स्थायी स्तंभ
भारत के पिकासो के नाम से मशहूर कलाकार मकबूल फिदा हुसैन का आज ही के दिन लंदन में निधन हुआ था. भारत में कानूनी मुकदमों और जान से मार देने की धमकियों के चलते वह अपने आखिरी दिनों में स्व निर्वासन में विदेश में रह रहे थे.
एमएफ हुसैन के नाम से मशहूर हुए मकबूल फिदा हुसैन भारत के सबसे जानेमाने चित्रकारों में से एक थे. उनका जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर में हुआ. हुसैन जब डेढ़ साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया. उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका परिवार इंदौर चला गया. हुसैन की स्कूली शिक्षा वहीं हुई. 1935 में हुसैन मुंबई चले गए और वहां जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से अपने पेंटिंग के हुनर को निखारा. 1941 में उनकी शादी हुई. मुंबई में शुरू में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें काफी बुरे दिन देखने पड़े. काफी समय तक उन्हें फिल्मों के पोस्टर पेंट करके गुजारा करना पड़ा.
कभी जूते न पहनने वाले हुसैन ने आखिरी वक्त तक खुद को सीखते रहने वाला कलाकार रहने दिया. कभी फिल्मों के पोस्टर बनाने वाले एमएफ हुसैन ने कब ब्रश थाम लिया, खुद उन्हें भी याद नहीं. जिस साल भारत आजाद हुआ, उस साल हुसैन के करियर को भी नई दिशा मिल गई जब वह मुंबई के प्रतिष्ठित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप में शामिल हो गए. तब 32 साल की उम्र में हुसैन भारत के सबसे बड़े चित्रकारों में गिने जाने लगे.
कैनवस ने हुसैन को नई पहचान भले ही दी हो लेकिन उनकी जिंदगी फिल्मों के साथ शुरू हुई थी. इसलिए उनके मन में फिल्मों को लेकर अलग जगह बनी रही और 1960 के दशक में वह फिल्मों की ओर बढ़े. 1967 में बनाई पहली फिल्म ‘थ्रू द आइज ऑफ ए पेंटर' को अंतरराष्ट्रीय पर्दे पर ख्याति मिली. इस फिल्म को बर्लिन फिल्म महोत्सव में गोल्डन बीयर पुरस्कार मिला. 1971 में पाब्लो पिकासो के साथ साओ पाओलो बीएनाले में हुसैन खास अतिथि बने.
इस नाम और लोकप्रियता से परे एमएफ हुसैन के चित्र विवादों में ही ज्यादा रहे. खासकर हिन्दू देवियों के चित्रों पर हिन्दू कट्टरपंथियों की कुपित नजर बनी रही. उन पर आठ आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया.
90 की उम्र में हुसैन के लिए यह इतना बड़ा सिरदर्द हो गया कि उन्हें भारत छोड़ना पड़ा. भारतीय अदालतों में चलते मुकदमे और कुछ लोगों का विरोध हुसैन को तोड़ गया. उनकी कला भी प्रभावित हो गई और उन्हें कतर में शरण लेनी पड़ी. बाद में कतर ने उन्हें नागरिकता भी दे दी. हालांकि आखिर के कुछ साल हुसैन ज्यादातर ब्रिटेन में ही रहे. उन्होंने पूरी जिंदगी 60,000 से ज्यादा पेंटिंग्स बनाईं.
हुसैन को 1955 में पद्मश्री, 1973 में पद्मभूषण और 1991 में पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया. 9 जून 2011 को लंबी बीमारी के बाद हुसैन का लंदन में 95 साल की उम्र में निधन हो गया.
- 1822 -चाल्र्स ग्राहम ने नकली दांतों के लिए पेटेन्ट प्राप्त किया।
- 1905-आइंस्टाइन ने प्लैंक के क्वान्टम सिद्धान्त का विश्लेषण किया।
- 1964 - लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
- 1999 - कुली ओडैजो (द. अफ्रीका) माउंट एवरेस्ट पर दक्षिण तथा उत्तर दोनों छोर से चढ़ाई करने वाली विश्व की प्रथम महिला बनीं, युगोस्लाविया एवं नाटो के बीच कोसोवो में सर्बियाई सैनिक वापस बुलाने पर सहमति।
- 2001 - ईरान में मोहम्मद ख़ातमी की पुन: जीत, बेनजीर भुट्टो को तीन साल की सज़ा।
- 2006 - म्यूनिख में विश्व कप फ़ुटबाल की रंगारंग शुरुआत।
- 2008 - केन्द्रशासित क्षेत्र प्रशासन ने चंडीगढ़ को तम्बाकू मुक्त घोषित किया। अमेरिका की एक ऊर्जा कम्पनी ने पवन ऊर्जा के टरबाइन निर्मित करने वाली कम्पनी सुजलान एनर्जी लिमिटेड के 160 मेगावाट्स खऱीदने का आर्डर रद्द कर दिया। फि़ल्म अभिनेता शाहरुख ख़ान ने नौवें इंटरनेशनल इण्डियन फि़ल्म एकेडमी (आईफ़ा) पुरस्कार समारोह में फि़ल्म चक दे इण्डिया के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता।
- 1949 - भारत की प्रथम महिला आइपीए किरण बेदी का जन्म हुआ।
- 1981 - संगीतकार अनुष्का शंकर का जन्म हुआ।
- 1900 - आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का निधन हुआ।
- 1991 - फिल्म निर्देशक राज खोसला का निधन हुआ।
- 1993 - निर्देशक सत्येन बोस का निधन हुआ।
