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श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के आवास को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी है. इससे कुछ घंटे पहले प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोग पीएम आवास में दाख़िल हो गए थे.
यह घटना ऐसे वक़्त में हुई है जब अब से कुछ घंटे पहले ही विक्रमसिंघे अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हो गए हैं. प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने ख़ुद ट्वीट कर इसकी पुष्टि की.
इससे पहले पीएमओ की ओर से भी बताया गया कि विक्रमसिंघे इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हो गए हैं ताकि सर्वदलीय सरकार का गठन किया जा सके.
प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने अपनी पार्टी के नेताओं को सूचित किया है कि सर्वदलीय सरकार बन सके, इसके लिए वह अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हैं.
बीबीसी सिंहला के संवाददाता रंगा सिरीलाल के अनुसार, पीएमओ की ओर से दावा किया गया है कि 'नागरिकों की सुरक्षा' सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री विपक्ष के प्रस्ताव पर सहमत हो गए हैं.
वहीं विपक्ष के सांसद हर्ष डी सिल्वा ने कहा कि बैठक में बहुमत के साथ लोगों ने सहमति दी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस बात पर भी सहमति बनी है कि अधिकतम 30 दिनों के लिए स्पीकर संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे.
उनका कहना है कि एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार की स्थापना की जानी चाहिए और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाना चाहिए.
हर्ष डी सिल्वा ने कहा कि संसद को गुप्त मतदान के जरिए 24 नवंबर तक राष्ट्रपति का पद संभालने के लिए किसी का चुनाव करना चाहिए.
दोपहर में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सरकारी आवास में दाखिल हो गए थे और शाम होते-होते प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में भी दाखिल हो गए.
उधर, प्रदर्शनकारियों के बीच श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी पहुंचे. उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी कुछ तस्वीरें भी ट्विटर पर शेयर कीं.
उन्होंने लिखा, "वे श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं और जल्द ही जीत का जश्न मनाएंगे और इसे बिना किसी रुकावट के जारी रखा जाना चाहिए."
शनिवार दोपहर को जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास में दाख़िल हुए तो, राजपक्षे वहां मौजूद नहीं थे.
रिपोर्टों के मुताबिक, राष्ट्रपति राजपक्षे को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है. हालांकि, राष्ट्रपति कहां हैं इस बारे में अभी कोई पुष्ट जानकारी सामने नहीं आई है.
इस बीच ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं कि राजपक्षे श्रीलंका से बाहर निकलने की कोशिश में हैं.
हालांकि अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
वहीं कोलंबो में अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है.
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और हवा में गोलियां भी चलाईं.
रिपोर्टों के मुताबिक, पुलिस की कार्रवाई में कई लोग घायल भी हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जो वीडियो फ़ुटेज सामने आए हैं उनमें प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में लगी कुर्सियों पर बैठे हुए दिख रहैं और कुछ स्वीमिंग पूल में नहाते दिखाई दे रहे हैं.
श्रीलंका में बढ़ती कीमतों और ज़रूरी सामान की कमी के विरोध में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन जारी हैं. प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए देश के कई हिस्सों से लोग कोलंबो पहुंचे हैं.
प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे से इस्तीफ़ा देने की मांग कर रहे हैं.
श्रीलंका बीते कई दशकों की सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में पेट्रोल, खाने पीने के सामान और दवाओं की कमी हो गई है.
कई लोग घायल
श्रीलंका पुलिस ने राष्ट्रपति आवास को घेरने की कोशिश करने वाले लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार भी की. जिसमें कई लोगों के घायल होने की ख़बर है.
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की. वहां से आए वीडियो फुटेज में आंसू गैस के गोले से घायल लोगों को अस्पताल ले जाते हुए देखा जा सकता है.
कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल ने जानकारी दी है कि एक सुरक्षा गार्ड समेत 33 लोग घायल हुए हैं.
एक ओर श्रीलंका में राजनीतिक अशांति फैली हुई है वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच भी खेला जा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच क्रिकेट मैच शनिवार को भी जारी रहा. यह मैच गाले शहर में खेला जा रहा है. यह जगह राजधानी कोलंबो से लगभग 124 किमी दूर है. हालांकि लोगों का एक समूह स्टेडियम के बाहर भी जमा हो गया था.
