।
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट करके योगी सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट किया है कि एक गरीब परिवार से निकलकर अमेरिका में पढ़ाई करने वाली बहन सुदीक्षा भाटी हमारे बीच नहीं रही। सडक़ छाप शोहदों के छेडख़ानी से बचने के प्रयास में उनकी एक्सीडेंट से मौत हो गई। अत्यंत ही दुखद! दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो एवं सुदीक्षा के परिवार को उचित आर्थिक मदद दी जाए।
सुदीक्षा की मौत ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। राजनीति गलियारों में यूपी में बढ़ते अपराध और मनचलों को शह की जमकर आलोचना हो रही है।
कोलकाता, 11 अगस्त (आईएएनएस)| कोलकाता में एक निजी अस्पताल के बाहर एम्बुलेंस में इलाज मिलने का इंतजार कर रही एक 60 वर्षीय महिला कोरोनोवायरस रोगी की मौत हो गई। कथित तौर पर अस्पताल ने महिला के लिए परिवार से अस्पताल में 3 लाख रुपये जमा कराने को कहा था। यह घटना सोमवार रात को यहां के ईएम बाईपास पर देसून अस्पताल में हुई। मरीज को पूर्वी मिदनापुर के तमलुक से लाया गया था। मृतका के पति की तीन दिन पहले कोविड-19 से मौत हो गई थी।
महिला के परिवार ने कहा कि जब वे मरीज को अस्पताल ले गए तो उन्हें 3 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने तुरंत 80,000 रुपये जमा किए और शेष राशि की व्यवस्था करने के लिए एक घंटे का समय मांगा। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से उन्हें बताया कि जब तक पूरा भुगतान नहीं करेंगे डॉक्टर इलाज शुरू नहीं कर पाएंगे।
परिजनों ने बाद में और 2 लाख रुपये की व्यवस्था कर उन्हें सौंपा, लेकिन तब तक एंबुलेंस में मरीज की मौत हो चुकी थी। मामले पर अस्पताल के अधिकारियों ने कोई भी मीडिया बयान जारी करने से इनकार कर दिया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा, "मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से सभी निजी मेडिकल फैकल्टीज को निर्देश दिया है कि वे ऐसी आपात स्थितियों में इलाज में देरी न करें। यह बिल्कुल अनुचित है।"
सेन ने अस्पताल के अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए औपचारिक शिकायत के साथ शोक संतप्त परिवार को स्टेट मेडिकल रेगुलेटरी कमिशन से संपर्क करने का आग्रह किया।
हावड़ा जिले के जायसवाल अस्पताल में भी कथित चिकित्सा में लापरवाही बरतने की एक अन्य घटना सामने आई है, जिसमें कोरोना रोगी मौमिता घोष की उचित देखभाल नहीं की जा रही है। मौमिता पिछले सात दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं, लेकिन अचानक उन्हें सांस लेने में समस्या होने लगी। उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। उन्हें मदद की गुहार के लिए सोशल मीडिया पर लाइव आना पड़ा।
बाद में पश्चिम बंगाल के मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला ने उनके वीडियो को देखकर उनके लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (वार्ता)। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर के दो जिलों में 15 अगस्त के बाद ट्रायल के तौर पर 4जी इंटरनेट सेवा उपलब्ध करायी जाएगी।
केंद्र सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ को बताया कि विशेष समिति ने गत 10 अगस्त को आयोजित बैठक में जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति की समीक्षा की और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता भी जतायी।
श्री वेणुगोपाल ने कहा कि समिति ने भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर के कुछ ही इलाके में सख्त निगरानी के साथ हाईस्पीड इंटरनेट सुविधा बहाल की जा सकती है। लेकिन ये इलाके आतंकवादी गतिविधियों की ²ष्टि से कम प्रभावित होने चाहिएं।
उन्होंने कहा कि समिति के इस सुझाव के मद्देनजर जम्मू संभाग के एक और कश्मीर संभाग के एक जिले में ट्रायल के तौर पर 15 अगस्त के बाद 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जायेगी। उसके उपरांत दो माह बाद स्थिति की समीक्षा की जायेगी। एटर्नी जनरल ने कहा कि विशेष समिति का भी यही मानना है कि जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के अनुकूल माहौल अब भी नहीं है।
खंडपीठ गैर सरकारी संगठन फाउण्डेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई के बाद याचिका आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गयी थी।
याचिका में कहा गया है कि 11 मई को कोर्ट ने इंटरनेट बहाली पर फैसला लेने के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जबकि सरकार ने बताया कि समिति गठित की जा चुकी है।
रांची, 11 अगस्त। कहते हैं पढ़ाई-लिखाई की कोई उम्र नहीं होती, शायद यही सोच कर झारखंड के शिक्षा मंत्री, जगरनाथ महतो ने 53 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई को दोबारा शुरू करने की सोची है। इसके लिए उन्होंने बोकारो के नावाडीह के देवी महतो इंटर कॉलेज में दाखिला भी ले लिए है।
