स्थायी स्तंभ
रेणुका सिंह का प्रमोशन या...
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल हो सकता है। प्रेक्षकों का अंदाजा है कि 26 जनवरी के बाद मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह मिल सकती है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ से रेणुका सिंह की जगह किसी दूसरे सांसद को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। कुछ के तर्क हैं कि रेणुका का परफार्मेंस ठीक नहीं रहा है। इसके चलते उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। मगर रेणुका सिंह के समर्थक निश्चिंत हैं। उनका मानना है कि रेणुका सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर निकालना तो दूर, उनका कद बढ़ाया जा सकता है।
रेणुका सिंह के समर्थकों के आत्मविश्वास की वजह प्रधानमंत्री का शुभकामना संदेश है, जो कि रेणुका सिंह के जन्मदिन पर 4 जनवरी को भेजा गया था । शुभकामना संदेश में प्रधानमंत्री ने लिखा है कि मंत्रिमंडल के मेरी अहम सहयोगी के रूप में आप अपने अथक परिश्रम, असीमित ऊर्जा और अटल संकल्पशक्ति से न्यू इंडिया के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। आगे उन्होंने यह भी लिखा है कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि देश की समृद्धि के लिए आप जिस समर्पित भाव से अपनी सेवाएं दे रही हैं, वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है।
स्वाभाविक है कि इस तरह की भाषाशैली किसी हटाए जाने की संभावना वाले मंत्री के लिए नहीं लिखी जाती। प्रधानमंत्री के शुभकामना संदेश की भाषा शैली से रेणुका समर्थकों का आत्मविश्वास बढ़ा है। मगर विरोधी इससे सहमत नहीं है। उन्होंने पत्र की बारीकियों की तरफ इशारा किया, जिसमें एक-दो मात्रा संबंधी त्रुटियां थी। चाहे कुछ भी हो, प्रधानमंत्री के शुभकामना संदेश से रेणुका समर्थकों में खुशी की लहर है।
पार्षद दल नेता नहीं चुन पा रही
भाजपा रायपुर नगर निगम पार्षद दल का नेता नहीं चुन पा रही है। पहले सूर्यकांत राठौर का नाम फाइनल कर दिया गया था, लेकिन बाद में कुछ ने पेंच अड़ा दिया। इसके बाद घोषणा अटक गई। यह तर्क दिया जा रहा है कि मीनल चौबे के पक्ष में ज्यादा पार्षद हैं। ऐसे में उन्हें ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना चाहिए। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत खेमे के बीच चल रही खींचतान के चलते भाजपा सालभर बाद भी पार्षद दल का नेता तय नहीं कर पाई है।
पिछले दिनों मीनल चौबे की अगुवाई में महिला पार्षदों और कुछ नेताओं ने प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी से मुलाकात की थी, और उन्हें अब तक पार्षद दल का नेता नहीं तय होने की जानकारी दी थी। नेता ही तय नहीं है, तो निगम में भाजपा विपक्ष की भूमिका ठीक से निभा नहीं पा रही है। पुरंदेश्वरी ने पार्षदों को भरोसा दिलाया है। संकेत है कि अगले कुछ दिनों में पार्षदों से रायशुमारी कर नेता प्रतिपक्ष का चयन किया जाएगा।
पुलिस को उसी के मंच पर...
नेताओं या जनप्रतिनिधियों को अपने कार्यक्रमों में बुलाने से पुलिस को तौबा कर लेनी चाहिए। अब बालोद का मामला देखिए। यातायात सुरक्षा मास के शुभारंभ अवसर पर पहुंचे पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा ने मंच से आरोप लगाया कि यातायात पुलिस से आम लोग बड़े पैमाने पर परेशान हैं। ये अवैध वसूली में लगे हुए हैं। सिन्हाजी अपने समय में बड़े तेज विधायक थे। उनके खिलाफ पुलिस अधिकारी का कॉलर पकडऩे का केस भी चल चुका है। पुलिस को उगाही के नाम पर उनके ही मंच से सुना देने का ये काम दूसरी बार हुआ है। बिलासपुर में एक थाना भवन के उद्घाटन के समय विधायक शैलेष पांडे ने भी पुलिस पर ऐसा ही आरोप लगाया था। उन्होंने तो थानों में रेट लिस्ट लगाने का सुझाव भी दिया। कांग्रेस विधायक रश्मि सिंह ने भी पुलिस पर उगाही के आरोप लगाए थे। गृहमंत्री ने क्या कार्रवाई की यह किसी की जानकारी में नहीं है। मौजूदा विधायक जब कार्रवाई के इंतजार में हों तो सिन्हा को तो कोई उम्मीद पालने की जरूरत नहीं होगी। पुलिस को भले ही किसी एक्शन की चिंता न हो पर मंच से ऐसी बातें की जाए तो बेचैनी महसूस करते होंगे। बिलासपुर में पुलिस ने ज्यादा समझ दिखाई। किसी नेता को बुलाने की गलती नहीं की। उम्मीद है बाकी जिलों की पुलिस तक भी ये खबर पहुंच जाएगी।
धान खरीदी लक्ष्य पार करेगी?
