ताजा खबर

राजपथ-जनपथ : उम्मीदें बहुत हैं...
27-Apr-2024 2:34 PM
राजपथ-जनपथ :  उम्मीदें बहुत हैं...

उम्मीदें बहुत हैं...

वो दिन हवा हो गए, जब रायपुर कलेक्टोरेट में अफसर साढ़े 5 बजे के बाद बस्ता बांध लिया करते थे। मगर हाल के दिनों में उन्हें अलर्ट रहना होता है। पता नहीं कब साब (कलेक्टर) का फोन आ जाए। कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह कलेक्टोरेट की साख को बेहतर करने की कोशिश में जुटे हैं, जहां पिछले बरसों में काफी गिरावट आई है। उनके कुछ पूर्ववर्तियों को लेकर काफी बुरी चर्चाएं होती है।

मध्यप्रदेश के समय में बतौर कलेक्टर रहे अजीत जोगी, सुनिल कुमार, डीआरएस चौधरी, देवराज सिंह विरदी, और फिर राज्य बनने के बाद अमिताभ जैन, विवेक देवांगन, सुबोध सिंह, व ओपी चौधरी ने बेहतर कार्यशैली से लोगों के बीच में अलग ही छवि बनाई थी। दूर-दराज से आए लोग काम न होने पर भी संतुष्ट होकर लौटते थे। मगर पिछले बरसों में कलेक्टरों की कार्यशैली ऐसी रही है कि आम आदमी तो दूर मातहत ही परेशान रहे हैं। ऐसे में डॉ.गौरव कुमार सिंह से काफी उम्मीदें दिख रही है।

गौरव को आए कुछ ही समय हुए हैं, लेकिन उन्होंने थोड़े समय में ही अलग ही कार्यशैली का परिचय दिया है। पदभार संभालने के बाद वो प्रयास विद्यालय जाकर वहां आईआईटी, जेईई, और नीट की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों के साथ खाना खाया, और तमाम व्यवस्थाओं की बारीकियों से अवगत हुए। जाति प्रमाणपत्र और राशनकार्ड सहित अन्य के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े, यह सुनिश्चित भी किया है।

उन्होंने मातहतों साफ तौर पर निर्देश दिए हैं कि बेवजह किसी को भटकना न पड़े, इसके लिए हरसंभव कोशिश करें। वो खुद भी ऑफिस के पूरे वक्त काम करते दिख रहे हैं। पिछले दिनों गुढिय़ारी में पॉवर कंपनी के भंडारगृह में आग लगी तो वो जख्मी हो जाने के बावजूद मौके पर डटे रहे, और तडक़े आग बुझने के बाद घर गए। फिर तीन-चार घंटे बाद वापस आकर आगजनी से प्रभावितों को मदद करवाई। 

11 में 11, या दो कम बता रहे

आजकल विट्री साइन दिखाने वाले नेताजी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से पोस्ट हो रही हैं। ऐसे ही भाजपा के एक नेताजी की तस्वीर जब सोशल मीडिया पर आई तो उनके समर्थक ने पूछ लिया, भैयाजी 11 में 11 सीटें जीतने का दावा है, ? या फिर से दो कम होने का संकेत दे रहे हैं। नेताजी ने पहले तो 11 में 11 जीतने का दावा किया, फिर धीरे से कहा कि एक-दो सीटें कमजोर हैं। हो सकता है कि पुराना रिजल्ट ही आए।

कामकाज ऐसे ही  

तबादले के बाद ही हर पिछले अफसर की वर्कएफिशिएंसी पता चलती है। यह आंकलन और कोई नहीं विभाग के मातहत क्लर्क, सेक्शन इंचार्ज, अंडर सेक्रेटरी जैसे मातहत ही करते हैं। हाल में कुछ मंत्रालयीन मातहत लंच पर अपने साहबों की वर्किंग स्टाइल के चटखारे ले रहे थे। वित्त वाले ने कहा कि अब जाकर फाइलों से भरी आलमारियां खाली हुईं हैं। मैडम तो हर फाइल आलमारी में पैक करवाते जा रहीं थीं। यहां कि उन्होंने डीए देने का औचित्य पूछकर उस फाइल को भी बंद कर दिया था। शिक्षा विभाग वाले ने कहा कि पुराने साहब तो बहुत ही सोफेस्टिकेटेड थे। वे सीएम के भी सचिव रहे हैं । जो सीएम के आदेश होते वही फाइल करते। नए साहब एक एक फाइल पढक़र अपनी नोटिंग के साथ  मंत्री की नोटिंग पर भी ओवर राइटिंग करते हैं । हमारे यहां भी फाइल डिस्पोजल तेज हो गया है । यही मैडम रहीं तो हर फाइल आलमारी में होती थी। इस पूरे वाकए का लब्बोलुआब यह निकला कि सरकारी कामकाज ऐसे ही चलता है ।

बालोद में योगी निकले वोट देने..