इंटर कॉलेज के प्राचार्य दिनेश प्रसाद वर्णवाल ने खुद शिक्षा मंत्री का आर्ट्स संकाय में रजिस्ट्रेशन किया। नामांकन दर्ज कराने के लिए शिक्षा मंत्री सोमवार को कॉलेज के कार्यालय कक्ष में पहुंचे। अपना नामांकन फॉर्म खुद भरकर 1100 रुपये शुल्क के साथ जमा करवाया।
अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू करने के लिए उत्साहित शिक्षा मंत्री ने कहा कि वह सारा काम देखते हुए सब कुछ करेंगे। क्लास भी करेंगे और मंत्रालय भी संभालेंगे घर में किसानी का काम भी करेंगे, ताकि मेरे काम को देखकर अन्य लोग भी प्रेरित हों।
इसी साल जनवरी में उन्होंने शिक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया है। जब उन्हें ये जि़म्मेदारी मिली तो विरोधी दल ये सवाल उठाने लगे थे कि दसवीं पास को शिक्षा विभाग दे दिया गया है। तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वो आगे की पढ़ाई पूरी करेंगे, जिसे उन्होंने 1995 में मैट्रिक परीक्षा देने के बाद छोड़ दी थी।
देखा जाये तो शिक्षा मंत्री का ये कदम झारखंड में कई मंत्रियो के लिए प्रेरणादायक हो सकता है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में दाखिल शपथ पत्र के अनुसार झारखंड में कई और मंत्री है जो दसवीं पास है। इन में बन्ना गुप्ता (स्वास्थ्य मंत्री), चंपई सोरेन (परिवहन मंत्री), जोबा मांझी (समाज कल्याण मंत्री) और सत्यानंद भोक्ता (श्रम मंत्री) का नाम शामिल है। (firstbihar)
नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सोमवार को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में एक ब्रेन सर्जरी की गई। मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए की गई इस सर्जरी के बाद अब वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। यह जानकारी सूत्रों से मिली है।
सर्जरी से पहले 84 साल के मुखर्जी का कोरोनावायरस टेस्ट भी पॉजिटिव पाया गया था।
उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया था, "एक अलग प्रक्रिया के लिए अस्पताल आया हूं और यहां मेरा कोविड-19 परीक्षण पॉजिटिव आया है। पिछले सप्ताह मेरे संपर्क में आए लोगों से मैं अनुरोध करता हूं कि वे स्वयं को आइसोलेट कर लें और कोविड-19 का परीक्षण कराएं।"
मुखर्जी के यह खबर साझा करते ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा, "पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी दा के कोविड-19 पॉजिटिव होने की खबर सुनकर चिंतित हूं। मेरी प्रार्थनाएं उनके और उनके परिवार के साथ हैं। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।"
कांग्रेस के प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस अनुभवी नेता के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी इस बारे में ट्वीट किया गया।
बता दें कि लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान मुखर्जी ने वित्त और रक्षा मंत्री जैसे पद भी संभाले। बाद में वे 2012 में देश के राष्ट्रपति बने और 2017 तक कार्य किया।
नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोनावायरस प्रकोप के बीच दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा और मध्य प्रदेश में स्टॉक की कमी के कारण पूरे देश में मेडिकल गर्भपात गोलियों की अत्यधिक कमी हो गई है।
सोमवार को एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ।
'फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज' द्वारा 1,500 दवा विक्रेताओं (केमिस्ट) पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि पंजाब में केवल एक प्रतिशत, तमिलनाडु और हरियाणा में दो-दो प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 6.5 प्रतिशत और दिल्ली में 34 प्रतिशत केमिस्टों के पास गर्भपात की दवाओं का स्टॉक है।
वहीं, असम में 69.6 प्रतिशत केमिस्टों के पास स्टॉक है।
अध्ययन के अनुसार, दवाओं के नॉन-स्टॉकिंग को ड्रग कंट्रोल अधिकारियों द्वारा अति-विनियमन से जोड़ा मालूम पड़ता है। लगभग 79 प्रतिशत केमिस्ट कानूनी वजहों और अत्यधिक दस्तावेजीकरण जैसी आवश्यकताओं से बचने के लिए इन दवाओं का स्टॉक नहीं करते हैं।
यहां तक कि असम में, जहां सबसे अधिक स्टॉकिंग प्रतिशत है, 58 प्रतिशत केमिस्ट दवाओं के अति-विनियमन (ओवर रेगुलेशन) की बात कहते हैं। हरियाणा में 63 फीसदी केमिस्ट, मध्य प्रदेश में 40 प्रतिशत, पंजाब में 74 फीसदी और तमिलनाडु में 79 फीसदी केमिस्टों ने कहा कि राज्य-वार कानूनी बाधाएं गर्भपात दवाओं के नॉन-स्टॉकिंग का एक प्रमुख कारण बनी हुई हैं।
एफआरएचएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी.एस. चंद्रशेखर ने आईएएनएस को बताया, "दवाओं का स्टॉक नहीं करने का स्थानीय दवा प्राधिकरणों का अति-विनियमन है। जबकि यह एक शेड्यूल के ड्रग है और यहां तक कि आशा कार्यकर्ताओं को समुदायों में वितरित करने के लिए दिया जाता है, कई खुदरा विक्रेता गलतफहमी और कानूनी बाधाओं के कारण उन्हें स्टॉक नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा गर्भपात की दवाएं 81 फीसदी महिलाओं के लिए गर्भपात का सबसे पसंदीदा तरीका है और इसलिए उनकी उपलब्धता में कमी महिलाओं को प्रभावित करती है, जो सर्जिकल गर्भपात के तरीकों को नहीं अपनाना चाहती है।
चंद्रशेखर ने कहा, "महामारी के बीच में जब लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित है और परिवार नियोजन के क्लीनिकल तरीके पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं, तो दवाओं के लिए अप्रतिबंधित पहुंच सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है।"
चंद्रशेकर प्रतिज्ञा एडवाइजरी ग्रुप के सदस्य भी हैं।
हालांकि अध्ययन का उद्देश्य दवाओं की उपलब्धता की तस्दीक करना था, लेकिन निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि तमिलनाडु राज्य में केमिस्टों द्वारा आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों (ईसीपी) का स्टॉक नहीं किया जा रहा है।
राज्य में सर्वेक्षण में शामिल केमिस्टों में से केवल 3 प्रतिशत ने ईसीपी का स्टॉक किया है और 90 प्रतिशत ने नहीं किया है, उन्होंने कहा कि राज्य में गोलियां प्रतिबंधित हैं। आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां नॉन-प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाएं हैं और राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ताओं द्वारा स्टॉक और वितरित भी की जाती हैं। केमिस्टों को ईसीपी की स्टॉक की अनुमति नहीं देना तमिलनाडु की महिलाओं को गर्भनिरोधक विकल्प का उपयोग करने के लिए एक सुरक्षित और आसान तरीके से मना करने जैसा है।
एमए दवाओं की अनुपलब्धता का मुख्य कारण यह गलत समझ है कि नियामक अधिकारियों के बीच जेंडर बायस्ड सेक्स सेलेक्शन के लिए मेडिकल अबॉर्शन कॉम्बिपैक्स का उपयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग केवल नौ सप्ताह तक करने के लिए संकेत दिया जाता है जबकि एक अल्ट्रासाउंड 13-14 सप्ताह के गर्भ में भ्रूण के लिंग का पता लगा सकता है।
केमिस्ट हालांकि इस गलत धारणा को साझा नहीं करते हैं।
एफआरएचएस इंडिया की क्लीनिकल सर्विस की निदेशक डॉ. रश्मि आर्डी ने कहा, "स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को स्पष्ट करना चाहिए कि भारत में नौ सप्ताह तक इस्तेमाल करने के लिए अनुमोदित एमए दवाओं का इस्तेमाल गर्भावस्था के सेक्स सेलेक्शन (लिंग चयनित) टर्मिनेशन के लिए नहीं किया जा सकता है।"
छानबीन और अधिक विनियमन, एमए दवाओं की अनुपलब्धता के लिए अग्रणी चिंता का एक प्रमुख कारण है और लाखों महिलाओं के सुरक्षित गर्भपात विधि तक पहुंच से वंचित होने की आशंका है। डब्ल्यूएचओ ने 2019 में, आवश्यक दवाओं की कोर सूची में एमए दवाओं को शामिल किया, और अपनी पहले की उस एडवाइजरी को हटा दिया जिसमें दवाओं को लेते समय मेडिकल निगरानी की आवश्यकता थी।
एफआरएचएस इंडिया की सीनियर मैनेजर-पार्टनरशिप देबंजना चौधरी ने कहा कि एमए दवाओं के स्टॉकिंग में अनावश्यक बाधाओं को हटाने से यह सुनिश्चित होगा कि महिलाएं अपनी पसंद के विकल्प का उपयोग कर सकेंगी।
इंदौर, 11 अगस्त (आईएएनएस)| मॉडलिंग का झांसा देकर युवतियों की पोर्न फिल्म बनाने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर इंदौर पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। भिंड निवासी ब्रजेंद्र जमानत कराने मुंबई से इंदौर आया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, ब्रजेंद्र मॉडलिंग का काम दिलाने का झांसा देकर युवतियों को अपने जाल में फंसाता था। पिछले दिनों उसने इंदौर में एक युवती को फॉर्म हाउस पर फिल्म में काम दिलाने के नाम पर बुलाया और उसकी अश्लील फिल्म बनाई।
युवती ने पुलिस में शिकायत करते हुए बताया था कि उसे बोल्ड सीरीज के लिए कुछ सीन देने का कहा गया और अश्लील कंटेंट हटाने की बात कही, मगर ऐसा हुआ नहीं। उस फिल्म को पोर्न साइट पर अपलोड कर दिया गया था। उसके बाद युवती ने साइबर सेल में शिकायत की थी। उसी के आधार पर ब्रजेंद्र की गिरफ्तारी की गई है। वह जमानत कराने इंदौर आया था।
गुवाहाटी: असम में भाजपा विधायक शिलादित्य देव की विवादित टिप्पणी के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं. आरोप है कि उन्होंने सम्मानित विद्वान पद्मश्री स्वर्गीय सैयद अब्दुल मलिक को ‘बुद्धिजीवी जेहादी’ कहा था.
शिलादित्य होजाई से भाजपा विधायक हैं.
भाजपा नेता एवं असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के प्रमुख मुमिनुल ओवाल ने बयान की निंदा की और अपनी पार्टी के सहयोगी से सार्वजनिक तौर पर माफी की मांग की है.
कांग्रेस ने देव को ‘पागल व्यक्ति’ कहा है, जिसे लगातार विवादित एवं सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बयानों के लिए पागलखाने भेज दिया जाना चाहिए.
