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इस्लामाबाद, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| ब्रिटेन में पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात अधिकारियों ने बुधवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) को सूचित किया कि नवाज शरीफ के एक प्रतिनिधि ने शुरूआत में पीएमएल-एन सुप्रीमो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करने पर सहमति जताई थी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के पार्क लेन स्थित निवास में उनके आगमन से कुछ मिनट पहले उनका मन बदल गया। जियो टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट के प्रथम सचिव दिलदार अली अब्रो ने अदालत को सौंपे गए एक लिखित उत्तर में कहा कि नवाज शरीफ के बेटे के सचिव वकार अहमद ने उन्हें फोन किया और उन्हें सूचित किया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री के लिए वारंट प्राप्त करेंगे।
अब्रो ने अदालत को बताया कि वकार शुरू में लंदन में नवाज शरीफ के पार्क लेन स्थित निवास पर वारंट प्राप्त करने के लिए सहमत हुए थे। इसके बाद उन्होंने वकार की इस स्वीकृति को लेकर उच्चायोग को सूचित किया। इस पर उच्चायोग ने उन्हें उक्त पते पर वारंट भेजने की अनुमति प्रदान की।
अब्रो ने अदालत को बताया, "वकार के साथ इस बात पर सहमति थी कि वह 23 सितंबर को सुबह 11 बजे वारंट प्राप्त करेंगे।" उन्होंने कहा कि वकार को यह भी बताया गया कि मिशन के कांसुलर अताशे राव अब्दुल हनन वारंट सौंपेंगे।
अब्रो ने अदालत को बताया, "सुबह 10:20 बजे वकार ने मुझे माफी मांगते हुए वारंट प्राप्त करने से मना कर दिया।"
दूसरी ओर, हनन ने अपने बयान में कहा कि वह शुरू में वारंट देने के लिए 17 सितंबर की शाम 6.35 बजे पूर्व प्रधानमंत्री के आवास पर गए थे। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ के एक घरेलू कर्मचारी मुहम्मद याकूब ने वारंट प्राप्त करने से मना कर दिया था, यही वजह है कि वारंट को पूर्व प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंचाया जा सका।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अपनी अंतिम सुनवाई में हनन को वीडियो लिंक के माध्यम से मामले की अगली सुनवाई में एक बयान दर्ज करने का निर्देश दिया।
इसी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने माना कि नवाज शरीफ का पाकिस्तान से बाहर निकलना 'व्यवस्था का मखौल' है।
शरीफ को गत वर्ष नवंबर में सिर्फ चार हफ्तों के लिए लंदन जाने के लिए एक अदालत से अनुमति मिली थी, लेकिन तब से वह पाकिस्तान वापस नहीं लौटे। उन्हें भ्रष्टाचार से जुड़े अल-अजीजिया स्टील मिल्स मामले में सात साल जेल की सजा मिली है।