स्थायी स्तंभ
- 1577 - चौथे सिख गुरु रामदास ने अमृतसर शहर की स्थापना की, शहर का नाम तालाब अमृत सरोवर के नाम पर रखा गया।
- 1579 - जुसुइट पादरी एसजे थामस भारत आने वाले पहले अंग्रेज थे। वह पुर्तगाली नौका से गोवा पहुंचे।
- 1605 - मुगल शासक जहाँगीर ने आगरा में गद्दी संभाली।
- 1851 - कलकत्ता और डायमंड हार्बर के बीच पहली टेलीग्राफ लाइन शुरू हुई।
- 1855 - वान डायमेन के भूमि का आधिकारिक तौर पर तस्मानिया नाम दिया गया।
- 1856 - दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया ने संविधान को मान्यता दी।
- 1857 - संचालन में विश्व के सबसे पुराने एसोसिएशन फुटबॉल क्लबस्टाइल के शेफील्ड एफसी की स्थापना की गई थी।
- 1861 - कैलिफोर्निया के जस्टिस स्टीफन जे फील्ड ने अमेरिकी राष्ट्रपति लिंकन को पहला अंतरमहाद्वीपीय टेलीग्राफ संदेश भेजा।
- 1912 - प्रथम बाल्कन युद्ध-सर्बियाई सेनाओं ने वरदार मैसेडोनिया में कुमानोवो की लड़ाई में तुर्क सेना को हराया।
- 1915 - अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क में 25 हजार महिलाओं ने मतदान के अधिकार के लिए प्रदर्शन किया।।
- 1945 - चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और अमेरिका ने एक नए और आधिकारिक तौर पर स्थापित संयुक्त राष्ट्र के लिए चार्टर को मंजूरी दी।
- 1946 - पहली बार धरती का अंतरिक्ष से चित्र लिया गया।
- 1949 - अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की आधारशिला रखी गई।
- 1955 - ट्रेन फेरी एमवी एसेक्स फेरी, यूनाइटेड ङ्क्षकगडम के हार्विच में शुरू की गई।
- 1964 - ग्रीष्मकालीन ओलंपिक टोक्यो में आयोजित किया गया।
- 1975 - बंधुआ मजदूर प्रथा को समाप्त करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया और अगले दिन से यह प्रभाव में आया।
- 1982 - सुधा माधवन मैराथन में दौडऩे वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं।
- 1984 - कोलकाता में एस्प्लेनाड और भवानीपुर के बीच पहली भूमिगत मेट्रो ट्रेन शुरू हुई।।
- 2004 - ब्राजील ने अंतरिक्ष में पहला सफल रॉकेट परीक्षण किया।
- 2009 - अफगानिस्तान में ब्रिटिश सैनिकों की वापसी की मांग के लिए, हजारों लोगों ने लंदन में विरोध किया।
- 2013 - भारतीय सिनेमा जगत में हिन्दी एवं बांग्ला फिल्मों के सुप्रसिद्ध पाश्र्व गायक मन्ना डे का निधन।
- 1632 - डच जन्तुविज्ञानी ऐन्टनी वॉन ल्यूवेनहॉक का जन्म हुआ, जिन्होंने सर्वप्रथम अपनी सूक्ष्मदर्शी से जीवाणु और प्रोटोज़ोआ को देखा। उन्होंने जीवाणु विज्ञान तथा विषाणुओं के अध्ययन की आधारशिला रखी।
कोरोना की दहशत का दोहन
कोरोना महामारी के प्रकोप से जो बचे हुए हैं उनके मन में दहशत बनी हुई है कि कभी उन पर भी वायरस का हमला हो गया तो क्या होगा? कोरोना आने के साथ-साथ बाजार में इस डर को भुनाने का खेल शुरू हो गया था। विशेषज्ञों ने बताया कि नियमित व्यायाम के साथ शरीर का इम्यून सिस्टम दुरुस्त होना चाहिये, कुछ ही दिनों के भीतर इम्युनिटी बढ़ाने का दावा करने वाली दर्जनों दवाईयां बाजार में आ गई। अख़बारों, टीवी चैनलों पर इनके विज्ञापन पटे रहते हैं। जब बाबा रामदेव के इस दावे को आईसीएमआर से खारिज किया कि कोरोनिल दवा कोरोना को ठीक करती है तब बाकी कम्पनियां सावधान हो गईं और वे कोरोना ठीक करने का दावा सीधे-सीधे नहीं करते पर लेना जरूरी बताती हैं। कोरोनिल का कोरोना की दवा के रूप में बेचना मना है, मालूम है लोगों को कि यह कोरोना की दवा नहीं है पर डर ऐसा कि बाजार में इसकी जबरदस्त मांग है। ये सब मार्केटिंग रणनीति है जिसे अब चुनाव में भी अपनाया जा रहा है। वैसे भी पिछले कुछ चुनावों में मार्केटिंग गुरुओं की भूमिका बढ़ी है। बिहार में कोरोना की वैक्सीन मुफ्त देने का वादा चुनावी घोषणा पत्र में हुआ। उसके बाद मध्यप्रदेश में भी हुआ। