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बिलासपुर, 9 मार्च। शिक्षकों की पदोन्नति पर राज्य शासन की ओर से बनाए गए नए नियमों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब इसके बाद पदोन्नति की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है।
राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 बनाया था, इसके तहत शिक्षकों की पदोन्नति के लिए अनुभव की सीमा 5 साल से घटाकर 3 साल कर दी गई थी। शिक्षकों और शिक्षक संगठनों की ओर से शासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में दिसंबर 2022 को प्रकरण की सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसका फैसला आज जारी हुआ है।
शासन के पक्ष में जारी आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि शासन को नियम बनाने का अधिकार है और नए नियम में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
शिक्षकों की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया था कि सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक और शिक्षक पद पर पदोन्नति के लिए शासन ने जो नियम निर्धारित किए है वह विसंगतिपूर्ण है। इससे वरिष्ठता के निर्धारण में पक्षपात हो रहा है। नए नियम से सीनियर शिक्षक जूनियर तथा जूनियर शिक्षक सीनियर हो गए हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील को खारिज कर दिया।