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परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिहाज से ठीक माना जाए या नहीं
04-Jan-2022 1:15 PM
परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिहाज से ठीक माना जाए या नहीं

यूरोपीय आयोग के एक प्रस्ताव को लेकर बहस छिड़ी है जिसमें गैस और परमाणु ऊर्जा में कुछ निवेशों को पर्यावरण के लिए अनुकूल मानने की बात है. जर्मनी और ऑस्ट्रिया ने इसका कड़ा विरोध किया है.

(dw.com)

जर्मनी और ऑस्ट्रिया की सरकार के मंत्रियों ने यूरोपीय संघ के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें गैस और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कुछ निवेश भी पर्यावरण के लिए उपयुक्त निवेशों में शामिल हो जाएंगे.

जर्मनी की विकास मंत्री स्वेन्या शुल्त्से का कहना है, "यूरोपीय संघ में परमाणु ऊर्जा को टिकाऊ ऊर्जा मानना गलत है और यह वैश्विक मानकों के हिसाब से असंगत है." जर्मन मंत्री के मुताबिक, "परमाणु ऊर्जा जरूरत से ज्यादा खतरनाक, महंगी और दुनिया के पर्यावरण को बचाने के लिहाज से अत्यधिक धीमी है. आज दुनिया भर की ऊर्जा में इसकी भागीदारी बमुश्किल पांच फीसदी है जो इससे ज्यादा कभी नहीं होगी." शुल्त्से का यह भी कहना है कि विकासशील देशों के लिए परमाणु ऊर्जा कभी भी अच्छा विकल्प नहीं है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि पवन और सौर ऊर्जा बेहतर विकल्प हैं. इससे पहले जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने प्रस्ताव का स्वागत किया और प्राकृतिक गैस को इस सूची में डालना उचित बताया लेकिन परमाणु उर्जा का विरोध किया.

यूरोपीय संघ के प्रस्ताव का विरोध करने में ऑस्ट्रिया की पर्यावरण मंत्री लियोनोरे गेवेसलर ने तो एक कदम और आगे जा कर इसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है. उन्होंने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि अगर इन प्रस्तावों को इसी रूप में लागू किया जाता है तो वह निश्चित रूप से ऐसा करेंगी. गेवेसलर का कहना है कि यूरोपीय आयोग परमाणु ऊर्जा और प्राकृतिक गैस को हरित दिखाना चाहता है. गेवेसलर का कहना है, "परमाणु ऊर्जा खतरनाक है और यह पर्यावरण संकट के खिलाफ संघर्ष में समाधान नहीं है."

यूरोपीय आयोग का प्रस्ताव
यूरोपीय आयोग ने शनिवार को इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट पेश किया जिसके बाद यूरोपीय संघ में "स्वच्छ ऊर्जा" के अर्थ को लेकर पहले से चला आ रहा विवाद गहरा गया है. इस प्रस्ताव के समर्थकों का कहना है कि गैस से चलने वाले बिजली संयंत्र कोयले से चलने वाले संयंत्रों की तुलना में स्वच्छ हैं. उनकी दलील है कि इनसे अर्थव्यवस्थाओं को पर्यावरण के अनुकूल रह कर भविष्य की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी. उनका यह भी कहना है कि परमाणु ऊर्जा को भी स्वच्छ ऊर्जा माना जाना चाहिए क्योंकि इसमें ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता.

इसका विरोध करने वाले कहते हैं कि गैस से बिजली बनाना पर्याप्त स्वच्छ नहीं है और परमाणु ऊर्जा बनाने में पैदा होने वाला रेडियोधर्मी कचरा लंबे समय के लिए खतरा है.

आयोग के प्रस्ताव में निवेशों को पर्यावरण के उपयुक्त माने जाने से पहले कड़ी शर्तों का पालन जरूरी बनाया गया है. उदाहरण के लिए परमाणु ऊर्जा में निवेश को तभी सही माना जाएगा जब कि सबसे नए तकनीकी मानकों का पालन हो और परमाणु कचरे के निस्तारण की योजना पर अमल 2050 तक जरूर शुरू हो जाए. इसके अलावा नए परमाणु संयंत्रों को बनाने की अनुमति 2045 से पहले लेना भी जरूरी है.

क्या इटली भी परमाणु ऊर्जा की ओर लौटेगा?
आयोग के प्रस्ताव ने इटली में भी बहस छेड़ दी है. यहां धुर दक्षिण पंथी पार्टी लीगा के मातेयो साल्विनी ने एक बार फिर इटली की जमीन पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने की संभावना जताई है. इटली ने चेर्नोबिल हादसे के बाद 1980 के दशक में ही परमाणु उर्जा के संयंत्रों को बंद कर दिया था.  साल्विनी ने ट्वीट किया है, "इटली चुपचाप खड़ा नहीं रह सकता, लीगा भी जनमतसंग्रह करा कर लोगों के दस्तखत जमा करेगी जिसके बाद हमारा देश एक स्वतंत्र, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य में प्रवेश करेगा."

इटली अपनी ऊर्जा जरूरत का एक बड़ा हिस्सा दूसरे देशों से आयात करता है. 2011 में एक जनमतसंग्रह में इटली के लोगों ने परमाणु ऊर्जा की वापसी के प्रस्ताव को नकार दिया था. फाइव स्टार मूवमेंट जैसी कई राजनीतिक दल भी परमाणु ऊर्जा के विरोध में है. फाइव स्टार मूवमेंट लीगा के साथ इटली की मौजूदा गठबंधन सरकार में शामिल है. हालांकि हाल के महीनों में गैस और बिजली की कीमतें जिस तेजी से बढ़ी हैं उसमें यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है.

इन सब के बीच जर्मनी ने अपने तीन और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली का उत्पादन शुक्रवार को बंद कर दिया. 2011 में फुकुशिमा हादसे के बाद जर्मनी ने परमाणु ऊर्जा से छुटकारा पाने का फैसला किया था. उसी को अमल में लाते हुए धीरे धीरे परमाणु ऊर्जा संयंत्र बंद किए जा रहे हैं. साल 2022 के आखिरी दिन बाकी बचे परमाणु बिजली घर भी बंद कर दिए जाएंगे.

एनआर/आरपी (डीपीए, रॉयटर्स)

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