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने भी मुफ्त वैक्सीन की घोषणा कर दी। अब तक होता यही रहा है कि महामारी व संक्रामक बीमारियों पर नियंत्रण के लिये दवायें या तो मुफ्त मिलती रही हैं या मामूली शुल्क पर। ऐसे में कोरोना वैक्सीन का मुफ्त देना किसी भी सरकार के लिये बोझ नहीं हो सकता। इसे चुनाव घोषणा पत्र में शामिल कर एक डर से बचाने का सौदा किया जा रहा है। अब आयें मरवाही पर, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की दशा बेहद दयनीय है। गंभीर मरीजों को बिलासपुर रेफर करना पड़ता है। कई बिलासपुर नहीं ला पाते। जो रवाना होते हैं वे सब के सब जिंदा नहीं पहुंचते। पर इस बार वहां दो सफल डॉक्टरों के बीच मुकाबला है। कोरोना वैक्सीन न सही, क्षेत्र के मतदाताओं को दोनों डॉक्टरों से इतना आश्वासन जरूर ले लेना चाहिये कि उन्हें मरवाही और अपने जिले में एक बेहतरीन अस्पताल, विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलेगा। जीते कोई भी, इस आदिवासी बाहुल्य इलाके का भला हो।
ट्रंप के भक्त
राष्ट्रपति का चुनाव अमरीका में हो रहा है, लेकिन बहुत से हिन्दुस्तानी ट्रंप समर्थक दिखाई पड़ रहे हैं। लोगों को याद होगा कि पिछले बरसों में कई हिन्दूवादी संगठनों ने ट्रंप की फोटो लगाकर हवन और यज्ञ किए थे। ट्रंप के कल्याण के लिए पूजा की थी। अभी पिछले पखवाड़े ही एक खबर आई कि ट्रंप के एक प्रशंसक ने भारत में उनका एक मंदिर बना रखा था, जहां वह रोज पूजा करता था। उसकी तस्वीर भी आई थी जिसमें वह ट्रंप की प्रतिमा का गाल चूम रहा है। ट्रंप को जब कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती किया गया तो इस आदमी ने ट्रंप के ठीक होने की मनौती मानकर उपवास शुरू कर दिया। और उपवास में वह मर गया।
ट्रंप के कुछ समर्थक तो इस किस्म के हैं, और कुछ दूसरे समर्थक वे हैं जो मास्क से ट्रंप के परहेज को धार्मिक भावना के मानते हैं। चूंकि ट्रंप भगवान मास्क नहीं लगाते, इसलिए हिन्दुस्तान में भी करोड़ों लोग बिना मास्क घूमते हैं। लोगों ने कोरोना से डरना छोड़ दिया है। हिन्दुस्तान में मरीजों की गिनती थोड़ी सी घटी है, तो लोग बेफिक्र हो गए हैं। यह बेफिक्री उन्हें ट्रंप का मंदिर बनवाने वाले के पास ले जा सकती है। फिलहाल उनकी जिंदगी में इस खतरे के अलावा एक नुकसान यह भी है कि ट्रंप का भक्त होने के बावजूद उनके पास ट्रंप को वोट देने का अधिकार नहीं है।
चुनाव और प्याज के भाव
लोगों ने एक लोकसभा चुनाव वह भी देखा है जब अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ‘शाइनिंग इंडिया’ के नाम पर अनेक उपलब्धियां गिनाती रह गई और प्याज की कीमतों ने उनकी सरकार दुबारा नहीं बनने दी। इस समय चुनाव भी हो रहे हैं और प्याज की कीमतें भी हर दिन बढ़ती जा रही हैं। पर है ये विधानसभा का चुनाव जबकि कीमतों का बढऩा, रोकना केन्द्र सरकार के बूते की बात है। नये कृषि कानून ने स्टॉक लिमिट पर रोक हटा दी है। अब व्यापारी जितना चाहे माल रोककर रख लें। माल जितना जाम रख पायेंगे कीमत उतनी ही वसूल सकेंगे। छत्तीसगढ़ में इस समय प्याज 70 रुपये किलो बिक रहा है। बाजार के जानकार कहते हैं कि महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण प्याज की फसल बर्बाद हुई है जिसके