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अमेरिकियों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, परमाणु समझौते पर हमें गारंटी चाहिए: ईरान
19-Sep-2022 9:47 PM
अमेरिकियों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, परमाणु समझौते पर हमें गारंटी चाहिए: ईरान

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''अगर अमेरिका इस बात की गारंटी दे कि वो ईरान के साथ परमाणु क़रार से दोबारा अपने क़दम वापस नहीं खींचेगा तो तेहरान इस समझौते को फिर से लागू करने में गंभीरता दिखलाएगा.''

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीबीएस न्यूज़ को दिए गए इंटरव्यू में ये बात कही है. ये इंटरव्यू रविवार को प्रसारित किया गया.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने ईरान के विदेश मंत्री ने कहा था कि साल 2015 के परमाणु समझौते को फिर से लागू करने के लिए तेहरान को अमेरिका की मज़बूत गारंटी की ज़रूरत पड़ेगी.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के ख़िलाफ़ राजनीतिक मक़सद से की जा रही जांच को रोकने की भी अपील की थी.

सीबीएस न्यूज़ के कार्यक्रम '60 मिनट्स' के लिए इस इंटरव्यू में इब्राहिम रईसी ने कहा, "अगर ये अच्छा और वाजिब समझौता है तो इस डील को पूरा करने के लिए हम गंभीरता से विचार करेंगे."

इब्राहिम रईसी ने क्या कहा

इस हफ़्ते वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित करने वाले हैं. इब्राहिम रईसी ने सीबीसी न्यूज़ की रिपोर्टर लेस्ली स्टॉह्ल से कहा-

ये समझौता टिकाऊ होना चाहिए. इस बात की गारंटी होनी चाहिए. अगर गारंटी होगी तो अमेरिकी इस समझौते से पीछे नहीं हट सकेंगे.
अमेरिका ने परमाणु क़रार पर अपना वादा तोड़ा है.
उन्होंने ये एकतरफ़ा तरीके से किया. उन्होंने कहा कि हम समझौते से बाहर निकल रहे हैं. अब वादे करना बेमानी हो गया है. हम अमेरिकियों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि हमने उनका बर्ताव देखा है. यही वजह है कि अगर गारंटी नहीं होगी तो भरोसा नहीं होगा.
ईरान ने कई बार ये कहा है कि परमाणु हथियार रखने का उसका कोई इरादा नहीं है. ईरान ने इन दावों का कई बार जवाब दिया है. ये बेबुनियाद दावे हैं.
ईरान के नागरिक भी अमेरिकी जेलों में बंद हैं. वे सिर्फ़ इसलिए जेल में हैं क्योंकि उन्होंने प्रतिबंधों से बचने की कोशिश की थी. हमने अमेरिकियों से कहा है कि हमारी जेलों में बंद अमेरिकियों पर हम बात कर सकते हैं. इस पर परमाणु वार्ता से इतर बात की जा सकती है. इस पर द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है. ये एक मानवीय मुद्दा है. इस पर बात हो सकती है.
मुझे नहीं लगता है कि राष्ट्रपति बाइडन से मेरी कोई मुलाकात होने वाली है. मुझे नहीं लगता है कि इस तरह की किसी मुलाकात से कोई फ़ायदा होने वाला है.
अमेरिका की नई सरकार ये दावा करती है कि वो पिछले ट्रंप प्रशासन से अलग हैं. हमें भेजे गए संदेश में उन्होंने यही कहा है. लेकिन हमें कोई बदलाव नहीं दिखाई देता है. बाइडन ने ट्रंप के लगाए प्रतिबंधों को जारी रखा हुआ है. ये प्रतिबंध ईरान के लोगों पर ज़ुल्म हैं. हमारे लिए ये ज़रूरी है कि प्रतिबंध हटाए जाएं.
इस समझौते के तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम रोकने के एवज में अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों से राहत दी गई थी.

'किसी पश्चिमी देश के पत्रकार को पहला इंटरव्यू'
सीबीएस न्यूज़ ने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के इस इंटरव्यू को किसी पश्चिमी देश के पत्रकार को दिया गया पहला इंटरव्यू बताया है.

लेस्ली स्टॉह्ल ने कहा है, "मुझसे कहा गया था कि मुझे किस तरह से कपड़े पहनना चाहिए. मुझसे कहा गया कि उनके बैठने से पहले मुझे नहीं बैठना है और जब वे बोल रहे हों तो मुझे उन्हें बीच में टोकना नहीं है."

वियेना में अमेरिका के साथ बातचीत के दौरान भी ईरान ने ये मांग रखी थी कि भविष्य में कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति इस समझौते से पीछे नहीं हटेगा, इसका भरोसा होना चाहिए.

