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सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी पर संजीव सान्याल की टिप्पणी 'बेतुकी’ : पूर्व नौकरशाह
28-Mar-2024 9:50 AM
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी पर संजीव सान्याल की टिप्पणी 'बेतुकी’ : पूर्व नौकरशाह

नयी दिल्ली, 27 मार्च। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल द्वारा सिविल सेवा परीक्षा को लेकर की गई टिप्पणियों को पूर्व नौकरशाहों ने बुधवार को ‘बेतुका’ और ‘टालने योग्य’ बताया।

सान्याल ने कथित तौर पर लाखों छात्रों द्वारा सिविल सेवा परीक्षा के लिए पांच से आठ साल की तैयारी को ‘युवा ऊर्जा की बर्बादी’ बताया था।

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि लाखों लोग राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए लोकप्रिय सरकारी सेवाओं का हिस्सा बनने की इच्छा रखते हैं।

सान्याल ने कहा कि अगर कोई प्रशासक बनना चाहता है तो उसे ही यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) या ऐसी अन्य परीक्षाओं के लिए प्रयास करने चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यूपीएससी या ऐसी अन्य परीक्षाओं का प्रयास करना बिल्कुल ठीक है, लेकिन केवल तभी जब व्यक्ति प्रशासक बनना चाहता हो।’’

सान्याल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा है, ‘‘समस्या यह है कि लाखों युवा इस परीक्षा को पास करने के लिए पांच से आठ साल लगा रहे हैं। इसे उन्होंने जीवन का ढर्रा बना लिया। यह वास्तव में युवा ऊर्जा की बर्बादी है।’’’

सान्याल की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1962 बैच के गुजरात काडर के पूर्व अधिकारी जी सुंदरम ने कहा, ‘‘यह बेतुका है। भारत एक विशाल देश है। हम एकजुट भारत में रुचि रखते हैं और यही कारण है कि सरदार वल्लभभाई पटेल (स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) जैसी अन्य सेवाओं का सृजन किया। यह अच्छी तरह से काम कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ कमियां हो सकती हैं जिन्हें निश्चित तौर पर सुधारा जा सकता है।’’

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पूर्व सचिव एस के सरकार ने कहा कि सान्याल इस बयान को टाल सकते थे। पश्चिम बंगाल काडर के 1979 बैच के आईएएस अधिकारी सरकार ने कहा, ‘‘ यह युवा ऊर्जा या संसाधनों की बर्बादी नहीं है। मैं उनके दावे से सहमत नहीं हूं।’’

उन्होंने कहा कि बहुत से लोग सरकारी सेवाओं का हिस्सा बनने की इच्छा रखते हैं और ‘‘राष्ट्र निर्माण और विकास में योगदान देने के लिए ये भारत की सर्वोत्तम सेवाएं हैं। ऐसी टिप्पणियों से बचा जा सकता था।’’

पूर्व आईएएस अधिकारी संजीव चोपड़ा ने कहा कि सान्याल को अपने विचार रखने का अधिकार है, लेकिन सिविल सेवक बनने की इच्छा रखने वाले युवाओं की आलोचना करना अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई अंबानी बनने की इच्छा नहीं रखता। लोग कवि, चित्रकार और अभिनेता भी बनना चाहते हैं। कई लोग सरकार के लिए काम करना चाहते हैं और सरकार में जिला की जिम्मेदारी संभालना, या जेएस (संयुक्त सचिव) के रूप में तैनाती से अधिक संतुष्टिदायक कोई नौकरी नहीं है, जिसमें आप संपूर्ण क्षेत्र का अनुभव प्राप्त करते हैं।’’

एक अन्य पूर्व नौकरशाह किरण पुरी ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना ‘युवा ऊर्जा की बर्बादी नहीं है’। 1983 बैच के केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी ने कहा, ‘‘जो लोग शैक्षणिक रूप से मजबूत और जानकार होते हैं, वे ही सिविल सेवाओं में शामिल होते हैं। इस देश को चलाने के लिए सिविल सेवकों की आवश्यकता है।’’

हालांकि, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई क़ुरैशी ने सान्याल की टिप्पणियों से आंशिक रूप से सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘‘वह आंशिक रूप से सही हैं। युवा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में सात से आठ साल लगा रहे हैं। कुछ लोग इन सेवाओं का हिस्सा बनने के लिए आकर्षक नौकरियां और मोटी तनख्वाह छोड़ देते हैं।’’

भारतीय पुलिस सेवा के सेवारत अधिकारी पंकज चौधरी ने भी सान्याल की टिप्पणियों से असहमति जताई। राजस्थान काडर के 2009 आईपीएस बैच के अधिकारी चौधरी कहा, ‘‘सिविल सेवा परीक्षा और यूपीएससी कई युवाओं के लिए आदर्श के रूप में काम करते हैं। इन टिप्पणियों से पूरी तरह बचा जा सकता था।’’ (भाषा)

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