साथ ही पार्टी ने उन्हें भाजपा का राखी सावंत (बॉलीवुड अभिनेत्री) भी बताया. बॉलीवुड अभिनेत्री अपने विवादित बयानों के लिए जानी जाती हैं.
कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने देव के खिलाफ गुवाहाटी में हांटीगांव पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई है और होजाई निर्वाचन क्षेत्र के इस विधायक की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है.
सदाओ असम गोरिया-मोरिया-देशी जातीय परिषद ने बारपेटा, धुबरी और मोरीगांव जिलों में विभिन्न पुलिस थानों में शिकायत दर्ज कराई है जबकि सदाओ असम गोरिया-युवा छात्र परिषद ने गुवाहाटी में जालुकबारी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है.
असम सोनग्रामी युवा मंच ने भी हाटीगांव पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है और देव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
भाजपा नेता ओवाल ने भी देव की टिप्पणी की आलोचना की, उन्होंने कहा, ‘शिलादित्य ने जो कहा, मैं उसका विरोध और कड़ी निंदा करता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘अगर वह सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगते हैं तो मैं हमेशा उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाऊंगा.’
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बेहद सम्मानित कवि, उपन्यासकार और लघु कथा लेखक मलिक के खिलाफ देव की आपत्तिजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है.
कांग्रेस लोकसभा सदस्य अब्दुल खलीक ने भाजपा विधायक को एक पागल व्यक्ति करार दिया है, जिसे पागलखाने भेजा जाना चाहिए.
कांग्रेस के एक अन्य नेता कमल कुमार मेधी ने कहा, ‘शिलादित्य देव भाजपा की राखी सावंत हैं. असमिया समाज को उन्हें खास तवज्जो नहीं देनी चाहिए.’
असम साहित्य सभा के अध्यक्ष कुलधर सैकिया ने मलिक के खिलाफ ‘विवादित टिप्पणियों’ की निंदा की. मलिक शीर्ष साहित्यिक निकाय के अध्यक्ष भी हैं.
देव ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि मलिक एक कवि हैं जो ‘बौद्धिक जेहाद’ कर रहे हैं. उन्होंने यह बयान राम मंदिर के शिलान्यास के दिन सोनितपुर जिले में हुए हालिया सांप्रदायिक संघर्ष पर टिप्पणी करते हुए दिया था.
राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठते हुए, इस टिप्पणी पर राज्य भर में तमाम लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कई समूहों ने रविवार को देव का पुतला भी जलाया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शिलादित्य देव ने पिछले महीने भाजपा नेताओं द्वारा उपेक्षा और समूहवाद का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने की बात कही थी, लेकिन बाद में उन्होंने यू-टर्न ले लिया और इस्तीफा नहीं दिया.
बता दें कि देव विवादित बयान देने के लिए हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. खासकर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए.
इससे पहले साल 2018 में असमियों और बंगालियों को विभाजित करने के लिए कथित रूप से भड़काऊ बयान देने के लिए सिलचर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
इसके अलावा 2018 में ही राज्य के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर लगातार सांप्रदायिक टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नगांव की अदालत में मुकदमा दर्ज किया गया था.
देव ने आरोप लगाया था कि हिंदू शरणार्थियों को विदेशियों के रूप में दिखाया जा रहा है, जबकि अंतिम एनआरसी में बांग्लादेशी मुसलमानों के नाम प्रकाशित किए गए थे.
नवंबर 2018 में तिनसुकिया जिले में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा पांच लोगों की हत्या के बाद राज्य भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने कहा था कि कुछ समूहों और व्यक्तियों द्वारा भड़काऊ बयान दिए गए थे.
उस समय दास ने मीडिया को बताया था कि शिलादित्य देव को दो बार चेतावनी दी गई थी कि वे ऐसा कोई बयान न दें अन्यथा भाजपा उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संसदीय बोर्ड को लिखेगी.(thewire)
-दिलीप कुमार शर्मा
असम विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के एक सहायक प्रोफ़ेसर अनिन्द्य सेन के ख़िलाफ़ सिलचर सदर थाने में एक मामला दर्ज किया गया है.
प्रोफ़ेसर सेन पर यह मामला कथित तौर पर भगवान राम के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी करने तथा धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया है.
दरअसल, 5 अगस्त को प्रोफ़ेसर सेन ने अपने फ़ेसबुक पर 'भगवान राम के उनकी पत्नी सीता को त्यागने' के संदर्भ में एक पोस्ट लिखी थी.
उन्होंने अपनी चार लाइन की फ़ेसबुक पोस्ट में पहली पंक्ति में लिखा था कि 'यह सब नाटक एक आदमी के लिए है जिसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था.'
प्रोफ़ेसर ने पोस्ट की अंतिम लाइन में भगवान राम का नाम लिखा था. उनकी इस फ़ेसबुक पोस्ट पर कई लोगों ने आपत्तिजनक मैसेज भी भेजे थे.
एफ़आईआर की कॉपी में कहा गया है कि प्रोफ़ेसर सेन ने सोशल मीडिया पर भगवान रामचंद्र के ख़िलाफ़ अपमानसूचक टिप्पणी कर हिन्दू धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत किया है.