धान खरीदी को लेकर आ रहे लगातार विपरीत समाचारों के बीच एक जानकारी ये भी है कि इस बार भी लक्ष्य के मुताबिक धान किसानों से ले लिया जाएगा, इसकी पूरी संभावना है। सरकार ने पहले 85 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य रखा था, पर बाद में रकबा की रिपोर्ट मिलने पर इसे बढ़ाकर 90 लाख मीट्रिक टन किया गया। अब जब खरीदी अपने आखिरी दौर में आ चुकी है अब तक लगभग 72 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। बस वे किसान बचे दिनों में अपनी बारी के लिए आपाधापी में फंस सकते हैं। अंतिम दिनों में दूसरे राज्यों का धान खपाने की कोशिश बढ़ जाती है, साथ ही आढ़तिए भी सोसाइटी में सेटिंग कर बहती गंगा में हाथ धोना चाहते हैं।
एक रिटायर्ड आला अफसर, और खानदानी किसान का कहना है कि इस बार माहो की मार बहुत रही, और फसल बहुत कम हुई है। लेकिन सरकारी आंकड़ों में फसल इसलिए ज्यादा दिखाई जाती है कि चारों तरफ के राज्यों से यहां धान लाया जाता है, और इस तस्करी से सबको कुछ न कुछ मिल जाता है। इसलिए सरकार कम फसल की बात मंजूर नहीं करती है, और असली फसल से अधिक की खरीदी हो जाती है। कई बरस पहले जब छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को दिल्ली में धान उत्पादन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी का केन्द्र सरकार का पुरस्कार मिला था, और दिल्ली के मंच पर उस वक्त के केन्द्रीय राज्यमंत्री चरणदास महंत भी थे, तब भी यह बात दबी जुबान में हो रही थी कि पड़ोसी राज्यों के धान की तस्करी की मेहरबानी से छत्तीसगढ़ को यह पुरस्कार मिल रहा है।
कुछ करने की हिम्मत क्यों नहीं?
बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय से बदतमीजी का मामला पीसीसी के लिए गले की फांस बन गया है। पीसीसी ने जांच के लिए कमेटी बिठाई थी। कमेटी ने विधायक के साथ बदतमीजी की पुष्टि की है, और इसके लिए ब्लॉक अध्यक्ष तैय्यब हुसैन को जिम्मेदार ठहराया है। कार्रवाई का आधार घटना के बाद ब्लॉक अध्यक्ष द्वारा मीडिया पर दिए गए बयान को बनाया गया। जिनमें से एक वाक्य को खास तौर पर आपत्तिजनक माना गया जिसमें उन्होंने कहा कि- हमारे विधायक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ज्यादा ड्रामेबाज हैं। रिपोर्ट तो पीसीसी चीफ मोहन मरकाम को दे दी गई है, लेकिन रिपोर्ट पर कार्रवाई अपेक्षित है। कहा जा रहा था कि वर्धा से लौटने के बाद पीसीसी चीफ कार्रवाई करेंगे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।
पीसीसी चीफ ने सिर्फ इतना ही कहा है कि रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। बहरहाल, रिपोर्ट की भनक मिलते ही विधायक विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया है और कोशिश कर रहा है कि ब्लॉक अध्यक्ष को कार्रवाई से बचा लिया जाये। विरोधी खेमे की तरफ से यह आरोप भी लगाया गया कि विवाद को विधायक कम्यूनल कलर देने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ यह भी हुआ है कि ब्लॉक अध्यक्ष के समाज के कुछ लोगों ने एक बैठक कर उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने की मांग की है। विरोधियों के दबाव के चलते ब्लॉक अध्यक्ष पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मगर रिपोर्ट तो आ गई है, और इस पर कुछ न कुछ कार्रवाई होना जरूरी है।
ऐसे में अब बीच का रास्ता निकाला जा रहा है, कि रिपोर्ट पर कार्रवाई टालने के लिए हाईकमान से मार्गदर्शन लेने का फैसला लिया जा सकता है। ये अलग बात है कि अंतागढ़ कांड उजागर होने के बाद पीसीसी ने उस समय मरवाही के विधायक अमित जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, और पूर्व सीएम अजीत जोगी के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर दी थी। तब हाईकमान से पूछा तक नहीं गया था। अब विधायक के साथ बदतमीजी के मामले को कार्रवाई में आनाकानी पर सवाल तो खड़े हो रहे हैं।
समन्वयक उम्मीद से
विधानसभा चुनाव से पहले सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने समन्वयक बनाए थे, और उन्हें चुनाव प्रचार खत्म होने तक इलाके में डटे रहने के लिए निर्देशित किया गया था। यह भी भरोसा दिलाया गया था कि पार्टी की सरकार बनने पर सबको कुछ न कुछ दिया जाएगा। विधानसभा समन्वयकों ने प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार में पूरा योगदान दिया। अब सरकार बन गई है, तो वे उम्मीद से हैं।
निगम-मंडलों की एक सूची जारी हो गई है, लेकिन दो-तीन को ही पद मिल पाया है। दूसरी सूची का इंतजार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि दूसरी सूची के संभावित नामों पर चर्चा हो चुकी है। हल्ला है कि दूसरी सूची में भी ज्यादातर के नाम नहीं हैं। ये अलग बात है कि सूची का ही कोई अता-पता नहीं दिख रहा है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि शायद 26 जनवरी के बाद सूची को लेकर हलचल हो। यदि ऐसा नहीं होता है, तो फिर बजट सत्र तक के लिए मामला ठंडे बस्ते में जा सकता है।
चाय के कप में बीयर कभी पी है?