मतदान के दौरान कई दिलचस्प नजारों में एक दिखा कांकेर लोकसभा क्षेत्र के बालोद में। यहां के एक मतदाता राजेश चोपड़ा की शक्ल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलती-जुलती है। वे कल मतदान के लिए उनकी ही गेटअप में वोट देने के लिए सपत्नीक पोलिंग बूथ पहुंचे। चोपड़ा उन लाखों लोगों में से एक हैं, जो आदित्यनाथ को महान व्यक्तित्व का धनी मानते हैं।

बैंक बैलेंस नहीं, हौसला देखिये

नामांकन फॉर्म के साथ सभी लोकसभा प्रत्याशियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा भी दिया है। इससे पता चलता है कि ज्यादातर उम्मीदवार करोड़पति, लखपति हैं। पर मैदान में एक निर्दलीय महिला प्रत्याशी ऐसी भी है, जिसका ब्यौरा जानकर कोई भी हैरान हो सकता है। कोरबा सीट से निर्दलीय लड़ रही शांति बाई मरावी ने जो विवरण दिया है, उसके मुताबिक उनके दो बैंक खाते हैं। एक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का, जिसमें सिर्फ दो हजार रुपये जमा है। बैंक ऑफ बड़ौदा की पेंड्रा ब्रांच में भी एक दूसरा खाता है, मगर उसमें एक रुपये भी नहीं है। उसके पास 1.5 एकड़ कृषि भूमि है, 10 ग्राम सोना और 50 ग्राम चांदी है। हाथ में नगदी सिर्फ 20 हजार रुपये है।

यह पता नहीं कि उसका नाम गरीबी रेखा की सूची में शामिल है या नहीं पर करोड़पति उम्मीदवारों के बीच मैदान में उतरने का फैसला किस उद्देश्य से उसने लिया? यह जानने के लिए जब लोगों ने उनके मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो फोन बंद मिला। कुछ लोग उनको ढूंढते हुए घर के पते पर पेंड्रा भी पहुंच गए, पर वहां ताला लटका मिला। अब लोग अटकल लगा रहे हैं कि शांति मरावी ने गंभीरता से चुनाव लडऩे के लिए नामांकन भरा है या फिर उम्मीदवारों की सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए। कितने मतदाताओं तक वह पहुंच पाएंगीं, यह बाद की बात है पर अभी उनकी लोगों में खासी चर्चा तो ही रही है।

चुनावी मुद्दा नहीं बना स्टेडियम

अंबिकापुर में 24 अप्रैल को हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी आमसभा से पहले एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। शहर के बीच स्थित महात्मा गांधी स्टेडियम में मोदी को उतारने के लिए हेलीपैड बना दिया गया। नगर निगम के महापौर अजय तिर्की और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने इसका विरोध किया। कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। बताया गया कि शहर के छात्रों और युवाओं के लिए खेलने की यह एकमात्र जगह है, हेलीपैड बनाकर इसे बर्बाद किया जा रहा है। महापौर का कहना था कि नगर-निगम के पास इतनी राशि नहीं है कि दोबारा इसे ठीक कर सके। प्रशासन पेशोपेश में पड़ गया कि कहीं चुनाव के मौके पर यह कोई मुद्दा न बन जाए। अंतिम समय में हेलीकॉप्टर उतारने की जगह भी नहीं बदली जा सकती थी, क्योंकि एसपीजी ने इसी जगह को क्लीयरेंस दी थी। विरोध के बावजूद हेलीपैड वहीं बनाया गया। यह जरूर हुआ कि मोदी के जाने के तुरंत बाद मैदान की मरम्मत शुरू कर दी गई और शनिवार को इसे पहले जैसा कर दिया। प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाई, भाजपा को राहत मिली कि यह उसके खिलाफ मुद्दा नहीं बना।

([email protected])

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news