इसके साथ ही एफ़आईआर में प्रोफ़ेसर सेन पर सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे 'संवैधानिक पदों की अवमानना' का आरोप भी लगाया है.
पुलिस ने प्रोफ़ेसर सेन के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा-295ए, 294 और 501 के तहत एक मामला दर्ज कर लिया है.
प्रोफ़ेसर सेन के ख़िलाफ़ एफआरआई दर्ज करवाने वाले रोहित चंदा का कहना है कि 5 अगस्त को जब पूरा देश शांतिपूर्ण ढंग से राम मंदिर का भूमि-पूजन समारोह मना रहा था, उस दिन प्रोफ़ेसर ने सांप्रदायिक अशांति को भड़काने और धार्मिक दंगे के लिए समाज को उकसाने के इरादे से सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली थी.
सिलचर के गुरु चरण कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रहे 18 साल के रोहित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सिलचर यूनिट के एजिटेशन इंचार्ज हैं.
उन्होंने इस घटना पर बीबीसी से कहा, "प्रोफ़ेसर सेन काफ़ी समय से इस तरह की पोस्ट लिखते आ रहे थे. सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले एक प्रोफ़ेसर का ऐसा करना ठीक नहीं है. उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ भी टिप्पणियां की है. हो सकता है उन्हें शासन करने वाली पार्टी अच्छी नहीं लगती हो, लेकिन किसी धर्म के बारे में अपमानसूचक बातें करना या फिर उसे नीचा दिखाना कैसे सही हो सकता है. प्रोफ़ेसर सेन ने श्री राम के जीवन को अपमानित संदर्भ में लिखा और हिन्दू धर्म को मानने वालों की भावनाओं को आहत किया."
एक जानकारी साझा करते हुए रोहित ने बताया कि बजरंग दल के कार्यकर्ता स्नेहांग्शु चक्रवर्ती ने भी प्रोफे़सर सेन के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई है.
कछार ज़िले के पुलिस अधीक्षक भंवर लाल मीणा ने प्रोफ़ेसर सेन के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज होने की पुष्टी करते हुए कहा, "प्रोफ़ेसर सेन की फ़ेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट से जुड़ा मामला है जिसमें धार्मिक भावनाओं को आहत करने की शिकायत मिली है. हम मामले की जाँच कर रहें हैं."
इस मामले में प्रोफ़ेसर सेन पर जो धाराएं लगाई गई है उनमें धारा-295ए संज्ञेय तथा ग़ैर-ज़मानती और ग़ैर-कंपाउंडेबल अपराध के लिए है जिसमें गिरफ़्तार व्यक्ति को गिरफ़्तारी के तुरंत बाद ज़मानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं होता है.
इस मामले में ज़मानत देने या देने से इनकार करना न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है.
ऐसे में प्रोफ़ेसर सेन इस ग़ैर-ज़मानती धारा को लेकर फ़िलहाल क़ानूनी सलाह ले रहे हैं.
अपने ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर बात करते हुए प्रोफ़ेसर सेन ने बीबीसी से कहा, "रामायण महाकाव्य के कई अलग-अलग संस्करण में राम के अपनी पत्नी को त्यागने की बात का उल्लेख है. राम के बारे में विभिन्न बिंदुओं पर जो आलोचना है, वो बहुत पुरानी है. मैंने कुछ नया नहीं लिखा. मेरा इरादा कभी भी किसी हिन्दू भगवान या देवी का अपमान करने या किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का नहीं रहा."
उनका कहना है कि 'इस मामले को इतना बड़ा बनाया गया क्योंकि एक ग्रुप है जो मेरे पीछे पड़ा हुआ है और उन्हीं लोगों ने ग़ैर-ज़मानती धारा-295ए के तहत यह एफ़आईआर कराई है.'
प्रोफ़ेसर सेन के ख़िलाफ़ यह मामला 8 अगस्त को दर्ज किया गया था, लेकिन अब तक पुलिस ने उनसे संपर्क नहीं किया है.(bbc)
बरेली, 10 अगस्त। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की दो जेलों में से 56 कैदियों को कोरोनावायरस से पॉजिटिव पाया गया है। इसकी जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी।
जिला निगरानी अधिकारी अशोक कुमार ने कहा कि केंद्रीय कारागार में 51 कैदी और जिला कारागार में 5 कैदियों को पॉजिटिव पाया गया है।
कुमार ने कहा कि जेल में कोरोनावायरस से कैदी की मौत के बाद अन्य कैदियों का जांच करवाया गया था।
जिले में अब तक कोरोनावायरस के 3,773 मामले सामने आए हैं, जबकि इस वायरस से 98 लोगों की मौत हो गई है।
इस बीच रविवार को बांदा जिला में कोरोनावायरस से एक पत्रकार की मौत हो गई।
52 वर्षीय पत्रकार अंजनी निगम को बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, बाद में हालत बिगड़ने पर उन्हें शनिवार को लखनऊ पीजीआई में रेफर किया गया था।(ians)
नई दिल्ली, 10 अगस्त। राजस्थान कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच मुलाकात की अटकलों के बीच, कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने दावा किया है कि दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ है और सोमवार को ही औपचारिक बैठक हो सकती है। इससे पहले पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, मगर सभी की निगाहें 10 जनपथ पर हैं, जो पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का आधिकारिक निवास है।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों की ओर से कोई पूर्व शर्त नहीं है और वे राज्य में उनकी सरकार को खतरे में डालने वाले संकट के सुखद अंत की उम्मीद कर रहे हैं।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि अनुभवी पार्टी नेता अहमद पटेल ने उस मुद्दे को सुलझाने के लिए समझौता किया, जिसने पायलट खेमे के बागी तेवरों के बाद अशोक गहलोत सरकार के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया था।