जो लोग बीयर पीते हैं वे जानते हैं कि इसके लिए सामान्य से बड़े ग्लास इस्तेमाल होते हैं, और एक बड़ी बोतल अधिक से अधिक दो गिलासों में खाली हो जाती है। लेकिन किसी ने चीनी मिट्टी के चाय पीने के लिए बनाए गए कप में बीयर नहीं देखी होगी। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वीआईपी कही जाने वाली एयरपोर्ट रोड पर बिना दारू-लाइसेंस के एक रेस्त्रां में खुलकर बीयर पिलाई जा रही है, और उससे भरा हुआ गिलास आंखों को न खटके इसलिए वेटर बोतल के साथ चाय वाले कप लेकर आता है, और टेबिल पर कप में बीयर भरकर सर्व कर जाता है। अब इस गैरकानूनी ठिकाने के आसपास जो लोग बार की मोटी लाइसेंस फीस देकर कारोबार कर रहे हैं, वे परेशान हैं, और इस अवैध बीयर बार की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भेजकर लोगों से मदद की अपील भी कर रहे हैं।
ऑनलाइन ठगी का ऐसा मकडज़ाल
ऑनलाइन ठगी का अपराध रोजाना दर्ज हो रहा है। गूगल सर्च में भी फर्जी कस्टमर केयर और हेल्पलाइन नंबर डाल दिये गये हैं। पुलिस के अलावा बैंकों की तरफ से भी एसएमएस भेजकर सचेत किया जाता है कि फोन पर किसी को अपना कार्ड नंबर न बतायें, पासवर्ड, ओटीपी न बतायें, कोई ऐप डाउनलोड करने के लिये लिंक भेजें तो न खोलें। अधिकारिक वेबसाइट से ही हेल्पलाइन नंबर लें। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया उन अग्रणी बैंकों में है, जो इस तरह की चेतावनी अक्सर अपने ग्राहकों को देता रहता है। पर ठगों ने राजधानी रायपुर के इसी बैंक के एक रिटायर्ड अधिकारी को अपना शिकार बनाया। उन्होंने प्रोविडेंट फंड का बकाया 13 लाख रुपये का भुगतान करने के नाम पर करीब 2.60 लाख रुपये अपने खातों में जमा करा लिया। यह हो नहीं सकता कि मुख्य प्रबंधक पद से सेवानिवृत होने वाले बैंक अधिकारी ने बातचीत और रुपये ट्रांसफर करते समय सावधानी नहीं रखी होगी, इसके बावजू ऐसा मामला सामने आने से पता चलता है कि ठग अच्छे-खासे समझदार लोगों पर भी अपना विश्वास जमाने में सिर्फ फोन के जरिये सफल हो रहे हैं। फिलहाल तो, अकेले पुलिस द्वारा साइबर क्राइम के खिलाफ चलाई जा रही जागरूकता काफी नहीं लगती।
इसी को कहते हैं सरकारी ढर्रा
मुद्रलेखन एवं शीघ्र लेखन बोर्ड हर साल दो बार टाइपिस्ट की परीक्षायें आयोजित कराता है। इसे पास करने के बाद बेरोजगार युवा के पास एक और योग्यता प्रमाण-पत्र हो जाता है। उम्मीद बढ़ जाती है कि जब नौकरी का आवेदन भरा जायेगा तो यह काम आयेगा। सहायक ग्रेड-2 और समकक्ष लिपिक की भर्ती के विज्ञापनों में अक्सर लिखा होता है टाइपिंग जानना अनिवार्य। यदि कोई नहीं जानता तो उसे नौकरी लगने के सालभर के भीतर इसे पास करना भी होता है। हाल में यह परीक्षा प्रदेश के कई जिलों में हुईं। हालत यह थी कि टाइपराइटरों की कमी पड़ गई। परीक्षार्थियों को खुद टाइपराइटर का इंतजाम करना पड़ा, जिसके लिये उन्हें 500 रुपये तक खर्च करने पड़े। बेरोजगारों के सामने दोहरी मुसीबत है, टाइपराइटर पर टाइपिंग सीखना इसलिये जरूरी है क्योंकि नौकरी के लिये आवेदन करते समय अनिवार्य है। कम्प्यूटर पर भी टाइपिंग सीख लेना इसलिये जरूरी है क्योंकि दफ्तरों में इनसे ही काम हो रहा है। जब अफसर यह मानने लगेंगे कि टाइपराइटर का जमाना लद गया और कम्प्यूटर पर ही परीक्षा ली जायेगी, तब शायद यह स्थिति बदले
- 1670 - हेनरी मोरगन ने पानामा पर कब्ज़ा किया।
- 1778 - जेम्स कुक हवाई द्वीपसमूह की खोज करने वाले पहले यूरोपियन बने। इसका नाम उन्होंने सेंडविच आइलैंड रखा।
- 1896 - एक्सरे मशीन का पहला प्रदर्शन किया गया।
- 1969 -पहली बार ऐरीज़ोना विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों ने पल्सर तारे की पहचान की।
- 1994 -अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने सौर पैनल लगाने की घोषणा की जो पहले के सौर पैनलों से दुगुनी क्षमता के थे।
- 2003 - लीबिया संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त।
