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रेचेप तैय्यप अर्दोआन: 20 साल से तुर्की की सत्ता पर क़ाबिज़ ताक़तवर नेता की कहानी
29-May-2023 1:01 PM
रेचेप तैय्यप अर्दोआन: 20 साल से तुर्की की सत्ता पर क़ाबिज़ ताक़तवर नेता की कहानी

पॉल किर्बी

तुर्की के राष्ट्रपति चुनाव में रेचेप तैय्यप अर्दोआन को जीत हासिल हुई है.

अभी तक चुनाव के नतीजे पूरी तरह घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन उन्हें 52.16 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट हासिल हुए हैं. उनके विपक्षी कमाल कलचदारलू को 47.84 फ़ीसदी वोट मिले हैं.

अर्दोआन को पांच साल के लिए एक और जीत हासिल होने पर उनके समर्थक जमकर जश्न मना रहे हैं.

जीत के बाद अंकारा में अपने भव्य महल के बाहर जश्न मना रहे समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ''ये साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाले पूरे मुल्क की जीत है.''

लेकिन जानकारों को देश की एकता की अर्दोआन की बातें खोखली लग रही हैं क्योंकि उन्होंने अपने विपक्षी कमाल कलचदारलू का माखौल उड़ाया है.

उधर कलचदारलू ने इन चुनावों को ''हाल के वर्षों में देश का सबसे धांधली वाला चुनाव क़रार दिया है.''

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अर्दोआन की पार्टी ने चुनाव में जीत के लिए उनके ख़िलाफ़ पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया.

हालांकि चुनाव के नतीजों से ये बात साफ़ हो गई है कि देश की तक़रीबन आधी आबादी ने राष्ट्रपति अर्दोआन के अधिनायकवादी शासन के विरोध में मतदान किया है.

पहले दौर के चुनाव में राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन, 49.5 प्रतिशत वोट लेकर अपने प्रतिद्वंदी कमाल कलचदारलू से आगे थे. जीत के लिए 50 फ़ीसदी से अधिक मत की ज़रूरत थी, इसलिए दूसरे चरण का मतदान हुआ.

अर्दोआन की शख़्सियत
रेचेप तैय्यप अर्दोआन बेहद मामूली पृष्ठभूमि से तुर्की की राजनीति के सबसे बड़े शख़्सियत के रूप में उभरे हैं. वह पिछले 20 वर्षों से तुर्की का नेतृत्व कर रहे हैं. आधुनिक दौर के तुर्की में कमाल अतातुर्क के बाद किसी नेता ने देश को आकार दिया है तो वो अर्दोआन हैं.

कई संकटों से जूझने के बावजूद 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें एक बार फिर जीत हासिल हुई है. हालांकि लगभग आधी जनता ने उन्हें अपना वोट नहीं दिया है.

उनके आलोचकों ने उन पर ग़ैर-परंपरागत आर्थिक नीतियों को अपनाने की वजह से जनता के रोज़मर्रा के जीवन को मुश्किल में डालने का आरोप लगाया है.

अर्दोआन ने तुर्की के आधुनिकीकरण और विकास का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन वह फ़रवरी में दोहरे भूकंपों में हुए नुक़सान से निपटने में नाकाम रहे.

विपक्ष ने उन पर शक्तिशाली भूकंप से ग्रस्त देश को आपदा के लिए तैयार करने में विफल होने और अर्थव्यवस्था को ख़राब ढंग से चलाने का आरोप लगाया.

सत्ता की सीढ़ी

रेचेप तैय्यप अर्दोआन का जन्म 1954 के फ़रवरी महीने में हुआ था. उनके पिता तुर्की के तटरक्षक बल में थे.

जब अर्दोआन 13 साल के थे तब उनके पिता ने अपने पांचों बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए इस्तांबुल में बसने का फै़सला किया.

युवा अर्दोआन नींबू का शरबत और एक तरह की डबलरोटी (सीमीट) बेचते थे ताकि थोड़े पैसे कमा सकें.

इस्तांबुल के मरमरा विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट की डिग्री लेने से पहले उन्होंने एक इस्लामिक स्कूल में पढ़ाई की थी.

