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कोहली जब मोदी से बोले-अहंकार आता है तो आदमी खेल से दूर चला जाता है
06-Jul-2024 2:09 PM
कोहली जब मोदी से बोले-अहंकार आता है तो आदमी खेल से दूर चला जाता है

भारत की क्रिकेट टीम को टी-20 वर्ल्डकप जीते हुए करीब एक हफ्ता हो रहा है, मगर भारतीय खिलाडिय़ों की रोज़ आती नई तस्वीरें और वीडियो अब भी लोगों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

ऐसा ही एक वीडियो शुक्रवार यानी पांच जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया हैंडल्स से साझा किया गया।

ये वीडियो तब का है, जब टी-20 वल्र्ड चैंपियन टीम चार जुलाई को दिल्ली पहुंची थी और पीएम मोदी से मुलाकात की थी।

इस मुलाकात के वीडियो में कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली समेत कई खिलाडिय़ों के मन की बातें और अनुभव पता चले हैं।

फिर चाहे रोहित शर्मा का घास निकालकर चखना हो, विराट कोहली का अहंकार की बात को कहना हो या फिर युजवेंद्र चहल से मज़ाक करना हो।

इस रिपोर्ट में हम आपको भारतीय क्रिकेट खिलाडिय़ों के कुछ अनुभव और बातें बता रहे हैं। साथ ही जानिए कि चार जुलाई को मुंबई में विक्ट्री परेड के दौरान समंदर किनारे फैंस का जो सैलाब था, तब वहां क्या कुछ ऐसा रहा, जो शायद कैमरों में दर्ज नहीं हो पाया।

रोहित से पूछा- घास वाला किस्सा

जब टीम इंडिया ने टी- 20 क्रिकेट वल्र्डकप जीता था, तब रोहित शर्मा ने स्टेडियम की थोड़ी सी घास निकालकर चखी थी।

पीएम मोदी ने रोहित शर्मा से कहा- मैं पिच से घास निकालकर खाने वाले पल को जानना चाहता हूं।

रोहित शर्मा ने जवाब दिया, ‘जहां पर हमें वो विक्ट्री मिली, उस पल को मुझे हमेशा याद रखना था और वह चखना था बस। क्योंकि उस पिच पर खेलकर हम जीते थे।’

रोहित ने कहा, ‘हम सब लोगों ने इसके लिए काफ़ी इंतजार किया था। कई बार वल्र्ड कप हमारे काफ़ी कऱीब आया, लेकिन हम आगे नहीं जा सके। लेकिन इस बार सभी लोगों की वजह से हम ट्रॉफी को हासिल कर सके।’

रोहित बोले, ‘जो भी हुआ, उसी पिच पर हुआ, इसलिए उस समय वो मुझसे हो गया।’

कोहली बोले- अहंकार आ जाता है तो...

रोहित शर्मा के अलावा टीम इंडिया के बाक़ी खिलाडिय़ों ने भी अपने अनुभव साझा किए।

विराट कोहली बोले, ‘ये दिन हमेशा मेरे दिमाग में रहेगा। क्योंकि इस पूरे टूर्नामेंट में मैं वो योगदान नहीं दे पाया, जो मैं चाहता था।’

कोहली ने कहा, ‘एक समय पर मैंने राहुल (द्रविड) भाई को भी बोला कि मैंने अपने आप को और टीम को न्याय नहीं दिया। उन्होंने मुझे बोला कि उन्हें उम्मीद है कि जब ज़रूरत होगी तो तुम जरूर अच्छा प्रदर्शन करोगे।’

कोहली कहते हैं, ‘जब शुरू में तीन विकेट गिर गए तो मुझे लगा कि मुझे इस जोन में डाला गया है और मैं उसी के अनुसार खेलने लगा। बाद में मुझे समझ आया कि जो चीज होनी होती है, वह किसी भी तरह से होती ही है।’

उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी इस बात की है कि मैंने इतने बड़े मैच में टीम के लिए योगदान दिया। पूरा दिन जैसे गया और हम जिस प्रकार से जीते, उसे मैं कभी नहीं भुला सकता।’

कोहली ने कहा, ‘जब अहंकार आपके अंदर आ जाता है तो खेल आपसे दूर चला जाता है। उसी को छोडऩे की ज़रूरत थी। गेम में परिस्थिति ही ऐसी बन गई कि मेरे पास अहंकार की जगह ही नहीं बची और उसे टीम के लिए पीछे रखना पड़ा। फिर गेम को इज़्जत दी तो गेम ने भी मुझे इज़्जत दी।’

