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पश्चिम बंगाल का क्या है कथित एसएससी घोटाला जिसमें गई मंत्री की बेटी की सरकारी नौकरी
22-May-2022 1:27 PM
पश्चिम बंगाल का क्या है कथित एसएससी घोटाला जिसमें गई मंत्री की बेटी की सरकारी नौकरी

इमेज स्रोत,SANJAY DAS/BBC

-प्रभाकर मणि तिवारी

पश्चिम बंगाल की राजनीति में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) परीक्षा और इसके ज़रिये हुई कथित अवैध नियुक्तियों की आंच लगातार तेज़ हो रही है.

यह कथित घोटाला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी सरकार और उसके नेताओं के गले की फांस बनता जा रहा है. इसके ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका के आधार पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है.

अदालत ने शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की पुत्री अंकिता अधिकारी की स्कूल टीचर के तौर पर नियुक्ति को अवैध बताते हुए उसे रद्द कर दिया है और साथ ही उनसे 41 महीने का वेतन दो किस्तों में वसूलने का आदेश दिया है.

दूसरी ओर, सीबीआई पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, जिनके कार्यकाल में कथित घोटाला हुआ और मौजूदा शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी से लगातार पूछताछ कर रही है.

अदालत से कोई राहत नहीं
अदालत से गुहार लगाने के बावजूद इन दोनों नेताओं को कोई राहत नहीं मिल सकी है. सीबीआई ने इस घोटाले के पर्याप्त सबूत हाथ लगने का दावा करते हुए कहा है कि मंत्री की पुत्री अंकिता से भी उसकी नियुक्ति के बारे में जल्दी ही पूछताछ की जाएगी.

हाईकोर्ट ने मंत्री की पुत्री की जगह उस बबीता सरकार की नियुक्ति को तरजीह देने की सिफारिश की है जिसकी याचिका के आधार पर यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मंत्री की पुत्री को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश दिया गया है.

अब इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. विपक्ष ने इस घोटाले पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की है. वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर भाजपा पर ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.

नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं को लेकर उठे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

क्या है एसएससी घोटाला
जिस कथित एसएससी घोटाले पर राज्य में बवाल मचा है आखिर वह है क्या?

दरअसल, राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्तियों के लिए स्कूल सेवा आयोग ने वर्ष 2016 में परीक्षा आयोजित की थी.

उसका नतीजा निकला 27 नवंबर 2017 को. उसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार का नाम शीर्ष 20 उम्मीदवारों में शामिल था. लेकिन आयोग ने वह सूची रद्द कर दी. बाद में निकली सूची में बबीता का नाम तो वेटिंग लिस्ट में चला गया. लेकिन उससे 16 नंबर कम पाने के बावजूद मंत्री की पुत्री अंकिता का नाम शीर्ष पर आ गया.

अदालत ने पहले इस कथित घोटाले की जांच के लिए न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी.

मामला सीबीआई को सौंपा गया था
बाग समिति ने ग्रुप-डी और ग्रुप-सी पदों पर नियुक्तियों में अनियमितता पाई थी. उसने कहा था कि ग्रुप-सी में 381 और ग्रुप-डी में 609 नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं. इसने राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी. अदालत ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

इस मामले के आरोपी मंत्री ने इस फैसले के खिलाफ दो जजों की खंडपीठ के समक्ष अपील की थी. लेकिन न्यायमूर्ति तालुकदार और न्यायमूर्ति मुखर्जी की खंडपीठ ने स्कूल सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं को सार्वजनिक घोटाला करार दिया और कहा कि मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा दिया गया सीबीआई जांच का आदेश गलत नहीं था.

शिक्षा विभाग के एक पूर्व कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, "पहली सूची निकलने के बाद कुछ खास उम्मीदवारों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) का इस्तेमाल करते हुए अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के दोबारा मूल्यांकन की अपील करने की सलाह दी गई. उसके बाद उनके नंबर बढ़ा कर उनके नाम भी मेरिट लिस्ट में शामिल किए गए. कुछ खास लोगों को उपकृत करने के लिए ऐसा किया गया."

बाग समिति के सदस्य और हाईकोर्ट के एडवोकेट अरुणाभ बनर्जी ने अदालत में कहा, "मूल रूप से कुछ उम्मीदवारों के नंबर बढ़ाने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया."

दूसरी ओर, इस कथित घोटाले और मंत्री की पुत्री की कथित अवैध नियुक्ति के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने वाली बबीता सरकार अदालत के फैसले से खुश हैं.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, "अदालत का फैसला राहत भरा है. लेकिन क्या सरकार उसका आदेश मानेगी?"

लेकिन मंत्री के खिलाफ आरोप लगाते समय आपको कोई डर नहीं लगा था. इस पर बबीता कहती हैं, "उस समय मुझे पता ही नहीं था कि मेरी जगह जिसकी नियुक्ति की गई है वह शिक्षा मंत्री की पुत्री है. मेरी लड़ाई किसी खास व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि न्याय के लिए थी."

आरोप-प्रत्यारोप तेज़
अब तमाम विपक्षी दलों ने दो आरोपी मंत्रियों के इस्तीफे की मांग उठाई है. भाजपा समेत तमाम संगठन इस मामले पर लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए अपने मंत्रियों का बचाव किया है कि वाम मोर्चा के शासनकाल के दौरान भी नियुक्तियां और तबादले पर्ची पर लिखकर किए जाते थे.

उनका कहना था कि वे अब तक चुप्पी साधे बैठी थीं. लेकिन अब ऐसे तमाम मामलों का खुलासा करेंगी. ममता ने कहा, "नियुक्तियों में विसंगतियों को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है. अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो कानून अपना काम करेगा. लेकिन यह दुष्प्रचार अभियान बंद होना चाहिए."

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि घोटाले में कथित भागीदारी के आरोप से जूझ रहे दोनों मंत्रियों को फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए.

मजूमदार कहते हैं, "सीबीआई के सामने पेश होने से पहले मंत्री परेश अधिकारी दो दिनों तक आंख मिचौली खेलते रहे."

सीपीएम नेता चक्रवर्ती कहते हैं, "इस मामले से ध्यान हटाने के लिए ही ममता वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल में पर्ची पर लिख कर नियुक्ति करने के निराधार आरोप लगा रही हैं. अगर ऐसा हुआ था तो उनको साबित करना चाहिए."

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनको ''एसएससी भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड'' बताया है.

अधिकारी का कहना था, "यह अपने किस्म का पहला मामला है जब राज्य के दो मंत्रियों को अदालत ने एक ही दिन केंद्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने का निर्देश दिया." उन्होंने आरोप लगाया कि दो मंत्रियों चटर्जी और परेश अधिकारी ने लाखों योग्य उम्मीदवारों को नौकरी से वंचित कर दिया है.

उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं, ''कानून अपना काम करेगा. हमें न्यायपालिका पर विश्वास है, लेकिन सीबीआई से मेरा सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में आरोपी शुभेंदु अधिकारी को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है?'' (bbc.com)

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