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भाजपा, कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्रों में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों पर जोर
17-Apr-2024 1:27 PM
भाजपा, कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्रों में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों पर जोर

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने जहां दो दशक पहले अपने-अपने घोषणापत्र में पर्यावरण के बारे में महज कुछ पंक्तियों को शामिल किया था वहीं इस बार इनके घोषणापत्रों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय ह्रास को लेकर बढ़ती चिंताओं का व्यापक उल्लेख है।

जानकारों ने इन मुद्दों पर जोर दिए जाने का स्वागत किया, हालांकि उन्होंने कहा कि वन और वन्यजीव संरक्षण समेत कुछ मामलों में सरकारों के "विरोधाभासी" दृष्टिकोण को देखते हुए कई वादे "प्रतीकात्मक" साबित हुए हैं।

चुनाव घोषणापत्र पार्टियों के राजनीतिक रुख को दर्शाते हैं और चुनावों के दौरान अक्सर उन पर चर्चा, बहस व तुलना की जाती है। घोषणापत्रों में अंतरराष्ट्रीय नीति से लेकर नौकरियों, स्वास्थ्य और शिक्षा तक कई मुद्दों का जिक्र किया जाता है और इनसे मतदाताओं को प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।

पिछले शनिवार को अपना 69 पृष्ठ का चुनाव घोषणापत्र जारी करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने "सतत भारत के लिए मोदी की गारंटी" खंड के तहत पर्यावरण व जलवायु मुद्दों का तीन पृष्ठ पर जिक्र किया है, जबकि 1999 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में उसने महज एक पैराग्राफ में “पर्यावरण” का जिक्र किया था।

फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कही जाने वाली भाजपा के 1999 और 2004 के घोषणापत्रों में "जलवायु परिवर्तन" शब्द का जिक्र तक नहीं था।

कांग्रेस ने अपने 2024 के चुनाव घोषणापत्र में दो पृष्ठ पर पर्यावरण, जलवायु, आपदा प्रबंधन, जल और स्वच्छता से संबंधित मुद्दों का जिक्र किया है।

कांग्रेस के पिछले लोकसभा चुनाव घोषणापत्रों की समीक्षा से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता के मुद्दों पर जोर दिया गया है।

‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के 2022 के एक अध्ययन में कहा गया है कि कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों में लगातार जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर दिया है और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशिष्ट कदमों का जिक्र किया है जैसे कि ग्रीन बजटिंग और इस पर काम करने के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन।

भाजपा के 2024 के घोषणापत्र में प्रमुख प्रतिबद्धताओं में 2070 तक उत्सर्जन नेट जीरो करना, गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल, नदियों की स्थिति में सुधार, 60 शहरों में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करना, वृक्ष क्षेत्र का विस्तार करना और आपदा सहनशीलता को बढ़ावा देना शामिल है।

कांग्रेस ने हरित परिवर्तन और नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक कोष स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए अपने घोषणापत्र में विशिष्ट कदमों की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की है।

‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के वरिष्ठ रेजिडेंट फेलो देबादित्यो सिन्हा ने कहा, "(भाजपा का) घोषणापत्र उन मुद्दों को प्रतिबिंबित नहीं करता जो पारिस्थितिकी विज्ञानी पर्यावरण नीतियों के संबंध में उठा रहे हैं, जहां बड़े सुधारों की आवश्यकता है।"

वहीं, पर्यावरण कार्यकर्ता और जल नीति विशेषज्ञ हिमांशु ठक्कर ने कहा कि जब ऐसे मामलों में पारदर्शिता की बात आती है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की तुलना में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

उन्होंने दावा किया, "उदाहरण के लिए संप्रग ने हमारी बात सुनी और केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया, जो पन्ना बाघ अभयारण्य व जंगलों के बड़े हिस्से को पूरी तरह से नष्ट कर देगी। भाजपा सरकार असहमति की आवाज को दबा रही है।"  (भाषा)

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