सरगुजा

ध्वजारोहण के बाद हसदेव बचाओ पदयात्रा शुरू
28-Jan-2024 3:51 PM
ध्वजारोहण के बाद हसदेव बचाओ पदयात्रा शुरू

अन्य सामाजिक संगठनों शोधकर्ताओं ने भी दिया समर्थन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

उदयपुर, 28 जनवरी। गणतंत्र दिवस में एक ओर पूरा देश जहां ध्वजारोहण कर 75वें गणतंत्र दिवस की खुशियां  मना रहा था, वहीं 695 दिनों से हरिहरपुर में कोल परियोजनाओं के विरोध में धरना प्रदर्शन पर बैठे लोगों ने धरना स्थल पर ही सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में ध्वजारोहण पश्चात् गांव के देवी देवताओं अपने पुरखों की पूजा कर संविधान की शपथ लेकर 50 दिनों की जल जंगल जमीन को बचाने दोपहर बाद पदयात्रा में निकल पड़े है। यात्रा सरगुजा सूरजपुर और बलरामपुर जिले के छोटे छोटे गांव से होकर गुजरेगी तथा इसका समापन संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर के पी.जी. कॉलेज में 15 मार्च को होगा।

सरगुजा जिला अंतर्गत आने वाले विकास खण्ड उदयपुर के ग्राम हरिहरपुर में बना धरना स्थल जो कि झोपड़ी नुमा है। विगत 695 दिनों से कई ऐसे पलों का साक्षी बन रहा है, जो आने वाले समय में इतिहास होगा। हरिहरपुर में ग्रामीण आंदोलनकारी कोल परियोजनाओं को निरस्त कराने, फर्जी ग्रामसभा से स्वीकृत कोल खदान को रद्द करने जैसे मांगों को लेकर लगातार बैठे हुए। इन सबके बीच वर्ष 2022 एवं 2023 में दो बाद वन अमला द्वारा पुलिस प्रशासन के सहयोग से पीईकेबी के लिए पेड़ों की कटाई भी की जा चुकी है। चुनाव के वक्त कुछ महीनों के लिए कोल परियोजना का संचालन बंद भी रहा। छ.ग. में नई सरकार के बनते ही पेड़ों की कटाई के बाद खदान का संचालन फिर से शुरू हो चुका है।

26 जनवरी को हसदेव बचाओ सरगुजा बचाओ पैदल यात्रा का शुभारंभ पूर्व विधायक 92 वर्षीय देवसाय मरावी तथा राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद सरगुजा के पदाधिकारियों, जिला पंचायत सदस्य शशि सिंह, डॉ. उदयभान चौहान, डॉ. सत्यजीत साहू तथा अन्य उपस्थित अतिथियों द्वारा रवाना किया गया। यात्रा रवाना होने से पहले धरना स्थल पर ही सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में ध्वजारोहण पश्चात् प्रकृति की पूजा गांव के देवी देवताओं तथा अपने पुरखों की पूजा कर संविधान की शपथ भी ली गई। गांव के बैगा द्वारा विधिवत् पूजा सम्पन्न कराई गई।

रायपुर से आए डॉ. उदयभान चौहान ने जल जंगल बचाने के लिए पदयात्रा शुभारंभ किया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य जागरूकता है। इस यात्रा के माध्यम से पेशा कानून, पांचवी  अनुसूची, ग्राम सभा क्या है, संवैधानिक अधिकार क्या है हम ग्रामवासियों को जगह अवगत करायेंगे तथा छ.ग. में खनिज संपदा भरपूर है उत्खनन बंद होना चाहिये जंगलों को उजाडऩा बंद करना होगा। पर्यावरण सिर्फ हरिहरपुर का मामला नहीं है पूरे विश्व का मामला है, जंगल बचेगा तभी जीव जंतु पशु पक्षी सभी लोगों को पानी मिलेगा।

पूर्व विधायक देवसाय मरावी ने कहा आंदोलन बहुत बड़ा है जिस तरह से बस्तर में लोहा का खदान है कई सो सालों तक लोहा निकाला जायेगा। बहुत बड़ा जंगल कट चुका है, वहां से आदिवासी लोग निकाले गये है सरगुजा का प्रथम स्टेज है, हसदेव के जो लोग प्रभावित है। केवल उनका सवाल नहीं है पूरे सरगुजा का सवाल है। अभी से जागृत और संगठित नहीं रहेंगे और लड़ाकू दिमाग नई बनाके रखेंगे तो आपको सब लुट के चले जायेंगे।  यात्रा के संयोजक रमेश ठाकुर ने कहा कि जिस तरीके से अदानी जो है, छत्तीसगढ़ को नाश करने का ठान लिया है और सरकार उनको संरक्षण दे रही है तो हम आदिवासी इस जंगल को कैसे बचायें वृक्ष वृक्ष ही नहीं है देव है पेन है पेन ठाना है।

उन्होंने कहा आदिवासी समाज का होने के नाते अपने समाज के लिए काम करूं, हम आदिवासी जंगल को कैसे बचायें हमारे लिए आज जंगल ही नहीं काटा जा रहा उनके परंपरा, संस्कृति रीति रिवाज को नाश करने का काम किया जा रहा है। यात्रा में पूरे देश से लोग आयेंगे यात्रा 50 दिनों तक चलेगी अंतिम दिन लाखों की संख्या में लोग संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर में यात्रा समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे। यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुये कहा कि लोगों के सम्मान एवं स्वाभिमान को कैसे जगाया जाये लोगों को उनके अधिकार के बारे में बताने के लिए ही पद यात्रा का आयोजन किया गया है। दोनों ही पार्टियों पर इन्होंने आदिवासियों को धोखा देने का आरोप भी लगाया है।

सूरजपुर के जिला पंचायत सदस्य शशि सिंह ने कहा हसदेव में जो पेड़ों की कटाई का काम अदानी का चल रहा है बहुत ही गलत हो रहा है। हसदेव यदि जाता है, तो उससे सिर्फ सरगुजा को ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ को प्रभाव पड़ेगा, हम आदिवासियों के साथ ना इंसाफी हो रहा है। हम अपने जल जंगल जमीन को बचाना चाहते है। हमारे मुख्यमंत्री और केन्द्र में बैठे मोदी सरकार भी साथ नहीं दे रहे है, हसदेव को छोड़े जंगल को रहने दे ताकि आदिवासी सुरक्षित रहे जिंदगी जीयें जंगल चला जायेगा तो हम सब खत्म हो जायेंगे।

राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के मंगल उरांव ने कहा कि हम ग्रामीणों के साथ है परंतु ना बदानी का विरोध कर रहे है और ना ही शासन प्रशासन का हम चाहते है जल जंगल जमीन को बचाने और मानव अस्तित्व बचाने शासन को बीच का रास्ता निकालना चाहिये।

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