अंतरराष्ट्रीय
अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाज़े बंद करने के बाद अब तालिबान ने गैर-सरकारी संस्थाओं में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
देश की तालिबान सरकार के इस फ़ैसले की संयुक्त राष्ट्र ने ये कहते हुए निंदा की है कि ये बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है.
हालांकि, तालिबान ने इस फ़ैसले को सही ठहारते हुए कारण दिया है कि एनजीओ का महिला स्टाफ हिजाब ना पहनकर शरिया क़ानून का उल्लंघन कर रहा है.
इससे कुछ दिनों पहले ही अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर रोक लगा दी गई थी.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी इस फ़ैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि ये फ़ैसला ''अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए विनाशकारी होगा.''
एनजीओ में काम करने वाली कई महिलाएं घर में कमाने वाली अकेली सदस्य हैं. उनमें से कुछ ने अपने डर और लाचारी के बारे में बीबीसी को बताया.
एक महिला ने कहा, ''अगर मैं नौकरी पर नहीं जाऊंगी तो मेरे परिवार को कौन पालेगा?''
एक अन्य महिला ने इस ख़बर को ''हैरान करने वाला'' बताया और ज़ोर देकर कहा कि उन्होंने तालिबान के कड़े ड्रेस कोड का पालन किया था.
एक तीसरी महिला ने तालिबान कि ''इस्लामिक नैतिकता'' पर सवाल उठाया. उनकी चिंता थी कि वो अब अपना घर कैसे चलाएंगी और बच्चों को क्या खिलाएंगी. (bbc.com/hindi)