कोण्डागांव

बिहान से जुडक़र दिव्यांग जानकी बनी महिलाओं के लिए मिसाल
26-Sep-2024 9:56 PM
बिहान से जुडक़र दिव्यांग जानकी बनी महिलाओं के लिए मिसाल

बैंक सखी बनकर 5 करोड़ तक लेन-देन, बनी सफल उद्यमी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 कोण्डागांव, 26 सितंबर। कोण्डागांव जिले के माकड़ी ब्लॉक के ग्राम कालीबेड़ा की रहने वाली दिव्यांग जानकी नाग आज छत्तीसगढ़ की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। जानकी बचपन से ही दिव्यांग हैं पर अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने जीवन में संघर्ष करते हुए आज समाज में एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई हैं। जानकी ने अपने आत्मविश्वास के बलबूते दिव्यांगता को अपनी सफलता की राह में रोड़ा बनने नहीं दिया। अपने मजबूत हौसले और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया, बल्कि कई ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी दिया।

जानकी नाग का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां उनके माता-पिता और तीन भाई रहते हैं। उनके पिता खेती से घर चलाते थे लेकिन आमदनी इतनी नहीं थी कि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। जानकी ने इन आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए वर्ष 2012 में गांव के मां सरस्वती स्व सहायता समूह से जुडऩे का निर्णय लिया। जानकी ग्रेजुएट हैं और उनके समूह की अन्य महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं थीं, इसलिए उन्हें समूह का लेखा-जोखा रखने का काम मिला। यहीं से जानकी की जीवन यात्रा में नया मोड़ आया।

बैंक सखी के रूप में ग्रामीणों तक पहुंचाई योजनाओं का लाभ

जानकी के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन तब आया जब उन्होंने बिहान की पीआरपी दीदी से सुना कि वे बैंक सखी बनकर अपने गांव में रहते हुए बैंकिंग सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं। नवंबर 2019 में उन्होंने ग्रामीण बैंक की बैंक सखी बनने का निर्णय लिया। यह फैसला उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। बैंक अधिकारियों और बिहान के सहयोग से जानकी ने अपने गाँव में बैंकिंग सेवाएँ शुरू कीं जिससे धीरे-धीरे ग्रामीण उनके पास अपने बैंकिंग लेन-देन के लिए आने लगे। जानकी ने गांव के लोगों को खाता खोलने, पैसे जमा करने, निकासी और ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रदान कीं। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना के लाभ भी ग्रामीणों तक पहुंचाए। अब तक वह लगभग 250 बचत बैंक खाते खोल चुकी हैं और 3000 मनरेगा मजदूरों और 4000 पेंशनभोगियों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ पहुंचा चुकी हैं।

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