- 2005 -सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों को पेट्रोल पम्प आवंटित नहीं करने की सिफ़ारिश की। तीन कैरेबियाई देशों त्रिनिदाद-टोबेगो, ग्रेनेडा, सेंट विसेंट व ग्रेंडाइस के प्रधानमंत्रियों ने साथ मिलकर राजनीतिक एकीकरण का प्रस्ताव रखा।
- 2006 - संयुक्त राज्य अमेरिका में इच्छा मृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगायी।
- 1841 - महाराष्ट्र के विद्वान महादेव गोविन्द रानाडे का जन्म हुआ।
- 1942 - मुक्केबाज़ मुहम्मद अली का जन्म हुआ।
- 1947 - प्रसिद्ध भारतीय गायक और अभिनेता कुंदन लाल सहगल का निधन जालंधर में हुआ।
- 1955 -भारत के प्रसिद्ध कहानीकार, लेखक और पत्रकार सआदत हसन मंटो का निधन हुआ।
- 2003 -हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन का निधन
- 1933 -भौतिकशास्त्री, अभियन्ता और कोलाहल न्यूनन प्रणाली के आविष्कारक रे डॉल्बी का जन्म हुआ। वे कार में बजने वाले कैसेट से लेकर सिनेमाघरों की सराउन्ड साउन्ड की नई पद्धतियों को सामने लाने के लिए जाने जाते हैं।
- 1861-जर्मन रसायनज्ञ हेन्ज़ गोल्डश्मिट का जन्म हुआ, जिन्होंने थर्माइट का आविष्कार किया। यह प्रणाली अब रेल की पटरियों तथा ट्रॉम रेल की वेल्डिंग के लिए विश्वप्रसिद्ध है। पहला वेल्ड किया हुआ ट्रैक ऐसेन में रखा गया। यह तरीका गोल्डश्मिट की न्यूनन प्रक्रिया से विकसित हुआ जिसकी उन्होंने कार्बन मुक्त धातु का निर्माण करते समय जांच की। (निधन-25 मई 1923)
- 1971- अमेरिकी महिला सिविल इंजीनियर, वास्तुकार नोरा स्टेन्टन ब्लैश बार्ने का निधन हुआ। 1905 में वह अमेरिका की पहली महिला सिविल इंजीनियर बनीं। (जन्म-30 सितम्बर 1883)
- 1908 - डच नेत्र-रोग विशेषज्ञ हर्मन स्नेलेन का निधन हुआ, जिनका स्नेलेन चार्ट, जो काली रेखाओं से बना था, आंखों की तीक्ष्णता ज्ञात करने के काम आता है। (जन्म 19 फरवरी 1834)।
मंदिर के लिए बैठे एक साथ
भाजपा के छोटे-बड़े नेता राम मंदिर के लिए चंदा एकत्र करने में जुट गए हैं। सुनते हैं कि पूर्व सीएम रमन सिंह ने तो दो दिन पहले अपने घर पर बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल और राजेश मूणत के साथ बैठक भी की थी। चर्चा है कि बैठक में बड़े कारोबारियों की सूची तैयार की गई, और उनसे संपर्क कर राम मंदिर के लिए सहयोग राशि लेने का फैसला लिया गया। प्रदेश के बड़े कारोबारी पिछले 15 सालों में इन्हीं चारों के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में रहे हैं, और ये नेता संकट के समय में उनका सहयोग करते रहे हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इन दिग्गजों के आगे आने पर कारोबारी राम मंदिर के लिए सहयोग करने में पीछे नहीं रहेंगे।
आरएसएस भी चंदा जुटाने के लिए अभियान चला रही है। पिछले दिनों जागृति मंडल में व्यापारी संगठनों को आमंत्रित किया गया था। इसमें आरएसएस पदाधिकारियों ने व्यापारियों से राम मंदिर के लिए सहयोग राशि देने की अपील की। एक व्यापारी ने पूछ लिया कि अगर 21 लाख रूपए चंदा देते हैं, तो मंदिर प्रागण में उनका नाम लिखा जाएगा? या फिर राम मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं, तो उनके ठहरने का मुफ्त में इंतजाम होगा? इस पर आरएसएस पदाधिकारी ने जवाब दिया कि ऐसी कोई भी उम्मीद पालना गलत होगा। अभी सिर्फ मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करना है। दानदाताओं को वहां कोई विशेष सुविधाएं मिलेंगी या नहीं, यह अभी साफ नहीं है।
नेता के हाऊसिंग प्रोजेक्ट की तरफ
रायपुर पश्चिम के इलाके की एक हाउसिंग प्रोजेक्ट की जमकर चर्चा है। यह प्रोजेक्ट कांग्रेस के एक नेता की है, और इसमें धनाढ्य लोग काफी रूचि ले रहे हैं। हल्ला तो यह भी है कि नेता के प्रोजेक्ट ने भाजपा के पूर्व मंत्री की अप्रत्यक्ष भागीदारी वाली विधानसभा मार्ग स्थित हाउसिंग कॉलोनी को पीछे छोड़ दिया है, जिसे मध्य भारत की सबसे लक्जरी कॉलोनी बताया जा रहा था।
