अंतरराष्ट्रीय

अक्षय ऊर्जा पर क्षमता से ज्यादा कोशिश कर रहा है मोरक्को
24-Dec-2022 2:01 PM
अक्षय ऊर्जा पर क्षमता से ज्यादा कोशिश कर रहा है मोरक्को

अक्षय ऊर्जा से संबंधित परियोजनाओं पर मोरक्को बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहा है. डीडब्ल्यू ने जानने की कोशिश की कि छोटा सा यह देश इस क्षेत्र में यहां तक कैसे पहुंचा गया. 

  (dw.com)
 

सहारा रेगिस्तान के लिए मोरक्को का द्वार कहे जाने वाले ऊर्जाजेट शहर में पचास लाख से ज्यादा घुमावदार दर्पण एक विशालकाय वृत्त के आकार में दिखाई पड़ते हैं. 

हर कुछ मिनट में ये दर्पण सिंथेटिक तेल से भरे ट्यूबों की ओर घूमते हैं ताकि इन्हें सूर्य की रोशनी अच्छी तरह से मिल सके और ये इतना गर्म हो जाएं कि ट्यूब में से वाष्प निकलने लगे. टर्बाइन के जरिए इस वाष्प के उपयोग से 13 लाख लोगों के लिए बिजली पैदा की जाती है. 

यह बात हो रही है नूर ऊर्जाजाइट कॉम्प्लेक्स की जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा केंद्र है. दक्षिणपूर्वी मोरक्को के एक तटीय शहर में अक्षय ऊर्जा का एक और संयंत्र लगा है जिसका नाम है तर्फाया विंड फार्म. 131 टर्बाइन्स वाला यह फार्म अपनी तरह का अफ्रीका का सबसे बड़ा केंद्र है. 

सहारा रेगिस्तान के लिए मोरक्को का द्वार कहे जाने वाले ऊर्जाजेट शहर में पचास लाख से ज्यादा घुमावदार दर्पण एक विशालकाय वृत्त के आकार में दिखाई पड़ते हैं. 

हर कुछ मिनट में ये दर्पण सिंथेटिक तेल से भरे ट्यूबों की ओर घूमते हैं ताकि इन्हें सूर्य की रोशनी अच्छी तरह से मिल सके और ये इतना गर्म हो जाएं कि ट्यूब में से वाष्प निकलने लगे. टर्बाइन के जरिए इस वाष्प के उपयोग से 13 लाख लोगों के लिए बिजली पैदा की जाती है. 

यह बात हो रही है नूर ऊर्जाजाइट कॉम्प्लेक्स की जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा केंद्र है. दक्षिणपूर्वी मोरक्को के एक तटीय शहर में अक्षय ऊर्जा का एक और संयंत्र लगा है जिसका नाम है तर्फाया विंड फार्म. 131 टर्बाइन्स वाला यह फार्म अपनी तरह का अफ्रीका का सबसे बड़ा केंद्र है. 

लेकिन मोख्तारी कहती हैं कि इन सबके बीच देश के नेताओं ने अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया है. वो कहती है, "क्योंकि हम ऊर्जा आयात के मामले में अल्जीरिया और स्पेन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं.” 

मोरक्को अभी भी अपनी ऊर्जा जरूरतों का 90 फीसद हिस्सा आयात करता है और प्राथमिक तौर पर जीवाश्म ईंधनों पर ही निर्भर है. 

साल 2014 और 2015 में जब तेल की कीमतें कम थीं, तब मोरक्को ने पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी देना बंद कर दिया और अपने अक्षय ऊर्जा बाजार को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया ताकि विदेशी हाइड्रोकार्बन पर उसकी निर्भरता कम हो सके. लेकिन ब्यूटेन गैस को अभी भी सरकार काफी सब्सिडी देती है क्योंकि घरों में और कृषि कार्यों में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है. 