चलते इसके दाम 100 रुपये तक पहुंच सकते हैं। आलू भी कमजोर नहीं, 50 रुपये किलो बिक रहा है। बताया जा रहा है त्यौहारों के कारण आलू की खपत ज्यादा है, आवक कम है। वैसे हर बार महंगाई बढऩे पर इसी तरह की ख़बरें आती हैं कि फसल कमजोर है, सप्लाई कम हो रही है। छत्तीसगढ़ में कलेक्टरों को निर्देश तो है कि मांग और खपत पर निगरानी रखें। व्यापारियों को अपना स्टाक प्रदर्शित करने के लिये भी कहा गया है लेकिन अब नये कानून के कारण वह जब्ती-सख्ती नहीं रह गई। महंगे आलू और प्याज को आने वाले कई-कई दिनों तक बर्दाश्त करने के लिये तैयार रहिये। कोई लोकसभा चुनाव निकट भविष्य में नहीं है।
- 1077- अमेरिकी हार्वर्ड के पुराजीव विज्ञानी एल्सो एस. बारगूर्न ने सबसे पुराने प्रीकैम्ब्रियन गोलाकार एककोशिकीय शैवाल माइक्रोफॉसिल (इयोबैक्टीरियम) प्राप्त किए जो कि 3-4 अरब वर्ष प्राचीन थे।
- 1814- इंग्लैण्ड में पहली आधुनिक प्लास्टिक सर्जरी को किया गया।
- 1942 - अल अलामीन के युद्ध में मित्र राष्ट्रोंं ने जर्मन सेना को पराजित किया।
- 1946 - त्रिग्वेली (नार्वे) सं.रा. संघ के प्रथम महासचिव नियुक्त।
- 1980 - लीबिया एवं सीरिया द्वारा एकीकरण की घोषणा।
- 1989 - हंगरी ने स्वयं को गणराज्य घोषित किया।
- 1998 - पाकिस्तान ने कश्मीर समस्या का समाधान आत्म निर्णय से करने की मांग दोहरायी।
- 2000 - अमेरिकन विदेशी मंत्री मेडलिन अल्ब्राइट की उत्तरी कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग ली से ऐतिहासिक मुलाकात।
- 2003 - माओवादी हिंसा ने नेपाल के पूर्व मंत्री का आवास बम से उड़ाया। भारत और बुल्गारिया ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किये। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को ईरान ने अपनी परमाणु रिपोर्ट सौंपी। विश्व के अकेले सुपरसोनिक विमान कानकोर्ड ने न्यूयार्क से अपनी आखिरी उड़ान भरी।
- 2006 - सूडान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ के दूत को देश छोडऩे का आदेश दिया।
- 2007 - कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आर.के. राघवन को अपने नए सलाहकारी बोर्ड में नियुक्त किया।
- 2008 - नया कम्पनी विधेयक 2008 लोकसभा में पेश हुआ।
- 1921 - सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण का जन्म हुआ।
- 1875 - अमेरिकी रसायनज्ञ जी. एन. लेविस का जन्म हुआ, जिन्होंने लैंगम्यूर के साथ परमाणु सिद्धान्त दिया। उन्होंने वैलेन्सी का सिद्धान्त भी सुझाया। (निधन-23 मार्च 1946)
- 1905- भौतिकविद् फेलिक्स ब्लॉक का जन्म हुआ, जिन्हें ई.एम. पर्सेल के साथ परमाणु नाभिक का चुम्बकीय क्षेत्र मापने, तथा नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद (हृरूक्र) तकनीक विकसित करने के लिए 1952 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन- 10 सितम्बर 1983)
- 1921- स्कॉटलैण्ड के आविष्कारक जॉन बॉयड डनलप का निधन हुआ, जिन्होंने हवाई टायर का आविष्कार किया। डनलप निरंतर टायर विकसित करते रहे और उन्हें 7 दिसम्बर 1889 को कार, साइकिल ट्राइसाइकिल आदि के पहियों के टायर में सुधार के लिए पेटेन्ट (सं.10607) जारी किया गया। (जन्म 5 फरवरी 1840)
- 1971- कनाडाई विज्ञानी स्टुअर्ट क्रिडल का निधन हुआ जिन्होंने अपने अध्ययन से स्तनधारियों और पक्षियों पर काफी लेख लिखे। (जन्म 4 दिसम्बर 1877)।
भाजयुमो से आगे बढऩे का रास्ता