उनकी डिप्लोमा की डिग्री अक्सर विवादों में रही. विपक्ष का दावा है कि अर्दोआन ने विश्वविद्यालय से कोई पूरी डिग्री नहीं ली है बल्कि उनकी डिग्री एक कॉलेज डिप्लोमा के बराबर है. इस आरोप को अर्दोआन हमेशा से नकारते रहे हैं.

अर्दोआन जब युवा थे तब फ़ुटबॉल के प्रति उनकी रुचि बढ़ी और उन्होंने 1980 के दशक तक सेमी-प्रोफ़ेशनल प्रतियोगिताओं में भाग लिया.

लेकिन उनका दिल सियासत में लगता था.

वह 1970 और 80 के दशक में इस्लामवादी हलकों में सक्रिय थे. इस दौरान ही वे नेमेटिन एरबाकन की इस्लाम समर्थक वेलफ़ेयर पार्टी में शामिल हो गए.

1994 में अर्दोआन ने इस्तांबुल के मेयर पद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद अगले चार साल तक वे इस्तांबुल के मेयर बने रहे.

सियासत में शुरुआत
सेना के तख़्तापलट से पहले सिर्फ़ एक साल तक 1997 में तुर्की के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेमेटिन एरबाकन ने सत्ता संभाली थी.

उसी साल, अर्दोआन को एक राष्ट्रवादी कविता सार्वजनिक रूप से पढ़ने के लिए नस्लीय घृणा भड़काने का दोषी ठहराया गया था.

कविता की पंक्तियां थीं, "मस्जिद हमारे बैरक हैं, गुंबद हमारे हेलमेट हैं, मीनारें हमारा भाला हैं और धर्म में आस्था रखने वाले हमारे सैनिक हैं."

जेल में चार महीने बिताने के बाद वो राजनीति में वापस लौटे.

लेकिन 1998 में उनकी पार्टी पर आधुनिक तुर्की के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के उल्लंघन की वजह से प्रतिबंध लगा दिया गया था.

अगस्त 2001 में उन्होंने सहयोगी अब्दुल्ला गुल के साथ एक नई पार्टी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) की स्थापना की जिसकी विचारधारा इस्लाम समर्थक थी.

अर्दोआन की लोकप्रियता बढ़ रही थी. विशेष तौर से दो तरह के समूहों के सामने अर्दोआन का क़द बढ़ रहा था.

एक वर्ग वो जो देश के धर्मनिरपेक्ष अभिजात वर्ग के कारण ख़ुद को हाशिए पर महसूस करता था और दूसरा वो जो 1990 के दशक के अंत में आर्थिक मंदी से पीड़ित था.

2002 में एकेपी ने संसदीय चुनावों में बहुमत हासिल किया और अगले साल अर्दोआन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. वह आज तक पार्टी के अध्यक्ष बने हुए हैं.

सत्ता का पहला दशक
2003 के बाद से वे तीन बार प्रधानमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा किया. उनके कार्यकाल के दौरान एक स्थिर आर्थिक विकास हुआ जिसके लिए एक 'सुधारक' के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी तारीफ़ हुई.

अर्दोआन के कार्यकाल के दौरान ही तुर्की में मध्य वर्ग की तरक्क़ी हुई और लाखों लोग ग़रीबी से निकलकर बाहर आए.

ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि अर्दोआन ने तुर्की के आधुनिकीकरण के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को तरजीह दी थी.

सत्ता के शुरुआती सालों के दौरान तुर्की के कुर्द अल्पसंख्यक मतदाताओं को भी पक्ष में करने में अर्दोआन कामयाब रहे.

हालांकि 2013 तक अर्दोआन के आलोचकों ने यह चेतावनी देना शुरू कर दिया था कि वे लगातार निरंकुश होते जा रहे हैं.

2013 की गर्मियों में इस्तांबुल शहर के बीचों बीच मशहूर गीज़ी पार्क का कायापलट करने के विरोध में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे.

ये विरोध पार्क से कहीं ज़्यादा सरकार को चुनौती देने के लिए था.

इसके बाद गीज़ी पार्क से प्रदर्शनकारियों को जबरन बेदख़ल किया गया और उन पर पुलिस बल का भरपूर प्रयोग किया गया.

