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एक के बाद एक फूटता असंतोष
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस को चुनाव प्रचार में पूरी तरह जुट जाना था लेकिन एक के बाद कई सीटों से फूट रहे असंतोष ने उसकी लड़ाई और कठिन कर दी है। राजनांदगांव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ मंच से बयानबाजी करने वाले सुरेंद्र दाऊ के मामले का पटाक्षेप उनको पार्टी से निष्कासित कर देने के बाद भी नहीं हुआ है, बल्कि उनके तेवर और तीखे हो गए हैं। बिलासपुर में बोदरी नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कौशिक तीन दिन से कांग्रेस भवन के सामने अनशन पर हैं। वरिष्ठ नेताओं के समझाने के बाद भी उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला है। वे देवेंद्र यादव को बिलासपुर से बाहर का बताते हुए खुद के लिए कांग्रेस टिकट मांग रहे हैं। यहां से हाल ही में जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण चौहान कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जगदलपुर की पार्षद शफीरा साहू का 5 पार्षदों के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल होना और उसके बाद उनका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के खिलाफ आरोपों की बौछार करना भी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है।
विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के कई बड़े नेता सदमे में थे। ऐसी हार की उम्मीद शायद उनको नहीं थी। इस दौरान उन्होंने यह ध्यान नहीं रखा कि विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसमें पार्टी को फिर एक बार मजबूत स्थिति में लेकर आने का मौका है। मगर, विधानसभा चुनाव के हार की वजह जानने के लिए नेताओं ने कार्यकर्ताओं के साथ कोई सम्मेलन शायद ही किसी जिले में किया हो। शायद ही कहीं उन्होंने समीक्षा की हो कि आखिर कौन सी नाराजगी उन्हें ले डूबी। विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं के साथ खुला संवाद कर लिया गया होता तो शायद आज अप्रत्याशित रूप से पार्टी छोडऩे की घटनाओं को थोड़ा नियंत्रित किया जा सकता था।
ईडी की पूछताछ में तेजी
खबर है कि एसीबी के अधिकारी आज से अगले पांच दिन शराब और कोयला घोटाले में बंद आरोपियों के खिलाफ लगातार पूछताछ शुरू करने वाले हैं। इनमें कुछ आईएएस व कुछ राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारी हैं तो कुछ कारोबारी। ठीक चुनाव अभियान के दौरान पूछताछ की आंच यदि कांग्रेस प्रत्याशियों तक भी पहुंची तो इसका राजनीतिक असर देखने को मिलेगा। कांग्रेस ने जिन 11 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है उनमें भूपेश बघेल, कवासी लखमा, देवेंद्र यादव कै खिलाफ पहले से एफआईआर दर्ज है। दिल्ली और झारखंड में मुख्यमंत्रियों की जिस तरह गिरफ्तारी की गई है, उससे साफ है कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद वह रुकने वाली है। यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा कि ईडी किसे-किसे हिरासत में लेना और पूछताछ करना चाहती है।
राहगीरों की आंखों को गर्मी में सुकून
यह बोगनवेलिया या पेपर फ्लावर है, जिसकी देखभाल की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। फूल मनमोहक होते हैं। रतनपुर के पास नेशनल हाईवे पर यह पेड़ उद्यानिकी विभाग के आम के बगीचे के किनारे लगा हुआ है।
अपने मालिक से बात कराओ
दिसंबर से राजनेताओं में काम करने की होड़ है। उत्साह भी है। नए नवेले नेताजी अपनी जगह भी सुरक्षित रखना चाहते हैं और संगठन के सामने अपना काम भी साबित करना चाहते हैं। इसी उत्साह में एक नेताजी ने पहले एक बड़े उद्योग समूह के स्थानीय प्रतिनिधि को बुलाया, फिर कह दिया कि अपने मालिक से बात कराओ। स्थानीय प्रतिनिधि की इतनी हैसियत नहीं थी कि वह सीधे मालिक को फोन करता। उसने ऊपर संदेश पहुंचाया। यह संदेश फॉरवर्ड होकर दिल्ली तक पहुंच गया। बस फिर क्या था। नेताजी को बता दिया गया कि इतने ऊपर नहीं जाना है। जो बात छनकर आई है, उसमें नेताजी के ओएसडी को चाबी भरने वाला बताया जा रहा है।
ईडी का क्या होगा रुख
महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव) के एक प्रत्याशी के ऐलान के बाद ईडी की नोटिस का मामला तूल पकड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ में ईडी की राडार में कांग्रेस के दो प्रत्याशी हैं। बिलासपुर के कांग्रेस प्रत्याशी तो सीधे तौर पर आरोपी हैं। लोगों के बीच इस बात की चर्चा है कि क्या चुनाव के पूर्व ईडी कुछ कार्रवाई कर सकती है।