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आगरा, 15 दिसंबर| आगरा की ताज नेचर वॉक के दौरान चीनी मांझे से घायल मिले बार्न उल्लू को वाइल्डलाइफ एसओएस एनजीओ की एक टीम द्वारा तत्परता से किए गए उपचार ने बचा लिया गया। पक्षी का बायां पंख घायल हो गया था और अभी वह इंटेंसिव मेडिकल सपोर्ट पर है। आगरा में ताज नेचर वॉक में वन विभाग के अधिकारियों को एक बार्न उल्लू चीनी मांजे में फंसा हुआ मिला था। चेक करने पर उसका एक पंख मांझे के कारण कट गया था। पक्षी को तत्काल पशु अस्पताल ले जाया गया। वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवा के उप निदेशक डॉ.एस. इलियाराजा ने कहा, "पक्षी के बाएं पंख में नरम ऊतक को नुकसान पहुंचा है। हम उसे सभी जरूरी दवाएं और लेजर थेरेपी दे रहे हैं। ठीक होने पर उसे उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया जाएगा।"
वाइल्डलाइफ एसओएस के कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, "यह भयानक स्थिति है कि सरकार द्वारा प्रतिबंध के बावजूद मांजे का उपयोग हो रहा है। सुबह और शाम को पक्षी अधिक सक्रिय रहते हैं, हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे इन घंटों में पतंग उड़ाने से बचें।"
वहीं वाइल्डलाइफ एसओएस के कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर बैजु राज एम.वी. ने कहा, "शिकारियों और वन्यजीव तस्करों के कारण बड़े पैमाने पर खतरे का सामना कर रहे उल्लुओं को चीनी मांजा से भी खतरा है। जो कई बार इनके गंभीर रूप से घायल होने का कारण बनता है।"
बार्न उल्लू (टायटो अल्बा) एक ऐसी प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में बड़े पैमाने पर पाई जाती है। वे आम तौर पर उपयोग नहीं किए जाने वाले पेड़ की गुहाओं या छतों पर रहते हैं और छोटे स्तनधारियों और पक्षियों का शिकार करते हैं।
भारत में उल्लुओं को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया जाता है और उल्लुओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार के तहत निषिद्ध किया गया है। (आईएएनएस)