- 2011 - जाने-माने चित्रकार मक़बूल फि़दा हुसैन का निधन हुआ।
- 1781- अंग्रेज़ इंजीनियर और रेल के इंजन के प्रधान आविष्कारक जॉर्ज स्टीफेन्सन का जन्म हुआ। (निधन-12 अगस्त 1848)
- 1768-अंग्रेज़ अमेरिकी मैकेनिकल इंजीनियर सैमुअल स्लेटर का जन्म हुआ, जिन्होंने अमेरिका में सूती कपड़ों के कारखाने की नींव रखी। उन्होंने रोड आइलैंड में कपास मिल की नींव रखी। (निधन-21 अप्रैल 1835)
- 1996 अमेरिकी कोशिका विज्ञानी डैनियल मैजिय़ा का निधन हुआ, जिन्होंने नाभिकीय तथा कोशिका प्रजनन पर अनुसंधान किया। वे खासकर कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदायी संरचनाओं के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। (जन्म-18 दिसम्बर 1912)
- 1961- फ्रांसीसी जीवाणु विज्ञानी कैमिली ग्वैरिन का निधन हुआ, जिन्होंने जानलेवा क्षयरोग (ट्यूबरकुलोसिस) के टीके बी.सी. जी. का आविष्कार किया। इस टीके को मायकोबैक्टीरियम बोविस से प्राप्त किया। (जन्म-22 दिसम्बर 1872)
भाजपा के पूर्व सांसदों के पीए (निज सचिव) और अन्य कर्मचारी, नए नवेले सांसदों के यहां अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। कुछ पूर्व सांसद इसके लिए सिफारिश भी कर रहे हैं। सुनते हैं कि इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ के एक पूर्व सांसद का एक कर्मचारी, पिछले दिनों एक नए सांसद से मिलने पहुंचा। सांसद के पास पहले ही उस कर्मचारी के लिए सिफारिश आ चुकी थी। कर्मचारी को लेकर समस्या यह थी कि उसे निजी तौर पर ही रखा जा सकता था। इसके लिए वेतन आदि की व्यवस्था खुद सांसद को करनी पड़ती। सांसद को दुविधा में देख कर्मचारी ने खुद ही कह दिया कि उन्हें (सांसद) वेतन आदि की चिंता करने की जरूरत नहीं है। पूर्व सांसद ने एक कंपनी से उनके लिए हर महीने वेतन की व्यवस्था कर दी है। उन्हें सिर्फ उनके दफ्तर में जगह चाहिए। अब सांसद, ऐसे प्रभावशाली कर्मचारी को लेकर असमंजस में हैं। कंपनी से पुराने सांसद के किस तरह रिश्ते हैं, कोई समस्या तो नहीं आ जाएगी, यह सोचकर परेशान है।
पहला विदेश दौरा
छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री कवासी लखमा के साथ अफसरों का एक प्रतिनिधि मंडल निवेश की संभावना तलाशने कनाडा जा रहा है। पहले सीएम भी जाने वाले थे, लेकिन मां के अस्पताल में भर्ती होने की वजह से उनके जाने का कार्यक्रम टल गया। नई सरकार के लोगों का यह पहला विदेश दौरा है। जबकि रमन सरकार के लोग दर्जनों बार निवेश की संभावना तलाशने विदेश जा चुके हंै।
सुनते हैं कि पिछली सरकार के पावरफुल लोग जब विदेश यात्रा पर जाते थे, तो अपने साथ सीएसआईडीसी के एक इंजीनियर को ले जाते थे। इंजीनियर अपने नाम पर लाखों रुपये एडवांस ले लिया करता था। इस पैसे से पिछली सरकार के लोग जमकर खरीदारी करते थे। इंजीनियर को फ्री स्टाइल खेलने की छूट रहती थी। महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट उन्हीं के हाथों में होता था। इसलिए इंजीनियर भी खुशी-खुशी से खातिरदारी के लिए तैयार रहता था। अब सरकार बदल गई है, लेकिन विदेश यात्रा की प्रकृति भी पहले जैसी है। ये अलग बात है कि इस बार इंजीनियर साथ नहीं है। अलबत्ता, उससे ऊपर के एक अफसर जरूर साथ हंै। अब वहां इस अफसर का किस तरह उपयोग होता है, यह देखना है।
जांच भी चले और इलाज भी
आखिरकार डीकेएस सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. केके सहारे को हटा दिया गया। वे अस्पताल निर्माण से जुड़ी अनियमितताओं को लेकर इतने व्यस्त हो गए थे कि मरीजों की तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने गरियाबंद के सुपेबेड़ा में किडनी बीमारी से पीडि़तों को डीकेएस में मुफ्त इलाज की घोषणा की थी, लेकिन मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा था। जबकि सरकार डीकेएस में ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास कर रही है। डॉ. सहारे का हाल यह था कि वे पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ मामले खोजने में ही पूरा समय दे रहे थे। यह सब देखकर सरकार ने मरीजों के हितों को ध्यान में रखकर डॉ. सहारे को हटाने का फैसला लिया। डॉ. सहारे को डीकेएस घोटाले और जांच के संबंध में नोडल अधिकारी बने रहेंगे। यानी वे अपना पुलिस और जांच का काम पूर्ववत करते रहेंगे, और अस्पताल चलाने के लिए एक दूसरा अफसर तैनात कर दिया गया है।
1972 में आज ही के दिन दक्षिणी वियतनाम के गांव पर नेपाम बम हमला हुआ.
