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‘सेक्स और सहमति’ पर चीन के इस सुपरस्टार के कारण बढ़ी बहस
29-Jul-2021 7:29 PM
‘सेक्स और सहमति’ पर चीन के इस सुपरस्टार के कारण बढ़ी बहस

-वायी यिप

क्रिस वू ने सभी आरोपों को ग़लत बताते हुए, उनका खंडन किया है

चीन के सबसे बड़े सितारों में से एक, क्रिस वू पिछले कुछ हफ़्तों से लगातार सुर्खियों में हैं. बात उन पर बलात्कार का आरोप लगने से शुरू हुई, लेकिन उनके मामले ने चीन में 'सेक्शुअल कन्सेंट' यानी यौन सहमति के मुद्दे पर भी नए सिरे से बहस छेड़ दी है.

चीनी-कनाडाई अभिनेता और गायक क्रिस वू के मामले ने बहुत तेज़ी से तूल पकड़ी, क्योंकि पिछले महीने एक कथित पीड़िता ने उन पर रेप का आरोप लगाया. उसके बाद से अब तक, कम से कम 24 महिलाओं ने वू पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है.

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एक दर्जन से ज़्यादा कंपनियाँ, जिनमें अंतरराष्ट्रीय ब्रांड लुई विताँ और पोर्श मोटर भी शामिल हैं, वो क्रिस वू से संबंध तोड़ चुके हैं.

क्रिस वू पर दबाव बनाया गया है कि वो मनोरंजन उद्योग के साथ-साथ चीन को भी अलविदा कह दें.

हालांकि, 30 वर्षीय क्रिस वू ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए, इन्हें ख़ारिज कर दिया है.

लेकिन उनके मामले ने सोशल मीडिया को हिलाकर रख दिया है. इस मामले के हरेक पहलू पर अब चर्चा हो रही है और ज़्यादातर जानकार कह रहे हैं कि यह मामला अब मसालेदार ख़बरें प्रकाशित करने वाले अख़बारों की सुर्खियों से आगे निकल चुका है.

जिन महिलाओं ने क्रिस वू पर आरोप लगाए हैं, उन्हें बहुत ज़बरदस्त ऑनलाइन समर्थन मिल रहा है - ख़ासतौर पर 19 वर्षीय कॉलेज स्टूडेंट डु मेइज़ू को, जो इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता हैं.

चीन में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये एक अच्छा संकेत है कि समाज में थोड़ी जागरूकता बढ़ी है और यौन सहमति पर बात हो रही है, वो भी एक ऐसे देश में, जहाँ अक्सर इस तरह के मामले सामने आने पर महिलाओं को ही दोषी ठहरा दिया जाता है.

'उसने ख़ुद को चमकाने के लिए ऐसा किया'
8 जुलाई से लेकर अब तक, डु मेइज़ू सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'वीबो' पर लगातार क्रिस वू के ख़िलाफ़ लिखती रही हैं. उन्होंने कई मीडिया संस्थानों को इंटरव्यू भी दिए हैं.

वे कहती हैं कि उनकी मुलाक़ात क्रिस वू से तब हुई, जब वो 17 साल की थीं.

उनका कहना है कि उन्हें उनकी अन्य दोस्तों के साथ क्रिस वू ने घर पर बुलाया था, जहाँ उन पर शराब पीने के लिए दबाव बनाया गया.

डु का आरोप है कि क्रिस वू ने नशे की हालत में उनके साथ ज़बरन सेक्स किया.

लेकिन वू इस आरोप को ग़लत बताते हैं. उन्होंने शराब वाली बात को भी ग़लत ठहराया और कहा कि "फ़ायदा पहुँचाने के बदले लड़कियों से सेक्स करने, नशे में लड़कियों का रेप करने और नाबालिग लड़कियों के साथ सेक्स करने के सभी आरोप बेबुनियाद हैं."

चीनी क़ानून के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को नाबालिग माना जाता है, जबकि चीन में यौन सहमति की उम्र 14 वर्ष है.