सुनते हैं कि नेता के प्रोजेक्ट में समता कॉलोनी और अन्य क्षेत्रों के लोगों ने काफी निवेश किया है। समता कॉलोनी में पेयजल और अन्य कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही है। इसके चलते वहां के धनाढ्य लोग कांग्रेस नेता के हाऊसिंग प्रोजेक्ट की तरफ रूख कर रहे हैं। चर्चा तो यह भी है कि इस हाऊसिंग प्रोजेक्ट की कुछ जमीन को लेकर समस्याएं भी हैं। मगर निवेशकर्ता निश्चिंत हैं। वजह यह है कि नेता लालबत्ती धारी भी हैं। ऐसे में थोड़ी बहुत कुछ समस्याएं होंगी भी, तो उसे निपटाने में नेता सक्षम हैं। स्वाभाविक है कि पार्टी की सरकार में हो, तो कारोबारी अड़चनें आसानी दूर हो जाती हैं ।
पहली बार हो रहा है कि
भाजपा में गुटबाजी रोकने के लिए पहल हो रही है। इस काम में खुद महामंत्री (संगठन) पवन साय लगे हैं। पवन साय बेहद शालीन और लो-प्रोफाइल में रहने वाले नेता हैं। पिछले दिनों दुर्ग के तीनों जिलाध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी की मंजूरी के लिए कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे, तो पवन साय ने यह कहकर रोक दिया, कि जिले के सभी प्रमुख नेताओं से चर्चा करने के बाद कार्यकारिणी की घोषणा करना ठीक रहेगा।
यह बात किसी से छिपी नहीं है, कि दुर्ग भाजपा में काफी विवाद है, और तीनों जिलाध्यक्ष सरोज पाण्डेय के खेमे के माने जाते हैं। विवाद के कारण तो कुछ मंडलों के भी चुनाव नहीं हो पाए थे। सुनते हैं कि पवन साय खुद सांसद विजय बघेल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय और विद्यारतन भसीन व अन्य प्रमुख नेताओं के साथ कार्यकारिणी को लेकर बैठक करेंगे। ये नेता सरोज पाण्डेय के विरोधी माने जाते हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि विशेषकर दुर्ग में अब असंतुष्टों की भी बात सुनी जाएगी। इससे पहले तक तो सरोज की राय पर ही मुहर लगती रही है।
मुफ्त की जगह वैक्सीन की कीमत ली जाती तो?
कोविड टीकाकरण अभियान के लिये पूरे प्रदेश में शनिवार की सुबह उत्साह का वातावरण था। पर शाम होते-होते जब आंकड़े आये तो बहुत भरोसा जगाने वाला नहीं रहा। प्रदेश में केवल 61 प्रतिशत रजिस्टर्ड लोगों ने टीका लगवाया। बहुत से लोगों ने सेंटर पहुंचने के बाद बीमारी की बात बताई, जिसके चलते उनका इलाज शुरू किया गया, ग्लूकोज़ बोतलें भी चढ़ानी पड़ी। ये सब टीके से बच गये। पर कई लोग तो पहुंचे ही नहीं। बिना कोई कारण बताये। डॉक्टर्स हैरान हैं कि आंकड़ा इतना कम क्यों रहा। यह तो फ्रंटलाइन पर कोरोना मरीजों के बीच जोखिम भरी ड्यूटी निभाने वालों की सूची थी, जिन्हें कोरोना से बचाव के लिये ज्यादा उत्साहित होकर सामने आना था।
एक वैक्सीनेशन सेंटर में डॉक्टर बात कर रहे थे। उनका निष्कर्ष यह था कि एक तो पहले ही सरकार ने इसे लोगों की मर्जी पर छोड़ दिया है। लोग लापरवाह हो गये। सरकार और विशेषज्ञों के तमाम रिपोर्ट्स के बावजूद वे संतुष्ट होना चाहते हैं कि टीके का कोई रियेक्शन तो नहीं होता। दूसरी बात वैक्सीन मुफ्त लगाई जा रही है। मुफ्त की जगह टोकन के तौर पर ही इसकी कोई कीमत तय कर दी जाती तो शायद पहले टीका लगवाने की होड़ मच जाती।
40 फीसदी बचे वैक्सीन का सही इस्तेमाल
कोविड टीकाकरण अभियान के पहले दिन फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहले चुना गया तो लोग सवाल कर रहे थे कि देश प्रदेश के प्रमुख लोगों को, अफसरों और नेताओं को पहले टीका लगवाकर क्यों उदाहरण पेश नहीं करना चाहिये। यह टीके के प्रति लोगों में भरोसा बढ़ायेगा। सरकार ने कहा कि नहीं- पहले कोविड अस्पतालों में काम करने वालों को टीका लगवायें। अगर नेताओं ने दिलचस्पी दिखाई तो कार्यकर्ता भी लाइन लगा लेंगे और जिन्हें ज्यादा जरूरी है वे वंचित रह जायेंगे। तर्क मान लिया गया और ऐसा ही किया गया। हालांकि रायपुर, बिलासपुर में कई जाने-माने डॉक्टरों ने आगे आकर खुद टीका स्वास्थ्य कर्मचारियों का हौसला बढ़ाने के लिये लगवाया। इसके बावजूद रिपोर्ट आई है कि छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में भी आंकड़े 60 प्रतिशत के आसपास ही रहे और 40 प्रतिशत वैक्सीन बच गये। यानि वैक्सीन की कमी होने की चिंता फिलहाल नहीं है। इसलिये अब जरूर कुछ नेताओं, बड़े अफसरों को बचा हुआ टीका लगवा लेना चाहिये। सोमवार से अभियान फिर शुरू हो रहा है। ऐसा करेंगे तो टीकाकरण की रफ्तार बढ़ेगी।