दक्षिणी वियतनाम की सेना के एक विमान ने गलती से जलती हुई पेट्रोलियम जेली आम नागरिकों और सैनिकों पर गिरा दी. डरी हुई लड़की ने भागते भागते अपने जलते हुए कपड़ों को फाड़ कर फेंक दिया. तस्वीर में बिना कपड़ों के नजर आ रही 9 साल की किम फुंक वही लड़की है. यह तस्वीर 8 जून 1972 की है जब वियतनाम युद्ध के दौरान दक्षिण वियतनाम की सेना के डर से भागते इन बच्चों के पीछे थी. तस्वीर में दिखाई पड़ने वाली बच्ची अब कनाडा में सकुशल रहती है. इस तस्वीर ने वियतनाम युद्ध के प्रति पश्चिमी जनमानस की सोच बदल दी. समाचार एजेंसी एपी के फोटोग्राफर निक उट ने यह तस्वीर खींची. उन्हें इसके लिए 1973 में पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 1658 - औरंगजेब ने आगरे के कि़ले पर क़ब्ज़ा किया।
- 1936 - इंडियन स्टेट ब्रोडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।
- 1940- तत्व संख्या 93 की खोज हुई, जिसे नेप्च्यूनियम नाम दिया गया।
- 1948 - भारत की पहली विमान सेवा एयर इंडिया ने भारत और ब्रिटेन के बीच हवाई सेवा शुरू की।
- 1992 -सतत विकास की नींव रखी। रियो दी जेनेरो में हुई बैठक में इसका फैसला हुआ।
- 1997 - पेरिस में फ्रैंच ओपन टेनिस प्रतियोगिता में भारत के महेश भूपति ने मिश्रित युगल खिताब जीतकर इतिहास बनाया।
- 2001 - ब्रिटिश संसदीय चुनावों में टोनी ब्लेयर की लेबर पार्टी को पुन: बहुमत प्राप्त, रूस के आयुध डिपो में आग, 5 प्रक्षेपास्त्र फटे।
- 2002 - फिलीपींस के राष्ट्रपति ने आतंकवादी संगठन अबू सय्याफ़ के विरुद्ध अभियान शुरू करने का आदेश दिया।
- 2004 - दुबई हवाई अड्डे पर यात्रियों को 30 दिरहम या 8.2 डालर अतिरिक्त शुल्क का भार। भारत सहित विश्व के कई देशों में 122 वर्ष बाद पुन: देखा गया शुक्र पारगमन का अद्भुत नज़ारा।
- 2006 - अलकायदा नेता अबू मुसाब अल-जरकावी हवाई आक्रमण में ईराक में मारा गया।
- 2008 - उत्तर प्रदेश के मछली पालन मंत्री जमुना निषाद को मुख्यमंत्री मायावती ने बर्ख़ास्त किया। दक्षिणी सोमालिया में आतंकवादियों ने ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन के एक स्थानीय पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी।
- 2009 - मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता हबीब तनवीर का निधन हुआ।
- 1916- अंग्रेज़ जैव भौतिक शास्त्री फ्रैन्सिस हैरी कॉम्पटन क्रिक का जन्म हुआ, जिन्होंने जेम्स वॉटसन और मॉरिस विलकिंस के साथ डी.एन.ए की आण्विक संरचना को स्पष्ट किया जिसके लिए उन्हें 1962 में शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-28 जुलाई 2004)
- 1936-अमेरिकन भौतिकशास्त्री कैनेथ गैडेस विल्सन का जन्म हुआ, जिन्हें 1982 में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्हें ट्रान्सफॉर्मर के विकास में कई सिद्धांत प्रतिपादित किए।
- 1882 -ब्रिटिश सिविल इंजीनियर जॉन स्कॉट रसैल का निधन हुआ, जो जहाज़ की अभिकल्पना की और उन्होंने लौह निर्मित युद्धपोत बनाया। उन्होंने सबसे पहले डॉप्लर प्रभाव पर प्रयोग किया। (जन्म-8 मई 1808)
- 1998 जर्मनी में जन्मीं पेरू की गणितज्ञ तथा पुरातत्वविद् मारिया रिची का निधन हुआ, जिन्होंने नाज़्का सभ्यता का अध्ययन किया। वे जीवन भर उन रहस्यों को सुलझाने में लगी रहीं। (जन्म-15 मई 1903)।
कलेक्टर-एसपी कॉफ्रेंस के बाद करीब डेढ़ दर्जन आईएएस अफसरों को इधर से उधर किया गया। जिन अफसरों के प्रभार चार माह में दूसरी-तीसरी बार बदले गए हैं, उनमें राजेश सिंह राणा, एलैक्स पॉल मेनन और रजत कुमार व चंद्रकांत उइके जैसे अफसर भी शामिल हैं। मेनन अंत्यवसायी वित्त विकास निगम के एमडी भी थे और उन्होंने निगम की कार्यप्रणाली के सुधार के लिए सलाहकार नियुक्त करने का प्रस्ताव तैयार किया था। इस पर लाखों खर्च होना था। इस प्रस्ताव पर काफी विवाद हुआ। आखिर में सलाहकार नियुक्ति का प्रस्ताव निरस्त करना पड़ा। मेनन जहां भी रहे, विवादों से परे नहीं रहे। ऐसे में फेरबदल की सूची में उनका नाम आने पर किसी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उन्हें मंत्रालय में विशेष सचिव बनाया गया, लेकिन अभी उन्हें कोई विभाग नहीं दिया गया है। उनके कार्यकाल में चिप्स में जो काम हुए हैं उनकी जांच में ईओडब्ल्यू को पसीना आ रहा है।