बागी तेवर दिखाने के बाद कांग्रेस ने पायलट को उपमुख्यमंत्री और राज्य के पार्टी प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया था।
रविवार की रात, जैसलमेर के एक होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, जहां गहलोत खेमे के विधायक ठहरे हुए थे। इस दौरान विद्रोहियों का पार्टी की ओर से स्वागत करने पर मिश्रित विचार सामने आए।
इस बीच, जैसलमेर में गहलोत शिविर प्रस्तावित बैठक में दिल्ली में होने वाले किसी भी घटनाक्रम पर पैनी नजर रख रहा है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने आईएएनएस से पुष्टि की कि राजस्थान के कुछ मंत्रियों को बैठक के बारे में सूचित किया गया है और विद्रोह को समाप्त करने के कदम पर पार्टी विधायकों के विचार मांगे गए हैं।(ians)
जयपुर, 10 अगस्त। पुलिस ने राजस्थान के दौसा जिले में 17 वर्षीय दिव्यांग किशोरी का अपहरण कर उससे सामूहिक दुष्कर्म करने के आरोप में तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है। किशोरी का अपहरण उसके घर के पास एक दुकान जाने के दौरान किया गया और फिर उसके साथ मारपीट की गई।
पुलिस ने कहा कि आरोपी उसे एक वाहन के अंदर जबरदस्ती ले गए, जहां उन्होंने किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने आगे कहा कि यह घटना 5 अगस्त को लालसोट थानाक्षेत्र में हुई थी और इसमें कथित रूप से पांच लोग शामिल है।
स्थिति का जायजा लेने के लिए दौसा पहुंचे जयपुर आईजी एस. सेंगाथिर के अनुसार, "पुलिस को शनिवार रात सूचना मिली कि एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया है। हमने जल्द ही जांच शुरू कर दी। जैसा कि पाया गया था कि उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था, पांच आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।"
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी ने सुबह 11 बजे के आसपास लड़की का अपहरण किया था और उसे वापस उसके गांव में करीब 5 बजे छोड़कर भाग गए।
किशोरी की मां उस दिन गांव से बाहर गई हुई थी। 6 अगस्त को वापस लौटने पर उन्हें अपनी बच्ची पर हुए हमले के बारे में पता चला।
पीड़िता ने अपने हमलावरों के बारे में सारी जानकारी दी है, जिसमें पांच नाम शामिल हैं। सभी एक ही गांव के हैं।
पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ लिया गया है, जबकि बाकी दो के लिए तलाश जारी है। पीड़िता की मेडिकल जांच के बाद पॉक्सो एक्ट के तहत सामूहिक दुष्कर्म और अपहरण का मामला दर्ज किया गया है।(ians)
नई दिल्ली, 10 अगस्त। सोनिया गांधी का कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर एक साल सोमवार को पूरा हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के हाई प्रोफाइल विद्रोह के बीच सोनिया का दूसरा कार्यकाल पूरा हुआ है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद, पार्टी पंजाब में भी एक समस्या का सामना कर रही है, जहां दो सांसदों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
अपने दूसरे कार्यकाल में सोनिया गांधी अस्वस्थता के साथ-साथ पार्टी के भीतर के झगड़ों से भी जूझती रही हैं। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी को तोड़ने और भाजपा में शामिल होने से रोकने में असमर्थ रहीं, जिसके कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई। सोनिया दो गुटों के बीच हस्तक्षेप करके मुसीबत को टालने में असफल रहीं।
यही हाल राजस्थान में भी देखने को मिला, जहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बागी तेवर दिखाए, जिससे सरकार पर संकट आ गया। वहां भी कांग्रेस नेतृत्व कमजोर रहा और दोनों गुटों के बीच शांति कायम नहीं कर सका।
तीसरा राज्य, जहां कांग्रेस समस्याओं से जूझ रही है, वह है पंजाब। पार्टी दरार को कम करने की कोशिश कर रही है।
सोनिया गांधी का दूसरा कार्यकाल उनके बेटे राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद शुरू हुआ और कांग्रेस वकिर्ंग कमेटी को सोनिया गांधी को छोड़कर कोई अन्य विकल्प नहीं मिला। अगस्त 2019 से ही एक तरफ पार्टी भाजपा से लड़ रही है, वहीं दूसरी ओर उसे अपने आंतरिक कलह से भी जूझना पड़ रहा है। संगठन के कामकाज में टीम राहुल गांधी के हस्तक्षेप पर भी नाराजगी है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों की 30 जुलाई की बैठक में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा हुई और इस दौरान कई नेताओं ने मांग की कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापस लाया जाना चाहिए। कुछ नेताओं द्वारा चुनावी हार के कारणों पर पार्टी को आत्मविश्लेष्ण करने की मांग को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिसके लिए राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने संप्रग शासन पर सवाल उठाए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई। वरिष्ठ नेताओं को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बेशक अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का एक साल का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो जाएगा, मगर इसका अर्थ यह नहीं कि पार्टी में कोई वैक्यूम हो जाएगा। पार्टी के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं और न ही राजनीति में ऐसा होता हैं। सिंघवी ने कहा कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और तब तक इस पद पर रहेंगी, जब तक पार्टी अपने संविधान के हिसाब से किसी को अध्यक्ष निर्वाचित नहीं कर लेती।(ians)
