सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,19 मई। सरगुजा की बहुप्रतीक्षित अंबिकापुर रेणुकूट रेल लाइन के लिए मृदा परीक्षण कार्य प्रारंभ हो गया है। रेणुकूट से अंबिकापुर की जोडऩे के लिए नई रेल लाइन के प्रारंभिक सर्वे के बाद अब स्वायल टेस्टिंग का काम रेलवे प्रशासन की तरफ से कराया जाने लगा है।
लगभग 155 किलोमीटर की बनने वाली रेल लाइन के मध्य जहां-जहां ओवरब्रिज बनने हैं और पुलिया का निर्माण होना है, वहां मिट्टी की जांच के लिए नमूने लिए जा रहे हैं। नमूनों को जांच के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। इसकी रिपोर्ट आने के बाद रेल लाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
टेस्टिंग का काम नई दिल्ली की कंपनी ऐंड्रोशाप को दिया गया है। इसके मद्देनजर कंपनी के लोगों की तरफ से इस कार्य को अंजाम दिया जाने लगा है। म्योरपुर-दुद्धी मार्ग पर महुआनार के पास स्वायल टेस्टिंग का काम दो दिनों से चल रहा है।
टेस्टिंग करने वालों के मुताबिक रोड के दोनों ओर टेस्टिंग का काम इसलिए चल रहा है, क्योंकि दोनों तरफ बड़े-बड़े पिलर बनाकर ऊपर से रेलवे लाइन ले जाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इसी तरह उन्हें अंबिकापुर तक विभिन्न स्थानों पर टेस्टिंग का काम करना है।
उन्होंने बताया कि रेलवे के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की तरफ से उन्हें मोबाइल पर लोकेशन भेज दी जा रही है। उसी लोकेशन पर उन्हें स्वायल टेस्टिंग किया जाना है।ऐसे में यह काम उनके द्वारा लगभग दो माह में पूर्ण कर लिया जाएगा। इस कार्य में पश्चिम बंगाल के श्रमिकों को लगाकर काम को पूरा कराया जा रहा है।
वन विभाग ने रोका काम
दुद्धी-म्योरपुर मार्ग पर महुआनार के पास रेलवे की तरफ से रेणुकूट-अंबिकापुर रेल लाइन के लिए चल रहे स्वायल टेस्टिंग के कार्य को वन विभाग ने मंगलवार को रोक दिया है। वन विभाग का कहना है कि बिना किसी अनुमति पत्र के या आईओसी के वन भूमि पर किसी भी तरह का कार्य नहीं होने देंगे। ऐसे में स्वायल टेस्टिंग के काम को झटका लगा है।
काम कर रहे लोगों ने बताया कि अधिकारियों को काम रोके जाने की जानकारी दे दी गई है, 15 दिन के भीतर रेलवे एनओसी लाकर दे देगा।
इस संबंध में रेंजर शहजादा इस्माइलुद्दीन ने बताया कि अभी तक किसी भी तरह की अनुमति का पत्र या एनओसी न मिलने की वजह से ही स्वायल टेस्टिंग का काम रोका गया है। उन्होंने कहा- अनुमति या एनओसी मिलने के बाद ही काम हो सकता है।