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जलवायु परिवर्तन प्रमुख चिंता का विषय, भारत संकल्पित कटौती की दिशा में कर रहा काम: जयशंकर
04-Jul-2024 8:53 PM
जलवायु परिवर्तन प्रमुख चिंता का विषय, भारत संकल्पित कटौती की दिशा में कर रहा काम: जयशंकर

अस्ताना, 4 जुलाई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने एक प्रमुख चिंता का विषय है और भारत उत्सर्जन में संकल्पित कमी लाने तथा जलवायु के अनुरूप लचीला बुनियादी ढांचा निर्माण करने की दिशा में काम कर रहा है।

जयशंकर ने कजाखस्तान की राजधानी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से यह बात कही।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर तस्वीरों के साथ एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से एससीओ परिषद के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में भारत का वक्तव्य दिया। नरेन्द्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री निर्वाचित होने पर उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए सम्मेलन में उपस्थित नेताओं का धन्यवाद।’’

जयशंकर ने कहा, "हम उत्सर्जन में संकल्पित कमी लाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें वैकल्पिक ईंधन की ओर बदलाव, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना और जलवायु के अनुरूप लचीला बुनियादी ढांचा निर्माण शामिल है।"

उन्होंने कहा, "इस संदर्भ में, भारत की एससीओ अध्यक्षता के दौरान, उभरते ईंधनों पर एक संयुक्त वक्तव्य और परिवहन क्षेत्र में कार्बन से मुक्ति पर एक संकल्पना पत्र को मंजूरी दी गई थी।"

पिछले साल आयोजित वार्षिक जलवायु सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत पहले ही 2070 तक ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन हासिल करने के लक्ष्य की घोषणा कर चुका है। उन्होंने कहा था कि भारत की योजना 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की है।

टिप्पणियों में यह भी उल्लेख किया गया कि कैसे आर्थिक प्रगति के लिए मजबूत कनेक्टिविटी की आवश्यकता है।

जयशंकर ने कहा, "यह हमारे समाजों के बीच सहयोग और विश्वास का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।"

उन्होंने कहा, “संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए आवश्यक है। इसी तरह गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार अधिकार और पारगमन व्यवस्थाओं का मुद्दा भी है। एससीओ को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की जरूरत है।”

जयशंकर ने यह भी कहा कि एससीओ को "प्रौद्योगिकी को रचनात्मक" बनाने और इसे समाज के कल्याण एवं प्रगति के लिए लागू करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “भारत कृत्रिम मेधा (एआई) पर राष्ट्रीय रणनीति तैयार करने और एआई मिशन शुरू करने वाले देशों में से एक है। 'सभी के लिए एआई' के प्रति हमारी प्रतिबद्धता एआई सहयोग संबंधी रूपरेखा पर एससीओ ढांचे के भीतर काम करने में भी परिलक्षित होती है।'' (भाषा)

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