मोरक्को लक्ष्य प्राप्ति से दूर रह गया लेकिन सही रास्ते पर है 

साल 2009 की ऊर्जा रणनीति कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी साबित हुई. मोरक्को साल 2020 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को पांच फीसद करने के लक्ष्य से दूर रह गया. लेकिन अर्न्सट एंड यंग नामक कंसल्टिंग फर्म की हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा लगता है कि सरकार 2030 तक 52 फीसद का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में सही रास्ते पर है. 

इसके अनुसार, मोरक्को एक छोटी अर्थव्यस्था वाला देश होते हुए भी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा प्रदर्शन कर रहा है. पिछले साल दो नए सौर ऊर्जा संयंत्र और एक पवन ऊर्जा फार्म का उद्घाटन का हुआ, जिससे अब अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति दस फीसद बढ़ गई है. 

बिजली क्षेत्र के अलावा, मोरक्को की निगाहें परिवहन और कृषि क्षेत्रों को भी कार्बन विहीन करने पर लगी हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार मोरक्को में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की काफी क्षमता है जो कि भारी उद्योगों और हवाई क्षेत्र में तेल और डीजल की जगह ले सकता है. 

जर्मनी के पर्यावरण थिंक टैंक हेनरिक बॉल फाउंडेशन के मुताबिक, अभी भी ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए भारी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत होती है और इसके लाभ के बावजूद मोरक्को में इसकी आपूर्ति बहुत कम है. हालांकि वैकल्पिक ईंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग मोरक्को के अक्षय ऊर्जा प्रयासों को रफ्तार दे सकती है. 

हाल ही में मोरक्को ने यूरोपीय संघ के साथ अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग यानी ‘ग्रीन पार्टनरशिप' के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. 

अर्न्स्ट एंड यंग का रिपोर्ट के मुताबिक, "इसमें संदेह नहीं कि मोरक्को के पास प्राकृतिक संसाधन हैं, नियामक समर्थन और अफ्रीका की हरित क्रांति का नेतृत्व करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता है.” 

अक्षय ऊर्जा क्रांति के समक्ष चुनौतियां 

अभी भी, हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने की दिशा में मोरक्को को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. देश में अभी भी बिजली के लिए सबसे ज्यादा निर्भरता जीवाश्म ईंधनों पर ही निर्भरता है. कोयला भले ही सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाता हो लेकिन मोरक्को में कुल बिजली उत्पादन में 37 फीसद हिस्सा कोयले का ही है. 

रूस पर प्रतिबंधों के कारण यह और भी महंगा पड़ रहा है. नए कोयला चालित ऊर्जा संयंत्रों को चालू करने और अन्य के जीवन काल को बढ़ाने के लिए भी उस पर दबाव है. 

एक स्वतंत्र वैज्ञानिक निगरानी समूह, क्लाइमेट एक्शन ट्रेकर का कहना है कि कार्बन पर निर्भरता खत्म करने के लिए मोरक्को को और ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. 

हेनरिक बॉल फाउंडेशन के मुताबिक, सिविल सोसयटी संगठनों ने भी छोटे संयंत्रों की तुलना में बड़े पॉवर प्लांट्स पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार की आलोचना की है. गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि स्थानीय लोगों को इन परियोजनाओं से कोई फायदा नहीं होता और न ही उन्हें यहां नौकरियां मिल पाती हैं. 

इसके अलावा बिजली की मांग भी आसमान छू रही है. साल 2050 तक जनसंख्या बढ़ने और देश के विकास के साथ ही बिजली की मांग चार गुना तक बढ़ सकती है. हेनरिक बॉल फाउंडेशन का कहना है कि हरित ऊर्जा के जरिए इस मांग को पूरा करने के लिए मोरक्को को अभी लंबा रास्ता तय करना है. 

मोरक्को के किंग मोहम्मद VI ने हाल ही में एक बैठक में सरकार से अपील की है कि नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी लाई जाए. 

किंग के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया है, "देश की ऊर्जा संप्रभुता को मजबूत करने के लिए मोरक्को को इन परियोजनाओं में तेजी लानी चाहिए ताकि ऊर्जा कीमतें कम हो सकें और आने वाले दिनों में हम खुद को कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित कर सकें.” 

(बीट्रीस क्रिस्टोफारो) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news