अंतरराष्ट्रीय
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ग़ज़ा में लगातार बढ़ रहे मौतों के आंकड़े पर अफ़सोस ज़ाहिर किया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखते हुए प्रियंका गांधी ने कहा है, “यह भयावह और शर्मनाक है कि लगभग दस हज़ार नागरिक जिनमें क़रीब पांच हज़ार बच्चे हैं, का नरसंहार कर दिया गया है, पूरे के पूरे परिवार ख़त्म कर दिए गए हैं."
"अस्पतालों पर, एंबुलेंसों पर बमबारी की जा रही है, शरणार्थी कैंपों को निशाना बनाया जा रहा है और फिर भी ‘स्वतंत्र दुनिया’ के तथाकथित नेता फ़लस्तीनी लोगों के इस नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं और इसके लिए वित्तीय सहायता दे रहे हैं.”
प्रियंका गांधी ने कहा, “संघर्ष विराम वो सबसे पहला क़दम है जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत लागू करवाया जाना चाहिए नहीं तो उसके पास कोई नैतिक अधिकार नहीं बचेगा.”
7 अक्तूबर को हमास के हमले के बाद से इसराइल ग़ज़ा पर लगातार बमबारी कर रहा है.
ग़ज़ा में मरने वालों की तादाद दस हज़ार के क़रीब पहुंच गई है. इसी बीच हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसारइल पर एक और शरणार्थी कैंप पर भीषण बमबारी के आरोप लगाए हैं. इसराइल ने कहा है कि वो इस घटना की जांच कर रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि केंद्रीय ग़ज़ा में स्थित मग़ाज़ी शरणार्थी कैंप पर हुई बमबारी में तीस लोग मारे गए हैं. तुर्की के मीडिया के लिए काम करने वाले एक पत्रकार का कहना है कि इस हमले में उनके दो बेटों और एक भाई की मौत हो गई है. उनका घर कैंप के बिलकुल क़रीब है और उस पर भी हमला हुआ.
इसी बीच ग़ज़ा में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इसराइल ने ग़ज़ा में अस्पतालों के नज़दीक भी हमले किए हैं और एक बड़ी बेकरी को भी निशाना बनाया है.
इसराइल के रक्षा मंत्री ने कहा है कि उनकी सेना ग़ज़ा के आबादी वाले हिस्से में दाख़िल हो चुकी है. चश्मदीदों के मुताबिक़ आबादी के बाहरी इलाक़ों में इसराइली सैनिकों और हमास के लड़ाकों के बीच भीषण झड़पें हुई हैं.
ग़ज़ा में आम नागरिकों की मौत पर दुनियाभर के नेता चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं. ग़ज़ा में मौतों का आंकड़ा दस हज़ार के क़रीब पहुंचने वाला है. अगर इसकी यूक्रेन युद्ध से तुलना करें तो फ़रवरी 2022 से अब तक यानी 21 महीनों में रूस के आक्रमण में अब तक 9700 लोगों की मौत हुई है.
यानी इसराइल और हमास के बीच एक महीने के युद्ध में ही उतने नागरिक मारे जा चुके हैं जितने यूक्रेन युद्ध में अभी तक मारे गए हैं. (bbc.com/hindi)