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बिरसा मुंडा की शहादत और प्रकृति संरक्षण के संघर्ष पर की गई चर्चा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 17 नवंबर। डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय में भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस के अवसर पर जनजाति गौरव दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुंडा के शहादत एवं स्वतंत्रता संग्राम तथा प्रकृति संरक्षण के लिए उनके संघर्ष को याद किया गया।
भारत सरकार के निर्देशानुसार यूजीसी से प्राप्त निर्देशों के अनुरूप विश्वविद्यालय में जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज एवं बिरसा मुंडा के संघर्ष तथा उनके योगदान पर परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा पर यह कहा गया कि युवा पीढ़ी को आदिवासियों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान एवं समृद्ध इतिहास से अवगत कराना जरूरी है। आदिवासियों की अनेक संघर्ष एवं त्याग की लोक गाथाएं आदिवासी समाजों में प्रचलित हैं। इन्हें लिपिबद्ध कर नए युवा पीढ़ी से इसे जोड़ा जाना आवश्यक है।
कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से युवाओं को प्रेरणा लेना चाहिए। विश्वविद्यालय में जनजाति नायकों एवं जनजाति समाज के लोगों पर रिसर्च किया जाएगा, जिसमें उनके जीवन से जुड़े हर पहलू पर शोध होगा। सम कुलपति प्रो. जयति चटर्जी ने कहा कि जनजाति नायकों के संघर्षों की गाथा हर युवा को पढऩा चाहिए। कुलसचिव गौरव शुक्ला कहा कि जनजाति नायकों के संग्राम युवाओं तक पहुंचाने और पढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय प्रयासरत है। इसके लिए भविष्य में भी आयोजन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जनजाति युवकों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे और उन्हें हरसंभव मदद करने के लिए के विश्वविद्यालय हमेशा प्रयासरत है। डीन अकादमिक डॉ अरविंद तिवारी ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं को विद्यार्थियों से साझा किया। उन्होंने कहा कि जीवन शैली में सबसे उच्चतम और आदर्श जीवन शैली जनजाति की होती है। वे पर्यावरण प्रेमी एवं प्रकृति पूजा पर विश्वास करते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद थे।