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‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 18 मार्च। जिला पंचायत जांजगीर-चांपा में 56 लाख रुपए के कथित भ्रष्टाचार के मामले में दोषी अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के बजाय ऐसे कर्मचारी को पद से हटा दिया गया जिसने केवल बिल को चेक कर अधिकारियों के निर्देश पर भुगतान किया था। मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिला पंचायत के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दस्तावेजों के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता चंद्रहास जायसवाल ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि जिला पंचायत जांजगीर-चांपा में मुख्यमंत्री सशक्तीकरण योजना के अंतर्गत संकाय सदस्य के पद पर उनकी 25 जनवरी 2017 को नियुक्त हुई। उसने बिना किसी शिकायत के 9 सितंबर 2023 तक कार्य किया। जिला खनिज संस्थान न्यास के अंतर्गत कौशल विकास एवं रोजगार चयन में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण सह टूल्स प्रदाय कार्य के लिए 30 मार्च 2021 को 52 लाख चार हजार 500 रुपये की राशि की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। उक्त कार्य निविदा आमंत्रित कर दिया गया। इसमें उनका कार्य केवल विभाग में प्रस्तुत दस्तावेजों का परीक्षण करना था। कार्य के निरीक्षण का दायित्व उन्हें नहीं दिया गया था। भुगतान के पश्चात शिकायत होने पर जांच कराई गई, जिसमें राशि के लेनदेन में उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई। परंतु कलेक्टर के निर्देश पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला जांजगीर चांपा द्वारा उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। राशि के लेनदेन में सम्मिलित किसी अधिकारी, कर्मचारी या ठेकेदार के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया।
मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी कर सीईओ जिला पंचायत जांजगीर-चांपा को उपस्थित होने का निर्देश दिया था। पूर्व में नोटिस तामील होने के बाद भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया। कोर्ट ने पुनः नोटिस जारी कर जिला पंचायत जांजगीर-चांपा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को सभी दस्तावेजों के साथ कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।