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रायपुर, 18 अगस्त। लोगों की जिंदगी बचाने में सदैव प्रयासरत फोर्टिस हेल्थ केयर ने थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए कोल इंडिया लिमिटेड से हाथ मिलाया है. ये पहल कोल इंडिया के सीएसआर इनिशिएटिव थैलेसीमिया बाल सेवा योजना के तहत की गई है. इस पार्टनरशिप के लिए फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में 28 जुलाई को एमओयू साइन किया गया था।
इस दौरान कोल इंडिया की सीएसआर जनरल मैनेजर रेणु चतुर्वेदी, थैलेसेमिक्स इंडिया की सचिव शोभा तुली, फोर्टिस हेल्थ केयर के ग्रुप सीओओ अनिल विनायक, फोर्टिस गुरुग्राम में हेमेटोलॉजी व बोन मैरो ट्रांसप्लांट के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉक्टर राहुल भार्गव समेत फोर्टिस के अन्य सीनियर लोग मौजूद रहे. कोल इंडिया ने 2017 में थैलेसीमिया बाल सेवा योजना की शुरुआत थैलेसीमिया से ग्रसित वंचित बच्चों को इलाज मुहैया कराने के लिए की थी. 2020 में इस प्रोग्राम में एप्लास्टिक एनीमिया को भी जोड़ दिया गया.
रूश के अनुसार, जो मरीज बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए पात्र हैं उन्हें कोल इंडिया लिमिटेड की तरफ से 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है और उनका इलाज फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम में किया जा सकता है. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में लगभग 20 डॉक्टरों की एक अनुभवी टीम के साथ देश के सबसे बड़े और सबसे व्यापक बीएमटी केंद्रों में से एक है, जो सभी प्रकार के ब्लड डिसऑर्डर के इलाज में महारत रखते हैं।
ये टीम मुश्किल से मुश्किल मामले में भी बीएमटी करती है. बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर गुरुग्राम में 26 बेड वाले बीएमटी आईसीयू हैं।