नई दिल्ली, 10 अगस्त। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली, चंडीगढ़ और पंचकूला में राज सिंह गहलोत और एंबियंस ग्रुप के परिसरों पर छापे मारे हैं। इन पर बैंक फर्जीवाड़ा का आरोप है।(ians)
नई दिल्ली, 10 अगस्त। मानव संसाधन विकास मामलों से संबंधित संसदीय समिति सोमवार को देशभर के स्कूल और कॉलेजों को खोले जाने की तैयारियों पर चर्चा करेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इस संसदीय समिति के अध्यक्ष राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे हैं। सोमवार को आयोजित की जा रही इस संसदीय समिति की बैठक का एजेंडा कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों और उच्च व तकनीकी शिक्षा क्षेत्र की तैयारी पर चर्चा करना है। शिक्षा मंत्रालय की यह संसदीय समिति की दिल्ली में आयोजित बैठक के दौरान इस विषय पर गौर करेगी कि स्कूल-कॉलेज खोलने को लेकर क्या स्थिति है।
दरअसल, सरकार को मिले फीडबैक के मुताबिक, फिलहाल अधिकांश अभिभावक नहीं चाहते कि अभी स्कूल खोले जाएं। अभिभावकों के सबसे बड़े राष्ट्रीय संगठन 'ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन' के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा, "हमने शिक्षा मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री के समक्ष मुख्य रूप से तीन विषय रखे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि जब तक कोरोना पर पूरी तरह से काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक स्कूल नहीं खुलने चाहिए।"
अभिभावक चाहते हैं कि इस वर्ष स्कूलों में पूरे शैक्षणिक सत्र को ही जीरो सत्र माना जाए। इस मांग को लेकर कई अभिभावकों ने सहमति जताई है। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों से कहा है कि वे स्कूल खोले जाने के विषय पर अभिभावकों की राय जानने की कोशिश करें।
अशोक अग्रवाल ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा देशभर के सभी मुख्यमंत्रियों को हमने ऐसे ही पत्र लिखे हैं। अभिभावकों के इस संघ ने सरकारों से मांग की है कि इस शैक्षणिक सत्र को जीरो एकेडमिक ईयर घोषित घोषित किया जाए। सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट किया जाए। अगले वर्ष का पाठ्यक्रम इस तरह से मॉडिफाई किया जाए कि छात्र उसे समझ सके और अपनी पढ़ाई कर सके।"(ians)
लखनऊ, 10 अगस्त। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक अखाड़े में अब एक नई लड़ाई शुरू हो गई है। इस बार राजनीतिक जंग भगवान राम और परशुराम के बीच देखने को मिल रही है।
पिछले हफ्ते राम मंदिर के 'भूमिपूजन' ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया था, जो अब राम मंदिर का श्रेय लेने के लिए कमर कस रहे हैं।
पार्टी राम मंदिर के मुद्दे को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भुनाने का प्रयास करेगी, क्योंकि उसने मंदिर निर्माण को लेकर लाखों हिंदुओं से वादा किया था, जिसकी आधारशिला अब रखी जा चुकी है। पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव तक इस मुद्दे को जीवित रखने का हर संभव प्रयास करेगी।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, "जब 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे, तो राम मंदिर ने आकार ले लिया होगा और 2024 तक, जब लोकसभा चुनाव होंगे, तब मंदिर का उद्घाटन होगा।"
राम मंदिर के साथ, भाजपा एक बार फिर अपने 'हिंदू पहले' अभियान को फिर से शुरू करने की योजना बना रही है, जो ओबीसी और दलितों को अपने पाले में लाएगी।
इसका मुकाबला करने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने पिछले महीने एक कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए खूंखार अपराधी विकास दुबे के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ ब्राह्मणों में बढ़ती नाराजगी को भुनाने की कोशिश की है।
पिछले दिनों हुई कुछ मुठभेड़ों में जो अधिकांश अपराधी मारे गए हैं, वह ब्राह्मण थे और इसी वजह से कहीं न कहीं ब्राह्मण समुदाय ने अपने आपको लक्षित और महत्वहीन महसूस किया है।
राम बनाम परशुराम युद्ध वास्तव में ब्राह्मण-ठाकुर की लड़ाई को दर्शाता है, जो दशकों से उत्तर प्रदेश की राजनीति पर हावी है।
राम क्षत्रिय समुदाय से माने जाते हैं, जबकि परशुराम ब्राह्मण समुदाय से। दोनों को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी क्षत्रिय समुदाय से हैं और ब्राह्मण उनके शासन में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
इस बीच समाजवादी पार्टी ने घोषणा की है कि वह लखनऊ में भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करेगी और एक शैक्षिक अनुसंधान केंद्र के अलावा एक भव्य मंदिर भी बनाया जाएगा।