इसी तरह राजेश सिंह राणा के खिलाफ भी कई तरह की शिकायतें रही है। बलौदाबाजार कलेक्टर रहते उनके खुद के प्रचार का वीडियो सार्वजनिक हुआ था, जिसको लेकर उनकी काफी किरकिरी हुई थी और बाद में उन्होंने वीडियो बनाने वाले खिलाफ पुलिस में शिकायत कर मामले को किसी तरह रफा-दफा किया। वे रमन सरकार के चहेते अफसरों में गिने जाते रहे हैं, वे फ्री स्टाइल कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते हैं। सुनते हैं कि कुछ साल पहले एक शिकायत हुई थी, जिसमें बताया गया कि जिले के प्रशासनिक मुखिया अलग-अलग विभागों में किराए से गाड़ी चलवा रहे हैं। गाड़ी कागजों पर चल रही है और किराए की राशि खुद हजम कर जा रहे हैं। शिकायतों की कभी जांच नहीं हुई, लेकिन राजेश सिंह राणा चर्चा में जरूर रहे।
बलौदाबाजार कलेक्टर पद से हटने के बाद उन्हें महिला बाल विकास संचालक का दायित्व सौंपा गया था। बाद में उन्हें संयुक्त सचिव वाणिज्य एवं उद्योग का प्रभार दिया गया। अब यहां से भी उन्हें मुक्त कर धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जिसे महत्वहीन माना जाता है। इसी तरह रमन सिंह के संयुक्त सचिव रहे रजत कुमार संचालक आर्थिक एवं सांख्यिकी के पद पर पदस्थ किया गया है। हालांकि, उनके पास केंद्र सरकार के जनगणना निदेशालय का दायित्व भी है इसलिए उनका राज्य सरकार का बोझ हल्का किया गया है। जबकि रमन सरकार में वे बेहद पॉवरफुल रहे। उनकी हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे अपने सीनियर अफसरों से भी बैठकों में जवाब-तलब कर देते थे। ऐसा माना जाता था कि उनसे बड़े जो अफसर अपने से भी बड़े जिन अफसरों से सीधे टकराना नहीं चाहते थे, उनके सामने रजत कुमार का खड़ा कर देते थे। सूची में जाना पहचाना नाम चंद्रकांत उइके का भी रहा। उइके को वाणिज्यकर (आबकारी) संयुक्त सचिव के पद से हटाकर संचालक समाज कल्याण और प्रबंध संचालक निशक्तजन वित्त विकास निगम का प्रभार सौंपा गया है। उनके नाम सबसे ज्यादा तबादले का रिकॉर्ड है। उनका पिछले छह महीने में ही चार बार तबादला हो चुका है।
दिलचस्प बात यह है कि उन्हें तबादले से कोई शिकायत नहीं रहती और वे रूकवाने की कोशिश नहीं करते। जहां भी सरकार पोस्टिंग करती है अगले दिन खुशी-खुशी ज्वाइन कर लेते हैं, और अपने तबादलों की लंबी लिस्ट को हँसते-हँसते बताते रहते हैं, और जहां भेजे जाते हैं वहां भी अपने सीनियर को जाते ही बता देते हैं कि वे अधिक दिनों के लिए नहीं आए हैं। एक बार तो उनकी पोस्टिंग एक संवैधानिक दफ्तर में हो गई थी, वे वहां काम संभालने गए तो रिटायर्ड हाईकोर्ट जज ने उन्हें बैठने भी नहीं कहा, और उन्हें खड़े रखकर ही बात की, और कहा कि वे अपना ट्रांसफर कहीं और करा लें। इस पर चंद्रकात उईके ने खुशी-खुशी कहा कि वे खुद भी वहां काम करना नहीं चाहते, और उस दफ्तर में शायद कुर्सी पर बैठे बिना ही वे अगले तबादले पर चले गए।
बैठे-ठाले आलोचना का मौका दिया
ऐसा आमतौर पर नहीं होता है कि कोई सांसद अपनी ही पार्टी की किसी दूसरे प्रदेश की सरकार को अफसर की आलोचना करे, लेकिन मध्यप्रदेश के विवेक तन्खा ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनील कुजूर की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है। दरअसल मुख्यमंत्री के एक दौरे में एक हैलीपैड पर तैनात पुलिस इंस्पेक्टर ने सुनील कुजूर को नहीं पहचाना, और उनका पहचान पत्र मांग लिया। इस पर सुनील कुजूर ने इलाके के आईजी से शिकायत की, और आईजी ने आनन-फानन इस बुजुर्ग इंस्पेक्टर को निलंबित करके लाईन अटैच कर दिया। इस पर मध्यप्रदेश के कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट किया है-मुख्य सचिव आप गलती पर हैं।
यह पुलिस की ड्यूटी है कि वे उच्च सुरक्षा के इलाके में आने वाले लोगों के पहचान पत्र की जांच करें। छत्तीसगढ़ एक बहुत ही संवेदनशील राज्य है, मुख्यमंत्री की जेड प्लस दर्जे की सुरक्षा है। ऐसे में आप किसी को उसकी ड्यूटी करने के लिए निलंबित नहीं कर सकते।
आमतौर पर विवादों से परे रहने वाले और सीधे-सरल सुनील कुजूर इस मामले में आलोचना से बच नहीं सकते। सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए अगर किसी को निलंबित किया जाता है, तो कल के दिन बड़े लोग ही बड़े खतरे में पड़ेंगे। यह तो राज्य की बात है इसलिए यहां सुरक्षा व्यवस्था तोडऩा शान माना जाता है। केन्द्र सरकार में लोग काम करें, या प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था के भीतर पहुंचें, तो सबको सुरक्षा का सम्मान करना पड़ता है, या वहां से चले जाना पड़ता है। मुख्य सचिव बनने के बाद पहली बार सुनील कुजूर खबरों में आए, और गलत वजहों से आए। कायदे से तो उन्हें खुद ही पुलिस विभाग को मना करना था कि अपनी ड्यूटी करने वाली को कोई सजा न दे।([email protected])
वन डे हो या टेस्ट, आइपीएल या विश्व कप, भारत में क्रिकेट के दीवानगी जितनी बड़ी दीवानगी और कोई नहीं. आज का दिन एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है.