साल 2018 में जिस तरह से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से पीछे हटने का एलान कर दिया था, ईरान का कहना है कि वैसा दोबारा नहीं होना चाहिए.

लेकिन इस साल मार्च में इस समझौते के फिर से जीवित होने की उम्मीदें जगीं. लेकिन अमेरिका और ईरान के बीच चल रही अप्रत्यक्ष वार्ता कुछ मुद्दों पर टूट गई.

टिकाऊ समझौते पर ईरान का रुख
इसकी एक वजह ये भी थी कि ईरान इस बात पर अड़ गया कि समझौते के फिर से लागू होने से पहले इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी उसके परमाणु प्रतिष्ठानों के ख़िलाफ़ चल रही जांच रोक दे.

दरअसल, ईरान में तीन जगहों पर आईएईए को यूरेनियम के अंश मिले थे और इसकी जांच वो कर रहा है.

आईएईए को दी गई अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट में ईरान ने इन जगहों के बारे में जानकारी छुपाई थी.

इस बात को लेकर फ़िलहाल कोई संकेत नहीं है कि अमेरिका और ईरान गतिरोध के इन मुद्दों पर बात आगे बढ़ा सकेंगे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान ईरान एक टिकाऊ समझौते तक पहुंचने के लिए अपनी कूटनीतिक कोशिशें जारी रखेगा.

हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन ईरान को वो आश्वासन नहीं दे सकते हैं जिसकी तेहरान मांग कर रहा है. अमेरिका की नज़र में ये डील एक राजनीतिक समझौता होगा न कि क़ानूनी रूप से एक बाध्यकारी संधि.

ईरान के साथ परमाणु क़रार क्या है?
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान के साथ ये समझौता हुआ था.

आर्थिक प्रतिबंधों से राहत के वादे के एवज में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर सीमित कर दिया था.

तीन साल बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से पीछे हटने का एलान कर दिया और ईरान के ख़िलाफ़ और कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की.

समाचार एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडन ये चाहते हैं कि ईरान के साथ परमाणु क़रार फिर से बहाल हो जाए, लेकिन ईरान की ओर से गारंटी की शर्त रखे जाने के बाद मामला पेचीदा हो गया है.

बाइडन प्रशासन का कहना है कि अमेरिकी शासन व्यवस्था में इस बात का वादा करना नामुमकिन है कि भविष्य के राष्ट्रपति क्या करेंगे और क्या नहीं. दूसरी तरफ़ इब्राहिम रईसी का कहना है कि ट्रंप की कार्रवाई ये बतलाती है कि अमेरिका के वादों का कोई मतलब नहीं है.

ईरान का दावा
साल 2015 के इस समझौते में ब्रिटेन, चीन, फ़्रांस, जर्मनी और रूस भी शामिल थे. समझौते से जुड़े देशों का ये मानना था कि ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए ये सबसे अच्छा तरीका है.

हालांकि ईरान इस बात से हमेशा इनकार करता रहा है कि उसका इरादा कभी परमाणु बम बनाने का था. उसका हमेशा से ये कहना रहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.

इब्राहिम रईसी पिछले साल सत्ता में आए हैं. उनसे पहले के राष्ट्रपति हसन रूहानी को कुछ हद तक उदारवादी माना जाता था.

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए न्यूयॉर्क जाते समय वे ओबामा को टेलिफ़ोन किया करते थे.

यूरोपीय संघ की विदेश नीति मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने पिछले हफ़्ते समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया था कि ईरान के साथ परमाणु क़रार को फिर से सक्रिय करने के लिए की जा रही बातचीत में गतिरोध आ गया है.

इससे पहले यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अगस्त में कहा था कि गतिरोध के मुद्दों पर बातचीत में कुछ प्रगति हुई है और इसमें अमेरिकी गारंटी पर ईरान की मांग का मुद्दा भी शामिल है.

इसके तीन दिन बाद जोसेप बोरेल ने अंतिम बताए जा रहे समझौते का मसौदा जारी किया था.

सितंबर की शुरुआत में आईएईए की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वो इस बात की पुष्टि करने में सक्षम नहीं है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए समर्पित है.

इस रिपोर्ट के बाद ईरान के साथ परमाणु करार को बहाल करने को लेकर की जा रही कूटनीतिक कोशिशें और जटिल हो गई हैं.

ईरान इस मांग पर भी अड़ा है कि आईएईए उसके ख़िलाफ़ जो जांच कर रहा है, उसे ख़त्म करना होगा. (bbc.com/hindi)

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