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मॉस्को की सड़कों पर टैंक, रूस में बगावत का खतरा
24-Jun-2023 10:09 AM
मॉस्को की सड़कों पर टैंक, रूस में बगावत का खतरा

रूस की प्राइवेट आर्मी ‘वागनर ग्रुप’ के चीफ़ येवगेनी प्रिगोज़िन ने दावा किया है कि उनके सैनिकों ने कई जगहों पर यूक्रेन से लगी रूस की सीमा पार कर ली है.

येवगेनी पर रूस के ख़िलाफ़ विद्रोह के आरोप के बाद रूस के महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

टेलीग्राम पर प्रकाशित नई ऑडियो रिकॉर्डिंग में येवगेनी प्रिगोज़िन ने बताया कि जब उनके सैनिकों ने सीमा पार की तो वहां मौजूद सैनिकों ने उन्हें गले लगाने का काम किया.

उन्होंने यह भी दावा किया कि बॉर्डर पर मौजूद रूसी सैनिकों को उन्हें रोकने का आदेश दिया गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

येवगेनी ने कहा कि वे यूक्रेनी सीमा के पास दक्षिण पश्चिमी शहर रोस्तोव में प्रवेश कर रहे हैं.

प्रिगोज़िन ने कहा, "अगर कोई हमारे रास्ते में आया तो हम अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को तबाह कर देंगे…हम आगे बढ़ रहे हैं.”

बीबीसी इन दावों की पुष्टि नहीं करता है. अभी रूस में वागनर सैनिकों की तस्वीरें या वीडियो सामने नहीं आए हैं.

रूसी मीडिया के रोस्तोव शहर में ऑपरेशन फोर्ट्रेस को सक्रिय कर दिया गया है. इस प्लान को कथित तौर पर रूस की राजधानी मॉस्को में भी चलाया गया है ताकि क्रेमलिन की हिफ़ाज़त की जा सके.

क्रेमलिन रूसी राष्ट्रपति के आवासीय परिसर को कहा जाता है, जो राजधानी मॉस्को में स्थित है.

ऐसी जानकारियां भी सामने आ रही हैं कि आंतरिक मंत्रालय की बिल्डिंग के एंट्री और एग्जिट गेट को बंद कर दिया गया है और सैन्य वाहनों को राजधानी के कुछ इलाकों में तैनात किया गया है.

पश्चिमी विशेषज्ञों के मुताबिक़, वागनर रूसी सरकार के समर्थन वाला लड़ाकों का समूह है जो रूसी हितों के लिए काम करते हैं.

इस निजी सेना को एक कंपनी की शक्ल में येवगेनी प्रिगोज़िन फंड करते हैं. जो पुतिन के क़रीबी हैं.

एक समय में रेस्तरां चलाने वाले प्रिगोज़िन पर युद्ध अपराध और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े आरोप लगते रहे हैं. इससे पहले वागनर क्राइमिया, सीरिया, लीबिया, माली और सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक में तैनात रही हैं.

वागनर ग्रुप को किसने बनाया?

इस वक्त इस समूह की कमान येवगेनी प्रिगोज़िन के पास है.

द जेम्सटाइन फ़ाउंडेशन थिंक टैंक के सीनियर फ़ेलो डॉ सर्गेई सुखान्किन के मुताबिक वागनर ग्रुप को दिमित्री उत्किन नाम के एक व्यक्ति ने बनाया था.

वे 2013 तक रूसी विशेष सैन्य दस्ते में शामिल थे.

सुखान्किन कहते हैं, "वागनर ग्रुप में उन्होंने 35 से 50 साल की उम्र वाले ऐसे लोगों की भर्ती की जिन पर परिवार का या फिर कर्ज़ का बोझ था. ये अधिकतर छोटे शहरों से थे जहां काम के मौक़े कम थे. इनमें से कुछ चेचन्या में हुए संघर्ष और कुछ रूस-जॉर्जिया युद्ध में शामिल थे. इनके पास युद्ध का अनुभव था, लेकिन ये आम जीवन में अपनी जगह नहीं तलाश पाए थे."

सर्गेई बताते हैं कि रूसी सैन्य ख़ुफ़िया विभाग के पास एक जगह पर क़रीब तीन महीनों तक इनकी ट्रेनिंग हुई. इससे ये अंदाज़ा लगाया गया कि इस ग्रुप के तार रूसी सेना से जुड़े थे.

बताया जाता है कि दुनिया के कई संघर्षग्रस्त इलाक़ों में इसी ग्रुप के लड़ाके भेजे गए.

वो कहते हैं, "मुझे लगता है रूस इसे लेकर इसलिए उत्सुक था क्योंकि वो चेचन्या और अफ़ग़ानिस्तान में हुई ग़लती नहीं दोहराना चाहता था. पुतिन को डर था कि विदेशी ज़मीन पर सैन्य अभियानों में अधिक रूसी सैनिकों की मौत हुई तो इससे देश में लोगों की नाराज़गी बढ़ेगी."

चेचन्या और अफ़ग़ानिस्तान के सैन्य अभियानों में हज़ारों रूसी सैनिकों की जान गई थी. वागनर ग्रुप आधिकारिक तौर पर सेना का हिस्सा नहीं था, इसलिए इसे अभियान में शामिल करने से सैनिकों की मौतों का आंकड़ा कम रखने में मदद होती.

सर्गेई कहते हैं, "एक बड़ी वजह ये थी कि रूस इनकी ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर सकता था. यानी वो ये कह सकता था कि उसे इन लड़ाकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. एक और वजह ये भी है कि किसी और देश में संवेदनशील मिशन पर सेना या पैरामिलिटरी भेजना मुश्किल होता है." (bbc.com/hindi)

 

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