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काबुल में तालिबान का महिला कर्मचारियों को घर पर रहने का फरमान
20-Sep-2021 12:55 PM
काबुल में तालिबान का महिला कर्मचारियों को घर पर रहने का फरमान

काबुल के अंतरिम मेयर ने कहा है कि शहर की कामकाजी महिलाएं घर पर ही रहें. उन्होंने कहा कि महिलाओं को सिर्फ उसी काम की अनुमति होगी जो पुरुष नहीं कर सकते.

  (dw.com)

कामकाजी महिलाओं को लेकर तालिबान ने 19 सितंबर को एक नया आदेश जारी किया है. तालिबान का कहना है कि महिलाओं को सिर्फ वही काम करने की इजाजत होगी जो पुरुष नहीं कर सकते हैं. यह फैसला अधिकतर महिला कर्मचारियों को काम पर लौटने से रोकेगा.

शहर की अधिकांश महिला श्रमिकों को वापस काम पर जाने से रोकने का फैसला एक और संकेत है कि तालिबान इस्लाम की कठोर व्याख्या को लागू कर रहा है, जबकि उसने सहिष्णु और समावेशी सरकार का वादा किया था. तालिबान नेताओं ने महिला अधिकारों को लेकर अब तक यही कहा है कि महिलाओं को शरिया कानून के दायरे में आजादी दी जाएगी.

अंतरिम मेयर हमदुल्लाह नामोनी ने अपनी नियुक्ति के बाद पहली बार पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए रविवार को कहा कि पिछले महीने तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से पहले शहर में करीब तीन हजार महिला कर्मचारी थीं और वे सभी विभागों में काम करती थी. नामोनी ने कहा कि महिला कर्मियों पर अगला फैसला होने तक उन्हें घर पर ही रहना होगा.

महिला अधिकारों को सीमित करता तालिबान
पिछली बार जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर 1996-2001 के बीच राज किया, लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत नहीं थी और महिलाओं के काम करने पर कड़ी पाबंदियां लगी हुई थीं. धार्मिक पुलिस को बहुत ज्यादा ताकत हासिल थी और वे किसी को भी नियम तोड़ने के आरोप में कोड़े लगा सकते थे.

हाल के दिनों में नई तालिबान सरकार ने लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों को वापस लेते हुए कई फरमान जारी किए हैं. इसमें मिडिल और हाई स्कूल की छात्राओं से कहा कि वे फिलहाल स्कूल नहीं लौट सकतीं, जबकि उसी ग्रेड के लड़कों के लिए पिछले सप्ताह के अंत में स्कूल खोल दिए गए.

विश्वविद्यालय की महिला छात्रों से कहा गया कि वे लड़कों से अलग हटकर बैठेंगी. साथ ही उन्हें सख्त इस्लामी ड्रेस कोड का पालन करने को कहा गया है. अमेरिका के समर्थन वाली पिछली सरकार में अधिकतर स्थानों पर विश्वविद्यालयों में सह शिक्षा थी.

महिलाओं की मांग
तालिबान ने 17 सितंबर को ही महिला मामलों के मंत्रालय को बंद कर दिया और इसके बदले 'सदाचार प्रचार एवं अवगुण रोकथाम' मंत्रालय बनाया, जिसका काम इस्लामी कानून लागू करना है.

रविवार, 19 सितंबर को एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया और महिलाओं की भागीदारी की मांग की. एक तख्ती पर लिखा था, "जिस समाज में महिलाएं सक्रिय नहीं होती हैं, वह समाज बेजान होता है."

तालिबान को अफगानिस्तान पर काबिज हुए महीनाभर से ज्यादा हो गया है. इस दौरान बड़े शहरों में लगभग रोज विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. देशभर में कई जगहों पर छोटे-छोटे समूहों में इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं. आमतौर पर महिलाएं इन प्रदर्शनों की अगुआ होती हैं. ये छोटे-छोटे प्रदर्शन तालिबान के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं.

एए/सीके (एपी, रॉयटर्स) 

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