7 जून 1975 को लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में पहला विश्व कप मुकाबला शुरू हुआ था. पहले विश्व कप का पहला मैच भारत और इंग्लैंड के बीच हुआ जिसमें भारत की हार हुई. इस मैच में भारत की ओर से मदन लाल और सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ी शामिल थे. इंग्लैंड ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी कर 334 रन बनाए जिसके जवाब में भारत 132 पर ही ऑल आउट हो गया. इस मैच में गावस्कर के खेल की कड़ी निंदा हुई जिन्होंने 174 गेंदों पर मात्र 36 रन बनाए और क्रीज पर अंत तक जमे रहे.
7 से 21 जून तक चले इस विश्व कप में जो 8 टीमें शामिल हुईं वे थीं – ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज, श्रीलंका और पूर्वी अफ्रीका. पहले विश्व कप की यह पहली ट्रॉफी वेस्ट इंडीज के नाम हुई.
- 1539 -बक्सर के निकट चौसा की लड़ाई में अफग़ान शेरशाह सूरी ने मुग़ल बादशाह हुमायूं को हराया।
- 1631 -मु्ग़ल बादशाह शाहजहां की बीबी मुमताज़ बेगम की बुरहानपुर में 39 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।
- 1753 -ब्रिटिश म्यूजिय़म स्थापित हुआ।
- 1893 -महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रथम बार सविनय अवज्ञा का प्रयोग किया।
- 1914-ऐलायंस पनामा नहर पार करने वाला पहला जहाज़ था।
- 1989 -भारत के दूसरे उपग्रह भास्कर प्रथम का सोवियत रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया।
- 1995 -नार्मन थैगार्ड अंतरिक्ष की कक्षा में सबसे लम्बे समय तक रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बने।
- 1998 -स्पेन के कार्लोस मोया ने फ्रेंच ओपन प्रतियोगिता का पुरुष एकल खिताब जीता।
- 1999 -श्रीलंका में प्रचलित आव्रजन नियम निरस्त।
- 2000 -एक अमेरिकी अदालत द्वारा माइक्रोसॉफ़्ट कंपनी को दो भागों में बांटने का निर्देश।
- 2004 -इस्रायली मंत्रिमंडल ने गाजा क्षेत्र से बस्तियां हटाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी दी।
- 2006 -भारत द्वारा नेपाल को आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए एक अरब रुपये देने का निर्णय।
- 2007 -अमेरिका ने सऊदी अरब के राजदूत रहे प्रिंस बांदरे बिन सुल्तान के हथियारों की दलाली में करोड़ों पाउंड के घोटाले का खुलासा।
- 2008- उत्तर प्रदेश सरकार ने रसोई गैस पर लगने वाले 4 प्रतिशत वैट को पूरी तरह से समाप्त घोषित किया।
- 1974 - भारत के टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति का जन्म हुआ।
- 1877 (निधन-23 अक्टूबर 1944) ब्रिटिश भौतिक शास्त्री चाल्र्स ग्लोवर बाक्र्ला का जन्म हुआ, जिन्होंने एक्स-रे प्रकीर्णन द्वारा परमाणु की संरचना का पता लगाया, जिसके लिए उन्हें सन् 1917 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
- 1862-जर्मनी के भौतिकशास्त्री फिलिप ऐडवर्ड ऐन्टन लैनार्ड का जन्म हुआ, जिन्हें कैथोड किरण पर काम करने के लिए 1905 का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-20 मई 1947)
- 1954 -अंग्रेज़ गणितज्ञ और लॉजीशियन ऐलन मैथिसन ट्यूरिंग का निधन हुआ, जिन्होंने कम्प्यूटर सिद्धांत तथा कम्प्यूटर के प्रोग्रामिंग पर काम किया। उन्होंने गणित, दर्शनशास्त्र आदि पर काम किया। (जन्म- 23 जून 1912)
- 1932 -अमेरिकी चिकित्सक विलियम विलियम्स कीन का निधन हुआ, जो मस्तिष्क के पहले चिकित्सक थे और इन्होंने पहली बार ब्रेन ट्यूमर को एक रोगी से अलग किया। (जन्म-19 जनवरी 1837)
ईद के मौके पर सीएम भूपेश बघेल ने पार्टी के सभी खेमे के नेताओं को साधने की कोशिश की है। वे ईद की बधाई देने अपने मंत्री मोहम्मद अकबर के घर गए। बाद में मोतीलाल वोरा के करीबी शेख निजामुद्दीन के घर जाकर उन्हें ईद की बधाई दी। वे डॉ. चरणदास महंत के करीबी हसन खान के घर भी गए, तो दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी के करीबी अब्दुल हमीद हयात के यहां भी जाकर उन्हें भी ईद की बधाई दी। युवा नेता एजाज ढेबर तो साथ-साथ ही रहे। भूपेश बघेल समय निकालकर भिलाई भी गए और वहां पूर्व मंत्री बदरूद्दीन कुरैशी को भी ईद की बधाई देने घर गए। सभी नेताओं ने भूपेश बघेल का गर्मजोशी से स्वागत किया, सेवाईयां खिलाई। कुल मिलाकर ईद के मौके पर उन्होंने पार्टी के सभी खेमे के नेताओं के यहां जाकर सकारात्मक संदेश दिया।
