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स्वयं में शोध-दृष्टि विकसित करें-डॉ. सिन्हा
24-Aug-2020 5:08 PM
स्वयं में शोध-दृष्टि विकसित करें-डॉ. सिन्हा

रायपुर, 24 अगस्त। अटल नगर स्थित आईआईआईटी के वॉइस चांसलर और डायरेक्टर डॉ. प्रदीप के. सिन्हा ने ‘हाउ टू डु आर गाइड पीएचडी रिसर्च सक्सेसफुली’ टॉपिक पर इंटरनेशनल वेबिनार सीरीज, ‘लेटेस्ट रिसर्च ट्रेंड इन स्टेम’ में अपने विचार  व्यक्त किए। इसे डॉ. डी. वाई. पाटिल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, पुणे के रिसर्च सेल द्वारा आयोजित किया गया था। इसका लक्ष्य टेक्निकल इंस्टीट्यूट में रिसर्च  के महत्व पर जोर देना था और रिसर्च के लोकल और ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में प्रभाव पर प्रकाश डालना था। डॉ. सिन्हा ने यह सेशन 21 अगस्त 2020 को डिलीवर किया था।

डॉ. सिन्हा ने अपने सेशन की शुरुआत इस बात से की कि कैसे कई पीएचडी रिसर्च स्कॉलर्स अपने पीएचडी कोर्स के दौरान कई मुश्किलों का सामना करते हैं, क्योंकि यह उनकी पहली फॉर्मल रिसर्च होता है। उनके सेशन में यह भी शामिल था कि रिसर्च गाइड को कैसे चुनें, अपनी रिसर्च के लिए किसी रिसर्च टॉपिक को कैसे चुने, साहित्यिक सर्वे कैसे करें क्योंकि आजकल किसी भी टॉपिक पर बहुत ज्यादा साहित्य मौजूद है, अपने रिसर्च टॉपिक के लिए नया आइडिया कैसे पाएं, रिसर्च को कैसे करें कि रिजल्ट जल्दी मिले, और अपनी रिसर्च के दौरान दूसरी समस्यायों से कैसे निपटें आदि।

डॉ. सिन्हा ने इन समस्याओं के लिए बहुत साधारण समाधान दिया। पार्टिसिपेंट्स को पहले स्टेप (एक रिसर्च गाइड और रिसर्च एरिया को कैसे चुने) से लेकर स्टेप टू स्टेप आखिरी स्टेप (अपने पीएचडी थीसिस को डिफेंड कैसे करें) तक और तब अपनी पीएचडी के बाद क्या करें कि अपने काम का समाज पर बहुत प्रभाव पड़ें, आदि के बारें में गाइड किया। 

डॉ. सिन्हा ने रिसर्च गाइड्स को अपने रिसर्चर स्कॉलर्स में रिसर्च की दृष्टि को विकसित करने के लिए जोर दिया। इस स्किल को उनमें  विकसित करने से रिसर्च विद्वान हर दिन अपने चारों ओर गठित हो रही चीज़ों और एक्टिविटीज में रिसर्च के अवसर खोजने में सक्षम होंगे। उन्हें जब भी कोई समस्या दिखेगी वे उसे हल करने के लिए रिसर्च करने के अवसर के रूप में देखेंगे। इससे उन्हें अपने रिसर्च के जरिये भविष्य में समाज के लिए योगदान देने में मदद मिलेगी।

डॉ. सिन्हा ने बताया कि दूसरी स्किल्स जो हमें डेवलप करने की जरूरत है वो है आब्जेक्टिव रीडिंग, सबूत इकठ्ठा करना, विचारों और  दावों को स्पष्ट करने के लिए  टेक्निकल राइटिंग स्किल विकसित करना, दृढ़ रहना; और धैर्य रखना आदि। डॉ. सिन्हा ने कई पीएचडी के गलत धारणाओं को भी उजागर किया जो लगभग हर रिसर्च करने वाले के मन में रहता है। जैसे कि गाइड द्वारा सुझाये गए रिसर्च टॉपिक पर ही काम करना जरूरी नहीं होता है, प्रसिद्ध पर्सनालिटीज हमेशा रिसर्च गाइड के रूप में सबसे अच्छा विकल्प नहीं होते हैं, इम्प्लेमेंटेशन (कार्यान्वयन) के एक नए तरीके का प्रस्ताव रखने से पीएचडी डिग्री नहीं मिलेगी, आदि।

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