चालू करते ही रिपब्लिक दर्शन
एक्टिविस्ट व सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच कथित चैट को सोशल मीडिया पर जारी करने के बाद से ही सनसनी फैली हुई है। इस चैट को भरोसेमंद मानने वाले हैरान है कि पीएमओ और मंत्रिपरिषद् में अर्णब की कितनी पकड़ है, देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर भी वे कहां तक घुसे हुए हैं। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और इंडिया टीवी के रजत शर्मा के बारे में क्या राय है।
छत्तीसगढ़ में भी अर्णब गोस्वामी के खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने सोनिया, राहुल, नेहरू पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। फिलहाल आगे की कार्रवाई पर अदालती रोक लगी हुई है।
जो लोग रिपब्लिक टीवी को नापसंद करते हैं उनमें से कई घरों में एक केबल नेटवर्क ऐसा भी लगा हुआ है जिसमें टीवी ऑन करते ही सबसे पहले रिपब्लिक ही दिखाई देता है। आप चैनल बदलना है तो बदलते रहिये, पसंद न हो तब भी सबसे पहले कुछ देर तक रिपब्लिक का दर्शन करना ही होगा। ऐसा भी नहीं है कि इसलिये यह चैनल दिखाई देता है क्योंकि वह क्रम में पहले है। एक उपभोक्ता ने इसकी शिकायत अपने केबल ऑपरेटर से की, तो बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ में हमारे नेटवर्क में ऐसी सेटिंग है। वह नहीं बदल सकता। यह भी बताया यह जा रहा है कि यह नेटवर्क फ्रैंचाइजी जिन लोगों के हाथ में है वे प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के ही बड़े समर्थक माने जाते हैं।
- 1882 -थॉमस एल्वा एडिसन के टेलीफोन में किए गए नए सुधार के लिए पेटेन्ट जारी किया गया एडिसन से इसे कार्बन माइक्रोफोन कहा।
- 1941 - सुभाषचन्द्र बोस ब्रिटिश पहरे से चुपचाप ढंग से निकलकर जर्मनी के लिए रवाना हुए।
- 1945 - द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के दिनों में सोवियत सेना का पोलैण्ड की राजधानी वारसा में आगमन।
- 1961 - जनवादी कोंगो के प्रधानमंत्री पेट्रिस लुमुम्बा की देश के नए सैन्य शासकों ने हत्या कर दी।
- 2007 - आस्ट्रेलिया के क्रिकेटर माइकल बेवन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया।
- 2008- केन्द्र सरकार ने विकलांगों को नौकरियां देने के लिए 1800 करोड़ रुपये की एक योजना को मंज़ूरी प्रदान की। मेडागास्कर में हिन्द महासागर के ताड़ के पेड़ की नई प्रजाति मिली।
- 2010- भारत के उच्चतम न्यायालय ने ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हमला किए जाने की स्थिति में आत्मरक्षा के अधिकार की प्रो-ऐक्टिव परिभाषा देते हुए कहा है कि क़ानून का पालन करने वाले लोगों को कायर बनकर रहने की ज़रूरत नहीं है। उ
- 1863 - आधुनिक रंगमंच को अपनी यथार्थवादी शैली से नया रूप देने वाले महान रूसी रंगकर्मी कोंस्तेंतिन स्तानिस्लावस्की का जन्म हुआ।
- 1888 - भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, निबन्धकार और व्यंग्यकार बाबू गुलाबराय का जन्म हुआ।
- 1945 - पटकथा लेखक और हिन्दी फि़ल्मों के गीतकार जावेद अख्तर का जन्म।
- 1918 - प्रसिद्ध फि़ल्म निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही का जन्म हुआ।
- 2010- भारत के प्रसिद्ध माक्र्सवादी राजनीतिज्ञ ज्योति बसु का निधन।
- 1834 -जर्मन वैज्ञानिक ऑगस्ट वाइज़मैन का जन्म हुआ, जो कि आनुवंशिकता-विज्ञान के संस्थापकों में माने जाते हैं। उन्हें विशेष कर के उपार्जित लक्षणों की वंशानुगति तथा जर्मप्लाज़्म सिद्धान्तों के लिए जाना जाता है। (निधन- 5 नवम्बर 1914)
- 1706-अमेरिकी मुद्रक और प्रकाशक, लेखक, वैज्ञानिक तथा राजनयिक बेन्जामिन फ्रैंकलिन का जन्म हुआ। विद्युत पर किए गए अपने व्यापक प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध। तडि़त चालक और बाइफोकल चश्में उन्हीं के विचार थे। (निधन-17 अप्रैल 1790)
