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नहर का मेड़ बहने से पानी खेतों में, फसल हो रही थी बर्बाद
16-Apr-2022 9:24 PM
नहर का मेड़ बहने से पानी खेतों में, फसल हो रही थी बर्बाद

किसानों ने करायी मरम्मत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
लखनपुर,16 अप्रैल।
कुंवरपुर जलाशय से निकले नहर का मेड़ जगह-जगह से बह गया, जिससे नहर का पानी खेतों में जाने से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है तो वहीं क्षेत्र के अन्य किसानों को नहर से पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा, जिससे वह खेती नहीं कर पा रहे हैं। किसानों ने स्वयं की राशि खर्च करते हुए जेसीबी के माध्यम से नहर के मेड़ का मरम्मत कराया।

लखनपुर नगर के झिनपुरी पारा में कई स्थानों में नहर का मेड़ बह जाने से नहर का पानी खेतों में जाने से गेहूं की फसल बर्बाद हो रही थी, जिसे लेकर स्थानीय किसानों ने विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई, फिर भी नहर का मरम्मत नहीं कराया गया। गेहूं की फसल बर्बाद होता देख शनिवार को लखनपुर के किसान सुजीत गुप्ता, दिनेश गुप्ता, राम भजन साहू, राम लखन साहू, सहित अन्य किसानों ने स्वयं की राशि खर्च करते हुए जेसीबी के माध्यम से नहर के मेड़ का मरम्मत कराया।

किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के लापरवाही के कारण गेहूं की फसल भी बर्बाद हुई है, साथ ही हजारों रुपए नहर मरम्मत कार्य में खर्च करना भी पड़ा है।

क्षेत्र के अन्य किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण समय-समय पर नहर की मरम्मत नहीं हो पा रही है, साथ ही जगह-जगह नहर के मेड़ बह जाने से किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने के कारण में वे खेती करने में भी असमर्थ हंै। किसानों के द्वारा विभाग के अधिकारियों को कई बार इन परेशानियों से अवगत कराया गया परंतु विभाग के अधिकारी कोई रुचि नहीं दिखा रहे।

उग्र आंदोलन किया जाएगा- सुजीत
लखनपुर किसान कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष सुजीत गुप्ता ने बताया कि कुंवरपुर जलाशय नहर से दर्जनों गांव के किसानों को पानी उपलब्ध होता था, परंतु मरम्मत के अभाव में दर्जनों गांव के किसान नहर से पानी नहीं मिल रहा है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के अधिकारियों को कई बार नहर मरम्मत को लेकर कहा गया, परंतु विभाग के द्वारा नहर मरम्मत आज तक नहीं किया गया। नहर मरम्मत के नाम पर राशि आहरण कर कागजों में मरम्मत कर दिया जाता है, जबकि कुंवरपुर जलाशय से निकले नहर की स्थिति काफी जीर्ण शीर्ण है। किसानों के द्वारा स्वयं की राशि खर्च करते हुए नहर के मेड का मरम्मत कार्य कराया जाता है। लगभग डेढ़ माह के बाद बरसात प्रारंभ होगी। अगर मरम्मत कार्य नहर का नहीं कराया जाता है तो किसानों को खेती करने में काफी परेशानी होगी। बरसात से पूर्व नहर का मरम्मत कार्य विभाग के द्वारा नहीं कराया जाता है तो किसानों के द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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