भाजयुमो के अध्यक्ष अमित साहू ने खूब तामझाम के साथ पदभार ग्रहण किया। वे पगड़ी पहनकर आए थे। एकात्म परिसर में पदभार ग्रहण कार्यक्रम के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने कार्यकर्ताओं को संघर्ष करने की सीख दी। उन्हें बताया कि वे युवा मोर्चा के दिनों में किस तरह संघर्ष करते हुए आगे बढ़े हैं।
पुरानी घटनाओं को याद करते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि अर्जुन सिंह के सीएम रहते जनहित के मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए उन पर काला झंडा फेंक दिया था। इस पर पुलिस और कांग्रेस के नेताओं ने उनकी जमकर पिटाई की थी। फिर भी वे पीछे नहीं हटे। इसका प्रतिफल यह रहा कि वे विधायक और मंत्री बने।
बृजमोहन की तरह मोहम्मद अकबर को वीपी सिंह की रैली का विरोध करने पर जनता दल के कार्यकर्ताओं की मार झेलनी पड़ी थी। उस समय कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। अकबर को अविभाजित मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव का पद दिया गया। वे फिर विधायक बने और वर्तमान में मंत्री हैं। ये तो पुराने छात्र नेताओं की बात है। नए नवेले नेता तो पद पाते ही साधन-संसाधन के जुगाड़ में लग जाते हैं, और जल्द बदनाम भी होते हैं।
पिछली सरकार में भाजयुमो के एक नेता तो पद मिलने के बाद ट्रांसफर पोस्टिंग के जुगाड़ में लग गए थे। एक सिंचाई अफसर की पदस्थापना के एवज में काफी कुछ बटोर भी लिया था। इसकी काफी दिनों तक चर्चा होती रही। अब सरकार तो है नहीं, अमित साहू कैसा काम करते हैं यह देखना है।
पर्यावरण बचाने ऐसे पटाखे जिन्हें फोडऩा नहीं, बोना है!
पटाखों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए उसी शक्ल में एक नया अभियान शुरू किया गया है। पर्यावरण के अनुकूल सामानों की एक दुकान में बीज-पटाखों की बिक्री शुरू की है जो अलग-अलग परंपरागत पटाखों के रूप-रंग में तो हैं, लेकिन जिन्हें जलाना नहीं है, बल्कि बोना है। ऐसे कुछ पटाखों का एक पैकेज नारियल के रेशों से बने हुए दो गमलों के साथ एक पैकेज में करीब 7 सौ रूपए में बेचा जा रहा है। इसमें अनार से लेकर बम तक हर किस्म के पटाखों के भीतर अलग-अलग बीज हैं, और उन्हें स्थानीय लोगों से छिंदवाड़ा जिले की सौंसर तहसील के पारडसिंगा में एक संस्था ने बनवाया है, और इसकी ऑनलाईन बिक्री की जा रही है।
सीजन में भी चूक कर रहे फूड वाले...।
अमूमन लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते कि होटलों में साफ-सफाई बरती जा रही है या नहीं। कभी गंदगी या लापरवाही दिखी भी तो नाक भौं सिकोडक़र आगे बढ़ लेते हैं। यह है, बड़ा मुद्दा। होटलों का खान-पान कैसा है इसका हमारी सेहत पर खासा असर पड़ता है और यदि वहां स्वच्छता नहीं हो, तो कार्रवाई के लिये कानून बने हैं। बस नागरिक को जागरूक होना चाहिये। दुर्ग कलेक्टर को एक नागरिक ने फोन कर खबर की कि अमुक होटल में जिस पानी का इस्तेमाल हो उसकी है कि उसकी टंकी सफाई अरसे से नहीं की गई है। इससे बीमारी फैलने का खतरा है। होटल ने पार्किंग के लिये तय जगह पर ताला लगा रखा है, यातायाता में बाधा पहुंचती है। कलेक्टर ने एक्शन लिया। उनके निर्देश पर मातहत गये और जांच के बाद पांच हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया गया। आम तौर पर ग्राहक सजग नहीं होते और इस तरह के लफड़े में नहीं पड़ते। अधिकारियों की तरफ से रिस्पांस मिलेगा या नहीं इसे लेकर भी सशंकित रहते हैं। वैसे यह सीजन तो है ही होटलों में छापा मारने का। दशहरा-दीपावली पर फूड और नगर निगम वालों की कमाई का मौसम। पता नहीं दुर्ग में चूक कैसे हो रही है।
सख्ती हो तो ग्वालियर हाईकोर्ट जैसी...