- 1910-जर्मन भौतिकशास्त्री हैनरिक विल्हेम ज्यॉर्ज कोह्लरॉश का निधन हुआ, जिन्होंने एलेक्ट्रोलाइट्स की विशेषताओं के बारे में पड़ताल की। एलेक्ट्रोलाइट्स वे पदार्थ होते हैं जो विलयन में आयनों के स्थानांतरण द्वारा विद्युत का संचालन करते हैं। उन्होंने एलेक्ट्रोलाइट्स के व्यवहार को समझने में योगदान दिया। (जन्म 14 अक्टूबर 1840)
- 1890 -स्कॉटिश अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर हेन्डरसन का निधन हुआ, जो अमेरिकी बाग़वानी के जनक माने जाते हैं। उन्होंने 1847 में 500 डॉलर की पूंजी के साथ बाग़वानी की शुरुआत की। उन्होंने व्यावसायिक फूलों की खेती पर प्रैक्टिकल फ्लोरीकल्चर (1868) नामक पुस्तक लिखी। (जन्म 9 जून 1822)।
राजभवन घेराव-एक
कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस के राजभवन घेराव-प्रदर्शन ने प्रेक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। प्रदर्शन के लिए समय कम था। क्योंकि एक दिन पहले ही पीसीसी वर्धा से लौटी थी। मगर भीड़ के मामले में यह प्रदर्शन कांग्रेस के अब तक के सभी प्रदर्शनों से बेहतर और व्यवस्थित नजर आया। वह भी तब जब सीएम और समूचा मंत्रिमंडल गैर हाजिर था।
मोहन मरकाम की अगुवाई में हुए इस प्रदर्शन में उनके दोनों महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला और रवि घोष का प्रबंधन था। पहले भी किसान आंदोलन-प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन राजधानी की सडक़ों में ट्रैक्टरों के साथ किसान-कार्यकर्ताओं की भीड़ पहली बार दिखी। मरकाम खुद राजीव भवन से ट्रैक्टर चलाते हुए राजभवन के लिए निकले।
वे काफी तनाव और गुस्से में थे। वजह यह थी कि टै्रक्टर के सामने भीड़ जमा हो जा रही थी, और एक्सीडेंट का खतरा भी था। मगर पीछे से किसी चतुर नेता ने उन्हें समझाइश दी कि वे टीवी कैमरों की तरफ फोकस करें, और भीड़ को अनदेखा कर एक्सीलेटर दबा दें। फिर क्या था, मरकाम ने टीवी कैमरों की तरफ देखते हुए हाथ हिलाते गाड़ी तेजी से आगे बढ़ा दी। भीड़ खुद-ब-खुद सामने से हट गई। इसके बाद मरकाम का काफिला बिना किसी बाधा के राजभवन के समीप पहुंच गया।
गाड़ी में उतरते समय पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा का पैर फिसल गया, और उन्हें काफी खरोंच आई। मगर वे चोट की परवाह किए बिना प्रदर्शन में शामिल हुए। राजभवन घेराव-कार्यक्रम में दो दर्जन से अधिक विधायक और पदाधिकारियों ने शिरकत की।
राजभवन घेराव-दो
राजभवन घेराव-प्रदर्शन में रायपुर के छोटे-बड़े नेताओं ने अपनी उपस्थिति दिखाई। रायपुर की प्रभारी प्रतिमा चंद्राकर काफी नाराज रहीं। चर्चा है कि शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे खुद तो राजभवन के अंदर चले गए, लेकिन प्रतिमा का नाम नहीं लिखवाया था। प्रतिमा बाहर ही रह गई थी, बाद में मरकाम को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने प्रतिमा और कुछ प्रमुख नेता, जो बाहर रह गए थे उन्हें अंदर बुलवाया। प्रतिमा ने गिरीश को देखते ही जमकर फटकार भी लगाई। एजाज ढेबर और प्रमोद दुबे भी अपने साथियों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए, लेकिन नए नवेले ब्लॉक अध्यक्षों ने घेराव-प्रदर्शन को बेहतर बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। उन्हें अपनी योग्यता साबित करनी थी, और उन्हें मौका भी मिल गया।
मंत्री क्यों नहीं पहुंचे बेरिकेड्स तोडऩे
केन्द्र के कृषि कानून, डीजल-पेट्रोल दाम और दूसरी चीजों की महंगाई के विरोध में राजभवन का घेराव हुआ। दूरदराज से पहुंचे कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हो गये। वे तो इस उम्मीद से आये कि घेराव के कार्यक्रम में सीएम और सारे मंत्री भी शामिल होने वाले हैं लेकिन ऐन मौके पर वे पहुंचे ही नहीं। उनके सामने वे अपनी निष्ठा, भक्ति, भीड़ दिखा पाते। राजीव भवन के कार्यक्रम में तो खूब माहौल बना। राजभवन के पहले पुलिस से झूमा-झटकी कर पुलिस घेरा भी तोड़ डाला। कार्यकर्ता जब इतने जोश में थे तो उन्हें साथ देने के लिये मंत्रियों को आना तो चाहिये था?