छह लाख को लडऩे मिलेगा
विधानसभा चुनावों में खासी दखल करने वाली जोगी की पार्टी लोकसभा में घर बैठ गई, और इस पर कहना यह था कि ये राष्ट्रीय चुनाव है इसलिए उसने तमाम सीटें अपने राष्ट्रीय भागीदार बसपा के लिए छोड़ दी हैं। लेकिन कुछ महीने बाद म्युनिसिपल और पंचायतों के जो चुनाव होने हैं उनमें जोगी पार्टी एक बार फिर दखल रखने वाली है, और विधानसभा चुनाव के मुकाबले अधिक दखल। विधानसभा में 90 उम्मीदवार ही रहते हैं लेकिन निगम-पंचायतों में दो लाख से अधिक उम्मीदवार रहेंगे, और छोटे-छोटे वार्डों में भी चुनाव का कड़ा मुकाबला रहेगा, और वहां जोगी का उम्मीदवार बनने के लिए लोग लंबी कतार में रहेंगे। अभी से यह चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा दिल्ली म्युनिसिपल और छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव की तरह सभी नए चेहरे उतारेगी। और कांगे्रस के भीतर भी यह सोच चल रही है कि पुराने लोगों को न उतारा जाए। जोगी की तो पार्टी ही नई है, इसलिए नए चेहरे ही रहेंगे। कुल मिलाकर म्युनिसिपल और पंचायतों के चुनाव में छह लाख चेहरे तो इन तीन पार्टियों के रहेंगे। करीब पौने दो लाख पंच-सरपंच पद हैं, और शहरी पार्षद मिलाकर दो लाख पार हो जाएंगे। यह पिछले दोनों चुनावों, विधानसभा और लोकसभा के मुकाबले अधिक कड़ा चुनाव होने जा रहा है क्योंकि जीत एक-दो वोट से भी होगी, और लोगों को अपने घर के वोट भी नहीं मिलने का पता चल जाएगा। ([email protected])
यात्रियों से खचाखच भरी वह ट्रेन आज के ही दिन सहरसा स्टेशन जा रही थी. लेकिन बागमती नदी से गुजरते हुए वह पानी में समा गई. हजार लोग मारे गए. इसकी बरसी तो मनती है पर हादसे रोकने के खास उपाय नहीं निकले.
साल 1981 में वह ट्रेन आज ही के दिन बिहार के मानसी स्टेशन से सहरसा जा रही थी. आंकड़ों के मुताबिक इस पर 800 लोग सवार थे, जबकि गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक यात्रियों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा थी. ट्रेन को रास्ते में बागमती नदी पर बने पुल से गुजरना था. लेकिन इसी दौरान वह फिसल कर नदी में गिर पड़ी और इसके नौ में से सात डिब्बे डूब गए. उस वक्त मॉनसून का मौसम था और नदी का जलस्तर काफी ऊंचा था. पटरियां भी गीली थीं और उनमें फिसलन का खतरा था.
हादसे की सही वजह का पता नहीं लग पाया लेकिन कई जगहों पर रिपोर्टें छपीं कि एक गाय को बचाने के लिए ड्राइवर ने जबरदस्त ब्रेक लगाया और उसका नियंत्रण खो गया. प्रतिष्ठित हिस्ट्री चैनल की वेबसाइट ने इस हादसे को अपने रिकॉर्ड में रखा है. उसका कहना है, "जब ट्रेन बागमती नदी पर बने पुल के पास पहुंची, एक गाय पटरियों को पार कर रही थी. गाय को हर हाल में बचाने के लिए ड्राइवर ने पूरी ताकत से ब्रेक लगा दिया. ट्रेन के डिब्बे गीली पटरियों पर फिसल गए और कम से कम सात डिब्बे सीधे नदी में जा गिरे. जलस्तर काफी ऊंचा और डिब्बे सीधे मटमैले पानी में डूब गए."
उस वक्त सूचनाओं का प्रवाह अपेक्षाकृत धीमा होता था और विदेशी मीडिया को ज्यादा विश्वसनीय माना जाता था. अगले दिन न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर लगाई, जिसमें भारत की दो प्रमुख समाचार एजेंसियों के हवाले से रिपोर्ट छापी गई. इसमें कहा गया, "शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया कि ट्रेन में 500 लोग सवार थे लेकिन दो भारतीय अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या 1000 से बहुत ज्यादा 3000 तक पहुंच सकती है." हादसे के बाद गोताखोरों ने कई दिनों तक पानी में तलाशी की लेकिन बताया जाता है कि कई लोगों के शव पानी के साथ बह गए.
भारत में आम तौर पर ट्रेनें अपनी क्षमता से ज्यादा यात्रियों को ढोती हैं. दुनिया का सबसे बड़ा रेल तंत्र 160 साल से ज्यादा पुराना है. लेकिन उसके डिब्बे और तकनीक भी बहुत पुराने हैं. पश्चिमी देशों में अगर ट्रेन 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है, तो उसकी सुरक्षा के लिए भी उतनी ही ज्यादा व्यवस्था होती है. ट्रेनों के दरवाजे बंद करना जरूरी हैं और जब तक दरवाजे बंद नहीं होते, ट्रेन चल ही नहीं सकती. ट्रेनों में क्षमता के अनुसार मुसाफिरों को बिठाया जाता है और छतों पर बैठना तो असंभव है.
