महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 1 अप्रैल। समीप के वन ग्रामों में वन विभाग द्वारा बाघ विचरण क्षेत्र बताने पर वन ग्राम के वासियों ने आपत्ति करते हुए अनेक प्रश्न उठाये हैं।
ज्ञात हो कि शनिवार को वनग्राम डेबी खार में गोंड समाज के 40 से 50 गांवों के सदस्य उपस्थित थे। चौबीसों घण्टे वनों में ही निवास करने वाले वनवासियों ने क्षेत्र में बाघ विचरण के वन विभाग के दावे को हास्यास्पद बताते हुए कुछ प्रश्न भी उठाए हंै।
समाज के सदस्य संतोष सिंह ठाकुर ने कहा कि क्या वास्तव में बारनवापारा के वन में बाघ विचरण कर रहा है। अगर कर रहा है, तो ये बाघ आया कहां से। बारनवापारा अभयारण्य कहने में तो 19 गांव का अभयारण्य क्षेत्र है, पर कुछ सहायक वन परिक्षेत्र से जुडक़र ये एक बड़ा वन क्षेत्र बन जाता है। जिसमें बार नवापारा, कोठारी, बलदाकछार, सोनाखान, एवम देवपुर वनपरिक्षेत्र, रवान वन विकास निगम और सिरपुर वन परिक्षेत्र है । ये वन परिक्षेत्र आपस में मिलकर एक बड़े वन क्षेत्र का निर्माण करते हैं।
अब प्रश्न ये उठता है कि बाघ आया कहां से, कैसे आया, क्यों आया, और अगर आ गया है, तो इतने विशाल गांव समूह जिसमें कम से कम इन वन परिक्षेत्र में 80 गांव में निवासरत लोगों को आज 25 दिनों के बाद भी न बाघ की दहाड़ सुनाई दी, न नजर आया।