रायपुर
रायपुर,21 जुलाई। हजारों-हजार लोगों के जीवन प्रसंग हमें यह बताते हैं कि दुनिया में धनवान बनने का यदि कोई सबसे सरल तरीका है तो वह है- करो दान तो बनोगे धनवान। दुनिया में कम तभी होता है जब आदमी बचाकर रखता है, बढ़ता तभी है जब आदमी बांटना शुरू करता है।
एक दिन छोड़कर तो सबको जाना है, पर यह सदा याद रखना- 'खाया पीया अंग लगेगा, दान दिया संग चलेगा, बाकी बचा जंग लगेगा। ये उद्गार राष्ट:संत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग 'जीने की कला के अंतर्गत युवाओं के लिए जारी व्यक्तित्व विकास सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार को 'धनवान होने के लिए कौन सा करें दान विषय पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आप सोच रहें होंगे कि क्या देने से भी आदमी का धन बढ़ता है? हमने तो यही देखा कि देने से आदमी का धन कम होता है। निकालोगे अंदर से माल तो पीछे जरूर कम होता है पर यह भी जान लो कि तुम्हारे पास देने के लिए भगवान ने केवल दो हाथ दिए हैं और जब भगवान तुम्हें देता है तो उसके पास दो नहीं हजारों हाथ होते हैं।
इसीलिए यह दोहा जीवनभर याद रखिएगा- चीड़ी चोंच भर ले गई, पर नदि न घटियो नीर। दान दिया धन ना घटे, कह गए दास कबीर। एक अत्यंत दरिद्र बालक द्वारा मासक्षमण के तपस्वी संत को सद्भावना पूर्वक दान की गई खीर के पुण्यप्रताप से अगले भव में उसके भारतवर्ष के सबसे धनवान सेठ शालीभद्र बनने के कथानक से संतश्री ने श्रद्धालुओं को दान के शुभ परिणाम की महत्ता से अवगत कराया।
उन्होंने कहा- मानव का जन्म लिया है तो हर आदमी यह मन जरूर बनाएं कि मैं भी अपने हाथों से शुभ दान, सुपात्र दान दूं, शुभ कर्म करूं, जो कुछ मैंने कमाया है क्यों न मैं उसे मानवता के-धर्म के कल्याण के लिए, क्यों न मैं श्रावक-श्राविका साधु-साध्वियों के कल्याण के लिए ज्ञान कोष में, क्यों न मैं जीव दया, अहिंसा धर्म की स्थापना के लिए और क्यों न मैं मरतों के प्राण बचाने के लिए अपने धन का पॉजीट्वि उपयोग कर लूँ।