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रायपुर, 10 मार्च। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है। उन्हें अपने साथ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ जागरुक भी होना चाहिए। महिलाएँ शिक्षा के माध्यम से सशक्त होकर अपने पैरों पर खड़े हों। महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए कानून की भी जानकारी होनी आवश्यक है। वही समाज प्रगति करता है जहां स्त्रियों का सम्मान होता है। यह सारी बातें मैट्स यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रमुखता से प्रकाश में आईं।
मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अटल नगर, नया रायपुर स्थित आईक्यूवीआईए, अमेरिकन मल्टीनेशनल कंपनी की एसोसिएट मैनेजर स्मिता बघेल वर्मा ने वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं की भूमिका और उनकी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं को अपनी प्रगति की तरफ ध्यान केंद्रित करने के प्रति प्रेरित किया। विशिष्ट अतिथि एवं सायबर क्राइम की इंस्पेक्टर डॉ. निशा टिकरिहा ने महिलाओं एवं बालिकाओं से संबंधित अपराध एवं उनसे संबंधित कानून व धाराओं की विस्तार से जानकारी प्रदान की।
डॉ. टिकरिहा ने महिलाओं की सुरक्षा हेतु लांच किए गये अभिव्यक्ति एप सहित पिंक गस्त, पाक्सो एक्ट, चिन्हित अपराध योजना, 112 के संबंध में जानकारी दी। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित मैट्स यूनिवर्सिटी की सीईओ प्रियंका पगारिया ने कहा कि महिलाओं को अपनी पहचान बनाना चाहिए और प्रतिदिन अपनी प्रगति और अपने आत्मसम्मान के लिए कार्य करना चाहिए।
इसके पूर्व सभी अतिथियों का पुस्तक भेंटकर स्वागत किया गया। मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. के.पी. यादव ने स्वागत भाषण में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए भारतीय संदर्भ में भी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि जिस समाज में स्त्रियों का सम्मान होता है वही समाज प्रगति करता है। अगर समाज को आगे बढ़ाना है तो लैंगिक समानता को स्वीकार करना आवश्यक है। उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांड ने संघर्ष के माध्यम से शीर्ष पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं का उदाहरण देकर प्रगति करने का आव्हान किया।