रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर/अम्बिकापुर, 7 अगस्त। प्रेस को जारी किए गए अपने वक्तव्य में, छ्त्तीसगढ शासन के पूर्व गृहमंत्री एवं राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा है की आदिवासी आरक्षण पर ढुलमुल रवैये से बाज़ आते हुए भूपेश की कॉंग्रेस सरकार ने आखऱिकार हम सभी के विरोध के कारण आदिवासी आरक्षण पर पूर्ववत नियम लागू करने संबंधी, आज आयोजित किये गए छ. ग. शासन के कैबिनेट बैठक में निर्णय लेकर विवस होना पड़ा ।
जिसके अनुसार अब राज्य में मेडिकल कॉलेजो में एमबीबीएस की कुल 973 सीटो में से अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रो को 32त्न के हिसाब से पूरे 300 सीट प्राप्त होंगे।
रामविचार नेताम ने आगे कहा है कि इससे पूर्व भूपेश सरकार ने आदिवासी छात्रो को महज़ 190 सीटे देकर आदिवासी बाहुल्य छ. ग. राज्य के आदिवासी समाज के युवाओं के साथ सरकार अपने स्वभाव के अनुरूप धोखे बाज़ी कर रही थी । हम सभी के नेता छ.ग. भाजपा के चुनाव सह प्रभारी एवम् केंद्रीय स्वास्थ मंत्री मा. मनसुख मनडाबिया के समक्ष भी आदिवासी युवाओं के साथ हो रहे इस छल की शिकायत की गई थी। उसके बाद केंद्र सरकार और भाजपा के दवाब में भूपेश सरकार को अपना रवैया बदलना पड़ा। भाजपा आदिवासियों के साथ किसी भी प्रकार की धोखेबाजी बर्दाश्त नहीं करेगी।
वैसे भी, राज्य की आदिवासी जनता इस सरकार और कांग्रेस पार्टी को आगामी चुनाव में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखलाने ही वाली है।
मेडिकल सीटों पर आदिवासियों के लिए आरक्षण के मामले को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि कैसे आरक्षण को लेकर माननीय उच्च न्यायालय, रायपुर एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का पक्ष सही ढंग से नहीं रख रही और आदिवासी हित के प्रति लचर रवैया अपना रही। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में आदिवासी आरक्षण के विषय को टालती रही यह सरकार चुनाव आचार संहिता लागू होने तक इस पर कुछ भी नहीं करना चाहती थी।
चिकित्सा शिक्षा विभाग अपनी तय समय सारणी से हट गया और रूक्चक्चस् की पहली अलॉटमेंट लिस्ट जारी नहीं हुई। रूक्चक्चस् में अवैध 16-20-14 आरक्षण रोस्टर का विरोध किया जा रहा था।