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मॉस्को में तालिबान से मिला भारतीय प्रतिनिधिमंडल
21-Oct-2021 1:12 PM
मॉस्को में तालिबान से मिला भारतीय प्रतिनिधिमंडल

अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार में उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी के नेतृत्व वाले उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को भारत सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात की.

  डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पाक-अफगानिस्तान-ईरान प्रभाग के जॉइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह कर रहे हैं. यह दल मॉस्को में हो रहे अफगानिस्तान सम्मेलन के दौरान रूस की सरकार के विशेष न्योते पर वहां गया है.

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि सम्मेलन से इतर दोनों प्रतिनिधिमंडलों की मुलाकात हुई. भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

भारत पहले भी तालिबान के प्रतिनिधियों से औपचारिक बातचीत कर चुका है. पिछली बार ऐसी मुलाकात दोहा में हुई थी जब 31 अगस्त को कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से भारतीय दूतावास में ही मुलाकात की थी.

तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था, "आज कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की. तालिबान के आग्रह पर यह बैठक भारत के दूतावास में हुई.”
सरकारी स्तर पर पहला संपर्क

बुधवार को मॉस्को में हुई मुलाकात अफगानि्सतान में अंतरिम कैबिनेट के गठन के बाद दोनों पक्षों के बीच पहला औपचारिक संपर्क है. अफगानिस्तान के समाचार चैनल टोलो न्यूज ने मुजाहिद के हवाले से बताया कि भारत युद्ध पीड़ित देश को मानवीय सहायता देने को तैयार है.

मुजाहिद के मुताबिक दोनों पक्षों ने एक दूसरे की चिंताओं पर ध्यान देने और कूटनीतिक व आर्थिक रिश्ते सुधारने पर भी जोर दिया.

मॉस्को में अफगानिस्तान पर यह सम्मेलन 2017 में स्थापित किया गया था. इस सम्मेलन में छह पक्षों को अफगानिस्तान पर अपनी राय व्यक्त करने और एक दूसरे से सलाह मश्विरा करने का मौका मिलता है. इन पक्षों में रूस के अलावा अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन और पाकिस्तान शामिल हैं. 2017 के बाद से ये देश कई बार इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं.

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में सरकार बना लिए जाने के बाद यह पहला सम्मेलन है, जिसमें दस देशों के प्रतिनिधि आमंत्रित हैं. तालिबान ने 15 अगस्त को तब काबुल पर कब्जा कर लिया था जब अमेरिकी सेना के नेतृत्व वाली नाटो फौजें दो दशक लंबे अभियान के बाद वहां से जाने के अंतिम चरण में थीं.
मदद की अपील

मॉस्को फॉर्मैट में अफगान उप प्रधानमंत्री हनाफी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि उनकी अंतरिम सरकार को मान्यता दे. इस सरकार में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो संयुक्त राष्ट्र की ब्लैक लिस्ट में हैं.

अफगान समाचार एजेंसी खाम प्रेस के मुताबिक हनाफी ने कहा, "अफगानिस्तान को अलग-थलग कर देना किसी के भी हित में नहीं है. यह पहले भी साबित हो चुका है.” हनाफी ने अमेरिका से आग्रह किया कि देश के सेंट्रल बैंक की संपत्ति पर लगी पाबंदियां हटाए. ये संपत्तियां करीब 9.4 अरब अमेरिकी डॉलर की हैं.

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने अमेरिका के सम्मेलन में हिस्सा ना लेने पर अफसोस जाहिर किया. उन्होंने कहा, "हमें अमेरिका के ना आने का अफसोस है. उम्मीद है ऐसा कि उसूली समस्या के कारण नहीं हुआ और वजह बस यही हो कि अफगानिस्तान में अमेरिका का विशेष दूत बदल गया है.”

लावरोव ने कहा कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान को वित्तीय, आर्थिक और मानवीय सहायता दे ताकि मानवीय संकट और बड़े पैमाने पर विस्थापन को टाला जा सके. (dw.com)
 

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