1907 -पर्सिल नाम का पहला डिटर्जैन्ट बाज़ार में आया।
1942- अमेरिका में पहली बार ऐडलीन ग्रे ने नायलॉन पैराशूट से छलांग लगाई।
1995 - पाकिस्तान में बाल अपराधियों को कोड़े मारने अथवा उनकी फ़ांसी की सज़ा प्रतिबंधित की गई।
1997 - बैंकॉक में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं थाईलैंड ने बिस्टेक नामक आर्थिक सहयोग समूह का गठन किया।
2002 - इस्रायली सेना ने रामल्ला में फिलीस्तीनी नेता यासिर अराफात के मुख्यालय पर हमला किया।
2004 - भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का निधन।
2005 - ईरान गैस पाइप लाइन योजना पर भारत और पाकिस्तान में सहमति।
2007 - दक्षिण अफ्रीका की नस्ल विरोधी नेता विनी मैडिकिजेला मंडेला के कनाडा प्रवेश पर रोक।
2008 - कर्नाटक में बी. एस. येदयुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी की पहली सरकार ने विश्वास मत हासिल किया। अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में जापानी लैव कीबो ने कार्य करना शुरू किया।
1891 -कन्नड कहानी के प्रवर्तक और Óकन्नड की संपत्तिÓ के रूप में ख्याति प्राप्त कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, अनुवादक और आलोचक मास्ति वेंकटेश अय्यंगार का जन्म हुआ।
1930 - हिन्दी फि़ल्म अभिनेता सुनील दत्त का जन्म हुआ।
1936 - प्रसिद्ध फि़ल्म निर्माता डी. रामानायडूृ का जन्म हुआ।
1918- अमेरिकी जैव रसायनज्ञ ऐड्विन गेर्हार्ड क्रेब्स का जन्म हुआ, जिन्होंने प्रोटीन उत्क्रमणीय फॉस्फोरिलीकरण की खोज की जिसके लिए उन्हें एडमण्ड एच. फिशर के साथ सन् 1992 में शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला।
1850- जर्मन भौतिकीविद् फर्डिनैन्ड ब्राउन का जन्म हुआ, जिन्हें नोबेल पुरस्कार गुग्लिएमो मार्कोनीके साथ वायरलैस टेलीग्राफी के विकास के लिए वर्ष 1909 का नोबेल पुरस्कार मिला। ब्राउन कैथोड किरण ओसिलोस्कोप के आविष्कारक थे। (निधन-20 अप्रैल 1918)
1956-अमेरिकी पुरातत्वविद् हाइरैम बिंघम का निधन हुआ, जिन्होंने सन् 1911 में पेरू में माचू पिच्चू की खोज की। यह खोज उन्होंने तब की जब वे वहां इंका सभ्यता की राजधानी की तलाश में गए थे। (जन्म-19 नवम्बर 1875)
1878- स्कॉटलैण्ड के मंत्री और स्टरलिंग सायकल इंजन के आविष्कारक रॉबर्ट स्टरलिंग का निधन हुआ, जिन्होंने हीट इकोनोमाइजऱ के लिए पेटेन्ट प्राप्त किया। (जन्म-25 अक्टूबर 1790)।
कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया ने पिछले दिनों कई नेताओं से वन-टू-वन मुलाकात की। मुलाकात में एक-दो ने खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग की। इनमें से एक ब्राम्हण नेता भी थे, जो अविभाजित मध्यप्रदेश में संगठन के कर्ता-धर्ता रह चुके हैं। आर्थिक रूप से सक्षम इस नेता की खासियत यह रही है कि राज्य बनने के बाद जितने भी प्रदेश प्रभारी रहे हैं, वे सभी इस ब्राम्हण नेता को महत्व देते रहे हैं। पुनिया भी पिछले प्रभारियों से अलग नहीं हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि जो पद वे मांग रहे हैं, उसके लिए वे किसी भी सूरत में फिट नहीं बैठ रहे हैं।
ब्राम्हण नेता का अच्छा-खासा जमीन का कारोबार है, लेकिन जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पैठ नहीं है। मीडिया जगत से जुड़े पुराने लोग जरूर ब्राम्हण नेता को पसंद करते हैं। वे पद में भले न हों, मीडिया जगत के लोगों का पूरा ख्याल रखते हैं। पुनिया के सामने दिक्कत यह है कि इस ब्राम्हण नेता को निगम-मंडलों में जगह देने के लिए सीएम भूपेश बघेल शायद ही तैयार हो और प्रदेश संगठन में उनके लायक कोई पद नहीं है। पुनिया दुविधा में भले ही हो, ब्राम्हण नेता को उम्मीद है कि सेवा-सत्कार फायदा जरूर मिलेगा। दरअसल टीवी के परदे पर अपने को देखते हुए कई लोगों का ऐसा आत्ममुग्ध हो जाना कुछ अटपटी बात नहीं है।
ताकतवरों के बीच समझौता
पिछले कुछ समय से एक बड़े बंगले को लेकर चल रहा विवाद सुलझ गया है। बंगले के पुराने काबिजदार और आबंटी के बीच सुलह होने की चर्चा है। सुलह इस बात पर हुआ है कि काबिजदार, आबंटी के पैतृक मकान की साज-सज्जा कराएंगे। काबिजदार के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, पिछले 15 सालों में वे कईयों को घर दिला चुके हैं। मौजूदा निवास से इतना भावनात्मक रिश्ता कायम हो गया है कि इसे छोडऩे के एवज में कोई भी जायज-नाजायज मांग मानने के लिए तैयार थे। जिन्हें बंगला आबंटित किया गया था उनकी मांग इतनी छोटी है कि उसे मानने में कोई दिक्कत नहीं है। और ऐसा कोई समझौता सरकार को भी प्रशासनिक-भावनात्मक असुविधा से बचा रहा है। इससे सदियों पुराना यह सिद्धांत भी साबित होता है कि ताकतवरों के बीच समझौते होने की गुंजाइश अधिक रहती है, और कमजोरों के बीच कम।
गरीब प्रदेश में ऐसी रईसी?