‘इडली खाकर जाते हो क्या मैदान पर’

जसप्रीत बुमराह टी-20 क्रिकेट वर्ल्डकप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे।

टूर्नामेंट में बुमराह ने कुल 15 विकेट लिए। टूर्नामेंट में ऐसे कई मौक़े आए, जब बुमराह ने मैच की दिशा बदलने में मदद की।

जसप्रीत बुमराह ने कहा, ‘मैं जब भी इंडिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय पर गेंदबाज़ी करता हूं। जब भी सिचुएशन मुश्किल होती है तब मुझे बॉलिंग करनी होती है। मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब मैं टीम की मदद कर पाता हूं। इस टूर्नामेंट में कई बार ऐसी मुश्किल परिस्थिति आई, जब मुझे टीम के लिए बॉलिंग करनी थी। और मैं टीम की मदद कर पाया और मैच जिता सके।’

मुश्किल ओवरों में बॉलिंग के सवाल पर बुमराह ने बताया, ‘मैं नकारात्मक सोच नहीं रखता हूं। मैंने जो भी अच्छी बॉलिंग की होती है, उसके बारे में सोचता हूं।’

उन्होंने कहा, ‘बहुत अच्छा टूर्नामेंट गया। पहली बार वर्ल्ड कप जीता। इससे अच्छी फीलिंग आज तक कभी अनुभव नहीं की।’

पीएम मोदी ने जब ये पूछा कि मैदान पर क्या इडली खाकर जाते हो, उन्होंने कहा कि वेस्टइँडीज़ में इडली नहीं मिलती थी।

शानदार कैच पर सूर्य कुमार यादव ने क्या कहा

टी-20 क्रिकेट वल्र्डकप के फाइनल मुकाबले के आखिरी ओवर में सूर्य कुमार यादव ने शानदार कैच पकड़ा था।

सूर्य कुमार के इस कैच को भी भारत के चैंपियन बनने की अहम वजहों में से एक माना गया।

इस कैच पर सूर्य कुमार ने कहा, ‘मुझे पता नहीं था कि कैच पकड़ पाऊंगा, लेकिन दिमाग़ में ये बात थी कि गेंद को अंदर ढकेल दूंगा।’

सूर्य कुमार बोले, ‘एक बार गेंद जब हाथ में आ गई तो मैंने सोचा कि अंदर रोहित भाई को दे देता हूं, लेकिन वो बहुत दूर थे। फिर मैंने अंदर फेंका और वापस आकर कैच पकड़ा।’

उन्होंने बताया कि ऐसे कैच पकडऩे की उन्होंने काफी प्रैक्टिस की थी।

हार्दिक और ऋषभ पंत क्या बोले

आईपीएल में मुंबई इंडियंस के कप्तान बनाए जाने पर हार्दिक पांड्या को काफी ट्रोल किया गया था।

मगर टी-20 क्रिकेट वल्र्डकप के फ़ाइनल मुकाबले का आखिरी ओवर हार्दिक पांड्या ने डाला था।

इस ओवर में हार्दिक की गेंदबाज़ी के कारण दक्षिण अफ्रीका की टीम लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई थी।

हार्दिक पांड्या ने कहा, ‘छह महीने काफी उतार चढ़ाव भरे रहे। मैं ग्राउंड पर गया तो पब्लिक ने काफी ट्रोल किया। हमेशा मैंने माना था कि जवाब दूंगा तो खेल से दूंगा।’

इस दौरान ऋषभ पंत ने अपने एक्सीडेंट पर भी बात की।

ऋषभ ने कहा, ‘उस दौरान लोग कहते थे कि मैं कभी क्रिकेट खेल भी पाऊंगा या नहीं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले डेढ़-दो साल से यही सोच रहा था कि वापस फील्ड में आकर जो कर रहा था, उससे बेहतर करने की कोशिश करनी है।’

पीएम मोदी के साथ बातचीत के दौरान युजवेंद्र चहल से भी हँसी मजाक हुआ और कोच राहुल द्रविड ने भी अपनी बात रखी।