चुनावी रैली करने से पहले, सभा में पहुंचने वाले अनुमानित लोगों के लिये मास्क और सैनेटाइजर खरीदने पर जितनी राशि खर्च होगी उससे दुगना कलेक्टर के पास नेताओं को जमा करना होगा। मास्क और सैनेटाइजर देना भी प्रत्याशी की जिम्मेदारी होगी। उनको बताना होगा कि यहां वे वर्चुअल सभा क्यों नहीं कर सकते? चुनाव आयोग इस व्यवस्था से संतुष्ट होंगे, इसी के बाद कलेक्टर की अनुमति प्रभावी मानी जायेगी। यह आदेश मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ का है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह प्रत्याशी को प्रचार करने का हक है उसी तरह लोगों को जीने का। दतिया और ग्वालियर के मामलों में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ कोर्ट ने एफआईआर का निर्देश दिया है। इन नेताओं की 5 अक्टूबर को रैलियां हुई थीं, जिसमें लोगों ने न मास्क पहने, न सोशल डिस्टेंस का पालन हो रहा था। छत्तीसगढ़ के मरवाही विधानसभा चुनाव की तस्वीर इससे कुछ अलग नहीं है पर यहां सभा, रैलियों की अनुमति आसानी से मिल रही है और सभी दलों के नेता मुक्त प्रचार में लगे हैं। वे कोरोना से बचाव के दिशा-निर्देशों को मानने की बजाय एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मरवाही गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले के अंतर्गत आता है जहां बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं। ग्वालियर पीठ ने जो आदेश कलेक्टरों को दिया है, वह यहां लागू क्यों नहीं होना चाहिये?
मरवाही में ठिकाना ढूंढते वीआईपी..
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बीते दिनों गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही के दौरे पर नामांकन के दौरान रखी गई सभा में कह गये कि यह इलाका जिला नहीं बनने के कारण 20 साल पीछे चला गया। उनकी बात कितनी खरी थी, यह कांग्रेस ही नहीं भाजपा के नेता भी इन दिनों महसूस कर रहे हैं। वे यहां ठहरने और भोजन का ठिकाना ढूंढकर परेशान हुए जा रहे हैं। पूरे जिले में गौरेला स्टेशन के आसपास का हिस्सा ही कस्बाई है बाकी सब गांव देहात। यहां कुछ जमा पांच होटल लॉज हैं और इतने ही ठीक-ठाक भोजनालय। सब जगह भीड़। मरवाही में तो यह सुविधा भी नहीं है। चुनाव आचार संहिता के कारण सरकारी रेस्ट हाउस नेताओं को मिलने से रहे। अब वे स्थानीय लोगों से मनुहार कर रहे हैं। कुछ को तो जगह मिल गई है पर ज्यादातर लोगों को, जिनमें महिला नेत्रियां भी शामिल हैं, खासी परेशानी है। कुछ नेता तो अगले एक पखवाड़े के लिये मकानों का मुंहमांगा किराया देने के लिये भी तैयार हैं पर ग्रामीण इसके लिये भी हां नहीं कह रहे हैं। उन्हें बाहर से आये लोगों से कोरोना फैलने का डर है। कांग्रेस से तो कम से 50 वीआईपी हैं, पर भाजपा से भी कम नहीं। करीब इतने ही भूतपूर्व वीआईपी उनकी तरफ भी हैं। कई नेता अमरकंटक, बिलासपुर के रास्ते में इक्के-दुक्के बने रिसॉर्ट में ठहर रहे हैं। कुछ ने कहीं-कहीं से रिश्तेदारी, परिचय निकालकर ठिकाना ढूंढा है बाकी भटक रहे हैं। मना रहे हैं टास्क पूरा हो और यहां से निकल भागें।