इस मामले में शुरुआती जाँच के बाद, बीजिंग पुलिस ने पिछले हफ़्ते एक बयान जारी किया था जिसमें पुलिस ने डु मेइज़ू की कही गई कुछ बातों की पुष्टि की है. लेकिन पुलिस ने दोनों के बीच शारीरिक संबंधों के बारे में फ़िलहाल यही लिखा है कि क्रिस वू और डु मेइज़ू ने 'शराब पीने के बाद सेक्स' किया था.

कुछ अधिकारियों ने ये भी कहा कि "डु मेइज़ू ने अपनी ऑनलाइन पहुँच बढ़ाने के लिए ये कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की है."

पुलिस ने कहा है कि वो अभी भी क्रिस वू के ख़िलाफ़ किए गए अन्य दावों की जाँच कर रही है.

लेकिन डु मेइज़ू ने पुलिस की प्रारंभिक जाँच पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि सेक्स बिना उनकी सहमति के किया गया था और ऐसी स्थिति में किया गया था, जब उन्हें शराब की वजह से होश नहीं था.

डु ने ये भी कहा कि क्रिस वू के मैनेजर उन्हें कमरे में लेकर गए थे.

इस मामले में उनके पक्ष को बेहतर ढंग से सुनने के लिए, बीबीसी ने भी डु मेइज़ू से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इंटरव्यू की गुज़ारिश का कोई जवाब नहीं दिया.

लेकिन वीबो पर हाल ही में उन्होंने एक और पोस्ट लिखी, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया, और वो थी, "मैंने वहाँ जाने की पहल नहीं की थी और ना ही मैं वहाँ जानबूझकर रुकी थी."

"मैं बस इतना चाहती हूँ कि ये सब ख़त्म हो जाए, मैं बहुत थक गई हूँ."

चीन के बहुत सारे टिप्पणीकार भी इस मामले में पुलिस के बयान से काफ़ी नाराज़ हुए हैं. उन्होंने अपनी नाराज़गी जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि पुलिस की भाषा बिल्कुल क्रिस वू के पक्ष में झुकी हुई है.

एक शख़्स, जिनके कमेंट को ऑनलाइन सबसे ज़्यादा पसंद किया गया, उन्होंने लिखा, "सौ बात की एक बात ये कि डु मेइज़ू ने जो भी कहा, वो बिल्कुल सच है."

एक अन्य शख़्स ने लिखा, "चलिए, उन लोगों की गिनती करते हैं जो क्रिस वू की बात पर भरोसा नहीं करते." इस टिप्पणी को वीबो पर 15 लाख लोगों ने पसंद किया है.

इस बीच महिला कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली, चीन की एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "पुलिस का बयान चीन की पितृसत्तात्मक संस्कृति का एक उत्कृष्ट उदाहरण कहा जा सकता है."

चीन की प्रमुख नारीवादी लू पिन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "इस घटना के ज़रिए हम समझ सकते हैं कि सरकार का रवैया क्या है... वो महिलाओं की आवाज़ों की वैधता को कभी नहीं पहचानेगी. और जब-जब महिलाएँ बोलेंगी, तो कहा जाएगा कि वो प्रसिद्धि के लिए ऐसा कर रही हैं."

'मी टू कैंपेन'
जानकार कहते हैं कि ये घटना ऐसे समय में हुई है, जब चीन में लिंग-आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ी है.

साल 2018 में, 'मी टू मूवमेंट' के दौरान भी चीन के विभिन्न हिस्सों में कई प्रमुख हस्तियों पर आरोप लगे थे.

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तब एक इंटर्न लड़की ने अपने बॉस पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे, जिसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी कवर किया था और उस घटना ने चीन के लोगों का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित किया था.

हाल ही में, इस मुद्दे पर चीन में कई पॉप सॉन्ग बने हैं. कुछ टीवी शोज़ के ज़रिए भी इस मुद्दे को उठाया गया है और काफ़ी समय तक यह यौन सहमति का मुद्दा मुख्यधारा में रहा है.

