कोण्डागांव

हजारों किलोमीटर लंबा सफर तय कर रियासत कालीन मेंढर तालाब आते हैं साइबेरियन पक्षी
25-Jun-2024 10:26 PM
हजारों किलोमीटर लंबा सफर तय कर रियासत कालीन मेंढर तालाब आते हैं साइबेरियन पक्षी

ठंड में यहां आकर करते हैं वंश की वृद्धि

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोंडागांव, 25 जून। कोंडागांव जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर अमरावती परिक्षेत्र के ग्राम अनतपुर से ढाई किलोमीटर अंदर घने जंगलों में 15 एकड़ में फैला विशालकाय रियासत कालीन मेंढर तालाब है। यह अब साइबेरिया के पक्षियों का ठंड में बसेरा बना है, यहां आकर वंश की वृद्धि करते हैं।

यहां साइबेरियन पक्षी  सैकड़ों किलोमीटर लंबा सफर तय कर आते हैं और नवंबर से फरवरी तक रहते हैं, फिर प्रजनन कर बच्चों को जन्म देते हैं और बच्चे थोड़े बड़े होते हैं, यह वापस साइबेरिया चले जाते हैं।

मेंढर तालाब का इतिहास

रियासत काल में घने जंगलों के मध्य राजाओं द्वारा यहां वर्षों पूर्व तालाब बनाया गया था। आज भी यहां अमरावती में उनके बनाए रुकने और जंगलों में शिकार करने के लिए रेस्ट हाउस को देखा जा सकता है। इसी जंगल में शिकार करने राजा और रानियां आते थे, गर्मियों में यहां  शिकार और स्नान करते थे, उन स्थानों  को और रेस्ट हाउस को अब भी देखा जा सकता है।

 अब यहां आते हैं साइबेरियन पक्षी

जब साइबेरिया में बेहद ठंड पड़ती है और तापमान शून्य के नीचे चला जाता है, तब यहां साइबेरियन पक्षी  सैकड़ों किलोमीटर लंबा सफर तय कर इसी तालाब में नवंबर से फरवरी तक रहते हैं, फिर प्रजनन कर बच्चों को जन्म देते हैं और बच्चे थोड़े बड़े होते हैं, यह वापस साइबेरिया चले जाते हैं। इन पक्षियों के आने का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है, जिसकी देखरेख वर्षों से वन विभाग करता आ रहा है।

 खूबसूरत रूप देने जुटा वन विभाग

दक्षिण वन मंडल की अमरावती परिक्षेत्र इस ऐतिहासिक तालाब को  अब एक सुंदर पर्यटन का रूप देने बिना कोई जंगल के अंदर अतिरिक्त सीमेंट गिट्टी  छड़ का उपयोग किए बिना गिरी पड़ी लड़कियों से पर्यटन के लिए वृक्षों  के ऊपर मचान तालाब के चारों ओर वाकिंग ट्रेक बीच में लकड़ी के पुल गार्डन झूले एडवेंचर गेम लगा लोगों को  लुभाने की तैयारी कर रहा है।

प्रतीक वर्मा रेंजर अमरावती रेंज कोंडागांव का कहना है कि इस ऐतिहासिक तालाबसे बहुत से लोग अनजान हैं। इसे  जिले के एक अच्छे पर्यटन के रूप में विकसित करने का प्रयास हो रहा है। प्रयास यह भी है कि यहां  कृत्रिम निर्माण कम से कम हो, जिससे प्रकृति वातावरण प्रभावित न हो। प्रवासी पक्षी वर्षों से यहां आ रहे हैं। साइबेरिया के पक्षी जब वहां अधिक ठंड पड़ती है और तापमान शून्य के नीचे चला जाता है तो यहां इसी तालाब में आते हैं और  प्रजनन कर बच्चों को जन्म देते हैं। बच्चे बड़े होते है फिर कुछ समय बाद वह वापस लौट जाते हैं।

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