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पिघलती बर्फ से नष्ट हो सकती हैं एम्परर पेंग्विनों की बस्तियां
04-Aug-2021 7:19 PM
पिघलती बर्फ से नष्ट हो सकती हैं एम्परर पेंग्विनों की बस्तियां

एक नए शोध में दावा किया गया है कि अगर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन इसी गति से चलता रहा तो 2100 तक एम्परर पेंग्विनों की 98 प्रतिशत बस्तियां नष्ट हो जाएंगी.

 (dw.com)

ग्लोबल चेंज बायोलॉजी नामक पत्रिका में छपे नए शोध के नतीजों में दावा किया गया है कि 2050 तक ही लगभग 70 प्रतिशत बस्तियों पर खतरा मंडरा रहा होगा. अगर ऐसा ही रहा तो 2100 तक ये बस्तियां लुप्त होने की कगार तक पहुंच जाएंगी. नए शोध में वैश्विक तापमान के बढ़ने की पूरी तस्वीर और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तीव्र मौसमी उतार-चढ़ाव की बढ़ती संभावनाओं को देखा गया.

अध्ययन में पाया गया कि 2016 में समुद्री बर्फ के स्तर के बहुत कम हो जाने से अंटार्कटिका के हेली बे में एम्परर पेंग्विनों की एक बस्ती में प्रजनन भारी रूप से असफल रहा. वुड्स होल ओशियानोग्राफिक संस्थान में पेंग्विन इकोलोजिस्ट स्टेफनी जेनूवरीयर ने बताया कि उस साल नन्हे पेंग्विनों के पानी रोकने वाले वयस्क पंख आने से पहले ही मौसमी बर्फ टूट गई और लगभग 10,000 नन्हे पेंग्विन डूब गए. बस्ती उसके बाद इस झटके से उबर नहीं पाई.

बर्फ बेहद जरूरी

एम्परर पेंग्विन सर्दियों में केवल अंटार्टिका में ही प्रजनन करते हैं. वे कई हजार की संख्या वाले समूहों में एक साथ आ कर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान और 144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को बर्दाश्त करते हैं. लेकिन वो पर्याप्त समुद्री बर्फ के बिना नहीं रह पाते हैं. जेनूवरीयर कहती हैं, "एम्परर पेंग्विन का जीवन चक्र स्थिर समुद्री बर्फ के होने से बंधा हुआ है. उन्हें प्रजनन, भोजन और रोएं गिराने के लिए भी उसकी जरूरत है."

इन पक्षियों के समुद्री बर्फ वाली निवास स्थानों को जलवायु परिवर्तन की वजह से उत्पन्न हो रहे खतरे को देखते हुए अमेरिकी सरकार की मत्स्यपालन और वन्य जीव सेवा ने इन्हें लुप्तप्राय प्रजाति कानून के तहत संकट में आ रही प्रजातियों की सूची में डालने के प्रस्ताव की घोषणा की.

सेंटर फॉर बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी की अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम निदेशक सारा उलेमान कहती हैं, "इन पेंग्विनों पर जलवायु संकट का बड़ा बुरा असर पड़ा है और अमेरिकी सरकार अब जा कर इस खतरे को स्वीकार कर रही है."अमेरिकी सरकार ने इससे पहले देश के बाहर मिलने वाली प्रजातियों को इस सूची में डाला है. इनमें पोलर भालू शामिल है जो आर्कटिक प्रांतों में रहता है और जलवायु परिवर्तन और समुद्री बर्फ के कम होने का असर झेल रहा है.

मिलेगा संरक्षण

एम्परर पेंग्विन दुनिया के सबसे बड़े पेंग्विन हैं. इस समय इनकी संख्या 2,70,000 से 2,80,000 जोड़ियों या 6,25,000 से 6,50,000 पेंग्विनों तक है. उन्हें इस विशेष सूची में डालने के यह प्रस्ताव अब अमेरिका के फेडरल रजिस्टर में छापा जाएगा और 60 दिनों तक इस पर लोगों की टिप्पणियों का इंतजार किया जाएगा.

सूची में डालने से इन पक्षियों को व्यावसायिक कारणों के लिए उनके आयात पर प्रतिबंध जैसे कई संरक्षण मिलेंगे. वन्य जीव सेवा की प्रिंसिपल डिप्टी निदेशक मार्था विलियम्स ने बताया, "जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में कई तरह की प्रजातियों पर असर डालता है और यह चुनौती इस प्रशासन के लिए एक प्राथमिकता है. नीति निर्धारकों द्वारा आज और अगले कुछ दशकों में लिए गए फैसले एम्परर पेंग्विन के भविष्य को तय करेंगे." (dw.com)

सीके/एए (एपी)

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