सरकार में फिजूलखर्ची अगर न हो, तो रिश्वतखोरी कैसे होगी? कमीशनखोरी कैसे होगी? अभी मुख्यमंत्री के अपने गृहजिले दुर्ग में वनविभाग के सबसे बड़े अफसर, वन संरक्षक के दफ्तर की अच्छी-भली चारदीवारी को तोड़कर वहां लोहे की महंगी ग्रिल लगाई जा रही है। आज पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण से जुड़े हुए इस विभाग में यह फिजूलखर्ची जारी है, और इससे धरती पर लोहा, सीमेंट, रेत की गैरजरूरी बर्बादी भी हो रही है। मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री की नजरों वाले जिले में यह काम नेता प्रतिपक्ष का सबसे ही करीबी अफसर करवा रहा है, और अभी चूंकि काम चल रहा है इसलिए सरकार इस बर्बादी की जांच भी कर सकती है।
सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव को आज ही के दिन नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सोवियत संघ और शीतयुद्ध के अंत में उनकी बहुत अहम भूमिका रही है.
गोर्बाचोव को पूर्व कम्युनिस्ट देश में पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्ट के जरिए आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक बदलाव लाने का श्रेय भी दिया जाता है. 1985 में गोर्बाचोव सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने. इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए सुधार की दिशा में काम करना शुरू कर दिया. नागरिकों को अपनी बात रखने की आजादी जैसे परिवर्तनों से उन्होंने सोवियत संघ के नागरिकों को हैरान कर दिया. नागरिकों को सोवियत संघ के बाहर आने जाने की छूट देने के अलावा उन्होंने राजनैतिक बंदियों को भी रिहा करने का आदेश दिया.
मिखाइल गोर्बाचोव को जर्मनी के एकीकरण का भी श्रेय जाता है. जर्मन चांसलर हेल्मुट कोल के साथ मिलकर उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से विभाजित जर्मनी को एक करने में अभूतपूर्व योगदान दिया. इसकी वजह से ही यूरोपीय एकीकरण भी संभव हुआ. उनके इन प्रयासों के लिए गोर्बाचोव को कई दूसरे सम्मानों के अलावा 1990 में आज ही के दिन नोबेल शांति पुरस्कार मिला.
- 1878-लंदन के रॉयल इंस्टीट्यूट में जेम्स डेवर द्वारा -192 0 डिग्री सेंटीग्रेट पर द्रव वायु का सार्वजनिक प्रदर्शन किया।
- 1977- पहला व्यक्तिगत कम्प्यूटर बिक्री के लिए गया।
- 1989 - ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्लाह रोहेल्लाह खुमैनी का देहांत।
- 2001 - शाही हत्याकांड जांच आयोग के एक सदस्य माधवन के इस्तीफ़ से नेपाल में शाही परिवार की जांच का कार्य अवरुद्ध।
- 2002 - भारत की सीमा पर साझा गश्त के प्रस्ताव को पाकिस्तान ने खारिज किया।
- 2005 - ताइवान ने अपनी पहली क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
- 2008 - इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का भारत सरकार को निर्देश दिया। एलेन परेरा ने बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक का कार्यभार सम्भाला।
- 1901 - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मलयाली भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार गोविंद शंकर कुरुप का जन्म हुआ।
- 1942 -प्रतिभाशाली गज़़ल और गीत गायक मास्टर मदन का निधन हुआ।
- 1819 - ब्रिटिश गणितज्ञ तथा खगोलविज्ञानी जॉन कॉच ऐडम्स का जन्म हुआ, जो नेप्च्यून की खोज करने वाले दो सदस्यों में से एक थे। उन्होंने यूरेनस की अजीब गति के बारे में बताया कि उसका कारण ज़रूर कोई अनजान ग्रह है। (जो यूरेनस था।) (निधन-21 जून 1892)
- 1760-फिनलैंड के रसायनज्ञ जोहान गैडोलिन का जन्म हुआ, जिन्होंने यिट्रियम तत्व की खोज की। यह लैन्थेनाइड समूह का पहला तत्व था। (निधन-15 अगस्त 1852)
- 1940 अंग्रेज़ समुद्रविज्ञानी फ्रैड्रिक स्ट्रैटेन रसैल का निधन हुआ, जिन्होंने प्रकाश के सम्बन्ध में गहराई में जीवन पर अध्ययन किया। (जन्म-3 नवम्बर 1897)
- 1865-स्कॉटलैण्ड की नौसेना के सर्जन और पर्यावरणविद् सर जॉन रिचर्डसन का निधन हुआ, जिन्होंने कनाडा के समुद्री किनारों का अध्ययन किया। (जन्म-5 नवम्बर 1787)
- महत्वपूर्ण दिवस- विश्व पर्यावरण दिवस और समग्र क्रांति दिवस।