अंतरराष्ट्रीय

कौन हैं आर्मिन लाशेट जो बन सकते हैं अंगेला मैर्केल के बाद जर्मनी के चांसलर
21-Apr-2021 2:08 PM
कौन हैं आर्मिन लाशेट जो बन सकते हैं अंगेला मैर्केल के बाद जर्मनी के चांसलर

जर्मनी की सत्ताधारी सीडीयू-सीएसयू पार्टी ने आर्मिन लाशेट को आम चुनाव से पहले चांसलर पद का उम्मीदवार चुना है. अंदरूनी सत्ता संघर्ष में लाशेट ने बवेरिया प्रांत के मुख्यमंत्री और सीएसयू प्रमुख मार्कुस जोएडर को पछाड़ दिया.

 (dw.com)

जर्मनी की सबसे बड़ी पार्टी सीडीयू के अध्यक्ष होने के नाते सितंबर में होने वाले संसदीय चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करने और चांसलर उम्मीदवार बनने का आर्मिन लाशेट का दावा बहुत मजबूत था. लेकिन उन्हें सहोदर पार्टी सीएसयू के मार्कुस जोएडर से चुनौती मिल रही थी. जोएडर ने भी अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी थी और उन्हें सेंटर-राइट पार्टी दाएं बाजू के नेताओं का समर्थन भी मिल रहा था. आखिरी फैसला पार्टी की कार्यकारिणी में हुआ जहां उन्हें 77 प्रतिशत से ज्यादा नेताओं का समर्थन मिला. जोएडर ने सहोदर पार्टी के इस साफ फैसले को मान लिया.

हालांकि फिलहाल लाशेट देश के आम लोगों के बीच सर्वे में जोएडर से कम लोकप्रिय हैं, लेकिन सीडीयू-सीएसयू चुनावों में सबसे ज्यादा वोट पाती है, इसलिए चांसलर अंगेला मैर्केल के बाद देश की  बागडोर संभालने का लाशेट को दूसरे किसी और नेता से बेहतर मौका मिल गया है. चांसलर बनने से पहले मैर्केल खुद सीडीयू की अध्यक्ष और संसदीय दल की नेता थीं. आर्मिन लाशेट पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वो मैर्केल की विरासत को आगे ले जाएंगे और राजनीतिक सेंटर की राह पर मजबूती से चलेंगे. अब सवाल बस इतना है कि सितंबर में जर्मनी का सबसे उच्च पद पाने के लिए क्या यह काफी होगा?

मजदूर परिवार के हैं लाशेट
लाशेट एक खनिक के बेटे हैं और पेशे से वकील हैं. वो जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नार्थ राइन वेस्टफेलिया के मुख्यमंत्री हैं, जो देश का औद्योगिक केंद्र भी है. लाशेट राज्य में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन सेंटर-राइट को जीत दिलाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी लोकप्रियता बढ़ानी होगी. मंगलवार 20 अप्रैल को जोएडर के हार स्वीकार करने से पहले हुए सर्वेक्षणों में संकेत मिल रहे थे कि अगर चांसलर का सीधा चुनाव हुआ तो लाशेट कम लोकप्रिय विपक्षी पार्टियों के दावेदारों से भी हार जाएंगे.

आर्मिन लाशेट कैथोलिक हैं और तीन बच्चों के पिता हैं. शुरुआत में वो पत्रकार बनना चाहते थे लेकिन फिर वो प्रकाशन में चले गए और उसके बाद राजनीति में. वो जर्मन और यूरोपीय दोनों ही संसदों के सदस्य रह चुके हैं और फ्रेंच भाषा धाराप्रवाह बोल सकते हैं. अपने राज्य का मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने वहां कई मंत्री पद संभाले थे. सीडीयू में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो टकराव की जगह सहमति बनाने में ज्यादा विश्वास रखता है.

कोरोना पर नेतृत्व का संकट
इसका मतलब ये नहीं है कि वे राजनीतिक विवादों से कभी पीछे हटे हैं. उन्होंने 2015 में यूरोप के शरणार्थी संकट के दौरान करीब 10 लाख फंसे हुए लोगों को जर्मनी में शरण देने के मैर्केल के फैसले का मुखर रूप से समर्थन किया था. लेकिन हाल में, कोरोना वायरस संकट का सामना करने के उनके तरीकों की काफी आलोचना हुई है. उनके राज्य में कई बार गंभीर रूप से संक्रमण फैलने के बाद उन्हें एक मजबूत नेतृत्व का संकेत देने में जूझता हुआ पाया गया.

उन्होंने कई बार महामारी का सामना करने में अपने रुख को बदला भी. ओपिनियन चुनावों में उनके आंकड़े गिरने के पीछे यह एक मुख्य कारण रहा है. पिछले कुछ हफ्तों में उन्होंने अपने सोशल मीडिया खातों पर महामारी के दौरान उनके द्वारा उठाए गए कदमों की खबरें डाली हैं. उन्होंने संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए एक "ब्रिज लॉकडाउन" की मांग की है ताकि लोगों में जिंदगी के सामान्य होने का भरोसा बना रहे.

सीके/एमजे (डीपीए) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news