राष्ट्रीय
बिज़नेस स्टैंडर्ड की ख़बर के मुताबिक, कृषि क्षेत्र से जुड़े 'तीन नए विवादित कानूनों के विरोध में' जारी किसान आंदोलन, टेलीकॉम कंपनियों के टकराव में बदलता नज़र आ रहा है.
ख़बर में कहा गया है कि ''रिलायंस जियो ने दूरसंचार नियामक से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाते हुए आरोप लगाया है कि प्रतिस्पर्धी कंपनियां- भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया किसानों के समर्थन की आड़ में अपने नेटवर्क से जोड़ने के लिए जियो के उपयोगकर्ताओं को बहला-फुसला रही हैं.''
ख़बर में ये भी कहा गया है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लगातार जारी प्रदर्शनों के बीच किसानों ने जियो के उत्पादों का बहिष्कार करने का फ़ैसला किया है.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई को लिखे पत्र में जियो ने कहा है कि ''भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया दोनों कंपनियां मौजूदा किसान आंदोलन को भुनाने के लिए 'अनैतिक' और 'प्रतिस्पर्धी विरोधी' मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी अभियान चला रही थीं.
ख़बर के अनुसार, जियो ने कहा कि ''दोनों कंपनियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिलायंस जियो के कृषि क़ानूनों का अनुचित लाभार्थी होने के आरोपों और झूठी अफ़वाहों को आगे बढ़ाने में शामिल हैं.''
जियो ने अपने पत्र में कहा, ''एयरटेल और वोडाफोन आइडिया अपने कर्मचारियों, एजेंटों और खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से एक 'शातिर' और 'विभाजनकारी' अभियान आगे बढ़ा रही हैं. ये कंपनियां नंबरों को पोर्ट कराने जैसे मामूली फ़ायदे के लिए जान-बूझकर रिलायंस जियो को किसानों के ख़िलाफ़ बताकर और खुद को किसान हितैषी के रूप में पेश करके कंपनी को बदनाम कर रही हैं. साथ ही साथ सरकार के विरोध को जानबूझकर हवा भी दे रही हैं.'' (बीबीसी)