रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 अप्रैल। ईसाई आदिवासी महासभा जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा की गई डीलिस्टिंग की मांग का पुरजोर विरोध किया। इस कड़ी में रायपुर की ईसाई आदिवासी महासभा शाखा ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा डीलिस्टिंग के लिए दिया गया युक्ति युक्त आधार भ्रामक और निराधार है, क्योंकि ईसाई धर्म को मानने वाले आदिवासियों ने अपनी संस्कृति व परंपराओं का कभी नहीं त्यागा है बल्कि अपनी संस्कृति और परंपराओं को सहेज कर रखा है। वह अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक पारंपरिक त्यौहार एवं मौसमी नाच गान शादी विवाह से संबंधित रीति-रिवाज और समय-समय पर सामाजिक परिवेश में परिवर्तन का सतत पालन करते आ रहे हैं।
प्रेस वार्ता में विक्रम लकरा, पी बड़ा विलियम तिग्गा, आनंद प्रकाश टोप्पो, और अन्य ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा दूसरा आरोप यह लगाया जा रहा है कि जिन नागरिकों ने अपने मूल संस्कृति व मूल धर्म को छोडक़र विदेशी धर्म ईसाई मुस्लिम अपनाया है उन्हें आदिवासी की श्रेणी से बाहर किया जाए इसके खंडन में ईसाई आदिवासी महासभा के द्वारा यह बताया जा रहा है कि भारतीय संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25 के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को अंत:करण की और धर्म के आबाध रूप से मानने आचरण करने और प्रचार करने का समान हक है और अनुच्छेद 15 में धर्म मूल वंश जाति अथवा जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध है भारत का कोई भी नागरिक अपने आस्था के अनुरूप किसी भी धर्म को मान सकता है।
महासभा के पदाधिकारियों ने कहा कि आदिवासी अपने विश्वास आस्था के अनुरूप ईसाई धर्म को मानते हैं मात्र धर्म परिवर्तन से एक व्यक्ति अनुसूचित जनजाति की सदस्यता से वंचित नहीं रह जाता है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा दी गई रूलिंग तथा दस्तावेजों और विद्वान न्यायाधीश द्वारा दी गई टिप्पणी निर्णय का अवलोकन कर सकते हैं जिसमें साफ लिखा हुआ है कि मात्र धर्म परिवर्तन से कोई भी अनुसूचित जनजाति की सदस्यता नहीं खो देता है और अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले संवैधानिक लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है क्योंकि धर्म बदलने के बाद भी उनके परंपरा रीति रिवाज भाषा सदैव बनी रहती है इसके आगे जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि ईसाई आदिवासी मूल जनजातियों के हिस्से की सुविधाओं को छीन रहे हैं इसके लिए ईसाई आदिवासी महासभा द्वारा खंडन करते हुए जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा लगाया गया यह आरोप आसत्य एवं भ्रामक है।