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पाकिस्तान क्रिकेट टीम भी अपनी आगामी सिरीज़ के लिए श्रीलंका में मौजूद है. श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि खेल कार्यक्रम में बदलाव की कोई योजना नहीं है.
उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि खेल, देश में मचे राजनीतिक उथल-पुथल से अप्रभावित है. क्रिकेट बोर्ड के एक अधिकारी ने एएफ़पी को बताया, "ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट मैच ख़त्म हो रहा है और पाकिस्तान के साथ सिरीज़ शुरू होने वाली है."
श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता: क्या है पूरा मामला
- श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे ख़राब आर्थिक संकट से गुज़र रहा है.
- श्रीलंका के पास ईंधन ख़रीदने के लिए पैसे नहीं हैं जिसकी वजह से वहां बिजली का संकट तक पैदा हो गया है.
- देश में पेट्रोल-डीज़ल की भारी किल्लत है. दवाइयों की कमी से भी जूझ रहा है देश.
- श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत खस्ता है.
- श्रीलंका के लोगों के बीच सरकार को लेकर नाराज़गी इस साल के शुरू से ही दिख रही है.
- अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से गद्दी छोड़ने की माँग कर रहे हैं.
- अप्रैल में लोग अपनी मांगों को लेकर लोग श्रीलंका की सड़कों पर उतर आए थे. उस दौरान प्रदर्शन हिंसक हो गए थे.
- हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद एक महीने के भीतर दो बार आपातकाल लागू किया गया.
- अप्रैल में पहली बार आपातकाल लागू होने के अगले दिन देश के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
- पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़े के बाद रनिल विक्रमसिंघे पीएम बने. वह छठी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं.
- रनिल विक्रमसिंघे ने पीएम बनने के साथ ही कह दिया था- "ये संकट और बुरा होगा."
- संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा है- "श्रीलंका मानवीय संकट के कगार पर है."
रैली का आयोजन
श्रीलंका में बेतहाशा बढ़ी महंगाई के साथ खाने पीने के सामान, ईंधन और दवाओं की क़िल्लत के विरोध में शनिवार को सरकार के ख़िलाफ़ रैली का आयोजन किया गया. विरोध प्रदर्शन को विपक्षी दलों, ट्रेड यूनियनों, छात्र और किसान संगठनों ने भी समर्थन दिया.
इससे पहले सरकार ने राजधानी कोलंबो और इसके पास के इलाक़ों में होने वाली इस रैली के पहले शुक्रवार रात नौ बजे से कर्फ़्यू लगा दिया था.
अधिकारियों का कहना है कि यह कर्फ़्यू शुक्रवार की रात नौ बजे से लेकर अगले आदेश तक लगाया गया है. प्रशासन ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे अपने घरों में ही रहें और बाहर न जाएं.
विरोध रैली के दौरान हिंसा से बचाव के लिए प्रशासन ने सेना और पुलिस के हज़ारों जवानों को तैनात किया गया.
देश के मौजूदा आर्थिक संकट के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को ज़िम्मेदार बताते हुए प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं.
पिछले कई महीनों से आर्थिक बदहाली और महंगाई से परेशान लोग सड़कों पर सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
श्रीलंका का आर्थिक संकट वहाँ के विदेशी मुद्रा भंडार के तेज़ी से घटने से पैदा हुआ है. कई लोगों का आरोप है कि ऐसा वहां की सरकार की आर्थिक बद-इंतज़ामी और कोरोना महामारी के प्रभाव की वजह से हुआ है.
विदेशी मुद्रा भंडार की कमी की वजह से श्रीलंका ज़रूरी सामानों का आयात नहीं कर पा रहा जिनमें तेल, खाने-पीने के सामान और दवाएं जैसी चीज़ें शामिल हैं. इस साल मई में वो इतिहास में पहली बार अपने कर्ज़ की किस्त चुकाने में नाकाम रहा था. तब उसे सात करोड़ 80 लाख डॉलर की अदायगी करनी थी मगर 30 दिनों का अतिरिक्त समय दिए जाने के बावजूद वो इसे नहीं चुका सका.
श्रीलंका अभी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से लगभग 3.5 अरब डॉलर की बेल-आउट राशि चाह रहा है जिसके लिए उसकी बातचीत चल रही है.
श्रीलंका सरकार का कहना है कि उसे इस साल आईएमएफ़ समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पांच अरब डॉलर की मदद चाहिए. (bbc.com)