यह अर्दोआन के शासन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. अपने आलोचकों के लिए वह लोकतांत्रिक होने के बजाय एक तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे थे.

महिलाओं के बारे में अर्दोआन के विचार और काम
अर्दोआन की पार्टी ने विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक सेवाओं में महिलाओं के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया.

इन प्रतिबंधों को 1980 में एक सैन्य तख़्तापलट के बाद लागू किया गया था. अंत में पुलिस और सेना में शामिल महिलाओं के ऊपर से भी यह प्रतिबंध हटा लिया गया.

खु़द धार्मिक होने के बावजूद अर्दोआन ने देश हित में इस्लामी मूल्यों को थोपने से इनकार किया.

हालाँकि, उन्होंने बार-बार कहा कि समाज में महिलाओं की प्राथमिक भूमिका "पारंपरिक भूमिकाओं को पूरा करना" होना चाहिए और एक महिला को ''आदर्श माँ और आदर्श पत्नी'' बनना चाहिए.

उन्होंने नारीवादियों की निंदा की और कहा कि पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है.

लंबे वक्त से अर्दोआन इस्लाम से जुड़े अभियानों और मिस्र से जुड़े मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय इस्लामी संगठनों से वैचारिक रूप से नज़दीक रहे.

कई मौक़ों पर उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड का ख़ास चार उंगलियों वाला सलाम करते देखा गया जिसे रब्बा कहा जाता है.

जुलाई 2020 में अर्दोआन की देखरेख में इस्तांबुल के ऐतिहासिक हागिया सोफ़िया को एक मस्जिद में तब्दील कर दिया गया, जिससे कई ईसाई और धर्मनिरपेक्ष मुस्लिम तुर्क नाराज़ हो गए.

हागिया सोफ़िया को 1,500 साल पहले बनाया गया था. लेकिन कमाल अतातुर्क ने इसे नए धर्मनिरपेक्ष देश के प्रतीक के तौर पर एक संग्रहालय में बदल दिया था.

सत्ता पर मज़बूत पकड़
अर्दोआन 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए फिर से चुनाव नहीं लड़ सकते थे क्योंकि उनके तीन कार्यकाल की अवधि पूरी हो चुकी थी. इसके बाद वे राष्ट्रपति पद के चुनाव में शामिल हो गए.

उन्होंने एक नए संविधान में राष्ट्रपति के पद में सुधार करने की योजना बनाई. आलोचकों का मानना ​​था कि नए संविधान से देश की धर्म-निरपेक्षतावादी नींव को चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

लेकिन अपने राष्ट्रपति पद के आरंभ में ही उन्हें दो इम्तिहान का सामना करना पड़ा.

उनकी पार्टी ने 2015 में कई महीनों के लिए संसद में अपना बहुमत खो दिया, और फिर अगले साल 15 जुलाई 2016 को तुर्की ने दशकों बाद तख्त़ापलट की पहली कोशिश देखी.

लगभग 300 नागरिक मारे गए क्योंकि उन्होंने तख़्तापलट की साज़िश रचने वालों को आगे बढ़ने से रोका था.

साज़िश के लिए 'गुलेन आंदोलन' को दोषी ठहराया गया था, जिसका नेतृत्व अमेरिका स्थित इस्लामिक स्कॉलर फ़तुल्लाह गुलेन ने किया था.

उनके सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन ने अर्दोआन को लगातार तीन चुनावों में जीत दिलाने में मदद की थी, लेकिन जब दोनों सहयोगी अलग हो गए, तो इसका तुर्की समाज पर नाटकीय प्रभाव पड़ा.

2016 के तख़्तापलट की कोशिश के बाद लगभग 150,000 लोक सेवकों को बर्ख़ास्त कर दिया गया और 50,000 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया, इसमें सैनिक, पत्रकार, वकील, पुलिस अधिकारी, शिक्षाविद और कुर्द राजनेता शामिल थे.

आलोचकों पर इस तरह की कार्रवाई ने विदेशों में चिंता पैदा कर दी. इसकी वजह से यूरोपीय संघ के साथ तुर्की के संबंध ठंडे पड़ गए.

इस वजह से ही यूरोपीय संघ में तुर्की के शामिल होने की बातचीत कई सालों तक आगे नहीं बढ़ पाई.

