धमतरी
कलश स्थापना के लिए दिनभर में 2 मुहूर्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 2 अक्टूबर। पितृपक्ष के अंतिम दिन 2 अक्टूबर को पितृ मोक्ष अमावस्या हुआ। यह दिन पितरों की विदाई का भी होता है। अब शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। 12 अक्टूबर को विजयादशमी की तिथि पड़ रही है। पहली पूजा के दिन इंद्र योग भी है। इस वर्ष मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी और चरणायुद्ध (मुर्गा) पर विदा होंगी।
3 अक्टूबर को पूरे दिन कलश स्थापित करने का मुहूर्त है, जहां तक अमृत काल का समय है, वह प्रात: 7.16 से 8.42 बजे तक है, जबकि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.12 से 11.58 बजे तक है। इस बार चतुर्थी तिथि 2 दिन 6 व 7 अक्टूबर को है, जबकि 11 अक्टूबर को महाष्टमी और महानवमी दोनों मनाई जाएगी।
शहर में 100 से अधिक स्थानों पर मां अंबे विराजेंगी। शहर में बड़ी मूर्तियां रामबाग, जालमपुर भागवत चौक, बजरंग चौक, कोष्टापारा, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव चौक, मराठापारा, दानीटोला, सोरिद सहित अन्य जगहों पर मूर्तियां स्थापित होगी। वहीं शहर के कई मूर्तिकार मिट्टी से देवी मूर्तियों को अंतिम आकार देने में जुटे हुए हैं। वहीं नवरात्र के दिनों में शहर में गरबा महोत्सव की धूम देखने को मिलेगी। महिलाओं, युवतियों और बालिकाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार
दुर्गा उत्सव के लिए मूर्तिकार देवी मां की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में लगे हैं। पहले गणेश उत्सव और अब नव दुर्गा उत्सव के लिए कारीगर कड़ी मेहनत से रात दिन मूर्तियों को आकर देते जा रहे हैं। पूरी नवरात्र में भक्त जनों द्वारा 9 दिन तक रात्रि में जगह-जगह माता का भजन, कीर्तन, जगराता, गरबा, माता सेवा होगी। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक वाद्य यंत्र, मांदर, झांझ की थाप पर जसगीत गायन प्रतियोगिता भी होगी। साथ ही विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
देवी मंदिरों में जलेगी ज्योत
नगर के देवी मंदिरों में हर साल मनोकामना ज्योति कलश की संख्या बढ़ती जा रही है। मूर्तिकारों ने बताया कि इस वर्ष माता दुर्गा की मूर्ति 5 फीट से लेकर 10 फीट तक के विभिन्न अलग-अलग मुद्राओं में तैयार की जा रही है। रंग, पेंट, सितारा, मोती, कपड़ा, चुनरी, मुकुट व अन्य सजावटी सामान के दाम में वृद्धि हो जाने के कारण इस वर्ष मूर्ति थोड़ी महंगी हो गई है।
श्राद्ध के बाद मां दुर्गा का आगमन
पंडितों के मुताबिक पितृपक्ष समाप्त होते ही पितृगण अपने लोको को वापस लौटते हैं और इसके तुरंत बाद मां दुर्गा का आगमन होता है। हर नवरात्रों में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं, जो न केवल उनकी उपस्थिति को दर्शाता है, बल्कि विभिन्न वाहनों का प्रतीकात्मक महत्व भी होता है। इस बार नवरात्र का आरंभ गुरुवार से हो रहा है, जिसके चलते देवी पालकी पर सवार होकर आएंगी। पालकी का वाहन शुभ और कल्याणकारी माना जाता है, जो भक्तों को जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन का आशीर्वाद देता है।