सपा नेता अभिषेक मिश्रा ने कहा कि अभी परियोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है और 'परशुराम चेतना पीठ' परियोजना की देखरेख करेगा जो कि जनसहयोग के माध्यम से पूरा होगा।
उन्होंने कहा, "मैं सपा का हिस्सा हूं और यह स्पष्ट है कि पार्टी परियोजना का एक हिस्सा है। दावों के विपरीत, सपा ब्राह्मण समुदाय से विमुख नहीं है। वह अखिलेश यादव सरकार थी, जिसने परशुराम जयंती पर अवकाश घोषित किया था और इसे बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार ने रद्द कर दिया था।"
मिश्रा ने कहा कि वह अखिलेश सरकार ही थी, जिसने लखनऊ में जनेश्वर मिश्र पार्क का निर्माण किया था और पार्क में ब्राह्मण नेता की बड़ी से बड़ी प्रतिमा स्थापित की थी।
परशुराम एक ब्राह्मण आइकन हैं और उनकी मूर्ति को खड़ा करने का कदम स्पष्ट रूप से समाजवादी पार्टी द्वारा ब्राह्मणों को अपने पाले में कर लेने का एक प्रयास है, जिनकी आबादी उत्तर प्रदेश में लगभग 11 प्रतिशत है और वह सरकार बनवाने और गिराने में अहम भूमिका निभाते हैं।
परशुराम अभियान में सपा के नेतृत्व करने के बाद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती भी पीछे नहीं रहीं।
मायावती ने रविवार को घोषणा की कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो वह परशुराम की 'बड़ी' प्रतिमा स्थापित करेगी।
उन्होंने कहा, अगर सपा को परशुराम की चिंता है, तो उन्हें सत्ता में रहते हुए उनकी मूर्ति स्थापित करनी चाहिए थी।
दूसरी ओर कांग्रेस ने फिलहाल ब्राह्मणों और परशुराम पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन पार्टी का एक बड़ा वर्ग एक व्हाट्सएप समूह के माध्यम से ब्राह्मणों को साधने की कोशिश जरूर कर रहा है।(ians)
भुवनेश्वर, 10 अगस्त (आईएएनएस)। ओडिशा में बीते 24 घंटों में 1,528 नए कोविड -19 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं इस अवधि में 14 मौतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को दी।
यह राज्य में अब तक एक ही दिन में हुई कोविड-19 मौतों की सबसे अधिक संख्या है।
गंजाम में जहां छह लोगों की मौत हो गई, वहीं खुरदा और नयागढ़ जिलों में तीन-तीन और रायगढ़ और सुंदरगढ़ जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
विभाग ने बताया कि नई मौतों के साथ संक्रमण से होने वाली कुल मृत्यु की संख्या बढ़कर 286 हो गई। वहीं नए मामलों के साथ ओडिशा में पॉजिटिव मामलों की संख्या 47,455 हो गई है।
नए मामलों में से 948 मामले क्वारंटाइन सेंटर्स और 580 स्थानीय संपर्क के हैं।
गंजाम में सबसे अधिक 233 मामले दर्ज किए गए हैं, इसके बाद खोरधा (218), संबलपुर (168), सुंदरगढ़ (126) और धेनकनाल (107) है।
राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 15,334 हो गई, जबकि राज्य में अब तक 31,784 मरीज ठीक हो चुके हैं।
नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)| देश में जल्द ही तकनीकी शिक्षा का स्वरूप बदल सकता है। ऐसा होने पर एमबीएएस, फार्मेसी, आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग जैसे कोर्सो में दाखिला लेने के लिए छात्रों को किसी विशेष तकनीकी संस्थान का रुख नहीं करना होगा। इन्हें अपने ही कॉलेजों में इस प्रकार के पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल सकेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक समस्त मानवीय उद्यमों और प्रयासों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव से तकनीकी शिक्षा और अन्य विषयों के बीच अंतर समाप्त होने की संभावना बढ़ती जा रही है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "तकनीकी शिक्षा भी बहु विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी। इसे अन्य विषयों के साथ गहराई से जोड़ने के अवसरों पर नए सिरे से जोड़ने पर ध्यान केंद्रीत किया जाएगा।"
निशंक ने कहा, "तकनीकी शिक्षा में डिग्री एवं डिप्लोमा दोनों ही कार्यक्रम शामिल हैं। उदाहरण के लिए इंजीनियरिंगए प्रौद्योगिकी प्रबंधनए वास्तुकलाए फामेर्सीए कैटरिंग आदि। यह सभी कार्यक्रम भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।"
वैश्विक महामारी कोरोना के कारण उत्पन्न हुए संकट के दौरान तकनीकी शिक्षण संस्थान सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इन संस्थानों में प्रयोगशाला के साथ-साथ प्रेक्टिकल की भी आवश्यकता पड़ती है। हालांकि अब मौजूदा संकट को देखते हुए केंद्र सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग ने इसमें कई तरह के मूल बदलाव किए हैं। इन बदलावों के उपरांत तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कोर्स ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
जो छात्र एरोस्पेस को लेकर उत्साहित हैं उनके लिए एनपीटीई के जरिए ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराया गया है। एनपीटीई के माध्यम से एयरोस्पेस के साथ साथ साथ 17 अन्य इंजीनियरिंग कोर्स ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इनमें फूड इंजीनियरिंगए बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, डिजाइन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक व कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम शामिल हैं।