उस बीच ग्रीस में तुर्की से जाने वाले प्रवासियों के मामले ने हालात में ज़्यादा खटास पैदा कर दी.

उन्होंने 2017 के एक जनमत संग्रह में जीत हासिल की, जिसमें उन्हें राष्ट्रपति पद की व्यापक शक्तियाँ मिल गईं, जिसमें आपातकाल की स्थिति लागू करने और शीर्ष अधिकारियों को नियुक्त करने के साथ-साथ क़ानूनी प्रक्रिया में दख़ल देने का अधिकार भी शामिल था.

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में योगदान
राजनीति में उनके नेतृत्व के दौरान अर्दोआन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में विकसित हुए.

उन्होंने तुर्की की ताक़त को क्षेत्रीय शक्ति के रूप में बढ़ाया और उनकी ताक़तवर कूटनीति ने यूरोप और उसके बाहर के सहयोगियों को बेचैन कर दिया.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अर्दोआन के अच्छे संबंध हैं और उन्होंने खु़द को यूक्रेन में रूस के युद्ध में एक मध्यस्थ के रूप में खड़ा किया.

उन्होंने ब्लैक सी (काला सागर) के ज़रिए अनाज निर्यात के लिए एक सुरक्षित गलियारा खोलने के सौदे में मध्यस्थता करने में मदद की, और जब रूस ने समझौते से अपना समर्थन खींचा तब अर्दोआन ने इसके नुक़सान से तुर्की का बचाव किया.

चुनावी उलटफेर
कई आलोचक 2019 के स्थानीय चुनावों को अर्दोआन के लंबे वक़्त से चले आ रहे शासन के लिए "पहले झटके" के तौर पर देखते हैं क्योंकि उनकी पार्टी तीन सबसे बड़े शहर इस्तांबुल, अंकारा और इज़मिर में हार गई थी.

मुख्य विपक्षी रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (सीएचपी) के एक्रेम इमामोग्लू के हाथों काफ़ी कम अंतर से इस्तांबुल का मेयर पद खोना अर्दोआन के लिए करारा झटका था, जो खु़द 1990 के दशक में शहर के मेयर रह चुके थे.

एक्रेम इमामोग्लू अपनी इस सफलता का विस्तार देशभर में करना चाह रहे थे, क्योंकि वे अर्दोआन के ख़िलाफ़ एकजुट विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कमाल कलचदारलू के साथ प्रचार कर रहे थे.

मई के चुनावों में खड़े होने से रोके जाने से पहले इमामोग्लू ओपिनियन पोल में अर्दोआन से आगे थे. अर्दोआन और उनके सहयोगियों पर ये आरोप लगा कि उन्होंने अदालतों के सहयोग से एक्रेम इमामोग्लू को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया.

तुर्की की कुर्द-समर्थक तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एचडीपी को भी कुर्द उग्रवादियों से कथित संबंधों की वजह से प्रतिबंधित होने की आशंका थी.

तुर्की के पुराने नेताओं की तरह राष्ट्रपति अर्दोआन ने प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) को फटकार लगाई.

हालाँकि तुर्की ने सीरियाई गृहयुद्ध से भागे हुए 35 लाख से अधिक शरणार्थियों को जगह दी. अंकारा ने भी तुर्की में कुर्दों को अलग-थलग करते हुए सीमाओं के पार कुर्द सेना के ख़िलाफ़ भी अभियान शुरू किया.

एक नाटो देश का नेता होने के बावजूद, उन्होंने एक रूसी एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ख़रीद की और तुर्की के पहले परमाणु रिएक्टर के निर्माण के लिए रूस को चुना.

2023 के चुनाव से पहले उन्होंने पश्चिम पर उनके ख़िलाफ़ जाने का आरोप लगाकर राष्ट्रवादी और रूढ़िवादी मतदाताओं के साथ अपनी साख बढ़ाने की कोशिश की थी.

उन्होंने कहा था, "मेरा देश इस साज़िश को नाकाम कर देगा."

अर्दोआन ने अदनान मेंडेरेस के मकबरे पर जाकर 2023 के चुनाव अभियान का समापन किया. अदनान मेंडेरेस लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित तुर्की के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें 1961 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद मार दिया गया था. (bbc.com)

 

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