पीएम मोदी के साथ टीम इंडिया की बातचीत यहां देखिए।

अब आइए आपको चार जुलाई को विक्ट्री परेड के दौरान मुंबई की सडक़ों पर क्या दिखा, इस बारे में बताते हैं।

मुंबई में टीम इंडिया की विक्ट्री परेड

चार जुलाई को मुंबई में टीम इंडिया की विक्ट्री परेड को देखने के लिए मरीन ड्राइव पर लाखों लोग जुटे थे।

बीबीसी संवाददाता जाह्नवी मुले भी वहां मौजूद थीं। पढि़ए उनकी ये रिपोर्ट-

मरीन ड्राइव पर मैंने इतनी भीड़ कभी नहीं देखी। मैराथंस के दौरान भी इतनी भीड़ मैंने नहीं देखी।

किलाचंद चौक पर अफरातफरी मची हुई थी। वानखेड़े स्टेडियम के पास यही स्थिति थी। पुलिस भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रही थी।

स्टेडियम के गेट पर दोपहर 2 बजे से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।

मुझे बताया गया कि शाम चार बजे स्टेडियम में लोगों की एंट्री शुरू हुई और आधे घंटे में पूरा स्टेडियम भर गया। ऑफिस में काम करने वाले भी उस दिन ऑफिस से 2-3 बजे तक निकल गए।

यहाँ अभी भी तैयारियाँ चल रही थीं। बैनर लगाए जा रहे थे और पेड़ों की टहनियाँ काटी जा रही थीं।

हमने शाम साढ़े चार बजे लाइव और प्रशंसकों से बातचीत समाप्त की और नरीमन पॉइंट से निकल पड़े। तब सडक़ का एक हिस्सा कारों के लिए बंद था।

भीड़ को देखते हुए हमने कार को छोड़ पैदल चलना शुरू कर दिया। हमारे सुरक्षा-प्रशिक्षण और मुंबई लोकल ट्रेनों से यात्रा करने के अनुभव ने हमारी मदद की।

जब तक हम किलाचंद चौक पहुँचे, तब तक वहाँ लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी।

हमने भीड़ से दूर जाने का फैसला किया और चर्चगेट स्टेशन की ओर चल पड़े और अंतत: प्रेस क्लब पहुँच गए। यह स्टेडियम से करीब एक-डेढ़ किमी। दूर है और हम यहीं से वानखेड़े में भीड़ की गर्जना सुन सकते थे।

पुलिस और रेलवे अधिकारियों ने चर्चगेट स्टेशन पर लोगों से वापस जाने के लिए एनाउंसमेंट शुरू कर दी थीं।

कई लोगों ने पुलिस की बात मानी और वापस लौट गए। लेकिन कई लोग ट्रेनों से आ रहे थे, उन्हें नहीं पता था कि भीड़ कितनी बढ़ गई है।

आखिरकार हमें देर रात पता चला कि 10-12 लोग घायल हुए हैं और उन्हें शहर के कई अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

यह केवल इसलिए त्रासदी में नहीं बदला, क्योंकि मुंबई वाले बड़ी भीड़ के आदी हैं और यहाँ की पुलिस इसे संभालने में काफी अनुभवी है।

भीड़ के बीच एम्बुलेंस को रास्ता देते देखना उल्लेखनीय था।

अब मैं सोशल मीडिया पर कई लोगों को बड़ी संख्या में लोगों के इक_ा होने के लिए दोषी ठहराते हुए देखती हूँ।

क्या वास्तव में वहाँ जाना आवश्यक था? खासकर उत्तर भारत के हाथरस में भगदड़ की घटना के बाद। किसी को यह सोचना होगा कि वहाँ इतने सारे लोग क्यों इक_ा हुए?

सबसे पहले, कई लोग वहाँ इसलिए आए क्योंकि उन्हें लगा कि स्टेडियम में प्रवेश मिलेगा, जो कि मुफ़्त था। इसलिए कुछ लोगों के लिए वहाँ जाना, जीवन में एक बार मिलने वाला मौका था।

फिर अधिकांश लोगों को मरीन ड्राइव पहुँचने तक पता ही नहीं चला कि भीड़ कितनी ज़्यादा थी। उन्होंने सोचा कि अब हम यहाँ हैं, चलो यहीं रुकें और टीम का इंतज़ार करें।

गुरुवार का दिन यादगार था। (bbc.com)

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