प्रदर्शन में शामिल कुछ दूसरे समझदार कार्यकर्ताओं ने उन्हें समझाया। देखो, सत्ता से बाहर रहने के दौरान प्रदर्शन, आंदोलन करना आसान होता। सरकार में रहते हुए ला एंड आर्डर बनाये रखने की जिम्मेदारी भी मंत्रिमंडल की है। क्या मंत्रियों की मौजूदगी में हम लोग इतना शोर-शराबा कर पाते। उन पर लॉ एंड आर्डर हाथ में लेने का आरोप लगता। पुलिस किस पर लाठी चलाती, उन पर जिनकी सुरक्षा में वह तैनात है? विपक्ष को सरकार को घेरने का एक मौका और मिल जाता।
केबीसी में छत्तीसगढ़ की धमक
अमिताभ बच्चन के टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की सबसे हटकर लोकप्रियता है। मनोरंजन के साथ-साथ इसमें सामान्य ज्ञान की परख होती है। साधारण सी पृष्ठभूमि के लोग भी अपनी तैयारी की बदौलत यहां पहुंच जाते हैं। इस बार इस प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ की प्रतिभाओं को उभरने का खूब मौका मिल रहा है। अक्टूबर माह में पद्मश्री फूलबासन देवी को कर्मवीर एपिसोड में बुलाया गया था जिसमें उनकी सहयोगी अभिनेत्री रेणुका शहाणे थीं। फूलबासन ने अपने जवाब से अमिताभ को काफी प्रभावित किया। रेणुका ने फूलबासन की टीम से जुडऩे की इच्छा जताई। फूलबासन 50 लाख जीतकर आईं। इसके बाद अगले माह नवंबर के आखिरी हफ्ते में जगदलपुर की एक हाईस्कूल की व्याख्याता अनूपा दास को मौका मिला। उन्होंने तो एक करोड़ रुपये जीत लिये। जगदलपुर में उनका जबरदस्त स्वागत हुआ, जगह-जगह पोस्टर भी लगे। फिर दिसम्बर महीने में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक तदर्थ भृत्य मंतोष कश्यप को मौका मिला। उसने भी तीन लाख 20 हजार रुपये जीत लिये। अब जनवरी माह में भी इस सिलसिले को आगे बढ़ाया है बिलासपुर की ही अफसीन नाज़ ने। उन्होंने 50 लाख रुपये के जवाब पर हॉट सीट छोड़ा, 25 लाख रुपये जीतकर आईं। सिलसिला जारी रहे...।
एक क्यों, दो माह का राशन ले जाओ..
इस बार कंट्रोल का चावल उठाने वालों को सरकार की तरफ से एक ऑफर दिया गया है। न तो त्यौहार है न लॉकडाउन का संकट लेकिन उपभोक्ता चाहें तो जनवरी के साथ-साथ फरवरी का भी चावल उठा लें। शासन के सर्कुलर में इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि आखिर यह मेहरबानी क्यों की जा रही है। ज्यादा जोर लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ी, जब खबरों को जोडक़र देखा गया। धान खरीदी में बारदानों का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कई जगह किसान ब्लैक में इंतजाम कर रहे हैं। मार्कफेड और फूड वालों पर बड़ा दबाव है कि वे समितियों को बोरियां उपलब्ध करायें। राशन दुकान संचालकों से गिन-गिनकर बोरियां वापस मांगी जा रही है। संचालकों ने पहले तो बोरियां संभाली नहीं थीं लेकिन हिसाब पूरा करने के लिये वे भी बाजार से खरीदकर लौटा रहे हैं। खाद्य विभाग की मेहरबानी इसी से जुड़ी हुई है। यदि उपभोक्ता एक साथ दो माह का राशन ले जायें तो दुकानों में दुगनी बोरियां खाली हो जायेंगी। ये बोरियां समितियों में भेज दी जायेंगी। धान खरीदी 31 जनवरी तक होनी है। अभी बड़ी संख्या में बोरियों का इंतजाम करना है। हालत यह है कि राशन लेने आ रहे लोगों से दुकानदार गुजारिश कर रहे हैं, भाई, दो माह का राशन उठा लो।