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रायपुर, 17 दिसंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय में शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के द्वारा शहीद वीरनारायण सिंह की 164वीं पुण्यतिथि पर स्मरण गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतवर्ष के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 ईं.) में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीरनारायण सिंह के अभुतपूर्व योगदान का स्मरण किया गया। स्मरण गोष्ठी के आयोजन के उपरांत शहीद वीरनारायण सिंह की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्दांजलि अर्पित किया गया।
विदित हो कि छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास,कला और संस्कृति को नए सिरे से उजागर करने के लिए कलिंगा विश्वविद्यालय में शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ की स्थापना की गयी है। शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के द्वारा छत्तीसगढ़ के इतिहास, कला एवं संस्कृति से जुड़े विभिन्न पक्षों पर विद्यार्थियों में रचनात्मक रुचि जागृत करते हुए उनके माध्यम से नए शोध और नयी खोज के लिए प्रेरित किया जाता है। इसी श्रृंखला में आयोजित इस स्मरण संगोष्ठी में विद्वान प्राध्यापकों को मुख्य वक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था।
स्मरण गोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रुप में उपस्थित कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ.विजय आनंद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास में आदिवासी समाज ने शहीद वीरनारायण सिंह जैसे सपूत देकर सिर्फ छत्तीसगढ़ प्रदेश को ही नहीं बल्कि देश को भी गौरवान्वित किया है। जिन्होंने राजसिंहासन को त्याग कर देशहित और समाजहित में अपने प्राणों की आहुति देकर देशवासियों में अलख जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया और स्वाधीन होने की आधारशिला तैयार की थी।