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ट्रांसजेंडर फुटबाल रेफरी ने इस्राएल में रचा इतिहास
05-May-2021 1:07 PM
ट्रांसजेंडर फुटबाल रेफरी ने इस्राएल में रचा इतिहास

सपीर बेरमन इस्राएल की फुटबॉल प्रीमियर लीग के मैचों में पहली महिला ट्रांसजेंडर रेफरी बन गई हैं. उन्होंने पिछले सप्ताह ही अपने महिला होने की घोषणा की थी और बताया था कि उन्होंने अपना नाम सागी से बदल कर सपीर रख लिया है.

   (dw.com)

सपीर ने बेतार यरूसलम और हपोएल हाइफा टीमों के बीच मैच में रेफरी की भूमिका निभाई. उनके साथ एकजुटता दर्शाने के लिए इस्राएल फुटबॉल एसोसिएशन ने ट्वीट किया, "यह एक लंबे और निराले सफर का पहला कदम है. सपीर, हमें तुम्हारे साथ यह कदम उठाने में गर्व महसूस हो रहा है." 26 साल की सपीर 2011 से ही देश की फुटबॉल लीग में एक चोटी की रेफरी हैं.

27 अप्रील को एक समाचार सम्मेलन में उन्होंने जानकारी दी थी कि उन्होंने हमेशा खुद को एक महिला के रूप में देखा है, यहां तक कि जब उनकी उम्र और कम थी तब भी. उन्होंने कहा था, "मैं नहीं जानती कि मैं कोई मार्ग-निर्माता हूं या नहीं - मैं इस प्रक्रिया से अपने लिए गुजर रही हूं." उन्होंने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां दी गई थीं, लेकिन समर्थन भी मिला था.

खिलाड़ियों द्बारा उन्हें मिल रहे समर्थन की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें संबोधित करते समय खिलाड़ियों ने हिब्रू में शब्दों के स्त्रीलिंग रूपों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. सपीर ने कहा, "उन्हें वाकई ऐसा लगता है कि वो किसी तरह से इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं. वो मुझसे एक महिला की तरह बात भी करते हैं. मैं उनका धन्यवाद करती हूं."

इस्राएली रेफरी यूनियन के प्रमुख रोनित तिरोश ने सपीर को "हिम्मतवाली" बताया और कहा कि उन्होंने "इस्राएली फुटबॉल के लिए एक ऐतिहासिक प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है." देश के उत्तर में स्थित शहर हाइफा के स्टेडियम के बाहर एक प्रशंसक एक बैनर ले कर खड़ा था, जिस पर सपीर को "सुपरवुमन, अविश्वसनीय, बहादुर" बताया गया था.

वो जब मैदान में आईं तब दर्शकों ने तालियां और सीटियों से उनका स्वागत किया. एक समर्थक ने एक पोस्टर लिया हुआ था, जिस पर लिखा था, "सपीर, हम सब तुम्हारे साथ हैं." फुटबॉल की दुनिया में सपीर पहली महिला ट्रांसजेंडर रेफरी नहीं हैं. 2018 में ब्रिटेन की एक रेफरी लूसी क्लार्क ने भी अपने ट्रांसजेंडर होने की जानकारी दी थी. 

इस्राएल  को एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोगों के लिए बराबरी के दर्जे को प्रोत्साहन देने वाला देश माना जाता है. देश में समलैंगिक विवाह की अनुमति तो नहीं है लेकिन देश के बाहर की गई समलैंगिक शादियों को मान्यता दी जाती है. यहूदी समुदायों में समलैंगिकता आज भी एक टैबू है.

सीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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