जानकार बताते हैं कि चीन में 'मी टू कैंपेन' से जुड़े बहुत सारे कंटेंट को सामाजिक अशांति के डर से सेंसर करना पड़ा था.

इसी साल, चीन में एक नई नागरिक संहिता लागू की गई है जिसने पहली बार यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने वाली कार्रवाइयों को परिभाषित किया है और इसकी रोकथाम के लिए व्यवसायों सहित कुछ संगठनों को ज़िम्मेदार ठहराया है.

लेकिन आलोचकों का तर्क है कि यह पीड़ितों की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि यह इसे लागू करने के लिए दिशा-निर्देश नहीं देता है.

फिर भी चीन में एक बड़ा तबका इसे 'बड़े पैमाने पर हुई प्रगति' के रूप में देख रहा है.

'बीजिंग वुमन्स राइट्स ग्रुप इक्वॉलिटी' नामक संस्था की संस्थापक फेंग युआन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "चीनी समाज अब यौन उत्पीड़न का मुक़ाबला करने के लिए तैयार लगता है और ऐसी हरेक घटना इसे और आगे ले जाएगी."

लू पिन कहती हैं कि क्रिस वू मामले में, सिलेब्रिटी ने महीनों तक डु मेइज़ू के साथ 'अंतरंग संबंध' बनाए रखने के लिए अपने पद और ताक़त दुरुपयोग किया.

चीन के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि समाज में बढ़ी हुई जागरूकता ही एक कारण हो सकती है कि इतने सारे लोग डु मेइज़ू के पीछे खड़े हो गए हैं और इतनी सारी और लड़कियाँ खुलकर बोलने की हिम्मत जुटा पाई हैं.

वीबो की ओर से बनाए गए हैशटैग 'यौन सहमति क्या है' को हाल के दिनों में 38 करोड़ से ज़्यादा बार देखा गया है.

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चीन के बहुत सारे पुरुषों ने भी इस विषय पर खुलकर लिखा है. कुछ ने दलील दी है कि लड़के कई बार भ्रमित भी हो सकते हैं, क्योंकि चीन में लड़की के ना कहने को भी फ़्लर्ट करने के तौर पर देखा जाता है, यानी ना को ही उसकी हाँ समझा जाता है.

कुछ चीनी पुरुषों ने लिखा कि हमारी संस्कृति में पितृसत्ता का इतना असर है कि बहुत सारे लड़के ना को ले ही नहीं पाते, वो रिजेक्शन बर्दाश्त नहीं कर पाते.

लेकिन इन दलीलों को भी सोशल मीडिया पर भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. कुछ लोगों ने लिखा है कि "संस्कृति और भाषा का इस्तेमाल ऐसी हरकतों को सही साबित करने के लिए ना करें. अगर कोई आपको हाँ नहीं कह रहा, तो उसका सीधा मतलब है कि वो आपको स्वीकार नहीं कर रहा और इसे ऐसे ही समझा जाना चाहिए."

एक यूज़र ने लिखा, "हाँ का मतलब ही हाँ हो सकता है, ना को आप हाँ कैसे मान सकते हैं. इसमें समझने के लिए इतना मुश्किल क्या है?"

इस बीच, सोशल मीडिया पर कुछ समूहों ने डु मेइज़ू का समर्थन करने के लिए #GirlsHelpGirls का उपयोग करने की अपील की है.

कुछ ने लिखा है, "इस बात को दुनिया के सामने लाने के पीछे डु मेइज़ू का जो भी मक़सद रहा हो, वो तब भी एक पीड़िता हैं, अगर उनकी कहानी सच है. वो बहादुर हैं, जो इस बात को उठाने की उन्होंने हिम्मत दिखाई."

डु मेइज़ू कहती हैं कि उन्हें न्याय का इंतज़ार है.

उन्होंने एक पोस्ट में लिखा भी कि "मैं क्रिस वू को बेनकाब कर देना चाहती हूँ, ताकि किसी और लड़की के साथ ऐसा ना हो." (bbc.com)

 

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