- 1494- इतालवी नाविक क्रिस्टोफऱ कोलम्बस ने अपनी दूसरी खोजी समुद्री यात्रा आंरभ की। इस यात्रा में कोलम्बस ने एंटील द्वीप समूह की खोज की। कोलम्बस ने अपनी पहली खोजी यात्रा में, अमरीका महाद्वीप की खोज की।
- 1797- ऐन्ड्री-जैकस गारनेरिन ने पैराशूट से पहली छलांग लगाई।
- 1918 -प्रथम विश्व युद्ध का अंतिम चरण जर्मन सेना पर संयुक्त सेना के आक्रमण के साथ ही आरंभ हो गया। यह युद्ध फ़्लान्डर युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि यह इसी नाम के एक क्षेत्र में लड़ा गया। इस युद्ध में पहले तो जर्मन सेना ने डट कर मुक़ाबला किया किंतु अंतत: संयुक्त सेना की विजय हुई। इस प्रकार नवंबर 1918 में जर्मनी के हथियार डाल देने के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ।
- 1938-चेस्टर एफ. कार्लसन द्वारा ज़ेरोग्राफी प्रदर्शित की गई।
- 1962 - भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजना भाखड़ा नांगल राष्ट्र को समर्पित की गई।
- 1975 - वीनस-9 अंतरिक्ष यान का शुक्र ग्रह पर अवतरण।
- 2004 - अंकटाड रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में निवेश में भारत 14वें स्थान पर। सीका सम्मेलन में सदस्य देशों ने आतंकवाद से मिलकर निपटने का संकल्प व्यक्त किया।
- 2007 - चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ ने लगातार दूसरी बार सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कमान सम्भाली।
- 2008 - इसरो ने भारत के पहले चंद्रयान मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया। इस मिशन से चंद्रमा पर पानी के होने का पता लगा। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से चन्द्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया।
- 1873 - हिन्दू धार्मिक नेता स्वामी रामतीर्थ का जन्म हुआ, जो अत्यधिक व्यक्तिगत और काव्यात्मक ढंग के व्यावहारिक वेदांत को पढ़ाने के लिए विख्यात थे।
- 1900 - भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी अशफ़ाक़ उल्ला ख़ां का जन्म हुआ।
- 1937 - प्रसिद्ध हिन्दी और उर्दू फि़ल्म अभिनेता कादर खान का जन्म हुआ।
- 1896 -जैव रसायनज्ञ चाल्र्स ग्लेन किंग का जन्म हुआ, जिन्होंने विटामिन-सी की खोज की, जो स्कर्वी और कुपोषण की रोकथाम में मददगार है। नींबू के रस पर लगातार बरसों तक कोशिश करते हुए वह 1932 में विटामिन-सी अलग करने में सफल हुए। (निधन-24 जनवरी 1988)
- 1881 - अमेरिकी भौतिकविद् क्लिंटन जोजफ़ डेविसन का जन्म हुआ, जिन्होंने इंग्लैण्ड के जॉर्ज पी. थॉमसन के साथ यह मालूम किया कि इलेक्ट्रॉन भी प्रकाश तरंगों की तरह विवर्तित होते हैं। इसके लिए उन्हें वर्ष 1937 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-1 फरवरी 1958)
- 1815- अमेरिकी लौह विशेषज्ञ और अन्वेषक ओज़ील विल्किन्सन का निधन हुआ, जिन्होंने कृषि-उपकरण, घरेलू बर्तन आदि ज़रूरी उपकरण बनाए। (जन्म 30 जनवरी 1744)
- 1871 - स्कॉटलैण्ड के भूगर्भशास्त्री सर रॉड्रिक मर्किसन का निधन हुआ, जिन्होंने भूगर्भशास्त्र के वर्गीकरण में साइलरियन समय को विभाजित किया। (जन्म 19 फरवरी 1792)